इस पोस्ट को कुछ विशेष लोगों के लिए लिखा है। मानना न मानना आपकी इच्छा है।
***
यह एक मिथ्या तर्क है कि "योगीजी को रोकने की कोई चाल हो रही है।"
आरएसएस, गुज्जू , ऊपरी तिकड़ी, मौर्या, ब्राह्मण.... वगैरह वगैरह कई कयास लगाए जा रहे हैं।
बहुत दिनों से इस विषय पर सोचकर भी लिखना नहीं चाहता क्योंकि कुछ चीजें समय के गर्भ से पलकर बाहर आये तो ही बढ़ियाहै।
हालांकि,राजनीति में हरेक बात शक्की ही होती है लेकिन मैं अपने योग और ध्यानबल से कह रहा हूँ,जिनका नाम #योगीजी_के_अवरोध के रूप में प्रचारित किया जा रहा है,
वहां वैसा कुछ भी नहीं है। ऐसा सम्भव ही नहीं है।
प्रकृति अपने परिवर्तक का चयन परिस्थितियों के प्रशिक्षण द्वारा करती है जिसे अवतार कहा जाता है। कई बार परिवर्तक स्वयं को भी इसका भान नहीं होता जबकि करवा कोई और ही रहा होता है।
लेकिन जो सूक्ष्म तत्त्वदर्शी हैं,
जिनकी बुद्धि विमल हैं, जो प्रकृति से एकाकार हैं वे पहचान जाते हैं।
उन्हें थोड़ा आभास हो जाता है।
इसके लिए वे कुछ आर्ष वचनों और कुछ प्राकृतिक गणनाओं का सहारा लेते हैं।
इसे ज्योतिष कहते है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कुंडली में अत्यंत दुर्लभ "मारक_योग" है,
साथ ही उन्होंने योग साधना के बल से कुण्डलिनी जागृत कर रखी है इसलिए उनसे भिड़ने वाला स्वयं मर जाता है। जितना भिड़ोगे, उतना मरोगे। बालि की तरह आधा बल वे पहले ही सोख लेते हैं। मोदीजी का पुतला तक जलाने वाले स्वयं जल गए!!
आप इस जातक को भुला नहीं सकते। विवशता में ही सही,
आप उसे याद करते रहते हैं और एक बार यदि द्वेष पाल दिया तो गये।
राहुल गांधी को #किसी_बहुत_बड़े_व्यक्ति ने ही यह सलाह दी थी कि जाकर गले लग जाओ। आपको मजाक लगा होगा लेकिन "हम साधकों की दुनिया" इस घटना की कोई और ही व्याख्या करती है।
कुण्डलिनी जागृत व्यक्ति के गले लगने वाला
व्यक्ति स्वयं भीतर से हिल जाता है। यह उसे बहुत असहज कर देता है। उसके पास सम्मोहक विद्या होती है। हालांकि इसके लिए तपस्या चाहिए।
"शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही...."
मोदीजी अपने समर्थकों और वोटर्स को भी झटके देते हैं। कई तो इतने शॉकिंग होते हैं कि उनसे गहराई तक
जुड़ा व्यक्ति विक्षिप्त तक हो जाता है। इस पर अधिक नहीं लिखूंगा, थोड़ा पीछे मुड़कर याद कर लीजिए।
अस्तु,
योगी आदित्यनाथ जी का जन्म सिंह लग्न, और पंचम बृहस्पति, सातवां चंद्रमा और वृषभ में सूर्य, बुध, शुक्र के साथ हुआ। उनकी कुण्डली में विष युक्त गजकेसरी योग है।
परम् गुरु महंत अवैद्यनाथ ने देखते ही पहचान लिया था। योगी आग है। धधकता अंगारा है, गले लगना तो दूर, कोई दुर्नियती से उनकी परछाई भी नहीं छू सकता। इस जातक की दो ही गतियां हैं -1.सर्वेषाम् मूर्ध्नि वा तिष्ठेत, 2.विशीर्यते वनेsथवा।
या तो गज या केसरी। विष योग से यह अत्यंत खतरनाक,
आक्रामक, उग्र और संहारक हो जाता है।
योगीजी का चयन पराम्बा प्रकृति ने किया है, मैं कोई भावुक भविष्यवाणी नहीं कर रहा हूँ लेकिन इन्हें नरेंद्र मोदी समझने की कोई भूल न करे। नरेन्द्र मोदी को आप गाली दीजिये, वह अवशोषित हो जाती है, लौटकर नहीं आती। आप अपनी आत्मा के हनन का कोई भी
कार्य कीजिए, मोदीजी की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं आने वाला।
लेकिन कृपया योगीजी के बारे में मन में भी बुरा मत सोचना, वहां से सबकुछ परावर्तित होकर आता है। उनके साथ नाथ परम्परा है, शायद आप जानते नहीं, नौ नाथ आज भी सशरीर, यहीं कहीं हैं, कइयों को दिखते भी है।
भारतीय राजनीति में उनके दखल और रूचि को लेकर मेरे पास अनेक सच्ची घटनाएं हैं।
अतः नाथों से छेड़छाड़.... सोचना भी मत।
भूत, वर्तमान, भविष्य में जिसने भी अपने दुर्भाग्य से ऐसा सोचा या किया है, प्रकृति उन सबका हिसाब लेगी, ऐसा मेरा मानना है।
जिस धरातल पर योगी आदित्यनाथ खड़े हैं, ..
अब मैं क्या समझाऊं आपको..बस ये समझिए कि सबकुछ होगा, बस (यदि) आप कुछ कर सकते हैं तो कीजिए।
नोट-सूक्ष्म जगत की एक अत्यंत रोचक लड़ाई अंदर ही अंदर चल रही है, कुछ विशिष्ट मित्रों से इनबॉक्स में या व्यक्तिगत बातचीत में इस पर चर्चा चलती ही रहती है,वह फिलहाल वहीं होगी!
साभार
- कुमार एस

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