बंधुओ आपने आज मंगलमय संक्रांति का आनंद उत्सव मनाया होगा कुछ लोग संभवतःकल मनायेंगे।यह त्यौहार ही परिवर्तन और एकता का है।हमारा समाज खिचड़ी ही तो है जब तक सब वस्तु समानुपातिक हो और स्नेह या घी शुद्ध और पर्याप्त पड़ा हो तो खिचड़ी से स्वादिष्ट सुपाच्य स्वास्थ्यप्रद भोजन और नही हो सकता
मै यह सब आज इसलिये लिख रही हूं कि आज मुझे न जाने क्यों ऐसा लगा कि हमारा बहुसंख्यको को जगाने एकजुट करने का प्रयास कही अधिक चुनौतीपूर्ण तो नही होता जा रहा?आज एक बात तो स्पष्ट हो गयी कि अब जो भी चुनाव होगा वह To Be या Not toBe अर्थात करो या मरो के बीच होगा।बहुसंख्यक आज भी जातिवाद
प्याज टमाटर पेट्रोल की पनचक्की मे घूम रहा है।कसाई गडासा लिये वध के लिये तैय्यार है पर बकरे निश्चिन्त हरी घास चरने मे लगे हुये है।इस बात से बेखबर कि उनकी अपनी जिंदगी खतरे मे है।जब पाकिस्तान चीन से सीमा पर युद्ध होता है तो सेना के पीछे देश एक जुट खड़ा होता है आज हर प्रान्त मुहल्ले
हर बूथ पर घमासान है पर लड़नेवाले छद्मवेशी दुश्मन हमारे शस्त्र से हमारा ही वध करने को उद्यत है बाहरी दुश्मनो से भी अधिक खतरनाक लड़ाई है दुश्मन के पास लोक तंत्र का कवच और सिकुलरिज्म की तलवार है!अभिमन्यु चक्रव्यूह मे सात स्तर पार कर प्रवेश तो कर गया है पर दुर्बुद्धि सात महारथियों के
महागठबंधन को कैसे तोड़ेगा?अर्जुन श्रीकृष्ण को युवा पीढीं से ये राक्षस दूर लेगये हैं तब तक युद्ध को भीम युधिष्ठिर के सहारे कैसे जीता जा सकता है ?हां चिंतित हूं मै यह जानते हुये भी कि जहां धर्म है!न्याय है वहीं विजय है!

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May 13
@Sabhapa30724463 @SimpleDimple05 @Hanuman65037643 @NandiniDurgesh5 @capt_mishra @idamittham_ @SathyavathiGuj1 @Rajivmishrahyd @Prerak_Agrawal1 @AYUSHSARATHE3 @Govindmisr @ajayamar7 @Prakash_Apjain @Pratyancha007 @amarlal71 पुराणों में दिक्पालों का वर्णन आता है।ये दिक्पाल हैं क्या? यदि तत्वत: वर्णन किया जाये तो दिक् या दिशाओं का क्या अर्थ है?हम जब पंचतत्व का अध्ययन करते हैं तो एक तत्व आकाश "छिति जल पावक #गगन
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May 3
@Sabhapa30724463 @agyatlog @Acharya_Shukla1 @ajayamar7 @Hanuman65037643 @NandiniDurgesh5 @Radhika_chhoti @SimpleDimple05 @SathyavathiGuj1 @Prerak_Agrawal1 @AYUSHSARATHE3 @babu_laltailor @Govindmisr @amarlal71 शिव पार्वती के विवाह के तीन प्रकार के कारण प्रतीत होते हैं।
लौकिक कारण शिववधू दाक्षायणी सती का दक्ष यज्ञ में शरीर त्याग और हिमालय राज की पराम्बा की कठिन तप के फलस्वरूप सती का हिमाचल मैना के घर पार्वती रुप में पुनर्जन्म और देवर्षि नारद जी द्वारा पार्वती को अकुलीन अगेह वैरागी वर का Image
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दूसरा दैविक कारण तारकासुर Image
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Apr 23
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Mar 27
@Sabhapa30724463 @Hanuman65037643 @NandiniDurgesh5 @Prerak_Agrawal1 @SimpleDimple05 @SmitaGarg8 @NirmalJ8881922 @NandNigma @SathyavathiGuj1 @AYUSHSARATHE3 @Govindmisr @Radhika_chhoti @MukulWatsayan @ajayamar7 @amarlal71 चैतन्य महाप्रभु!एक नाम अपने में पूरा एक अद्भुत भक्ति ज्ञान और सत्याग्रह का आन्दोलन समेटे युगातीत अवतार है! श्रीराधाकृष्ण की पूर्णता है!उनके संयुक्त अवतार का विरह वियोग का रसात्मक संयोग?हर विश्लेषण अधूरा रह जाता है।कनक-गौर वर्ण! उन्नत भाल!कमल-नयन!दीर्घ काय! आजानुबाहु!भक्त्योन्मेष Image
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Mar 13
@Sabhapa30724463 @AlokTiwari9335 @BablieVG @jat_puran9831 @NandiniDurgesh5 @Prerak_Agrawal1 @bhakttrilokika @SathyavathiGuj1 @deva_sanka34545 @SimpleDimple05 @DamaniN1963 @Govindmisr @Hanuman65037643 @ajayamar7 @amarlal71 @DohareCa कागद मसि छुई नही कलम गही नहीं हाथ!ऐसा निरक्षर भक्त कवि आज तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग का एक ऐसा मार्ग-दर्शक है जिसके भजन दोहे बानी वे जगह जगह उद्धृत करते नहीं अघाते। वहीं कुछ ऐसे भी धार्मिक पंथवादी है जो कबीर को ईश्वर का अवतार और स्वयं को कबीर का अवतार सिद्ध करअपना महत्व बढ़ाना चाहते Image
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Feb 10
🌺स्वामीविशुद्धानन्दजी!!
स्वामी जी अनेक नामों से विख्यात रहें है। भारत में काली कमली वाले बाबा के नाम से उनके अनेक मंदिर मठ है। स्वामी योगानन्द ने अपनी पुस्तक योगी कथामृत में गंन्धबाबाके नामसे इनका सविस्तार वर्णन किया है!महर्षिविशुद्धानंद अपने शिष्यउद्धव नारायण केसाथ बैठे हुए थे Image
उद्धव नारायण बाबाके‘सूर्य विज्ञान’से परिचित एवंअत्यधिक प्रभावितथे!बाबा अपने शिष्योंकेप्रतिअपारअपरिमित स्नेह रखतेथे!उन्हें सूर्य-विज्ञान के सिद्धांत समझाते एवं उनके प्रयोगोंको प्रत्यक्ष करके दिखाते रहतेथे!वे शास्त्रोंमें वर्णितअगणित एवंअनगिनत घटनाओंको सहजभावसे प्रदर्शित करदेते थे Image
इसी क्रम में महाभारत काल में प्रचलित अग्निबाण की चर्चा चल रही थी। उद्धव नारायण अपनी जिज्ञासा प्रकट करने से स्वयं को रोक नहीं पा रहे थे। जिज्ञासावश उद्धव नारायण ने बाबा विशुद्धानंद से कहा-’’बाबा!शास्त्रों में वर्णित अग्निबाण, वायुबाण आदि के प्रयोगों के बारे में जो उल्लेख मिलता है,
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