Vibhu Vashisth 🇮🇳 Profile picture
Jan 4, 2022 6 tweets 2 min read Read on X
🌺Benefits of chanting Sunderkand Path of Ramayan🌺

Whether it is Sunderkand in Valmiki Ramayan or in Tulsidas Ramayan, it is very powerful to chant with many benefits attached to it.

1) This chant invokes the blessings of Prabhu Ram and Sri Hanuman.
2) Hanuman completes a Herculean task of Prabhu Ram in this chapter. Therefore, fulfilling our task is very easy for him.
3) Reading Sunderkand ensures Hanumanji protects us from disease, enemy and any other type of threat.
4) Hanumanji is gyan gun sagar so he blesses us with immense knowledge and energy to carry out any task. Mangal murti is another name given to him meaning giver of auspiciousness but he is also connected to planet Mars in Vedic astrology.
Praying to him we can remove the ill-effects of planet Mars in our horoscope and enhances its positivity.

6) Hanumanji had saved planet Saturn on many occasions therefore a Hanuman bhakt receives the blessings of Shani dev.
7) Chanting the different sarghas or sub-chapters of Valmiki Ramayana Sunderkand has spiritual benefits. For example chanting of the third Sargha, is said to remove negative forces in one’s life.
Chapter 13 uplifts and rejuvenates the mind, Chapter 27 rids one’s sleep of bad dreams ensuring a peaceful sleep and Chapter 41 grants the wishes of a sadhaka.There are many such benefits of chanting the Sunderkand and what better day to start than Tuesday or Saturday.

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with Vibhu Vashisth 🇮🇳

Vibhu Vashisth 🇮🇳 Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @Indic_Vibhu

Jan 2
🌺।।काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग : कथा एवं इतिहास।।🌺

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) स्थित काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग में से सातवाँ ज्योतिर्लिंग है। इसे विशेश्वर या विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है।

A Thread 🧵Image
गंगा तट स्थित काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का दर्शन हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। काशी को भगवान शिव की नगरी और भोलेनाथ को काशी का महाराजा कहा जाता है। वाराणसी को अविमुक्त क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना गया है।
🥀काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में है🥀;

- दाहिने भाग में शक्ति के रूप में मां भगवती विराजमान हैं।
- दूसरी ओर भगवान शिव वाम रूप (सुंदर) में विराजमान हैं।

मां भगवती अन्नपूर्णा के रूप में काशी में रहने वालों का पेट भरती हैं। वहीं, महादेव मृत्यु के पश्चात तारक मंत्र देकर मुक्ति प्रदान करते हैं। महादेव को इसीलिए ताड़केश्वर भी कहते हैं।
Read 15 tweets
Jan 1
🌺।।भगवान विष्णु के दशम् अवतार : श्री कल्कि अवतार की कथा एवं भगवान कल्कि से जुड़ी कुछ अन्य रहस्य।।🌺

भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से
भगवान कल्कि 10वें और अंतिम अवतार हैं। 10 अवतारों में से 9 अवतारों का जन्म हो चुका है जबकि कल्कि का अवतार लेना अभी शेष है।

A Thread 🧵Image
कल्कि अवतार की कथा का वर्णन विभिन्न हिंदू धर्म ग्रंथों में मिलता है उसमें प्रमुख हैं – श्रीमद्भागवत गीता, विष्णु पुराण, हरिवंश पुराण, भागवत पुराण, कल्कि पुराण और गीत गोविंद इत्यादि। 

कल्कि का सामान्य अर्थ है – सफेद घोड़ा,  काला युग, अनंत काल। ऐसी मान्यता है कि कलियुग में जब अधर्म अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाएगा तब भगवान विष्णु कल्कि का अवतार धारण करेंगे और धर्म युग की स्थापना करेंगे। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि जब भगवान कल्कि देवदत्त नाम के घोड़े पर आरूढ़ होकर अपनी चमचमाती तलवार के द्वारा दुष्टों का संहार करेंगे तब कलयुग की समाप्ति होगी और सतयुग का आरंभ होगा। विदित हो कि भगवान श्री कृष्ण के बैकुंठ जाने के बाद कलयुग की शुरुआत हुई थी।
🌺।।पुराणों में वर्णित कल्कि अवतार की कथा।।🌺

कल्कि पुराण में वर्णित कथा के अनुसार जब कलियुग में धर्म की हानि अपने चरम पर पहुंच गई तो देवता गण परेशान हो गए। दुखी होकर सभी देवता ब्रह्मा जी के पास गए। ब्रह्मा जी उन सभी देवताओं को लेकर भगवान विष्णु के पास गए और उन्हें देवताओं के दुख की गाथा कही।
Read 19 tweets
Dec 31, 2024
Did you know?

🌺The Sushruta Samhita describes over 120 surgical instruments. 5,13,300 surgical procedures & classifies human surgery in 8 categories.🌺

A Thread 🧵

Following is the only surviving premodern painting which depicts students of the Sushruta school of ancient India(6th centuryBCE)Image
These students were trained in Vedas at the age of 8,then were trained as surgeons for 6 yrs and taught the principles of Sushruta Samhita.

They are shown performing mock surgery on water melons and cucumbers. As such, they are earliest recorded surgeons of World. This was found in an old manuscript of Sushruta Samhita which dates back to 600 years.Image
This illustration is from Odisha Museum.

This master literature remained preserved for many centuries exclusively in the Sanskrit language which prevented the dissemination. of the knowledge to the west and other parts of the world. Image
Read 7 tweets
Dec 29, 2024
🌺।।भगवान विष्णु के सप्तम् अवतार : भगवान श्री राम की कथा।।🌺

💮।।अंतिम भाग - 4।।💮

Continued Thread 🧵

Check the links of first 3 parts at the end.

🌺।।राम-लक्ष्मण की मूर्छा।।🌺

श्री राम लक्ष्मण के नागपाश में बंधने के बाद युद्ध समाप्त हो जाता है और लंका की सेना अपने नगर में वापस लौट जाते हैं।Image
इधर सुग्रीव, हनुमान, अंगद, जामवंत और विभीषण सभी श्री राम और लक्ष्मण के इस हालत पर बहुत दुखी होते हैं। क्योंकि जिनके के लिए पूरी वानर सेना समुंद्र लांघ कर युद्ध करने के लिए आई थी। आज वही श्री राम और लक्ष्मण भूमि पर नागपाश में बंधे मूर्छित पड़े है और धीरे-धीरे नाग उनके शरीर से प्राण चूस रहे थे। श्री राम की सेना में पूरी तरह शोक सागर में डूब जाते हैं। किसी को भी श्री राम और लक्ष्मण को इस संकट से बाहर निकालने में का रास्ता नहीं सूझ रहा था।Image
🌺।।विभीषण द्वारा नागपाश अस्त्र की शक्ति का वर्णन।।🌺

सुग्रीव के पूछने पर विभीषण बताते हैं कि इंद्रजीत ने घात लगाकर नागपाश अस्त्र का प्रयोग श्रीराम और लक्ष्मण पर किया है। तब सुग्रीव विभीषण से नागपाश से मुक्त होने का कोई उपाय बताने के लिए कहते हैं। के दुनिया में ऐसा कौन सा अस्त्र है जिसका कोई उपाय नहीं है। लेकिन विभीषण जी कहते हैं कि एक बार यमपाश से कोई मुक्त हो सकता है लेकिन नागपाश अस्त्र से प्राणी मृत्यु होने तक छूट नहीं सकता। क्योंकि नागपाश अस्त्र स्वयं ब्रह्मदेव द्वारा प्रकट किया गया था। दुष्टों का संहार करने के लिए भगवान शिव ने ब्रह्मदेव से नागपाश अस्त्र मांग लिया था । और भगवान शिव की कड़ी तपस्या करके रावण पुत्र इंद्रजीत ने उनसे यह वरदान के रूप में प्राप्त किया। इंद्रजीत बहुत विकट परिस्थिति में ही इस अस्त्र का प्रयोग करता है। आज तक नागपाश से कोई भी बच नहीं पाया है। विभीषण जी मायूस होकर कहते हैं कि आज मेघनाथ बाजी जीत गया।
Read 51 tweets
Dec 26, 2024
🌺In Valmiki Ramayana, Sugreeva gives specific directions to his Vaanar Sena for the search operation of Mata Sita.🌺

💮This thread is about what places and people were described by Sugreeva while he gives the specific instructions.💮

A Thread 🧵Image
1. Sugreeva orders Vanara leader Vinata to go towards east direction and search for Sita Devi.

2. He is allowed to take 100000 Vanaras with him in this search.

3. The reference point for directions specified by Sugreeva is not Kishkinda, but center of Vindhya mountains, which is near Nagpur today.Image
4. Sugriva asks Vinata to first search towards North-East where rivers like Ganga, Yamuna, Sarayu, Kaushiki (koshi), Shona (shon), Mahii, Kalamahi, Sindhu and Saraswati begin their journey.

5. He also asks him to search in kingdoms of Brahma-maala, Videha, Maalva, Kaashi, Kosala, Maagadha, Pundra, Anga. These kingdoms are from present Himalayas till north-east where Brahmaputra river flows.
Read 13 tweets
Dec 25, 2024
🌺।।भगवान विष्णु के षष्ठं अवतार : भगवान परशुराम की कथा।।🌺

त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने परशुराम जी के रूप में अवतार लिया था और उन्होंने अधर्मी शक्तियों का नाश करके पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की थी ।

A Thread 🧵Image
🌺।।परशुराम जी के जन्म की कथा।।🌺

कालांतर में एक महान ऋषि भृगु हुए हैं, जिन्होंने महान ज्योतिष ग्रंथ "भृगुसंहिता" की रचना की थी। उनके पुत्र का नाम ऋचीक था। ऋचीक हर समय तपस्या में लीन रहते थे। महर्षि ऋचीक का विवाह महाराज गाधि की पुत्री सत्यवती से हुआ था। एक बार पुत्र प्राप्ति की इच्छा से उन्होंने यज्ञ किया और उस पवित्र यज्ञ से दो खीर के पात्र प्रकट किए। उन्होंने अपनी पत्नी सत्यवती को खीर के पात्र दिए और कहा,"एक पात्र वे स्वयं ग्रहण कर लें, और दूसरा अपनी मां को खिला दे।" यह कहकर ऋषि ऋचीक तपस्या के लिए चले गए ।
अपनी मां के कहने में आकर सत्यवती ने वह दोनों खीर के पात्र बदल दिए, अर्थात अपना पात्र मां को खिला दिया और मां का पात्र स्वयं ग्रहण कर लिया । जब ऋषि को इस बात का ज्ञान हुआ तो वह सत्यवती पर अत्यंत क्रोधित हुए ।

ऋषि बोले, "मैंने अपनी तपस्या के बल पर तुम्हारे खीर के पात्र में सहनशीलता, धीरज और परमात्मा को प्राप्त करने वाले गुण भरे थे और तुम्हारी माता के पात्र में संपूर्ण ऐश्वर्य, बल, पराक्रम और क्षत्रियोंचित् व्यवहार करने वाले गुणों का समावेश किया था ।"
Read 28 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

Follow Us!

:(