"घरकी बात घर में ही रहनी चाहिए"-ये सिद्धांत 95फीसदी हिंदुस्तानियोंका सनातन कालसे रहा है
बंद दरवाज़ों और खिड़कियोंके पीछे चीखें दबाई जातीरहीं।परिणति निर्भया के रूप में सामने आए
ज़ुल्मकी इंतेहा देखकर महिलाएं ख़ुद सामने आईं और घरकी बात जब बाहरतक पहुंचीतो लोगोंके रोंगटे खड़ेहो गए 1
मी टू अभियान ने जब बहुतों के चेहरे बेनकाब किये तो इन महिलाओं को वेश्या साबित करने का मानों जुनून पलने लगा।
थोड़ा इतिहास की तरफ़ चलते हैं, क्योंकि हिंदुस्तान 5000 सालों से विरोधाभासी इतिहास पर टिका रहा है और इसीलिए यहां लोकतंत्र के जिंदा रहने पर विदेशियों को हमेशा शक़ रहा है। 2
दिल्लीमें एक मील के राजपथके दोनों ओर खाली,खुले मैदान में80के दशक में तंबुओं का गांव नज़र आताथा।
विरोधके बैनर और पहचान के झंडों से अटे पड़े राजपथ पर टहलने वाले विदेशी सैलानी कौतूहलमें लोगोंके संघर्ष को नस्तीबद्ध करते और अपने देश जाकर भारत के विरोधाभास के बारे में लोगों को बताते
3
90के दशक की शुरुआत में सरकार ने तंबूधारियों को जंतर-मंतर पर खदेड़ दिया और 1998में मंदिर मार्ग-शंकर रोड पर लाकर खड़ा कर दिया।
लेकिन न तो लोगों की समस्या सुलझी, न देश खुशहाल हुआ। तब अखबारों ने लिखा- दिल्ली में सिर्फ़ धरना-प्रदर्शन की जगहें बदलीं।
क्या ये खबरें बाहर नहीं देखीं
4
सुनी गईं?
क्या घर की बात घर में ही रही?
क्या घर का कोहराम शांत हो गया?
भारत में इतिहास 1947 के बाद आकर ख़त्म हो जाता है। अकादमिक जगत के लोग प्रायः इसके बाद राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र पर उतर आते हैं।
क्योंकि हमारे बुजुर्गों और बाद की पीढ़ी ने यही सोच रखा था, इसलिए1947के
5
बाद के इतिहास पर बहुत कम काम हुआ, जिसका नतीजा आज की वाट्सअप पीढ़ी और कंगना जैसी कोढग्रस्त शख्सियतें हैं।
इतिहासकार एफ डब्लू मीटलैंड कहते हैं- आज जो कुछ भी अतीत है, वह कभी भविष्य की बात होगी।
आज हम इसे खुली आँखों से देख रहे हैं। भोपाल में एक बाप को बेटी के अंतरजातीय विवाह पर
6
इस कदर ग़ुस्सा आया कि उसने बेटी के साथ जंगल में रेप कर उसकी हत्या कर दी।
अब ये खबर अंतरराष्ट्रीय सुर्ख़ी है। कैसे रोक लेंगे एमपी के गृह मंत्री, जो दावा कर रहे हैं कि राहुल गांधी और कमलनाथ विदेशों में देश को बदनाम करते हैं?
कैसे रोक लेंगे भारत के गृह मंत्री,जो दावा कर रहे थे
7
कि त्रिपुरामें मस्जिदें नहीं फूंकीं गईं,लेकिन अब प्रिंट की रिपोर्ट ने आरएसएस समर्थित संगठनों का मुंह काला कर दियाहै?
या तो मुकदमा लगा दें-जैसा लक्षद्वीपके प्रशासन ने महंगाई का विरोध कर रहे एक सांसद पर FIRकर किया है,या फिर चीन की तरह गूगल से लेकर सोशल मीडिया तककी सारी खिड़कियां
8
बंद कर दें।
चीख-पुकार तब और ज़्यादा सुनाई देंगी, क्योंकि आधा सच मज़ेदार कहानियां लेकर आता है। चीन भी इससे बचा नहीं है।
एक बार फिर- भारत विरोधाभासों का देश है। 3000से अधिक जातियां,भाषा, धर्म और वर्ग-संघर्ष और विरोध के इन 4बिंदुओं के बावज़ूद भारत में देश के प्रति एक अंतर्निहित
9
भावना है और यही देश के अस्तित्व का सबसे बड़ा आश्वासन है।
पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 1965की जंग में कश्मीरियों ने घुसपैठियों के खिलाफ भारत की सेना का साथ दिया। केरल के एक मुस्लिम सिपाही को परमवीर चक्र से नवाज़ा गया।
अगर घर की बात बाहर न जाए का सिद्धांत सनातन है तो वतन पर आफ़त आने
10
पर सबका साथ भी उतना ही सनातन है। ये वतन, ये मुल्क सबका है। यही हमारा घर है।
ये विश्वास हर हिंदुस्तानी का है और इसे कायम रखना भारत के हर निज़ाम ने अपनी ज़िम्मेदारी समझी है।
11
लेकिन अगर इस विश्वास को ठेस पहुंचेगी, झूठ, दमन, प्रशासनिक अकर्मण्यता और नफ़रत की सियासत होगी तो वीर दास हर गली में मिलेंगे।
मोदी और बीजेपी शासित सरकारें इसी विश्वास को कुरेदे जा रही हैं।
12 @BramhRakshas
फैक्ट चेक
सोशल मीडिया पर कंगना रनाउत की तक तस्वीर माफिया डाॅन अबू सलेम की बता कर पोस्ट की जा रही है और कैप्शन दिया जा रहा है
"टंगना उठावत अबू सलेमके साथ"
यह निंदनीय कैप्शन तो है ही चित्र भी झूठाहै कंगना रानाउतके साथ फोटो में दिख रहे शख्स जर्नलिस्ट मार्क मैनुएलहैं
ना कि अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम।
मार्क मैनुएल जानेमाने फिल्म जर्नलिस्ट हैं जिनका फिल्मी सितारे उपयोग अपनी फिल्म और खुद की रेटिंग बढ़ाने के लिए करते हैं।
फिल्मी सितारों की कोई भी पार्टी इनके बेगैर नहीं होती।
ध्यान दीजिए कि आजीवन करावास की सज़ा काट रहे अबू सलेम को पुर्तगाल के
2
लिस्बन में20सितंबर2002में गिरफ्तार किया गया था और प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे2005 में भारत को सौंपा गया था तब से वह जेलमें है।
जबकि कंगना की यह तस्वीर2017को ली गयी थी।
पहला चित्र अबू सलेम काहै।
कंगना रानाउत ने अब तक जितनेभी युद्ध लड़े हैं वह सब किसी मुसलमानके साथ कभी नहीं रहे ,3
प्राइवेट ट्रेन चलाने की मोदी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना पूरी तरह से ध्वस्त हो गयी हैं लेकिन उसके बावजूद बेशर्म सरकार अपनी गलती मानने को राजी नहीं है
IRCTC द्वारा चलाए जाने वाली देश की तीसरी प्राइवेट ट्रेन काशी महाकाल एक्सप्रेस जो बनारस से इंदौर के बीच चलाई जा रही थी
1
और जिसे खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीने फरवरी 2020में हरी झंडी दिखाकर चालूकी थी उसका संचालन IRCTCने पूरी तरह से बन्द कर दिया है और ट्रेनको वापस रेलवे को सौप दिया है,IRCTCने रेल मंत्रालयको सूचित कियाहै कि वह काशी महाकाल एक्सप्रेसका संचालन नहीं कर सकताहै।
आइआरसीटीसी कह रहीहै कि,
2
काशी-महाकाल एक्सप्रेसके मार्ग पर यात्रियों की कमी थी, लिहाजा हमने लगभग तीन महीने पहले भारतीय रेलवे को सूचित किया था कि मौजूदा परिस्थितियों में हमारे लिए उस ट्रेन को संचालित करना मुश्किल होगा।
लेकिन यदि यात्रियों की कमी की बात की जाए तो देश की पहली प्राइवेट ट्रेन दिल्ली से लखनऊ
3
माइकल एंजलो संगमरमर की एक दुकान से अक्सर गुजरते थे। एक दिन उन्होंने दुकानदार से पूछा- तुमने दुकान के उस तरफ रास्ते के किनारे एक बड़ा संगमरमर का पत्थर डाल रखा है। कई बरस से देखता हूं। उसे बेचते क्यो नहीं?
दुकानदार ने कहा- वह बिकता नहीं। पत्थर बेकार है।
मैंने तो आशा ही छोड़ दी। कोई चाहे तो मुफ्त में तो ले जाए। ढोने का खर्च भी मैं दे दूंगा। तुम पूछने आये हो, तुम्ही ले जाओ। झंझट मिटे और जगह खाली हो!
माइकलएंजलो पत्थर ले गया।
--
कोई साल बीतने के बाद एक दिन माइकलएंजलो ने दुकानदार से आकर पूछा- मेरे घर चलोगे? कुछ दिखाने योग्य है!
ले गया दुकानदार को। दुकानदार ने देखा जो, आंखों से आनंद के आंसू बहने लगे।
माइकलएंजलो ने उस पत्थर में जो प्रतिमा गढ़ी थी, वह है जीसस की प्रतिमा और मरियम की। जीसस को मरियम ने सूली से उतारा है। जवान पुत्र की बेजान देह को संज्ञाशून्य मरियम अपने गोद में लिए बैठी है। आहत मातृत्व का
8 नवम्बर 2016-8 नवम्बर 2021 : देश की आर्थिक बर्बादी के पाँच साल पूरे
आज नोटबन्दी को पाँच साल पूरे हुए हैं, कमाल की बात यह है कि बीजेपी इस बात का कोई उत्सव नही मना रही है दरअसल अंदर ही अंदर सब जानते है कि हमने नोटबन्दी कर पाया तो कुछ नही बल्कि खोया बहुत कुछ है, मीडिया में जो
1
आज के दिन के बारे में लेख छपे है उनमें सिर्फ यही बात कही जा रही है कि 8अक्टूबर2021 तक 28.30 लाख करोड़ रुपये का कैश था जोकि 4नवंबर 2016 को उपलब्ध कैश के मुकाबले 57.48 फीसदी अधिक है. इसका मतलब हुआ कि लोगों के पास पांच साल में कैश 57.48 फीसदी यानी कि10.33 लाख करोड़ रुपये बढ़ गया.
2
4 नवंबर 2016 को लोगों के पास 17.97 लाख करोड़ रुपये की नगदी थी जो नोटबंदी का ऐलान (8 नवंबर 2016) होने के बाद 25 नवंबर 2016 को 9.11 लाख करोड़ रुपये रह गई. इसका मतलब हुआ कि 25 नवंबर 2016 के लेवल से 8 अक्टूबर 2021 तक आने में 211 फीसदी नगदी बढ़ गई. जनवरी2017में लोगों के पास 7.8 लाख
3
शाखामृग कै बड़ि मनुसाई .
हनुमान जी जब लंका की लंका लगाकर वापस किष्किन्धा पहुंचे तो जामवंत ने प्रभु श्रीराम से हनुमान की बहुत तारीफ की! कहा -प्रभु! ये हनुमानजी के बल पौरुष का ही नतीजाहै कि आज हम सभी जीवित हैं!वे न सिर्फ सीतामाता का पता लगाकर आये हैं, बल्कि रावण को अपने भुजबलका (1)
भुजबल का एक छोटा सा नमूना भी दिखाकर आये हैं!
इस बात पर प्रभु ने हनुमान को गलेसे लगा लिया और पूछा- हे हनुमान!How could you performed all these stuffs?
अंग्रेजी में बोले तो.-कैसे किया तुमने ये सब? लंका ही जला डाली!! कोई टॉनिक सोनिक लेते हो क्या?
हनुमान जी ने कहा- हे प्रभु!!
2
सो सब तव प्रताप रघुराई।
नाथ न कछु मोरी प्रभुताई॥
हे रघुनाथ!यह सब आपही का प्रतापहै!हे नाथ!इसमें मेरी प्रभुता(बड़ाई)कुछभी नहीं है!!I am just a monkey!!मैं एक मामूली बंदरहूँ! और बंदरकी भला क्या बिसातकि वो समुद्र लाँघदे?लंकाजलादे?