लंबे समय से चीन और भारत के बीच तनाव है। यह सैटेलाइट तस्वीर इसी इलाके से आई है। चीन द्वारा पैंगोंग झील पर पुल बनाया जा रहा है जो विवादित सीमा के अपने हिस्से में है। यह निर्माण पिछले कुछ महीनों से जारी है। मीडिया के अनुसार, यह पुल पैंगोंग झील के उत्तरी/दक्षिणी किनारों को जोड़ेगा।
इंडिया टुडे के मुताबिक पैंगोंग झील का यह क्षेत्र पिछले साल दोनों सेनाओं के बीच टकराव का मुख्य बिंदु था। अब कहा जा रहा है कि झील के ऊपर बन रहे इस पुल से चीनी सैनिकों तक रसद और हथियार बड़ी आसानी से पहुंच सकते हैं।
यह सैटेलाइट तस्वीरें जियो इंटेलीजेंस के एक्सपर्ट डेमियन सिमोन ने जारी की हैं। इन तस्वीरों को जारी करते हुए उन्होंने कहा कि इससे संकेत मिलता है कि यह पुल झील के संकरे रास्ते पर लगभग पूरी तरह बनकर तैयार हो चुका है।
भारत ने अगस्त 2020 में झील के दक्षिणी तट पर कैलाश रेंज पर प्रमुख ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया था, जिससे भारतीय सैनिकों को एक रणनीतिक लाभ मिला था। हालांकि पिछले साल फरवरी में पैंगोंग झील इलाके मे डिसइंगेजमेंट के दौरान, तनाव कम करने के लिए इन ऊंचाइयों से, भारत पीछे हट गया था।
पुल के बन जाने के बाद यह माना जा रहा है कि यह पुल चीन की सेना को तुरंत एक्शन लेने में मदद करेगा। इस पुल के जरिए चीन पैंगोंग झील के विवादित क्षेत्रों तक जल्दी पहुंच सकता है। इसके साथ ही ये पुल झील के दोनों किनारों को भी जोड़ देगा। जिससे झील के दोनों तरफ आसानी से वे पहुंच सकते हैं।
विशेषज्ञों की मानें तो पुल बनाकर चीन दरअसल करना ये चाहता है कि पैंगोंग सो के दक्षिणी किनारे पर भारत के इनिशिएटिव को खत्म कर दे। जिन रणनीतिक ऊंचाईयों पर भारत पिछली बार चढ़ा था, वैसा कुछ करना इस पुल के बनने के बाद किंचित मुश्किल हो ही जाएगा।
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यूपी में आदर्श चुनाव संहिता लागू होने के पहले ही सरकारी खर्चे पर ताबड़तोड़ उद्घाटन और उसी अवसर पर रैलियों की जो धींगामु़श्ती मचाई हुई है उस पर एक सज्जन ने निम्नलिखित रिपोर्ट दी है , पढिये :—-
“ पिछले दिनों हुए कुछ उद्घाटन और उनकी ताजा स्थिति
● एम्स गोरखपुर - अभी आधा काम बाकी है, पूरी तरह संचालित होने में कम से कम 3 साल लगेंगे। भवनों का निर्माण अभी भी जारी है। डॉक्टरों की नियुक्तियां बाकी हैं।
● गोरखपुर फर्टिलाइजर - उत्पादन शुरू होने में कम से कम 3 महीना लगेगा। अभी मशीनों का ट्रायल चल रहा है।
● नया नगर निगम भवन, गोरखपुर - आधा काम बाकी है, अभी प्लास्टर तक नहीं हुआ है। कम से कम 6 महीने लगेंगे।
● कुशीनगर एयरपोर्ट - कोई उड़ान नहीं हो रही है क्योंकि कुशीनगर एयरपोर्ट पर सबसे बड़ी खामी इंस्टूमेंट लैंडिंग सिस्टम) को लेकर है। इसे लगाने के लिए अभी तक जमीन ही नहीं मिली।
धर्मांधता आप के घर मे घुस चुकी है और यह जहर आप के बच्चों, किशोरों और बेरोजगार युवाओं को संगठित अपराधी बना देगा। बदल के रख देगा हत्यारो और आतंकियों के गिरोह में। वे नरसंहार की शपथ दिला रहे हैं और इसके लिये खुलेआम भर्तियां करने की बात कह रहे हैं।
पर इस घोर आपत्तिजनक और आतंकी बयान पर न तो आरएसएस RSS के प्रमुख बोल रहे हैं और न ही सरकार में बैठे जिम्मेदार लोग। वे इसी साम्प्रदायिकता की आग में समाज को बांट कर देश मे पचास साल तक राज करने के मंसूबे बांध रहे हैं।
उनका उद्देश्य न तो जनता की रोटी रोजी शिक्षा स्वास्थ्य का हल ढूंढना है और न ही एक बेहतर समाज बनाना है। उनका उद्देश्य है समाज का अधिकांश उनके चहेते पूंजीपतियों के लिये दिहाड़ी और कम वेतन पर काम करने वाले समूह में बदल जाय और धर्म की अफीम में मुब्तिला हो नीम बेहोशी में पड़ा रहे।
वे चुप रहे, जब गलवां घाटी में 20 सैनिक कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में चीनी सैनिकों के हाथों शहीद हो गए और इस शहादत के 4 दिन बाद ही चीनी घुसपैठ को लगभग नकारते हुये कह दिया कि, न तो कोई आया था और न आया है।
● वे चुप रहे, जब सैकड़ों कामगार, लॉक डाउन कुप्रबंधन के कारण, हज़ारों किलोमीटर पैदल सड़क पर घिसटते हुये मर गए।
● वे चुप रहे, यह घोषणा करने के बाद भी, लॉक डाउन के दौरान कामगारों को वेतन मिलेगा, लेकिन सरकार के ही वकील अदालत में कामगारों के बजाय पूंजीपतियों की तरफ खड़े नजर आए।
● वे चुप रहे, जब नोटबन्दी की लाइन में खड़े खड़े 150 लोग मर गए और इस पर संवेदना दिखाना तो दूर, 'घर मे शादी है, पैसे नहीं है,' का निर्लज्ज शायलाकीय भंगिमा और बयान, याद करें।
● वे चुप रहे जब, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब गंगा शव वाहिनी बन गयी और लोग ऑक्सीजन से तड़प कर मरते रहे।
सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) को एक अनजान सी कम्पनी नांदल फाइनेंस ने खरीद लिया है, जिंसमे केवल 10 कर्मचारी हैं। सीईएल की वास्तविक कीमत ₹1000 करोड़ से ₹1,600 करोड़ के बीच थी पर उसे मात्र ₹210 करोड़ में नंदल फाइनेंस बेच दिया गया है।
नंदल फाइनेंस को शारदा यूनिवर्सिटी वाले प्रदीप कुमार गुप्ता, प्रशांत कुमार गुप्ता मिलकर चला रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि सीईएल के पास नई दिल्ली के नजदीक एनसीआर में करीब 50 एकड़ की मुख्य जगह पर बेशकीमती जमीन है। पिछले पांच साल से कंपनी का मुनाफा लगातार बढ़ता जा रहा है।
2013-14 से हर साल उसका मुनाफा लगभग दोगुना हुआ है. साफ है कि सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड शानदार लाभ में चल रही हैं लेकिन इसके बावजूद उसे बेच दिया गया. (आज की तारीख में कम्पनी के पास ऑर्डर 1592 करोड़ के है)
नयी पेंशन नीति, NPS के अंतर्गत यदि आप रिटायर्ड होने पर प्रतिमाह मात्र 5000 रु पेंशन भी लेना चाहते है तो आपके खाते में कुल 25 लाख रु जमा होने चाहिए।
25 लाख का 60% मतलब 15 लाख आपको कैस मिल जाएंगे और शेष 40% मतलब 10 लाख पर आप को पेंशन मिलेगी।
औसत 6% वार्षिक रिटर्न के आधार पर 10 लाख का 6% मतलब 60 हज़ार रु पूरे वर्ष में, मतलब प्रतिमाह 5 हज़ार रु मात्र।
यदि आप 10 हज़ार प्रतिमाह पेंशन चाहते है तो NPS खाते में 50 लाख रु होने चाहिए।
यदि आप 20 हज़ार रु पेंशन प्रतिमाह चाहते है तो NPS खाते में 1 करोड़ रु होने चाहिए।
अब सोचिए कि आपके NPS एकाउंट में अभी तक कुल कितने जमा है और कितनी सर्विस और बची है ?
आप खुद सोच सकते है कि हम कहाँ तक जा सकते है ?
मान लो पिछले 10 साल से NPS कट रहा है और लगभग 10 से 15 लाख के आस पास है और 10 से 15 साल की नोकरी और शेष है जिसमे 15 से 20 लाख और जमा हो जाएंगे।
आजकल वो,
● मैं देश नहीं बिकने दूंगा, जैसी खुबसूरत बातें नहीं करते !
● अब वह स्विस बैंकों में जमा काला धन जो अब डबल हो चुका है, पर बात नहीं करते !
● अब वो सब के खाते में 15 15 - 15 लाख रुपए आने की बात नहीं करते !
● अब वह डॉलर के मुकाबले गिरते रुपए पर बात नहीं करते !
● अब वो जिस देश का रुपया गिरता है उस देश के प्रधानमंत्री की इज्जत गिरती है, ऐसी बातें नहीं करते !
● अब वो देश की गिरी हुई जी. डी. पी. पर मुंह नहीं खोलते
● अब वो देश में हो रहे बलात्कारों व अत्याचारो पर बात नहीं करते !
● अब वो दागी मंत्रियों व नेताओं पर बात नहीं करते।
● अब वह महिलाओं की सुरक्षा पर बात नहीं करते !
● अब वह जमाखोरी पर बात नहीं करते !
● अब वो मिलावटखोरी पर बात नहीं करते !
● अब वो रिश्वतखोरी पर बात नहीं करते !
● अब वो स्मार्ट सिटी बनाने की बात नहीं करते !
● अब वो बुलेट ट्रेन की बात नहीं करते !