जब उरी हमला हुआ , वो तब भी हँसे थे,
जब पुलवामा हुआ ,वो तब भी हँसे थे,
जब मनोहर पर्रिकर जी का निधन ह्या ,वो तब भी हँसे थे,जब सुषमा स्वराज जी का निधन हुआ ,वो तब भी हँसे थे,जब अरुण जेटली जी का निधन हुआ ,वो तब भी हँसे थे,
जब वाजपेयी जी का निधन हुआ , वो तब भी हँसे थे
जब भारत क्रिकेट मे पाकिस्तान के खिलाफ हार गया ,वो तब भी हँसे थे,और अब जब CDS जनरल बिपिन रावत जी का हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ है ,वो तब भी वो कुटिल हँसी हंस रहे है।
इसका केवल 1 ही मतलब है ,उनके गंदे खून का 1 भी कतरा इस देश की मिट्टी में कही भी नही है।
शेर के जाने से कुत्तो मे जश्न है लेकिन ये भारत है कुत्तो, ये शेरो की भूमि है इसलिये कुत्ते ज्यादा खुश ना हो।हेलीकाॅप्टर दुर्घटना का जितनी तकलीफ कट्टर देशभक्त भारतीय को है उतनी ही तकलीफ इस्रायल को भी है , इस्रायली नेता से लेकर आम लोग भी दुःखी है।
CDS जनरल बिपिन रावत से काँग्रेस,चीन और पाकिस्तान तीनो नफरत करते थे ,कही उनके accident मे इन तीनो मे से किसी का हाथ तो नही?जो मजहबी हरे किटाणु और रीढ़विहीन वायरस CDS जनरल बिपिन रावत की दुःखद मृत्यु के पश्चात अजित डोभाल सर की मृत्यु की कामना कर रहे है
एैसे अन्य सभी गद्दारों की नागरिकता छीन कर सारे मौलिक अधिकार समाप्त कर जेल में ठूस देना चाहिए lऐसे देशद्रोही गद्दारों को अतिशीघ्र चिन्हित किया जाना अत्यावश्यक है,और उन पर कठोर से कठोर कार्रवाई हो जिसे इनकी 7 पुष्ते याद रखे,
यहीं सही है क्योंकि अति सर्वत्र वर्जित है।
पता नहीं क्यों राहुल गांधी या सोनिया गांधी की हर विदेश यात्रा के बाद हर बार बुरी खबर आती है?
कुछ महिने पहले तैवान के आर्मी चीफ का हेलीकॉप्टर क्रैश और आज हमारे CDS जनरल बिपिन रावत जी का,क्या ये महज संयोग है ?
कल के दिन वाड्रीन गोवा मे डान्स करती पायी गयी।
अटलजी के वक्त siddhu बाजवा के गले मिल रहा था।पूलवामा के वक्त पप्पू गुजरात मे डान्स कर रहा था,और पप्पू का विडिओ खुद काँग्रेस ने ट्विटर पे डाल के डिलीट किया था।जनरल विपिन रावत की मृत्यु से पाकिस्तान या पाकिस्तानियों का खुश होना लाजमी है।
लेकिन भारत के राजनीतिक दल, जिहादी नागरिक अर्बन नक्सली, पत्रकार, संपादक,न्युज चैनल और उसके एंकर खुशी मनाएं,ये देशद्रोह से कम नहीं है।
सब याद रखा जायेगा।सबका हिसाब होगा।
जय हिंद
वंदे मातरम
जय मा भारती
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कुतुबमिनार मे हिंदू-जैन मंदिर वाली याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा – अतीत की गलतियां वर्तमान में शांति भंग का आधार नही hindi.opindia.com/?p=585142
फिर कहते हैं की SM पर कोर्ट, जज,आदि पर हमले किये जाते है।
अतीत की गलतियां वर्तमान की शांतिभंग का आधार नही ,इसका क्या अर्थ समझा जाय,क्या देश
का कानून शांति बनाने में असमर्थ है? क्या अतीत की गलतियों को सुधारने की कोशिश नही करनी चाहिए?
आखिर क्यों दुष्ट आक्रांताओं के नाम और निशानियां संजो के रख रहा है देश?
फिर कहते हैं देश आजाद है.
पिछले साल 9/12/2020 को अदालत मे
कुतुबमिनार के भीतर मंदिर होने की बात कहते हुए
वहाँ हिन्दुओं को पूजा का अधिकार दिलाने हेतु याचिका दाखिल की गई थी।याचिका मे दावा किया गया था कि कुतुबमिनार के भीतर ही हिन्दू और जैन मंदिर परिसर स्थित है।दायर की गई याचिका मे कहा गया था कि कुतुबमिनार के अंदर 27 मंदिर हुआ करते थे, जिनमे मुख्य रूप से जैन तीर्थंकर ऋषभदेव के अलावा
अयोध्या श्री राम मंदिराच्या बांधकामाचा निषेध केल्याबद्दल इम्रान च्या पाकिस्तान ची OIC तून हकालपट्टी करण्यात आली.OICच्या अध्यक्षस्थानी असलेल्या UAE ने इम्रानच्या प्रतिनिधीला काही प्रश्न विचारले.
भारताने त्यांच्याच देशात मंदिर बांधले म्हणून इस्लामी जगाला काय अडचण आहे?
अयोध्येतील राम मंदिराची जगभरातील मुस्लिमांना काय अडचण?
तुम्हाला भारताच्या अंतर्गत बाबींमध्ये ढवळाढवळ करण्यात एवढा रस का आहे?
आम्ही आमच्या देशात 13 एकर जागा हिंदू मंदिर बांधण्यासाठी आणि 13 एकर पार्किंग आणि इतर सुविधांसाठी दिली आहे.
जगातील प्रत्येक देशात हिंदू राहतात आणि अभ्यास करतात ,पण ते दंगल भडकवत आहेत का? की धर्माच्या नावावर आत्मघाती हल्ले करत आहेत ?
हिंदू ज्या देशात राहतात त्या देशाच्या कायद्यानुसार जगतात व वागतात.
त्यामुळे भारतातील मंदिर मुद्दा आता इथे चर्चेचा नाही.
भारत त्याची काळजी घेईल.
रशिया का भारत से रक्षा समझौता, पुतिन का भारत आना,"जैविक युद्ध बन सकता है कोरोना" वाला CDS रावत जी का आखिरी बयान,चीन की श्रीलंका मे उपस्थिति होना,रूसी हेलीकॉप्टर MI 17 जैसे सबसे सुरक्षित हेलीकॉप्टर का क्रॅश,CCS की मीटिंग होना, USA या चीन के इनवॉल्व होने की ओर इशारा कर रहा है
ये शस्त्र व्यापार से जुड़ा मुद्दा भी हो सकता है और जैविक युद्ध से जुड़ा भी।अगर यह 1 हत्या है, तो यह उन देशों द्वारा किया जाता है जो भारत रशिया संबंधों के खिलाफ है। वे चाहते है कि भारत के लोग रूसी संबंधों और उनके रक्षा उपकरणों पर विश्वास न करे ताकि भारत कम शक्तिशाली बना रहे।
यह 1 हेरफेर हो सकता है।क्या हम इस (पूर्व नियोजित ?) दुर्घटना की तुलना तैवान आर्मी चीफ त्रासदी से कर सकते है ? तैवान जो चीन की आंखों की किरकिरी है,भारत की तरह?चीन का इनवॉल्व होना काफ़ी हद तक सच होता दिख रहा है ?मगर शस्त्र व्यापार से संबंध होने के कारण USA का रोल भी संदेहास्पद लग
इनको डर इसी बात का है के अगर इस्लाम मे रिफॉर्म की बात होती है तो इनकी दुकाने बंद होना तय है।ये खुद कह रहा है के कुराण अल्लाह की किताब है उसमे बदलाव नही हो सकता ये बोल के गला काट लाने को इनाम दे रहा है।
इससे ही साफ जाहीर होता है के इसको डर है के अल्लाह उसकी किताब की रक्षा नही
कर सकता।ये खुद बोलते है के इंसानियत के कल्याण के लिये कुराण, अल्लाह ने नबी के उपर नाजील की ,अगर ये इंसानियत के कल्याण के लिये नाजील हुयी तो कुराण से पहले तो बायबल 600 साल पहलेसे है।तो बायबल से इंसानियत का कल्याण नही हुआ।इंसानियत के कल्याण के अगर नाजील हुयी है तो सायन्स के हिसाबसे
इंसान का अस्तित्व 70K सालो से इस पृथ्वी पर है।
(मै सनातन अनादी संस्कृती की बात नही कर रहा)
अल्लाह को इंसानियत का कल्याण ही करना था तो कुराण 1400 साल पहले क्यू भेजी,70K साल पहले भेजता।
इस बात पे बोलते है के उस वक्त दुनियामे सब तरफ जाहिलीयत थी। अगर उस वक्त जाहिलीयत थी तब हमारे
केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय माहुरकर की एक नई किताब आई है।
Veer Savarkar:The Man Who Could Have Prevented Partition
हिंदी में इस किताब के शीर्षक का अर्थ हुआ वीर सावरकर,वो आदमी जो भारत के बंटवारे को रोक सकता था।
इस किताब की कीमत कुल 445₹ @jagdale_amol
भारत में कम्युनिस्टों के पितामह माने जानेवाले
M.N.राय ने सावरकर की प्रशंसा करते हुए लिखा है कि सावरकर बरगद के पेड़ है, और हम सब उनकी शाखाएं है
इसी किताब में लिखा है कि साल 1938 में लाहौर मे हिंदू महासभा का 1 सम्मेलन हुआ और इसी सम्मेलन मे 1 पत्रकार ने वीर सावरकर से 1 सवाल पूछा
कि आप (सावरकर) और जिन्ना देश को तोड़ना चाहते है,तो इस पर वीर सावरकर ने जवाब दिया था कि मुझमें और जिन्ना में बहुत बड़ा फर्क है।
जिन्ना चाहते हैं कि मुसलमानों को ज्यादा से ज्यादा अधिकार मिले लेकिन मैं चाहता हूं कि हिंदू हो या फिर मुस्लिम सबको समान अधिकार मिले।
पाकिस्तान मे जब 'अहमदियों' को 'गैर-मुस्लिम' करार दिये जाने की बात चल रही थी। तब इसे सरकारी रूप से स्वीकृति देने के लिए उस समय की हुकूमत ने एक 'कमिशन' बनाया। कमीशन का नाम दिया गया- "मुनीर कमिशन"
इस कमिशन ने जब अपनी रिपोर्ट सौंपी तो उस रिपोर्ट मे उसने
लिखा कि इस्लाम के अलग-अलग फ़िरके के सारे मौलानाओं की परिभाषाओं को अगर सही माना जाए तो 'पाकिस्तान' में एक भी 'मुसलमान' नहीं बचेगा। वो इसलिए क्योंकि हरेक फ़िरके के मौलानाओं ने अपने अलावा तमाम दूसरे फ़िरके वाले को 'काफ़िर' और 'मुरतद' (दीन से खारिज़) करार दिया हुआ है।
'मुनीर कमीशन' की ये रिपोर्ट 1 तरह से 'इस्लाम' के अंदर की फिर्काबंदी की रिपोर्ट भी है और ये बात सच है कि कई बार तो 1 फ़िरके ने दूसरे फ़िरके को न सिर्फ 'काफ़िर' और 'मुरतद' घोषित किया बल्कि उनको 'वाजिबुल- क़त्ल' भी घोषित किया है और इन द्वेषों ने चलते 'इस्लामिक जगत' मे