हरिद्वार और रायपुर में हुई 'धर्म संसद मे मुस्लिमां के ख़िलाफ़ भड़काऊ भाषणों पर अमेरिकी संसद में चर्चा हो सकती है। वहां के भारतीय समूहों के साथ-साथ जेनोसाइड वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल भारत में मुसलमानों के नरसंहार के इस आह्वान को लेकर अमेरिकी संसद में सुनवाई की कोशिशें कर रहे हैं।
जेनोसाइड वॉच के अध्यक्ष ग्रेगरी स्टैंटन ने प्रवासी भारतीय समुदाय से जुड़े संगठनों द्वारा आयोजित एक संसदीय ब्रीफ़िंग में इस बारे में सूचना दी है।
उन्होंने कहा, "हम द्विदलीय लैंटोस मानवाधिकार आयोग द्वारा एक संसदीय सुनवाई की मांग करेंगे. इस सुनवाई का उद्देश्य अमेरिकी संसद में एक प्रस्ताव पास कराना होगा जिससे भारत को चेतावनी दी जा सके कि उसे नरसंहार से जुड़े आह्वानों को उकसाना, जो कि अपने आप में एक अपराध है, बंद करना होगा."
नफ़रत भरे भाषणों के मुद्दे पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि नरसंहार एक घटना नहीं बल्कि एक प्रक्रिया होती है. लैंटोस मानवाधिकार आयोग एक संसदीय मानवाधिकार कॉकस है जोकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित सार्वभौमिक मानवाधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित है।
स्टेंटन ने ये भी बताया है कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी अमेरिकी आयोग जो कि बीते दो सालों से भारत को 'विशेष चिंता के देश' में रूप में चिह्नित करने की मांग कर रहा है, वह भी इस मुद्दे पर सुनवाई कर सकता है।
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संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार द्वारा किसानों से वादाखिलाफी के खिलाफ 31 जनवरी को देशव्यापी विश्वासघात दिवस मनाने का ऐलान किया है।
लखीमपुर खीरी हत्याकांड में बीजेपी की बेशर्मी और संवेदनहीनता के विरुद्ध संयुक्त किसान मोर्चा पक्का मोर्चा लगाएगा, मिशन उत्तर प्रदेश जारी रहेगा।
23 और 24 फरवरी को मजदूर संगठनों द्वारा घोषित राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन और सहयोग करेगा संयुक्त किसान मोर्चा।
चुनाव में संयुक्त किसान मोर्चा का नाम नहीं होगा इस्तेमाल, चुनाव में भाग लेने वाले किसान संगठन और नेता संयुक्त किसान मोर्चा में नहीं।
आंदोलन के दौरान हुए केस को वापिस लेने के वादे पर हरियाणा सरकार ने कुछ कागजी कार्यवाई की है लेकिन केंद्र, MP, UP, उत्तराखंड और हिमाचल सरकार की तरफ से नाममात्र की भी कोई भी कार्यवाई नहीं हुई है। बाकी राज्य सरकारों को केंद्र सरकार की तरफ से चिट्ठी भी नहीं गई है।
पाकिस्तान के एक बुद्धिजीवी मियां आसिफ़ रशीद का एक लेख है 'मुस्लिम देशों का भविष्य'।
इस लेख में उन्होंने निष्कर्ष निकाला था कि जो मुस्लिम देश आधुनिक 'वर्ल्ड एजेंडा' को स्वीकार नहीं करेंगे वे नष्ट हो जाएंगे।
'वर्ल्ड एजेंडा' से उनका तात्पर्य था- लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, मानव अधिकार, स्त्री- पुरुष समानता, जनकल्याणकारी नीतियां, सहयोग, शांति और विश्व बंधुत्व की भावना।
मियां आसिफ़ रशीद के विचारों पर सऊदी अरब ने मोहर लगा दी है। संसार के सबसे कट्टर इस्लामी देश ने जिस उदारता और सुधार की ओर कदम बढ़ाया है वह सिद्ध करता है कि आधुनिक युग में धर्म के आधार पर राज्य नहीं चलाया जा सकता।
यूपी में आदर्श चुनाव संहिता लागू होने के पहले ही सरकारी खर्चे पर ताबड़तोड़ उद्घाटन और उसी अवसर पर रैलियों की जो धींगामु़श्ती मचाई हुई है उस पर एक सज्जन ने निम्नलिखित रिपोर्ट दी है , पढिये :—-
“ पिछले दिनों हुए कुछ उद्घाटन और उनकी ताजा स्थिति
● एम्स गोरखपुर - अभी आधा काम बाकी है, पूरी तरह संचालित होने में कम से कम 3 साल लगेंगे। भवनों का निर्माण अभी भी जारी है। डॉक्टरों की नियुक्तियां बाकी हैं।
● गोरखपुर फर्टिलाइजर - उत्पादन शुरू होने में कम से कम 3 महीना लगेगा। अभी मशीनों का ट्रायल चल रहा है।
● नया नगर निगम भवन, गोरखपुर - आधा काम बाकी है, अभी प्लास्टर तक नहीं हुआ है। कम से कम 6 महीने लगेंगे।
● कुशीनगर एयरपोर्ट - कोई उड़ान नहीं हो रही है क्योंकि कुशीनगर एयरपोर्ट पर सबसे बड़ी खामी इंस्टूमेंट लैंडिंग सिस्टम) को लेकर है। इसे लगाने के लिए अभी तक जमीन ही नहीं मिली।
धर्मांधता आप के घर मे घुस चुकी है और यह जहर आप के बच्चों, किशोरों और बेरोजगार युवाओं को संगठित अपराधी बना देगा। बदल के रख देगा हत्यारो और आतंकियों के गिरोह में। वे नरसंहार की शपथ दिला रहे हैं और इसके लिये खुलेआम भर्तियां करने की बात कह रहे हैं।
पर इस घोर आपत्तिजनक और आतंकी बयान पर न तो आरएसएस RSS के प्रमुख बोल रहे हैं और न ही सरकार में बैठे जिम्मेदार लोग। वे इसी साम्प्रदायिकता की आग में समाज को बांट कर देश मे पचास साल तक राज करने के मंसूबे बांध रहे हैं।
उनका उद्देश्य न तो जनता की रोटी रोजी शिक्षा स्वास्थ्य का हल ढूंढना है और न ही एक बेहतर समाज बनाना है। उनका उद्देश्य है समाज का अधिकांश उनके चहेते पूंजीपतियों के लिये दिहाड़ी और कम वेतन पर काम करने वाले समूह में बदल जाय और धर्म की अफीम में मुब्तिला हो नीम बेहोशी में पड़ा रहे।
लंबे समय से चीन और भारत के बीच तनाव है। यह सैटेलाइट तस्वीर इसी इलाके से आई है। चीन द्वारा पैंगोंग झील पर पुल बनाया जा रहा है जो विवादित सीमा के अपने हिस्से में है। यह निर्माण पिछले कुछ महीनों से जारी है। मीडिया के अनुसार, यह पुल पैंगोंग झील के उत्तरी/दक्षिणी किनारों को जोड़ेगा।
इंडिया टुडे के मुताबिक पैंगोंग झील का यह क्षेत्र पिछले साल दोनों सेनाओं के बीच टकराव का मुख्य बिंदु था। अब कहा जा रहा है कि झील के ऊपर बन रहे इस पुल से चीनी सैनिकों तक रसद और हथियार बड़ी आसानी से पहुंच सकते हैं।
यह सैटेलाइट तस्वीरें जियो इंटेलीजेंस के एक्सपर्ट डेमियन सिमोन ने जारी की हैं। इन तस्वीरों को जारी करते हुए उन्होंने कहा कि इससे संकेत मिलता है कि यह पुल झील के संकरे रास्ते पर लगभग पूरी तरह बनकर तैयार हो चुका है।
वे चुप रहे, जब गलवां घाटी में 20 सैनिक कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में चीनी सैनिकों के हाथों शहीद हो गए और इस शहादत के 4 दिन बाद ही चीनी घुसपैठ को लगभग नकारते हुये कह दिया कि, न तो कोई आया था और न आया है।
● वे चुप रहे, जब सैकड़ों कामगार, लॉक डाउन कुप्रबंधन के कारण, हज़ारों किलोमीटर पैदल सड़क पर घिसटते हुये मर गए।
● वे चुप रहे, यह घोषणा करने के बाद भी, लॉक डाउन के दौरान कामगारों को वेतन मिलेगा, लेकिन सरकार के ही वकील अदालत में कामगारों के बजाय पूंजीपतियों की तरफ खड़े नजर आए।
● वे चुप रहे, जब नोटबन्दी की लाइन में खड़े खड़े 150 लोग मर गए और इस पर संवेदना दिखाना तो दूर, 'घर मे शादी है, पैसे नहीं है,' का निर्लज्ज शायलाकीय भंगिमा और बयान, याद करें।
● वे चुप रहे जब, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब गंगा शव वाहिनी बन गयी और लोग ऑक्सीजन से तड़प कर मरते रहे।