हां भाई, माना कि बाबा के गोरखपुर सदर से चुनाव लड़ने की बात किसीने भी नहीं सोची या कही।
सभी अयोध्या और मथुरा पर तुक्के लगातेरहे।
लेकिन यह भी तो सोचें कि टिकटों का बंटवारा लखनऊ से भी कहां हो रहा है?टिकट बाबा की मर्ज़ी से भी कहां बांटे जा रहेहैं?
गोरखपुर से योगीको जितवाने में
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आरएसएस की मदद मिलेगी-यह तर्क भी ठीक है।आरएसएस ने वहां कट्टर हिंदुत्व का काफ़ी प्रचार किया है।
लेकिन क्या अयोध्या और मथुरा में बीजेपी उम्मीदवारों के पक्ष में आरएसएस कोई मदद नहीं करेगी?
क्या बीजेपीने योगीको हिन्दू हृदय सम्राट मानना बंद कर दिया है?
जिस राम राज्य को बीजेपी ने
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यूपी की अवाम पर जबरदस्ती थोपा था,क्या उस मंजिल तक पहुंचाने वाले की नियति अपने "घर वापसी"है?
योगी को उनकी परंपरागत गोरखपुर सीट पकड़ाकर मोदी और अमित शाह ने यह साफ़ संदेश दिया है कि रुकिए।
हिन्दू हृदय सम्राट एक ही है और यह जगह फिलहाल खाली नहीं है। भरी हुई है। योगी के अयोध्या से
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लड़ने पर उनकी ही पार्टी के कुछ बड़े नेताओं की नाखुशी भी एक वजह है।
गोरखपुर सदर योगी की सबसे सुरक्षित सीट है। उन्हें वहां ज़्यादा मेहनत की ज़रूरत नहीं होगी। यानी बीजेपी आलाकमान ने बाबा को सबसे मुश्किल चुनौती यानी पश्चिमी यूपी में जीत की ज़िम्मेदारी सौप दी है।
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योगी के डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य भी मथुरा से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन शाह और मोदी ने श्रीकांत शर्मा को लेकर खड़ा कर दिया और मौर्य को सिराथू सीट थमा दी। मौर्य और शर्मा के बीच 36 का आंकड़ा है।
आज बीजेपी की 107 सीटों में 63 उम्मीदवारों को रिपीट करना और परिवारवाद के कोढ़ को
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बिना दवा के अंगीकार कर लेना यह बताता है कि पार्टी डरी हुई है।
मुकाबले से पहले ही डरी हुई सेना की जीत की उम्मीद बहुत कम होती है।
मैंने माना था कि बीजेपी में लड़ने का माद्दा बचा है। पता नहीं था कि पार्टी तो पहले ही सरेंडर कर चुकी है।
वापिस अपने विषय पर लौटते हैं और आज का समाचार है ब्रिटेन की संसद में चीनी मूल की जासूस क्रिस्टीन ली के दखल और हमारे प्रधान जी के सम्बन्धों को लेकर एमआई 5 द्वारा जारी चेतावनी।
भारत के भी कई मीडिया हाउस से यह खबर ब्रेक हुई हैं
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लेकिन हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों है ?
विश्व की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसियों में से एक ब्रिटेन की एमआई मानी जाती है जो वास्तव मे मिल्ट्री इंटेलिजेंस का शॉर्ट फार्म है।
दूसरे विश्व युद्ध के समय एमआई वन से लेकर 15 तक विभाग थे जो अब केवल दो तक सीमित रह गए हैं।
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MI 5 आंतरिक हालात पर नजर रखती हैं और MI 6 बाहरी उठा पटक देखती हैं लेकिन कभी कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया जाता।
शायद पहली बार एमआई 5 ने अपने सांसद और चीनी जासूस ली के आर्थिक लेनदेन पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है जिसमे लगभग दस लाख पाउंड की आर्थिक मदद का आरोप है।
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भारत की अर्थव्यवस्था को ठिकाने लगाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम विश्व आर्थिक मंच (WEF)के नेताओं को व्याख्यान देंगे।
कल यानी रविवार को उसी ऑक्सफेम की रिपोर्ट भी आई, जिसकाFCRAमोदी सरकार ने खुन्नस में रद्द कर दिया है और रिपोर्ट में साफ़ कहा गया है कि2021में देश की 84%
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जनता की आय घटी है।
2021 में ही भारत में अरबपतियों की संख्या 102 से 142 हो गई है। 2020-21 में जब देश कोविड की पहली और दूसरी लहर से जूझ रहा था तो मोदी सरकार ने स्वास्थ्य का बजट 10% (संशोधित अनुमान से) घटा दिया।
शिक्षा बजट 6% घटा और सामाजिक सुरक्षा के बजट का हिस्सा कुल बजट के
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मुकाबले 1.5%से घटाकर 0.6%कर दिया गया।
ऑक्सफेम ने भारत के बारे में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 100 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति जहां 57 लाख करोड़ से ज़्यादा है, वहीं सबसे नीचे के 50% लोगों के हिस्से में संपत्ति का सिर्फ़ 6% हिस्सा ही बचा है।
मोहने वाला, कर्षण करने वाला अर्थात खींचने वाला, आकर्षित करने वाला कृष्ण है, हरि है, मनोहारी है। यह मन को, भाव को, हृदयाकर्षण करने को इंगित करता है। और फिर वही हरि, रूक्मणी का हरण भी करते हैं।
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रूक्मणि का हृदय पहले ही श्रीकृष्ण ने हर लिया है।
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परंतु उनका भाई रूक्मि श्रीकृष्ण को पसंद नहीं करता, वह यादवों को क्षत्रिय नही मानता। मामूली ग्वाले से वह अपनी बहन का ब्याह कैसे करे, तो क्षत्रिय परंपरा के अनुसार वह स्वयंवर आयोजित करता है।
पर रूक्मणि तो अपना वर चुन चुकी है, वह भाग जाती है कृष्ण के पास।और कृष्ण समस्त भारतखण्ड के
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युवराजो राजाओं को चकमा देकर रूक्मणि को द्वारका ले आते है।
यह रूक्मणि का हरण है।कृष्ण की बहन सुभद्रा भी अर्जुन पर मोहित है, आकृष्ट है।परंतु बलराम तो युवराज दुर्योधन से विवाह विचार चुके हैं।सुभद्रा से बगैर पूछे,सगाई के लिए दुर्योधन को आमंत्रित भी कर रहे हैं।श्रीकृष्ण अब अपनी बहन
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मुसलमानों को सबक सिखाना चाह रहा था । उसे जिन्ना को मारने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी। गांधी आसान शिकार थे क्योंकि उन्होंने अपनी सुरक्षा व्यवस्था हटवा दी थी।
आज इस बात का भ्रम फैलाया जाता है यदि जिन्ना को प्रधानमंत्री बना दिया गया होता
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तो देश का विभाजन रुक जाता।परंतु जिन्ना की असली मांग थी-विधानसभाओं में जिस तरह से दलितों आदिवासियों का आरक्षण किया गया है उसी तरह से मुसलमानों को भी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण, और आजादी के बाद विधानसभा और नौकरियों में आरक्षण।
हिंदू महासभा ने हर तरह के समझौते का विरोध किया।
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इनके आगे कांग्रेस की कुछ नहीं चली। क्या कांग्रेस ने आरक्षण के बजाय विभाजन का एक बेहतर विकल्प चुना ?
कौन कह सकता है ?
देश में आज भी न तो सभी समाज का संतुलित विकास हुआ और ना ही आरक्षण का कोई समाधान निकाला। देश का विभाजन उचित या अनुचित था यह हम आज भी नहीं कह सकते।
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"घरकी बात घर में ही रहनी चाहिए"-ये सिद्धांत 95फीसदी हिंदुस्तानियोंका सनातन कालसे रहा है
बंद दरवाज़ों और खिड़कियोंके पीछे चीखें दबाई जातीरहीं।परिणति निर्भया के रूप में सामने आए
ज़ुल्मकी इंतेहा देखकर महिलाएं ख़ुद सामने आईं और घरकी बात जब बाहरतक पहुंचीतो लोगोंके रोंगटे खड़ेहो गए 1
मी टू अभियान ने जब बहुतों के चेहरे बेनकाब किये तो इन महिलाओं को वेश्या साबित करने का मानों जुनून पलने लगा।
थोड़ा इतिहास की तरफ़ चलते हैं, क्योंकि हिंदुस्तान 5000 सालों से विरोधाभासी इतिहास पर टिका रहा है और इसीलिए यहां लोकतंत्र के जिंदा रहने पर विदेशियों को हमेशा शक़ रहा है। 2
दिल्लीमें एक मील के राजपथके दोनों ओर खाली,खुले मैदान में80के दशक में तंबुओं का गांव नज़र आताथा।
विरोधके बैनर और पहचान के झंडों से अटे पड़े राजपथ पर टहलने वाले विदेशी सैलानी कौतूहलमें लोगोंके संघर्ष को नस्तीबद्ध करते और अपने देश जाकर भारत के विरोधाभास के बारे में लोगों को बताते
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फैक्ट चेक
सोशल मीडिया पर कंगना रनाउत की तक तस्वीर माफिया डाॅन अबू सलेम की बता कर पोस्ट की जा रही है और कैप्शन दिया जा रहा है
"टंगना उठावत अबू सलेमके साथ"
यह निंदनीय कैप्शन तो है ही चित्र भी झूठाहै कंगना रानाउतके साथ फोटो में दिख रहे शख्स जर्नलिस्ट मार्क मैनुएलहैं
ना कि अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम।
मार्क मैनुएल जानेमाने फिल्म जर्नलिस्ट हैं जिनका फिल्मी सितारे उपयोग अपनी फिल्म और खुद की रेटिंग बढ़ाने के लिए करते हैं।
फिल्मी सितारों की कोई भी पार्टी इनके बेगैर नहीं होती।
ध्यान दीजिए कि आजीवन करावास की सज़ा काट रहे अबू सलेम को पुर्तगाल के
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लिस्बन में20सितंबर2002में गिरफ्तार किया गया था और प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे2005 में भारत को सौंपा गया था तब से वह जेलमें है।
जबकि कंगना की यह तस्वीर2017को ली गयी थी।
पहला चित्र अबू सलेम काहै।
कंगना रानाउत ने अब तक जितनेभी युद्ध लड़े हैं वह सब किसी मुसलमानके साथ कभी नहीं रहे ,3