पहले बच्चों को सूजी, मैदा और आटे में भेद करना सिखाइये...
पहले बच्चों को मूंग, मसूर, उडद, चना और अरहर पहचानना सिखाइये...
पहले बच्चों को मख्खन, घी, पनीर, चीज़ के बीच अंतर और उन्हें बनाने की जानकारी सिखाइये...
पहले बच्चों को सोंठ और अदरक, अंगूर और किशमिश, खजूर और छुहारे के बीच का अंतर सिखाइये...
पहले बच्चों को दालचीनी, कोकम, राई, सरसों, जीरा और सौंफ पहचानना सिखाइये...
पहले बच्चों को आलू, अदरक, हल्दी, प्याज और लहसुन के पौधे दिखाइये...
पहले बच्चों को मेथी, पालक, चौलाई, बथुआ, सरसों, लाल भाजी में फर्क सिखाइये...
पहले बच्चों को फलों से लदे पेड़ों, फूलों की बगिया दिखाइए...
पहले बच्चे को गाय, बैल, सांड का फर्क सिखाओ, गधे, घोड़े और ख़च्चर में अंतर समझाओ...
पहले बच्चों को दिखाएं कि गाय, भैंस और बकरी से दूध कैसे दुहा जाता है...
पहले बच्चों को कीचड़ और मिट्टी में उलट पुलट होना सिखाइये, बरसात में भीगना और गर्मियों में पसीने से तरबतर होना सिखाइये...
पहले बच्चों को बुजुर्गों के पास जाना, उनसे बातें करना, उनके साथ खेलना और मस्ती करना सिखाइये...
बड़ों से बात करना, संस्कृति, संस्कार और घर के काम धाम में माँ-पिता का सहयोग करना सिखाइये...
इन सब के बगैर बच्चों को कोडिंग सिखाना चाह रहे हैं तो आपका बच्चा ATM ही बनेगा, इंसान नहीं...
व्हाइटहैट जूनियर को जल्दी क्या है ?
कोडिंग भी सीख लेंगे, पहले आसपास की असल जिंदगी की डिकोडिंग तो कर लें!
बचपन को ज़िंदा रखें, मरने न दें.
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मैंने करीब करीब 50 नए वोटर बनवाए हैं जो 2022 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में पहली बार मतदान करेंगे। उसमें से 2 वोट तो मेरे पुत्र और पुत्री के बने हैं।
आप भी अपने आसपास नजर दौड़ाएं और पात्र लोगों के वोट बनवाने में मदद करें।
एक बूथ पर 700 से 1000 तक मतदाता होते हैं। यदि आपने 10 लोगों के वोट भी बनवा दिए 1% अथवा उससे ज्यादा का योगदान तो सिर्फ आपका ही हो जाएगा।
यदि आप समय नहीं निकाल पा रहे हैं और नए वोट नहीं बनवा पा रहे हैं तो कम से कम अपना वोट अवश्य चेक कर लें।
मेरा अनुभव है कि मतदान वाले दिन बहुत से लोग इस बात की शिकायत करते हैं कि इस बार उनका वोट कट गया। ऐसा विभिन्न कारणों से हो जाता है। अतः एक बार भारत निर्वाचन आयोग के एप पर जाकर अपना तथा अपने परिजनों का वोट चेक कर लें।
एक स्थिति की कल्पना कीजिये।
मान लीजिये कि चीन ने हम पर आक्रमण कर दिया है।
तो हमें क्या करना चाहिये?
नेचुरली, हमें प्रत्युत्तर में चीन पर काउन्टर अटैक करना होगा और पूरे रणकौशल और सभी उपलब्ध आयुध(arsenals) के साथ चीन के आक्रमण का जवाब देना होगा।
लेकिन अगर कुछ वामी-कांगी देशद्रोही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दें कि भारतीय सेना को काऊंटर अटैक करने रोका जाय,.....और "सुपरीम मीलाट" वो याचिका एडमिट भी कर लें और फैसला देने तक काऊंटर अटैक रुकवा दें,...तो क्या होगा? फैसला आने तक तो चीन हमारा भुर्ता बना देगा।
अब आप मुझे पागल समझेंगे और पूछेंगे कि आपका दिमाग चल गया है क्या?? भला ऐसा भी है सकता है? कोर्ट को क्या मतलब?
तो मित्रों,.. न मेरा दिमाग चला है, न मैं पागल हूँ लेकिन अब जो बताने जा रहा हूँ उस पर गौर करना जरा और फिर बताना कि क्या मेरी शंका निर्मूल है!
🍯 शहद खाने के तरीके और लाभ : #FabaHoney
शहद पिछले 8000 सालों से हमारे भोजन और उपचार में प्रयोग हो रहा है. शहद खाने के फायदे और स्किन पर लगाने के फायदों की जानकारी, साथ ही लाभ और प्रयोग का तरीका पढ़ें इस लेख में.
शहद खाने के फायदे🍯
🍯- शहद में आयरन, कैल्सियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम और जिंक आदि खनिज तत्व पाए जाते है. शहद याददाश्त तेज करता है, कमजोर तंत्रिका तंत्र को ठीक करता है.
🍯– शहद का नियमित सेवन खोई हुई शक्ति वापस लौटाता है. शहद शरीर को सुन्दर, स्फूर्तिवान, बलवान, दीर्घजीवी और सुडौल बनाता है.
🍯– शहद कामशक्ति वर्धक माना गया है. इसका सेवन पुरुषों में Testosterone और महिलाओं में Estrogen हार्मोन बनाने के प्रक्रिया को तेज करता है.
Paytm एक ऐसी कम्पनी है जिसकी क़ीमत १६ बिलियन डॉलर हो चुकी है पर इनको आज तक एक ऐसा काम नहीं मिल पाया है जो इनको मुनाफ़ा कमा कर दे सके।
कम्पनी को लगभग १० साल हो गए हैं शुरु हुए।
शुरुआत एक मोबाइल रीचार्ज एप की तरह हुई फिर वॉलेट से वॉलेट पैसे ट्रांसफ़र करने का फ़ीचर जोड़ा जो बहुत अच्छा कर रहा था, तभी मोदी जी ने नोटबंदी कर दी और इनके लिए सब अच्छा अच्छा होने लगा क्योंकि उस समय तक ये बाज़ार में लीडर थे पैसे ट्रांसफ़र करने में,
इनको लगा था कि अब हम बाज़ार पर क़ब्ज़ा कर लेंगे तो उन्होंने वॉलेट की फ़ीस वसूलनी चालू की।
सब कुछ अच्छा चल रहा था पर तभी मोदी जी फिर आ गए UPI लेकर यानि कि एक ऐसी तकनीक जिसमें एक व्यक्ति अपने खाते से सीधे दूसरे के खाते में पैसे भेज सकता है।
अफगानिस्तान की आबादी कुल 3.50 करोड़ से थोड़ी सी ज्यादा है। अफगानिस्तान कभी संपन्न प्रदेश हुआ करता था। धीरे-धीरे वहां पर इस्लामिक लोगों की जनसंख्या बढ़ती गई और हिंदू तथा बौद्ध वहां पर समाप्त कर दिए गए। अब वहां पर सिर्फ मुसलमान बचे थे लेकिन अब वहां पर शांति नहीं थी।
पूरी की पूरी सरकार अब इस्लामिक थी उसके बावजूद शांति और संपन्नता अफगानिस्तान से कोसों दूर होती चली गई।
अभी थोड़े दिन पहले वहां पर तालिबान का कब्जा हो गया है लेकिन अफगानिस्तान में विपन्नता इस समय अपने चरम पर है।
वहां बैंकों में पैसा नहीं है । अनिश्चितता की स्थिति यह है कि आधी से ज्यादा आबादी को यह नहीं पता कि उसका अगला भोजन उसे मिल पाएगा या नहीं।
वहां सामाजिक परिवेश इतना खराब हो गया है कि लोगों को पैसों के लिए अपनी बेटियां बेचना पड़ रहा है।