इस पोस्ट को कुछ विशेष लोगों के लिए लिखा है। मानना न मानना आपकी इच्छा है।
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यह एक मिथ्या तर्क है कि "योगीजी को रोकने की कोई चाल हो रही है।"
आरएसएस, गुज्जू , ऊपरी तिकड़ी, मौर्या, ब्राह्मण.... वगैरह वगैरह कई कयास लगाए जा रहे हैं।
बहुत दिनों से इस विषय पर सोचकर भी लिखना नहीं चाहता क्योंकि कुछ चीजें समय के गर्भ से पलकर बाहर आये तो ही बढ़ियाहै।
हालांकि,राजनीति में हरेक बात शक्की ही होती है लेकिन मैं अपने योग और ध्यानबल से कह रहा हूँ,जिनका नाम #योगीजी_के_अवरोध के रूप में प्रचारित किया जा रहा है,
वहां वैसा कुछ भी नहीं है। ऐसा सम्भव ही नहीं है।
प्रकृति अपने परिवर्तक का चयन परिस्थितियों के प्रशिक्षण द्वारा करती है जिसे अवतार कहा जाता है। कई बार परिवर्तक स्वयं को भी इसका भान नहीं होता जबकि करवा कोई और ही रहा होता है।
लेकिन जो सूक्ष्म तत्त्वदर्शी हैं,
जिनकी बुद्धि विमल हैं, जो प्रकृति से एकाकार हैं वे पहचान जाते हैं।
उन्हें थोड़ा आभास हो जाता है।
इसके लिए वे कुछ आर्ष वचनों और कुछ प्राकृतिक गणनाओं का सहारा लेते हैं।
इसे ज्योतिष कहते है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कुंडली में अत्यंत दुर्लभ "मारक_योग" है,
साथ ही उन्होंने योग साधना के बल से कुण्डलिनी जागृत कर रखी है इसलिए उनसे भिड़ने वाला स्वयं मर जाता है। जितना भिड़ोगे, उतना मरोगे। बालि की तरह आधा बल वे पहले ही सोख लेते हैं। मोदीजी का पुतला तक जलाने वाले स्वयं जल गए!!
आप इस जातक को भुला नहीं सकते। विवशता में ही सही,
आप उसे याद करते रहते हैं और एक बार यदि द्वेष पाल दिया तो गये।
राहुल गांधी को #किसी_बहुत_बड़े_व्यक्ति ने ही यह सलाह दी थी कि जाकर गले लग जाओ। आपको मजाक लगा होगा लेकिन "हम साधकों की दुनिया" इस घटना की कोई और ही व्याख्या करती है।
कुण्डलिनी जागृत व्यक्ति के गले लगने वाला
व्यक्ति स्वयं भीतर से हिल जाता है। यह उसे बहुत असहज कर देता है। उसके पास सम्मोहक विद्या होती है। हालांकि इसके लिए तपस्या चाहिए।
"शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही...."
मोदीजी अपने समर्थकों और वोटर्स को भी झटके देते हैं। कई तो इतने शॉकिंग होते हैं कि उनसे गहराई तक
जुड़ा व्यक्ति विक्षिप्त तक हो जाता है। इस पर अधिक नहीं लिखूंगा, थोड़ा पीछे मुड़कर याद कर लीजिए।
अस्तु,
योगी आदित्यनाथ जी का जन्म सिंह लग्न, और पंचम बृहस्पति, सातवां चंद्रमा और वृषभ में सूर्य, बुध, शुक्र के साथ हुआ। उनकी कुण्डली में विष युक्त गजकेसरी योग है।
परम् गुरु महंत अवैद्यनाथ ने देखते ही पहचान लिया था। योगी आग है। धधकता अंगारा है, गले लगना तो दूर, कोई दुर्नियती से उनकी परछाई भी नहीं छू सकता। इस जातक की दो ही गतियां हैं -1.सर्वेषाम् मूर्ध्नि वा तिष्ठेत, 2.विशीर्यते वनेsथवा।
या तो गज या केसरी। विष योग से यह अत्यंत खतरनाक,
आक्रामक, उग्र और संहारक हो जाता है।
योगीजी का चयन पराम्बा प्रकृति ने किया है, मैं कोई भावुक भविष्यवाणी नहीं कर रहा हूँ लेकिन इन्हें नरेंद्र मोदी समझने की कोई भूल न करे। नरेन्द्र मोदी को आप गाली दीजिये, वह अवशोषित हो जाती है, लौटकर नहीं आती। आप अपनी आत्मा के हनन का कोई भी
कार्य कीजिए, मोदीजी की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं आने वाला।
लेकिन कृपया योगीजी के बारे में मन में भी बुरा मत सोचना, वहां से सबकुछ परावर्तित होकर आता है। उनके साथ नाथ परम्परा है, शायद आप जानते नहीं, नौ नाथ आज भी सशरीर, यहीं कहीं हैं, कइयों को दिखते भी है।
भारतीय राजनीति में उनके दखल और रूचि को लेकर मेरे पास अनेक सच्ची घटनाएं हैं।
अतः नाथों से छेड़छाड़.... सोचना भी मत।
भूत, वर्तमान, भविष्य में जिसने भी अपने दुर्भाग्य से ऐसा सोचा या किया है, प्रकृति उन सबका हिसाब लेगी, ऐसा मेरा मानना है।
जिस धरातल पर योगी आदित्यनाथ खड़े हैं, ..
अब मैं क्या समझाऊं आपको..बस ये समझिए कि सबकुछ होगा, बस (यदि) आप कुछ कर सकते हैं तो कीजिए।
नोट-सूक्ष्म जगत की एक अत्यंत रोचक लड़ाई अंदर ही अंदर चल रही है, कुछ विशिष्ट मित्रों से इनबॉक्स में या व्यक्तिगत बातचीत में इस पर चर्चा चलती ही रहती है,वह फिलहाल वहीं होगी!
साभार
- कुमार एस
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दोस्तों दो दिन से कानपुर में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के दो दिवसीय अधिवेशन चल रहा था..जिसमें अंतिम दिन 11 प्रस्ताव पारित किए गए। जिनमें से प्रमुख हैं हाल के दिनों में असामाजिक तत्वों ने इस्लाम पैगंबर की प्रतिष्ठा का खुलेआम अपमान किए जाने के मुद्दे पर सरकार की ओर से कोई
कार्रवाई न किए जाने पर रोष जताया। बोर्ड सदस्यों ने सरकार से मांग की है कि वो समान नागरिक संहिता को मुसलमानों पर प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप या आंशिक रूप से हो थोपनो का प्रयास ना करें। ये कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। बोर्ड ने कहा कि सरकार या किसी मुतवल्ली के लिए वक्फ संपत्ति का
निपटान करना या कुछ अदालतों को वक्फ भूमि बेचने की अनुमति देना इस्लामिक शरिया और वक्फ कानून के खिलाफ है। यह मुसलमान के धार्मिक अधिकारों और शरिया कानून में हस्तक्षेप है और मुसलमान इसे कतई स्वीकार नहीं करेंगे। तीसरा सीएए और एनआरसी वाले कानून को रद्द करने की मांग। तथा भारतीए कोर्ट का
कोलकाता से मुंबई की ओर, दुरंतो ट्रेन अपनी स्पीड से चल रही ही थी... रिजर्वेशन कोच में टिकट चेकर आया और सबसे आईडी प्रूफ मांगा...
दो लोगों ने कहा कि हमारे पास कोई भी आईडी प्रूफ नहीं है, हम उन 30 परसेंट गरीब लोगों मे से हैं जिनके पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं है...!!!
टिकट चैकर ने पूछा, "तो आपने टिकट कैसे बनाया...!"
आदमी बोला "साहब ये इंडिया है, यहाँ सब कुछ बन जाता है...!"
टिकट चैकर ने कहा कि "आपको आईडी प्रूफ दिखाना पड़ेगा, नहीं तो आप आगे की यात्रा नहीं कर पाएंगे...!"
ट्रेन में कुछ सेक्युलर, अर्बन नक्सल और छद्म जिहादी लोग इकट्ठा हो गए...
बवाल किया कि ये टिकट चेकर सांप्रदायिक है, ये टिकट चैकर RSS, BJP का समर्थक है ..?
टिकट चैकर ने सोचा की बाकी के यात्री मेरा समर्थन करेंगे, लेकिन बाकी के लोग खाने पीने में, बातों में, मोबाइल में और लॅपटॉप में व्यस्त थे.(?)
टिकट चैकर अकेला पड गया,
चुपचाप उस डिब्बे से चला गया..
शेर जब दो कदम पीछे खींचता है तो वो यह काम डर कर नही करता है...बल्कि वाइल्ड लाईफ के विशेषज्ञ इसे शेर का शिकार करने के लिये घात लगाना कहते है...अब शिकार किसका,कहां और कैसे होगा...यह आने वाला समय ही बतायेगा....लेकिन होगा जरूर,यह मै पूरे भरोसे से कह सकता हूं....
यहां एक बात और जानिये कि बाकी किसान नेताओं की तरह विपक्ष भी डर रहा होगा कि इस घोषणा के पीछे असल मे जाने क्या छुपा हुआ है...क्या होगा मोदी का अगला कदम.....किसकी गर्दन नपेगी...बस इसी चक्कर में विपक्ष बड़ा संभलकर बोल रहा हैं......केवल अपनी पुरानी बातें याद करा रहा हैं।
जहां तक मै इस निर्णय के पीछे की सोच को समझ पा रहा हूं..........वो कदापि किसान कानून की कमियां तो नही ही है....इसके पीछे शायद विदेशी ताकतों द्वारा देशी चूजों के बल पर रची गई निश्चित ही खालिस्तानी चिलगोजों की मूवमेंट की किसी साजिश की सूचना,जानकारी जरूर होगी जिससे लालकिले..
अभी तो जश्न का माहौल है , परन्तु किसानों को कुछ समय बाद पता चल जाएगा कि कानून किस तरह उन्हीं के हितों के लिए बनाए गए थे । यह अच्छा हुआ कि देश में महान लोकतंत्र कायम है और आंदोलन की इच्छा के सामने झुककर सरकार ने कानून वापस लेने की घोषणा कर दी ।
जो बात किसानों को अभी तक समझ नहीं आ रही थी , आंदोलन खत्म होने के बाद शायद समझ आ जाए । फिलहाल देश में शांति कायम करने के लिए तीनों कानूनों की वापसी ही एकमात्र रास्ता थी ।
यह बात साफ है कि भारत में जनतंत्र की जड़ें बहुत गहरी हैं । इतनी गहरी कि जनता के सामने सरकार को झुकना
ही नहीं पड़ता , प्रधानमंत्री को किसानों से माफी भी मांगनी पड़ती है । सरकार द्वारा कानूनों की वापसी के फैसले से लोकतंत्र की जड़ें और पुख्ता हुई हैं । जनशक्ति के सामने प्रधानमंत्री और भारत सरकार का इस तरह झुकना सचमुच लोकतंत्र की जीवंतता का अभूतपूर्व प्रमाण है ।
यदि आप अक्षय कुमार की नई फिल्म सूर्यवंशी पर पैसा बर्बाद करने जा रहे हैं तो रुकिए...
फ़िल्म देखने मे आपको लगेगा कि पुलिसकर्मियों की मेहनत पर बनी है, पर फ़िल्म की कहानी का मुख्य मकसद ये है कि एक आतंकवादी किन परिस्थितियों में आतंकवादी बनता है।
ऐसे क्या कारण हैं जिनसे मजबूर होकर वह आतंक का रास्ता अपनाता है।
फ़िल्म में जैकी श्रॉफ मुख्य आतंकी बने हैं, जिन्हें 1947 के बंटवारे के समय पलायन कर के पाकिस्तान जाना पड़ता है क्योंकि यहां के हिन्दू उनके माता-पिता बहन भाई इत्यादि को मार देते हैं और उनका घर जला देते हैं।
और वहां जाकर भी उन्हें सम्मान नही मिलता है और उनके ऊपर मुहाजिर का टैग लगा दिया जाता है,पर वे पाकिस्तानियों से कोई बदला लेना नही चाहते हैं उनकी सारी नफरत हिंदुस्तान के लिए है।इसके अलावा भारत के मुस्लिम सेक्युलर हैं,वे आतंकवाद का समर्थन नही करते हैं,उनपर बेकार ही शक किया जाता है,