बीस साल पहले की बात है,ममता कांग्रेस तोड़कर तृणमूल बना चुकी थी।भाजपा के साथ थीं। तब कांग्रेस, चचा केसरी के दौर से निकल, दोबारा खड़ी हो रही थी।पत्रकारों के सामने, हवा में बड़ा सा शून्य घुमाकर ममता बनर्जी ने कहा - "सोनिया इज अ बिग जीरो"..।
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वो भाजपा की रेलमंत्री बनी,फिर कोयला मंत्री। 2004में "बिग जीरो" सोनिया ने सरकार को धराशायी कर दिया। बंगाल से भाजपा- तृणमूल गठबन्धन से एकमात्र सांसद जीता, खुद ममता। 2006 की विधानसभा में भी तृणमूल शिकस्त मिली।
मजबूर ममता ने सोनिया को कहा- सॉरी मैडम..
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सोनिया ने हंसकर उन्हैं
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साथ ले लिया। ममता2009का लोकसभा चुनाव यूपीए के साथ लड़ी, मनमोहन की रेलमंत्री बनी। 2011 में यूपीए लीडर के रूप में कांग्रेस, जेएमएम, जीएनएलएफ के साथ, विधानसभा चुनाव लड़ा। पहली बार बंगाल में जीत मिली। ममता रेलमंत्री का पद छोड़ा। राइटर्स बिल्डिंग में मुख्यमंत्री बन कर प्रवेश किया। ।
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वो सपना पूरा हुआ, जो 1992 से देख रही थी। तब एक रेप पीड़िता को लेकर, राइटर्स बिल्डिंग में घुसी ममता को गार्ड्स में भगा दिया था। कहते हैं, ममता ने तब कसम खाई थी कि वे दोबारा इस भवन में सीएम बनकर ही प्रवेश करेंगी।
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दस साल बाद, ममता की मंशा, देश पर राज करने की है। भाजपा को आमने
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सामनेकी लड़ाईमें हराने के बाद,स्वप्न राष्ट्रीय विकल्प बनने काहैं।
महत्वाकांक्षी होनेमें बुराई नही।राजनीति में ओपरच्यूनिस्ट होना भी जायज है।बंगाल में कांग्रेसकी कीमत पर वे बढ़ीं,वही खेल अब राष्ट्रीय स्तर पर दोहराने की मंशा है।
आज शरद पवार से मिलकर कह दिया- "देयर इज नो यूपीए"
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उम्र के इस पड़ाव पर ममता के पास, अगले दो साल ही एकमात्र मौका है। नॉर्थ ईस्ट के त्रिपुरा, असम, हरियाणा, गोआ, जैसे राज्यो में डिफेक्शन से, चार राज्यो में कुछ मत प्रतिशत पाकर वे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा चुनाव आयोग में हासिल कर लेंगी।
लेकिन असलियत में उनका दायरा बंगाल के 42सीटों
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के अलावे20-30ऐसी सीटों पर होगा, जहां डिफेक्टर्स का अपना कुछ वजूद हो। इसका हासिल बेस्ट सिनेरियो, लोकसभा में जीती, कुल जमा 50 सीटें होंगी। इससे अधिक कुछ नहीं।
इस प्रक्रिया में वे कम से कम सात राज्यों की दो सौ सीटों पर, जहां कांग्रेस दूसरे नम्बर पर है, चोट पहुचाकर भाजपा की सरकार
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भाजपा की सरकार बलवती करेंगी। भाजपा के लिए उनकी बिड, इस आड़े वक्त में,एक वेलकम मूव है।
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अब गोदी मीडिया, जमकर ममता को विकल्प बतायेगा। टीवी चैनल पर तृणमूल के प्रवक्ता बुलाये जाएंगे। सोशल मीडिया ममता को टारगेट करेगा। पुलिस ,ईडी, एजेंसियां ममता के लोगो को तंग करेंगे, फिर कोर्ट से
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झाड़ पाकर छोड़ देंगे।हम-आप जैसे लोग ममता को डिफेंड करेंगे।ममता, दिमागों पर छाएगी।
उनको नेशनल कैम्पेन के लिए फंड जुटानेकी आजादी मिलेगी।उनके लिए निकले इलेक्टोरल बांड,उनकी पार्टी के खाते पहुँच पाएंगे। फ़ीर इस पैसे से विज्ञापन होंगे, जिंगल्स होंगे। आपके शहर में कैंडिडेट भी होंगे।
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अंतिम परिणाम में उस कैंडिडेट को मिले वोट और भाजपा की जीत का अंतर बराबर होगा।
इसे भाजपाके बगीचेमें उगाया गया विपक्ष कहते हैं।यही ओवैसी है, यही आम आदमी पार्टी है। ये पंजाब में अमरिंदर है, हरियाणा में दुष्यंत है, कहीं केसीआर, कहीं जगनमोहन,कहीं मायावती है।इन्हें ए बी सी टीम कहना
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उचित नही। ये अपनी लड़ाई जेनुइनली लड़ रहे हैं,जेनुइन मुद्दे उठा रहेहैं।
लेकिन असल मे उन मुद्दों की पीठ में छुरा घोंप रहे हैं।दो सीट जीत रहे हैं,और बीस में जनता को हरवा रहे हैं। ये सारे छुरा घोंप गैंग हैं।
क्योकि राष्ट्र आज जिस स्थान पर है, फासिस्ट रेजीम को उखाड़ फेंकना पहली
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जरूरत है। सत्ता में कौन आये, यह महत्वपूर्ण नही। कौन प्रधानमंत्री बने, यह जरूरी नही। लोकशाही की पुनर्स्थापना की जरूरत है। सत्ता पर नागरिक की सुप्रीमेसी को पुनर्स्थापित करने की जरूरत है। एक धर्मनिरपेक्ष, विकासोन्मुखी, प्रिडिक्टिबल, सुनने वाली सरकार लाने की जरूरत है।
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2019में तो देश चूक गया,देर हो चुकीहै।2024 भी एक गया हुआ मौका है,जो चूका तो हमे हमारा हिंदुस्तान कभी वापस नही मिलेगा।ऐसे मौके पर अपने निजी महत्वाकांक्षाके लिए, कन्फ्यूजन पैदा करने वाले,वोट डाइवर्ट करने वाले सारे लोग, सारे दल.. हिंदुस्तान की पीठ में छुरा घोपने वाले गैंग भर हैं।
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सोनिया की अनुग्रहित ममता, उनकी पीठ पर छुरा तो घोंप चुकी। अब भारत देश का नम्बर है।
छुरा घोप गैंग में ममता का स्वागत है।
14 @BramhRakshas
मुम्बई मे हुई इस मुलाकात किसी न्यूज चैनल, किसी अखबार पोर्टल पर खबर नही, एक्सेप्ट कुछ बंगला अखबारों के। अब तो खैर गौतम भाई ने ट्वीट ही कर दिया।वो पश्चिम बंगालमे इन्वेस्टमेंट करेंगे।
या साफ कहें,तो पश्चिम बंगाल की लीडरशिप मे इन्वेस्ट करेंगे।
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ममता से ज्यादा ये फोटो प्रशांत किशोर को एक्सपोज करती है। इसलिए, राहुल गांधी को साधुवाद। सत्ता को प्रशांत के तरीके से चाहते तो इस वक्त गौतम अडानी से हाथ मिलाने वाले राहुल होते।
तेरा यही पप्पूपना दिल जीत लेता है बालक
लव यू
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और अंत मे। कुछ सवाल
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1 # क्या 2024 के बाद साम्राज्य बचानें की जुगत मे हैं अडानी, क्या अंदरखाने मे घबराहट है??
2# या मोशा गैंग के आदेश पर अडानी ममता से मिल रहे है, गमला विपक्ष को खाद पानी देने के लिए। और कौन कौन उनके दिये खाद पानी पर हरेला विपक्ष बना फिर रहा है
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इमरजेंसी लग चुकी थी। इंद्र कुमार गुजराल सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे। कैबिनेट की बैठक खत्म होने के बाद संजय गांधी, इंद्र कुमार गुजराल के पास पहुंचे और कहा कि मुझे न्यूज़ बुलेटिन देखनी है। गुजराल 5 सेकंड की खामोशी के बाद बोले " यह नहीं हो सकता! समाचार बुलेटिन को सिर्फ प्रसारण के
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बाद ही सार्वजनिक किया जाता है, प्रसारण के पहले तो मैंने भी आज तक बुलेटिन नहीं देखी क्योंकि यह दखलअंदाजी होती है"
गुजराल ने बहुत ऊंची आवाज में मना किया था श्रीमती गांधी ने यह सुन लिया और वह भीतर आ गई। उन्हें समझ में नहीं आया क्या कहना चाहिए? लेकिन उन्हें लगा कि गुजराल सही हैं।
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उन्होंने संजय गांधी से कहा नहीं नहीं हम बाद में देख लेंगे।
इन सबके बीच अगले दिन गजब यह हुआ कि ऑल इंडिया रेडियो ने इंदिरा गांधी का भाषण नहीं चलाया जो कि उस वक्त एक आम बात थी। संजय गांधी ने तुरंत इंद्र कुमार गुजराल को बुला लिया और कहा कि देखिए ऐसा नहीं चलेगा। गुजराल ने कहा
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श्रीमती किरन बेदी ,भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी रही है।किरण बेदी की छवि एक बेहद तेज तर्रार, निडर, व नियमों का पालन करने वाले , कर्तव्य परायण अधिकारी की रही है ।वह जहॉ भी रही थी अपनी एक अलग ही छाप छोड़ी थी।
किरण बेदी 1982 में दिल्ली की DCP ( Traffic ) थी । दिल्ली में उनके
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समय में यदि कोई गाड़ी ग़लत पार्किंग की पाई जाती थी वह उसे क्रेन से उठवा कर संबंधित इलाक़े के थाने में भिजवा देती थी।उनकी इस सख़्ती के कारण उन्हें लोग‘क्रेन बेदी‘कहने लगे थे।
किरण बेदी साहिबा जब दिल्ली कीDCP ( Traffic )थी तो एक दिन दिल्लीके यूसुफ़ जई मार्केट जो कनॉटप्लेस में है
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से प्रधानमंत्री कार्यालय की एक एम्बेसडर कार जो ग़लत पार्क की हुई थी को उनके निर्देश पर उनकी टीम ने क्रेन से उठवा लिया था जिसकी उस समय काफ़ी चर्चा हुई थी।लोगों यह अनुमान लगा रहेथे कि इस ग़ुस्ताख़ी की सजा उन्हें ज़रूर मिलेगी पर उस समय देश की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गॉधी थी जो
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भारत की ज़्यादातर संपत्ति बेचकर भी पाई-पाई को मोहताज़ इतिहास की सबसे निकम्मी मोदी सरकार की नज़र अब बैंकों पर है।
संसद के चालू सत्र में दो बैंकों (शायद सेंट्रल बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक) को बेचने के लिए बैंकिंग कानून संशोधन बिल 2021 लाया जाएगा।
मोदी सरकार का जुमला है कि उसे
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देश के विकास के लिए1.75लाख करोड़ की ज़रूरत है। इसीलिए विनिवेश ज़रूरी है।
देश का विकास हो रहा है या अडाणी का-ये दुनिया को पता है
सच यह है कि मोदी सरकार भारत के चंद कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाना चाहतीहै
यह बात मैं नहीं, बैंक के कर्मचारियों का एसोसिएशन(AIBEA)खुद कह रहाहै।
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कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं।
मोदी सरकार का सीधा गणित है। पहले लोन सेटलमेंट के रूप में डिफाल्टर कंपनियों का कर्ज माफ करवाओ और फिर अपने दोस्त कॉर्पोरेट के हाथों उन्हीं कर्जदार कंपनियों को बिकवा दो।
नीचे ऐसी ही 13 कर्जदार कंपनियों की लिस्ट है, जिनकी कर्जमाफी से बैंकों को करीब
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कल की ही तो बात है,जब मोदी सरकारने विपक्ष की मांग को ठुकराते हुए बिना बहस के किसान बिल को वापस ले लिया।
संसद की कार्यवाही स्थगित हो गई और विपक्ष के 12सांसदों को निलंबित कर दिया गया।
इस बीच कांग्रेस के राज्यसभा सांसद केसी वेणुगोपाल का वह सवाल भी गोल कर दिया गया,जो किसानों को
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लेकर मोदी सरकार की नीयत दर्शाता है।
वेणुगोपाल ने विदेश मंत्रालय से सवाल किया था- 1. क्या यह सच है कि कुछ NRI को एयरपोर्ट पर परेशान किया गया और उन्हें वापस भेजा गया?
2.अगर हां तो 3 साल का विवरण दें। 3. क्या यह सच है कि इनमें से कुछ NRI से कहा गया कि वे आंदोलनकारी किसानों की
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मदद बंद करदें?
4.अगर हां तो विवरणदें।
U455नंबर का यह सवाल तारांकित/अतारांकित के रूप में दर्ज़ था,जिसका जवाब विदेश मंत्रीको देनाथा।
लेकिन इस सवालको ही ड्रॉप कर दिया गया।
वेणुगोपालके जलियांवाला बाग के इतिहासको सौंदर्यीकरण के नाम पर नष्ट करने संबंधी सवाल को ड्रॉप करदिया गया।
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