Whether it is Sunderkand in Valmiki Ramayan or in Tulsidas Ramayan, it is very powerful to chant with many benefits attached to it.
1) This chant invokes the blessings of Prabhu Ram and Sri Hanuman.
2) Hanuman completes a Herculean task of Prabhu Ram in this chapter. Therefore, fulfilling our task is very easy for him. 3) Reading Sunderkand ensures Hanumanji protects us from disease, enemy and any other type of threat.
4) Hanumanji is gyan gun sagar so he blesses us with immense knowledge and energy to carry out any task. Mangal murti is another name given to him meaning giver of auspiciousness but he is also connected to planet Mars in Vedic astrology.
Praying to him we can remove the ill-effects of planet Mars in our horoscope and enhances its positivity.
6) Hanumanji had saved planet Saturn on many occasions therefore a Hanuman bhakt receives the blessings of Shani dev.
7) Chanting the different sarghas or sub-chapters of Valmiki Ramayana Sunderkand has spiritual benefits. For example chanting of the third Sargha, is said to remove negative forces in one’s life.
Chapter 13 uplifts and rejuvenates the mind, Chapter 27 rids one’s sleep of bad dreams ensuring a peaceful sleep and Chapter 41 grants the wishes of a sadhaka.There are many such benefits of chanting the Sunderkand and what better day to start than Tuesday or Saturday.
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
🌺।।घर में बच्चों के कमरे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स।।🌺
A Thread 🧵
1. वास्तु शास्त्र अनुसार बच्चों का कमरा घर की उत्तर दिशा में होना चाहिए। अन्य विकल्प के तौर पर उत्तर पश्चिम कोने में भी बच्चों का कमरा बनाया जा सकता है।
2. अगर कमरा बड़ा हो तो कमरे की उत्तर पूर्व कोने में लकड़ी का छोटा सा मंदिर भी रखना चाहिए, जहां प्रथम पुज्य गणेश और माता सरस्वती की प्रतिमा हो। बच्चों को नियमित पूजा पाठ करने की आदत बनानी चाहिए।
3. वास्तु अनुसार लकड़ी का भारी सामान दक्षिण दिशा में रखने की सलाह दी गई है। इस नाते अलमारी, पढ़ाई करने के लिए टेबल, कुर्सी दक्षिण दिशा में रख सकते हैं जिस से बैठते समय मुख उत्तर दिशा की तरफ रहे।
4. दक्षिण दिशा की दीवार के बगल में बैठना इस लिए भी ज़रूरी है क्योंकि बैठने के लिए कुर्सी के पीछे खाली जगह की बजाय दीवार का सहारा होना ज़रूरी बताया गया है जिस से एकाग्रता बनाये रखने में मदद मिलती है।
5. कमरे में बेड दक्षिण पूर्व कोना या दक्षिण पश्चिम कोने में भी हो सकता है। खास कर क्योंकि दक्षिण पश्चिम कोने को खाली नहीं रखें, इस लिए यहां भारी सामान जैसे अलमारी या बेड दोनों में से कोई भी रख सकते हैं। और इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि सोते समय सर दक्षिण या पूर्व दिशा में हो।
There are 7 Villages in Bharat where people still use Sanskrit language for their day to day communication.
A Thread 🧵
1. Mattur Village, Karnataka
2. Sasana village in the coastal Gajapati District in Odisa has a root with Sanskrit as Village has 50 households and every house has atleast one well verse pandit of our ancient language Sanskrit
3. Ganoda Village in Banswara Rajasthan where people converse with each other in fluent sanskrit since decade ago due to after a sanskrit school set up in the village so children gained fluency in result elders also started learning sanskrit and today everyone speaks fluently.
🌺।।छांदोग्य उपनिषद् से ली गई सत्यकाम जाबाल की कथा।।🌺
क्या आपने सुनी है?
गौतम ऋषि के आश्रम के द्वार पर 10-12 वर्ष का एक ब्रह्मचारी बालक आया।
A Thread 🧵
उसके हाथ में ना समिध (यज्ञ या हवनकुंड में जलाई जाने वाली लकड़ी) थी, ना कमर में मुंज (एक प्रकार का तृण) थी, ना कंधे पर अजिन (ब्रह्मचारी आदि के धारण करने के लिये कृष्णमृग और व्याघ्र आदि का चर्म) था और ना उसने उपवित (जनेऊ) धारण किया था।
ब्रह्मचारी बालक गौतम ऋषि के निकट गया और जाकर उन्हें साष्टांग प्रणाम किया। उसने गौतम ऋषि से कहा – महाराज! मैं आपके गुरुकुल में रहने आया हूं। मैं ब्रह्मचर्यपूर्वक रहूंगा। मैं आपकी शरण में आया हूं। मुझे स्वीकार कीजिए।
सीधे-सादे और सरल इस ब्रह्मचारी के ये शब्द गौतम ऋषि के हृदय में अंकित हो गए। ऋषि ने पूछा – बेटा तेरा गोत्र क्या है? तेरे पिता का नाम क्या है? अच्छा हुआ जो तू आया। गौतम ऋषि के आसपास बैठे हुए सभी शिष्य इस ब्रह्मचारी बालक की ओर देख रहे थे।
ब्रह्मचारी ने तुरंत ही जवाब दिया – गुरुदेव! मुझे अपने गोत्र का पता नहीं, अपने पिता का नाम भी मैं नहीं जानता, मैं अपनी माता से पूछकर आता हूं। किंतु गुरुदेव मैं आपकी शरण में आया हूं। मैं ब्रह्मचर्य का ठीक-ठीक पालन करूंगा। क्या आप मुझे स्वीकार नहीं करेंगे।
नवागत बालक के मुंह से निकले इन शब्दों को सुनकर गुरुजी की शिष्य मंडली में एक दबी सी हंसी शुरू हो गई।
🌺।।हनुमान जी के विभिन्न विग्रहों की पूजा करने से क्या फल प्राप्त होता है?।।🌺
आइए जानते हैं;
A Thread 🧵
💮1. पूर्वमुखी हुनमान जी-
पूर्व की तरफ मुख वाले बजरंगबली को वानर रूप में पूजा जाता है। इस रूप में भगवान को बेहद शक्तिशाली और करोड़ों सूर्य के तेज के समान बताया गया है। शत्रुओं के नाश के बजरंगबली जाने जाते हैं। दुश्मन अगर आप पर हावी हो रहे तो पूर्वमूखी हनुमान की पूजा शुरू कर दें।
💮2. पश्चिममुखी हनुमान जी-
पश्चिम की तरफ मुख वाले हनुमानजी को गरूड़ का रूप माना जाता है। इसी रूप संकटमोचन का स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ अमर है उसी के समान बजरंगबली भी अमर हैं। यही कारण है कि कलयुग के जाग्रत देवताओं में बजरंगबली को माना जाता है।
💮3. उत्तरामुखी हनुमान जी-
उत्तर दिशा की तरफ मुख वाले हनुमान जी की पूजा शूकर के रूप में होती है। एक बात और वह यह कि उत्तर दिशा यानी ईशान कोण देवताओं की दिशा होती है। यानी शुभ और मंगलकारी। इस दिशा में स्थापित बजरंगबली की पूजा से इंसान की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। इस ओर मुख किए भगवान की पूजा आपको धन-दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, लंबी आयु के साथ ही रोग मुक्त बनाती है।
As per the Vastu, keeping a painting of 7 horses in Home/Office can be very beneficial.
In this Thread 🧵
🌺।।The Concept of "Saptashwa" in Sanatan Dharma and benefits of seven horses' painting as per Vastu।।🌺
In Sanatan Vedic history, the "Saptashva" or "Saptashva Ashwa" refers to the seven divine horses that are often associated with the sun god, Surya. These horses are said to pull the chariot of Surya across the sky, representing the sun's journey from dawn to dusk. Each horse is typically described as having a different color, symbolizing various aspects of light and energy.
The concept of the Saptashva is significant in various texts, including the Vedas and Puranas, where they are often depicted as embodiments of different qualities and powers. The seven horses are sometimes associated with the seven colors of light or the seven days of the week.
🪷।।भगवान विष्णु को हम सभी "हरि" या "नारायण" भी कहते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि श्री विष्णु को "हरि" या "नारायण" क्यों कहा जाता है?।।🪷
आइए आज जानते हैं प्रभु के इन्हीं दो नामों
का रहस्य;
A Thread 🧵
भगवान श्री विष्णु को करोड़ो नामों से जाना जाता है, और ये हम सभी जानते हैं कि इनमें से हरि और नारायण उनके प्रसिद्द नामों में से हैं।
वैसे तो भगवान विष्णु के अनंत नाम हैं पर इन नामों का रहस्य सचमुच बहुत खास है।
🌺।।पुराणों में भगवान विष्णु के दो रूपों का उल्लेख।।🌺
पुराणों में भगवान विष्णु के दो रूप बताए गए हैं। एक रूप में तो उन्हें बहुत शांत, प्रसन्न और कोमल बताया गया है और दूसरे रूप में प्रभु को बहुत भयानक बताया गया है। कहीं श्रीहरि काल स्वरूप शेषनाग पर आरामदायक मुद्रा में बैठे हैं।
लेकिन प्रभु का रूप कोई भी हो, उनका ह्रदय तो कोमल है और तभी तो उन्हें कमलाकांत और भक्तवत्सल कहा जाता है।
🌺।।भगवान विष्णु का शांत स्वाभाव।।🌺
कहा जाता है कि भगवान विष्णु का शांत चेहरा कठिन परिस्थितियों में व्यक्ति को शांत रहने की प्रेरणा देता है। समस्याओं का समाधान शांत रहकर ही सफलतापूर्वक ढूंढा जा सकता है।