जब तक भाजपा वाजपेयी जी की विचारधारा पर चलती रही, वो श्री राम के बताये मार्ग पर चलती रही। मर्यादा, नैतिकता, शुचिता इनके लिए कड़े मापदंड तय किये गये थे। परन्तु कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी।

जहाँ करोड़ों रुपये के घोटाले- घपले करने के बाद भी कांग्रेस बेशर्मी से अपने Image
लोगों का बचाव करती रही, वहीं पार्टी फण्ड के लिए मात्र एक लाख रुपये ले लेने पर भाजपा ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्षमण को हटाने में तनिक भी विलंब नहीं किया।
परन्तु चुनावों में नतीजा??
वही ढाक के तीन पात...

झूठे ताबूत घोटाला के आरोप पर तत्कालीन रक्षामंत्री जार्ज
फर्नांडिस का इस्तीफा,
परन्तु चुनावों में नतीजा??
वही ढाक के तीन पात...

कर्नाटक में येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते ही येदियुरप्पा को भाजपा ने निष्कासित करने में कोई विलंब नहीं किया.....
परन्तु चुनावों में नतीजा???
वही ढाक के तीन पात...
खैर....
फिर होता है नरेन्द्र मोदी जी का पदार्पण । मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के नक्शे कदम पर चलने वाली भाजपा को वो कर्मयोगी श्री कृष्ण की राह पर ले आते हैं।

श्री कृष्ण अधर्मी को मारने में किसी भी प्रकार की गलती नहीं करते हैं। छल हो तो छल से, कपट हो तो कपट से,
अनीति हो तो अनीति से अधर्मी को नष्ट करना ही उनका ध्येय होता है। इसीलिए वो अर्जुन को सिर्फ कर्म करने की शिक्षा देते हैं।

कुल मिलाकर सार यह है कि, अभी देश दुश्मनों से घिरा हुआ है, नाना प्रकार के षडयंत्र रचे जा रहे हैं। इसलिए अभी हम नैतिकता को अपने कंधे पर ढोकर नहीं चल सकते हैं।
नैतिकता को रखिये ताक पर, और यदि इस देश को बचाना चाहते हैं, तो सत्ता को अपने पास ही रखना होगा। वो चाहे किसी भी प्रकार से हो, साम दाम दंड भेद किसी भी प्रकार से....

बिना सत्ता के आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं। इसलिए भाजपा के कार्यकर्ताओं को चाहिए कि, कर्ण का अंत करते समय कर्ण के
विलापों पर ध्यान ना दें । सिर्फ ये देखें कि, अभिमन्यु की हत्या के समय उनकी नैतिकता कहाँ चली गई थी.....

कर्ण के रथ का पहिया जब कीचड़ में धंस गया तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा, पार्थ देख क्या रहे हो, इसे समाप्त कर दो। संकट में घिरे कर्ण ने कहा, यह अधर्म है.....!
भगवान श्री कृष्ण ने कहा, अभिमन्यु को घेर कर मारने वाले और द्रौपदी को भरी दरबार में वेश्या कहने वाले के मुख से आज अधर्म की बातें शोभा नहीं देती ....!!

आज राजनीतिक गलियारा जिस तरह से संविधान की बात कर रही है तो लग रहा है जैसे हम पुनः महाभारत युग में आ गए हैं।
विश्वास रखो महाभारत का अर्जुन नहीं चूका था आज का अर्जुन भी नहीं चूकेगा

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः!
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृजाम्यहम !

चुनावी जंग में अमित शाह जो कुछ भी जीत के लिए पार्टी के लिए कर रहे हैं वह सब उचित है...
श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की तरह एक वोट का जुगाड़ न करके,अपनी व्यक्तिगत नैतिकता के चलते एक वोट से अपनी सरकार गिरा डाली और पूरे देश को चोर लुटेरों के हवाले कर दिया..
साम,दाम,भेद,दण्ड राजा या क्षत्रिय द्वारा अपनायी जाने वाली नीतियाँ हैं जिन्हें उपाय-चतुष्ठय (चार उपाय) कहते हैं.
राजा को राज्य की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिये सात नीतियाँ वर्णित हैं ,

उपाय चतुष्ठय के अलावा तीन अन्य हैं-
माया, उपेक्षा तथा इन्द्रजाल...!!!
राजनीतिक गलियारे में ऐसा विपक्ष नहीं है जिसके साथ नैतिक - नैतिक खेल खेला जाए.... सीधा धोबी पछाड़ आवश्यक है..!!
साभार
- जयबीर रावत
@Sabhapa30724463 @badal_saraswat @modified_hindu @Sunnyharsh44 @Trishul_Achuk @RamRam97655607 @chhotiradha @BablieV @arunbajpairajan @drpandeyanil

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28 Nov
त्रिपुरा की जीत के पीछे उस भयंकर लूट के खात्मे की कहानी भी है जिसने त्रिपुरा के नौजवानों की किस्मत बदल दी है और पूरे पूर्वोत्तर का खर्च आधा कर दिया है।
2018 में कम्युनिस्टों के सफाए के साथ त्रिपुरा में पहली बार बनी भाजपा की सरकार के Image
नौजवान मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव की नज़र उस लूट पर पड़ी थी जिसके कारण त्रिपुरा समेत पूरा पूर्वोत्तर लुट रहा था।
समुद्री मार्ग से आने वाली वस्तुएं पूर्वोत्तर तक पहुंचाने का एकमात्र मार्ग बंगाल का हल्दिया बंदरगाह हुआ करता था।
पूर्वोत्तर के प्रवेश द्वार गुवाहाटी की हल्दिया बंदरगाह से दूरी थी 1220 किमी तथा त्रिपुरा की राजधानी अगरतला की दूरी थी 1645 किमी। जबकि त्रिपुरा से बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह, जिसे अब चट्टोग्राम बंदरगाह कहा जाता है, की दूरी थी मात्र 67 किमी।
Read 17 tweets
28 Nov
त्रिपुरा पर झूठ फैला कर
आग लगाईं -मिला क्या -
"बाबा जी का ठुल्लू"
अब आग लगाने वाले
गिरफ्तार होने चाहियें -

त्रिपुरा निकायों के चुनावों में
भाजपा ने 334 में से 329
सीट जीत कर विपक्षी दुष्प्रचार
को बेनकाब किया है --
इस चुनाव से पहले कुछ बेशर्म
वकीलों और पत्रकारों ने झूठ
फैला कर देश भर में आग लगाने
कोशिश की थी-महाराष्ट्र में तो
दंगा करा भी दिया गया था -

सुप्रीम कोर्ट ने जिन लोगों की
गिरफ़्तारी पर रोक लगाईं थी,
उसे तुरंत स्वतः ही हटा देना
चाहिए और उन्हें गिरफ्तार
करने के आदेश करने चाहियें -

ममता की TMC को मात्र एक
सीट मिली और CPM को 3,
एक सीट अन्य को लेकिन
कांग्रेस का प्रदर्शन शानदार
और जानदार रहा शुन्य के
आंकड़े पर तटस्थ रह कर
बंगाल की तरह --

इतना होने पर भी ममता का
भतीजा अभिषेक कह रहा है
कि भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या
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28 Nov
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने सोशल मीडिया में जनता द्वारा न्यायपालिका और उसकी कार्यशैली पर व्यक्त किये जा रहे विचारों के दमन हेतु केंद्रीय एजेंसियों से एक्शन लेने का आव्हान किया है....

मतलब भाई भतीजावाद (कोलेजियम सिस्टम) से उपजी खरपतवार संविधान द्वारा आम जनता को मिला Image
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार छीन लेना चाहती है,

अर्थार्त :-

⭕ मिलोर्ड को राष्ट्रीय सुरक्षा से सम्बंधित महत्वपूर्ण विषयों को जानबूझकर लटकाए रखना अथवा उनकी गम्भीरता को दरकिनार कर वोक और लिब्रल भी बनना है

⭕ मिलोर्ड को देश की बहुसंख्यक आबादी के सभी त्योहारों और
धार्मिक क्रियाकलापों में विघ्न डालने का प्रयास भी करना है, और देश की सहिष्णु बहुसंख्यक आबादी के हितों पर निरंतर आघात करते रहना है,

⭕ शाहीन बाग और खलिस्तानी भीड़तंत्र व् आतंक पर जनहित में कड़ा एक्शन लेने के बदले पैनल और कमिटियां बनाकर उन मजमों को जारी भी रखवाना है,
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27 Nov
बचपन से ही हमलोग एक कथा सुनते आ रहे हैं कि....

एक बिच्छू जल में छटपटा रहा था और एक महात्मा उसे बचा रहे थे...!

लेकिन, जैसे ही महात्मा उसे उठाते थे... बिच्छू उन्हें डंक मार कर काट लेता था.
ये देख कर... लोगों ने महात्मा को समझाया कि....
महात्मा...
ऐसे जीव को क्यों बचाना, जो खुद को बचाने वाले को ही काट रहा है ???
जाने दो न...!

लेकिन, ये सुनते ही महात्मा जी पर "महात्मागीरी" हावी हो गई...
और, वे कहने लगे... "जब यह छोटा सा जीव अपना स्वभाव नहीं छोड़ता...
तो, फिर मैं क्यों छोड़ दूँ ???"
चूंकि, बिच्छुओं की प्रजनन दर भी बहुत तेज थी तो जल्द ही हर तरफ बिच्छू ही नजर आने लगे.

अब वे सारे बिच्छू.... जो पहले सिर्फ छूने पर ही डंक मारते थे,
अब, बिना छुए ही खुद से पहल कर महात्मा को "काटने" लगे.

यहाँ तक कि... उन्हें "ध्यान-साधना" भी न करने दें.
Read 12 tweets
23 Nov
दोस्तों दो दिन से कानपुर में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के दो दिवसीय अधिवेशन चल रहा था..जिसमें अंतिम दिन 11 प्रस्ताव पारित किए गए। जिनमें से प्रमुख हैं हाल के दिनों में असामाजिक तत्वों ने इस्लाम पैगंबर की प्रतिष्ठा का खुलेआम अपमान किए जाने के मुद्दे पर सरकार की ओर से कोई
कार्रवाई न किए जाने पर रोष जताया। बोर्ड सदस्यों ने सरकार से मांग की है कि वो समान नागरिक संहिता को मुसलमानों पर प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप या आंशिक रूप से हो थोपनो का प्रयास ना करें। ये कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। बोर्ड ने कहा कि सरकार या किसी मुतवल्ली के लिए वक्फ संपत्ति का
निपटान करना या कुछ अदालतों को वक्फ भूमि बेचने की अनुमति देना इस्लामिक शरिया और वक्फ कानून के खिलाफ है। यह मुसलमान के धार्मिक अधिकारों और शरिया कानून में हस्तक्षेप है और मुसलमान इसे कतई स्वीकार नहीं करेंगे। तीसरा सीएए और एनआरसी वाले कानून को रद्द करने की मांग। तथा भारतीए कोर्ट का
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23 Nov
पहले बच्चों को सूजी, मैदा और आटे में भेद करना सिखाइये...

पहले बच्चों को मूंग, मसूर, उडद, चना और अरहर पहचानना सिखाइये...

पहले बच्चों को मख्खन, घी, पनीर, चीज़ के बीच अंतर और उन्हें बनाने की जानकारी सिखाइये...
पहले बच्चों को सोंठ और अदरक, अंगूर और किशमिश, खजूर और छुहारे के बीच का अंतर सिखाइये...

पहले बच्चों को दालचीनी, कोकम, राई, सरसों, जीरा और सौंफ पहचानना सिखाइये...

पहले बच्चों को आलू, अदरक, हल्दी, प्याज और लहसुन के पौधे दिखाइये...
पहले बच्चों को मेथी, पालक, चौलाई, बथुआ, सरसों, लाल भाजी में फर्क सिखाइये...

पहले बच्चों को फलों से लदे पेड़ों, फूलों की बगिया दिखाइए...

पहले बच्चे को गाय, बैल, सांड का फर्क सिखाओ, गधे, घोड़े और ख़च्चर में अंतर समझाओ...
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