सदी की सबसे बड़ी आर्थिक विपन्नता में फंसी हुई सरकार, रात की रोटी दारू के लिए दिन में बर्तन बेच रही है। बहाना-"गवर्नमेंट मस्ट नॉट डू बिजनेस"
अगर बॉम्बे हाई को सरकार चला नही सकती, तो एक कम्पनी बनाकर शेयर कमर्चारियों में बांटदे।हो गया प्राइवेटाइजेशन। 4/1
सरकार बाहर, कमर्चारी अंदर। आज तक बॉम्बे हाई को इंजीनियर्स और मैनजर्स ही चलाते आये थे, भाजपा नही। आगे भी चला लेंगे।
ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन के अधिकारियों की एक यूनियन ने कंपनी के सबसे बड़े तेल एवं गैस क्षेत्र मुंबई हाई को ‘थाली में सजाकर’ विदेशी कंपनियों को देने के
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पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि सरकार को ऐसा करने की बजाय कंपनी को सशक्त कर उसे समान अवसर देने चाहिए।
रोज पांच किलो दूध देने वाली गाय को ,
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किलो भर दूध की कीमत पर कोई बेच दे, तो समझिये की दाल काली है। "गवर्मनेट मस्ट नॉट डू बिजनेस" का राग अलापने वाले देशद्रोही गद्दारों को अपने इर्दगिर्द खोजिए और उन्हें पाकिस्तान भेजने का प्रबंध कीजिए। 4/4 @BramhRakshas
शायद कुछ जगह उन्हे भांड भी कहते हैं वो हमेशा दुआ किया करते थे कि उनके जजमान ( नंबरदार ) के घर बेटा पैदा हो बेशक नंबरदार नी मर चुकी हो उसकी जगह मिरासन को ही ये कुर्बानी क्यों न करनी पड़े।
कुछ ऐसा ही अभी भारत महान के मीडिया पर संबित
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संबित पात्रा की क्लिप और पीछे से एंकर साहिबा के उद्घोष सुनकर अहसास हुआ।
नवजोत सिंह सिद्धू आज करतार पुर साहिब की यात्रा पर गए हुए थे वहां उन्होंने बोला कि वो भारत पाकिस्तान के बीच खुले व्यापारिक सम्बन्धों के हिमायती हैं और इमरान खान उनके बड़े भाई जैसे है।
वैसे याद रखना चाहिए कि
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श्री करतार पुर कॉरिडोर बनने के पीछे सिद्धू की ही कूटनीति थी और इसका कितना सम्मान वहां जाने वाले श्रद्धालुओं के मन में होता है उसको शब्दो मे बयान नहीं किया जा सकता।
अगली कड़ी में कल से बड़े साहब की जलालत से ध्यान भटकानेके लिए इसी विषय पर पेडिग्री पॉल्यूशन फैलाया जाएगा जिसके लिए
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क्या गमहै जिसको छिपा रहेहो.
कॉलेजके दिनोंके हमारे एक सहपाठी हैं!बड़ेही हँसमुख और मिलनसार आदमी हैं!एक बार मुझे उनके गांव(विलेज)जाना हुआ!ऐसे बतकही चल रही थी..कि तभी बरामदे में 20-22साल का एक नौजवान दाखिल हुआ!
उसकी तरफ इशारा करके उन्होंने मुझसे कहा- कपिल!एकरा से पूछ!शरीफ़ा खाई?
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(इससे पूछो शरीफ़ा खायेगा)
मैंने पूछ लिया!
अब वो नौजवान लगा मुझे गरियाने! मैं भी आश्चर्यचकित!! हमारी पहले कभी मुलाकात भी नहीं हुई और ये गरिया ऐसे रहा है जैसे हम वर्षों से पडोसी हों!
गाली वाली देकर जब वो चला गया तो मैंने मित्र से पूछा- ये शरीफा वाला मामला क्या है बे?
मित्र महोदय जब नौवीं कक्षा में थे तो उन्होंने अपने बगीचे में शरीफे का एक पेड़ लगाया! नर्सरी से लाकर! जो नौजवान गरिया रहा था वो भी उसी स्कूल में पढता था! दो या तीन कक्षा नीचे!
पौधा लगाने के दो तीन महीने बाद स्कूल में किसी बात पर मित्र में और नौजवान में कहासुनी हो गयी!
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एक बादशाह के दरबार में एक अनजान आदमी नौकरी मांगने के लिए हाजिर हुआ
काबिलियत पूछी गई तो कहा सियासी हूं
(अरबी में सियासी का मतलब अफहाम फहम तफहीम से मसला हल करने वाले को कहते हैं )
बादशाह के पास
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सियासतदानों की भरमार थी उसे खास घोड़ों के अस्तबल का इंचार्ज बना दिया गया जिस का इंचार्ज हाल ही में इंतकाल कर गया था।
कुछ रोज़ बाद बादशाह ने उसे अपने सबसे महंगे प्यारे घोड़े के बारे में पूछा उसकी चाल ढाल हक़ीक़त
उसने कहा कि घोड़ा नस्ली नही है।
बादशाह को हैरत हुई उसने जंगल से
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घोड़े वाले को बुलवाया जिस से लिया था उस से पूछा क्या यह बातें सच है उसने बताया घोड़ा नस्ली है लेकिन इसकी पैदाइश पर इसकी माँ मर गई थी यह एक गाय का दूध पीकर उस के साथ पला बढ़ा है।
अस्तबल के इंचार्ज को बुलाया गया।
बादशाह ने सवाल किया तुम्हें कैसे पता चला यह घोड़ा नस्ली नहीं है
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