श्रीमती किरन बेदी ,भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी रही है।किरण बेदी की छवि एक बेहद तेज तर्रार, निडर, व नियमों का पालन करने वाले , कर्तव्य परायण अधिकारी की रही है ।वह जहॉ भी रही थी अपनी एक अलग ही छाप छोड़ी थी।
किरण बेदी 1982 में दिल्ली की DCP ( Traffic ) थी । दिल्ली में उनके
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समय में यदि कोई गाड़ी ग़लत पार्किंग की पाई जाती थी वह उसे क्रेन से उठवा कर संबंधित इलाक़े के थाने में भिजवा देती थी।उनकी इस सख़्ती के कारण उन्हें लोग‘क्रेन बेदी‘कहने लगे थे।
किरण बेदी साहिबा जब दिल्ली कीDCP ( Traffic )थी तो एक दिन दिल्लीके यूसुफ़ जई मार्केट जो कनॉटप्लेस में है
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से प्रधानमंत्री कार्यालय की एक एम्बेसडर कार जो ग़लत पार्क की हुई थी को उनके निर्देश पर उनकी टीम ने क्रेन से उठवा लिया था जिसकी उस समय काफ़ी चर्चा हुई थी।लोगों यह अनुमान लगा रहेथे कि इस ग़ुस्ताख़ी की सजा उन्हें ज़रूर मिलेगी पर उस समय देश की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गॉधी थी जो
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जो अधिकारियों के नियमों व क़ानून पालन करने पर उनकी प्रशंसा करती थी और उनका मनोबलॉ बढ़ाती थी।किरण बेदी की इस कर्तव्य परायणता व सख़्ती से इंदिराजी इतनी खुश हुई कि उनसे मिलनेके लिए उन्हें अपने आवास पर नाश्ते पर आमंत्रित कियाथा और उनसे ऐसे ही निडर होकर काम करते रहनेके लिए कहा था ।
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मैडम किरण बेदी वर्ष 2007 में सेवा निवृत्त हो गई थी 2012 से राजनिति में है। बीजेपी की तरफ़ से वह दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव भी लड़ चुकी है पर सफल नहीं हुई थी । बीजेपी ने बाद में उन्हें पुडुचेरी का उप राज्यपाल बना दिया था ।
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मैडम किरण बेदी आज राजनीति में है और उनकी ही पार्टी केंद्रीय सत्ता में है । क्या आज वह उम्मीद कर सकती हैं कि जो कर्तव्य परायणता या उद्दंडता उन्होंने इंदिरा जी के समय दिखाई थी और उसके लिये सम्मानित हुई थी ,वह क्या आज हो सकती थी ।
6 @BramhRakshas
घिर चुकीहै कांग्रेस,और घिरे हुएहैं राहुल।सब एकमत हैं,कि कांग्रेस को मिटानाहै।
सरकारतो खुलकर कांग्रेस मुक्त भारतका नारा बुलंद कर चुकी।फेल हुई तो सुपारी किलर लगा दिये।दांव इतने उंचे है,कि दोस्तऔर दुश्मन,सारे ही सुपारीलेने की होड़ मेहै।
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सरकार तो खुलकर कांग्रेस मुक्त भारत का नारा बुलंद कर चुकी। फेल हुई तो सुपारी किलर लगा दिये। दांव इतने उंचे है, कि दोस्त और दुश्मन, सारे ही सुपारी लेने की होड़ मे है।
कांग्रेस से निकले केसीआर, जगन, ज्योतिरादित्य।
राहुल के समर्थन से मुख्यमंत्री बने केजरीवाल।
यूपीए के समर्थन से
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अपनी मरणासन्न पार्टी को जिंदा करने वाली ममता,
पार्टीके भीतर मठाधीश,आलसी और नाकारे नेता
देश का सबसे बड़ा सुपारी योद्धा प्रशांत किशोर
विश्व की सबसे बड़ी पार्टी,उसके चाणक्य, उसके भामाशाह
दिन रात चलने वाले चैनल,आईटी सेल,
सत्ताके हाथों मजबूर अफसर
पार्टी,बंगले और फोन मे घुसे जासूस
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मुम्बई मे हुई इस मुलाकात किसी न्यूज चैनल, किसी अखबार पोर्टल पर खबर नही, एक्सेप्ट कुछ बंगला अखबारों के। अब तो खैर गौतम भाई ने ट्वीट ही कर दिया।वो पश्चिम बंगालमे इन्वेस्टमेंट करेंगे।
या साफ कहें,तो पश्चिम बंगाल की लीडरशिप मे इन्वेस्ट करेंगे।
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ममता से ज्यादा ये फोटो प्रशांत किशोर को एक्सपोज करती है। इसलिए, राहुल गांधी को साधुवाद। सत्ता को प्रशांत के तरीके से चाहते तो इस वक्त गौतम अडानी से हाथ मिलाने वाले राहुल होते।
तेरा यही पप्पूपना दिल जीत लेता है बालक
लव यू
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और अंत मे। कुछ सवाल
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1 # क्या 2024 के बाद साम्राज्य बचानें की जुगत मे हैं अडानी, क्या अंदरखाने मे घबराहट है??
2# या मोशा गैंग के आदेश पर अडानी ममता से मिल रहे है, गमला विपक्ष को खाद पानी देने के लिए। और कौन कौन उनके दिये खाद पानी पर हरेला विपक्ष बना फिर रहा है
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इमरजेंसी लग चुकी थी। इंद्र कुमार गुजराल सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे। कैबिनेट की बैठक खत्म होने के बाद संजय गांधी, इंद्र कुमार गुजराल के पास पहुंचे और कहा कि मुझे न्यूज़ बुलेटिन देखनी है। गुजराल 5 सेकंड की खामोशी के बाद बोले " यह नहीं हो सकता! समाचार बुलेटिन को सिर्फ प्रसारण के
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बाद ही सार्वजनिक किया जाता है, प्रसारण के पहले तो मैंने भी आज तक बुलेटिन नहीं देखी क्योंकि यह दखलअंदाजी होती है"
गुजराल ने बहुत ऊंची आवाज में मना किया था श्रीमती गांधी ने यह सुन लिया और वह भीतर आ गई। उन्हें समझ में नहीं आया क्या कहना चाहिए? लेकिन उन्हें लगा कि गुजराल सही हैं।
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उन्होंने संजय गांधी से कहा नहीं नहीं हम बाद में देख लेंगे।
इन सबके बीच अगले दिन गजब यह हुआ कि ऑल इंडिया रेडियो ने इंदिरा गांधी का भाषण नहीं चलाया जो कि उस वक्त एक आम बात थी। संजय गांधी ने तुरंत इंद्र कुमार गुजराल को बुला लिया और कहा कि देखिए ऐसा नहीं चलेगा। गुजराल ने कहा
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बीस साल पहले की बात है,ममता कांग्रेस तोड़कर तृणमूल बना चुकी थी।भाजपा के साथ थीं। तब कांग्रेस, चचा केसरी के दौर से निकल, दोबारा खड़ी हो रही थी।पत्रकारों के सामने, हवा में बड़ा सा शून्य घुमाकर ममता बनर्जी ने कहा - "सोनिया इज अ बिग जीरो"..।
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वो भाजपा की रेलमंत्री बनी,फिर कोयला मंत्री। 2004में "बिग जीरो" सोनिया ने सरकार को धराशायी कर दिया। बंगाल से भाजपा- तृणमूल गठबन्धन से एकमात्र सांसद जीता, खुद ममता। 2006 की विधानसभा में भी तृणमूल शिकस्त मिली।
मजबूर ममता ने सोनिया को कहा- सॉरी मैडम..
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सोनिया ने हंसकर उन्हैं
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साथ ले लिया। ममता2009का लोकसभा चुनाव यूपीए के साथ लड़ी, मनमोहन की रेलमंत्री बनी। 2011 में यूपीए लीडर के रूप में कांग्रेस, जेएमएम, जीएनएलएफ के साथ, विधानसभा चुनाव लड़ा। पहली बार बंगाल में जीत मिली। ममता रेलमंत्री का पद छोड़ा। राइटर्स बिल्डिंग में मुख्यमंत्री बन कर प्रवेश किया। ।
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भारत की ज़्यादातर संपत्ति बेचकर भी पाई-पाई को मोहताज़ इतिहास की सबसे निकम्मी मोदी सरकार की नज़र अब बैंकों पर है।
संसद के चालू सत्र में दो बैंकों (शायद सेंट्रल बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक) को बेचने के लिए बैंकिंग कानून संशोधन बिल 2021 लाया जाएगा।
मोदी सरकार का जुमला है कि उसे
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देश के विकास के लिए1.75लाख करोड़ की ज़रूरत है। इसीलिए विनिवेश ज़रूरी है।
देश का विकास हो रहा है या अडाणी का-ये दुनिया को पता है
सच यह है कि मोदी सरकार भारत के चंद कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाना चाहतीहै
यह बात मैं नहीं, बैंक के कर्मचारियों का एसोसिएशन(AIBEA)खुद कह रहाहै।
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कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं।
मोदी सरकार का सीधा गणित है। पहले लोन सेटलमेंट के रूप में डिफाल्टर कंपनियों का कर्ज माफ करवाओ और फिर अपने दोस्त कॉर्पोरेट के हाथों उन्हीं कर्जदार कंपनियों को बिकवा दो।
नीचे ऐसी ही 13 कर्जदार कंपनियों की लिस्ट है, जिनकी कर्जमाफी से बैंकों को करीब
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