"हम दो,हमारे दो"कौनसे वे दो लोगहैं और मैं किन दो लोगों की बात कर रहा हूं-यह बताने की शायद ज़रूरत ही नहींहै
जीहां।अडाणी और अम्बानी।सभी जानतेहैं कि भारतमें दोनोंकी हैसियत अब सरकारमें शामिल किसी राजनीतिक दलसे भी ऊंचीहै।
लेकिन लगताहै कि दोनोंमें मोदी और शाहको अम्बानी सबसे प्रियहैं
2020से 2021के बीच अडाणी की दौलत 8.9 बिलियन से 50.5 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई।
फोर्ब्स ने बताया है कि 24 नवंबर 2021 तक अडाणी की दौलत 82.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है।
अगर भारत के 100 सबसे अमीरों से तुलना करें तो कोविड के दौरान उनकी पूरी दौलत का 20% सिर्फ़ अडाणी की तिजोरी में है।
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इस दौरान अम्बानी की दौलत2020में36.8 बिलियन डॉलर से बढ़कर85.5बिलियन डॉलर हो गई। यानी लगभग43%इज़ाफ़ा।
कोविडके दौरान दोनोंकी संयुक्त कमाईको जोड़ें तो देशके सबसे अमीर कारोबारियोंकी दौलत का63%हिस्सा सिर्फ इनकीही तिजोरीमें जमा है।
यानी देशके सबसे अमीर लोगोंकी दौलतमें भी असमानता है।3
राहुल गांधी ने हम दो,हमारे दो का बयान फ़िज़ूलमें नहीं दिया।
मोदी सरकारने इन्हीं अमीरों के"विकास"के लिए कॉर्पोरेट टैक्स को30से घटाकर 22% कर दिया और आमदनी, रोज़गार के संकट से जूझ रही84%आबादी को बेरहमी से लूटना शुरू कर दिया।
आपको बता दूं कि देश के142सबसे अमीरोंमें से 10% पर 1%
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वेल्थ टैक्स लगा दिया जाए तो17.7लाख ऑक्सीजन सिलेंडर अलग से खरीदे जा सकते हैं।
इन142में से98अमीरों पर1% वेल्थ टैक्स लगानेसे मोदीके आयुष्मान भारत का7साल का बजट निकल आएगा।
लेकिन ऐसा नहीं होगा,क्योंकि भारत में ब्राह्मण और बनियोंका राजहै।
सौभाग्य ना सब दिन सोता है!
देखें आगे क्या होता है!!
आशावादी लोग्स राष्ट्रकवि की इन पंक्तियों को बार बार दुहराते हैं, खासकर तब, जब भाग्य उनका साथ नहीं दे रहा होता है! ..तो वे इन्ही लाइनों के साथ खुद को तसल्ली दे लेते हैं! कुछ अंग्रेजी *
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खोदने वालेHope for the bestयाGood luckभी कहते हुए सुनाई देजातेहैं!!
भूमिका बांधनेका लब्बोलुआब ये है कि हर कोई ये मानकर चलताहै कि एक न एक दिन भाग्य उसका साथ जरूर देगा!!विधाता इतना क्रूर नहींहो सकता!
लेकिन इसी देशमें एक प्रजाति ऐसी भीहै जिसके करम में सौभाग्यवती होनेका सुख लिखाही 2
नहीं विधाता ने!!
बदनसीब इंसान के बारे में कहा जाता है कि करम फूट गये हैं बिचारे के! इनके करम में मानों विधाता ने 300किलो RDXबांधकर विस्फोट करा दिया हो! ऐसा नसीब है इनका!
इस प्रजाति का नाम है -अंधभक्त!!
बिचारे जबसे पैदा लिए... सदमे ही सदमे खा रहे! एक सदमे से उबरे नहीं कि दूसरा
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हाँ तो इसमे क्या बुराई है ?
जब भी मैंने यूनिक हैल्थ आईडी,वैक्सीन पासपोर्ट जैसे विषयों पर लिखाहै ओर लोगोको सर्विलांस के खतरेके बारेमें आगाह किया है तो बहुत से मित्र कहते हैं कि इसमे बुराई क्या है? आपका सारा डेटा स्मार्ट फोन के जरिए गूगल के पास जा ही रहाहै तो अगर अब वह वैक्सीन को
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आधार से लिंक करनेके जरिए सरकारके पास जा भी रहा तो उसमें क्या गलतहै?
ऐसे लोगो के लिए एक सूचना है ...यूपी की योगी सरकारने छात्र-छात्राओं को जो स्मार्ट फोन वितरित कियेहै उन स्मार्टफोन ओपेन करनेपर जो पहला नोटिफिकेशन आता है वो यह है कि यह डिवाइस प्राइवेट नहीं है। आपका आईटी एडमिन इस
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डिवाइस पर आपका डेटा और आपकी एक्टिविटी देखने में सक्षम है।....
इसका सीधा अर्थ यह है कि इस डिवाइस पर जो भी एक्टिविटी होगी वह सरकार की नजर में होगी स्मार्टफोन का कैमरा, गैलरी कंटैक्ट, कंटैक्ट हिस्ट्री तमाम चीजों का परमिशन सरकार के पास है। और आप चाहकर भी इन्कार (Deny)नहीं कर सकते।
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भरत खण्डे इलेक्शन मुनि के आश्रमें एक चूहा रहा करता था।मुनिश्री के चारों ओर उछल कूद करता था।मुनि भी उसको बहुत प्यार करते थे। इसी कारण वो इलेक्शन मुनिश्री के कुछ ज्यादा मुंह लग गया । एक दिन उसको सहमा-सहमा देखकर मुनि ने पूछा बेटा तुमको हमारे लोकतांत्रिक आश्रम में क्या कष्ट है जो
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इतने सहमे हुए रहतेहो?चूहेने कहा बाबा वैसे तो यहां सारा सुख है मगर आपके आश्रममें ये जो इटैलियन बिल्ली है,मुझे देखकर अक्सर गुर्राती रहती है।मुनिने कहा तो इसका निराकरण क्या हो सकताहै?चूहेने कहा कि महाराज आप मुझे भी बिल्ली बना दें।सुनते ही मुनिश्री ने कहा एवमस्तु तुम बिल्ली बन जाओ।
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अब वो चूहा बिल्ली बन गया। जो पहले चूं..चूं..चूं..चूं करता था अब म्याऊं-म्याऊं करने लगी। फिर भी वो सहमी -सहमी रहने लगी। एक दिन फिर मुनिश्री ने पूछा क्या हुआ तुम क्यों सहमी रहती हो। बिल्ली ने दुख से कहा बाबा आपके आश्रम में वो जो वाम पंथी कुत्ता है वो मुझे बहुत परेशान करता है। आप
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मोदी जी को मैं बधाई देना चाहूंगा कि जो काम नेहरू, पटेल , श्रीमती इंदिरा गांधी ,राजीव गांधी ७०सालों में नही कर पाये वह काम मोदी जी ने ७ साल में ही कर दिखाया , संघ के गलीज घिनौन चेहरे के उपर लगाया गया देशभक्ति का नकाब जो नेहरू से लेकर राजीव तक नहीं हटा सके , मोदीजी ने ७ साल मे
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चिथड़ा करके संघ को नंगा कर दिया।अटल , अडवानी में थोड़ा लाज शर्म बची थी ,गोड़से का मंदिर बनाने को सोच नहीं सके या सोचे भी हो तो जबान तक ला नही सके,लेकिन मोदी जी ने तो भगवा में लिपटे गुंडे मवालियोंको धर्म संसद की आड़ में खुले आम छूट देकर मोहन भागवतके संघ के नापाक इरादे को देश के
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सामने बेनकाब कर दिया..इसके लिये मोदी जी ने जो जहर पिया है वह आम आदमीके बरदास्त के बाहर है, आजाद भारत के इतिहास में जितना गाली मोदी जी सुन और सहे होंगे शायद ही कोई दूसरा प्र. मंत्री नहीं सुना होगा। एक बार फिर बता रहा हूँ समझ लो.....मोदी जी ने कोई नया समाज नहीं बनाया है, भारतीय
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एक बार दो बहुमंजिली इमारतों के बीच बंधी हुई एक तार पर लंबा सा बाँस पकड़े एक नट चल रहा था,
उसने अपने कन्धे पर अपना बेटा
बैठा रखा था।
सैंकड़ों, हज़ारों लोग दम साधे देख
रहे थे।
सधे कदमों से, तेज हवा से जूझते हुए अपनी और अपने बेटे की ज़िंदगी
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दाँव पर लगाउस कलाकारने दूरी पूरी करली
भीड़ आह्लादसे उछलपड़ी,तालियाँ,सीटियाँ बजनेलगी
लोगउस कलाकारकी फोटो खींचरहे थे,उसके साथ सेल्फीले रहेथे।उससे हाथ मिला रहेथे
औरवो कलाकार माइकपर आया,भीड़को बोला,
क्या आपको विश्वासहै कि मैं यह दोबाराभीकर सकताहूँ
भीड़ चिल्लाई हाँ हाँ,तुम कर सकतेहो।
उसने पूछा,क्या आपको विश्वास है,भीड़ चिल्लाई हाँ पूरा विश्वासहै,
हमतो शर्तभी लगा सकते हैं कि तुम सफलतापूर्वक इसे दोहरा भी सकते हो।
कलाकार बोला, पूरा पूरा विश्वास है ना l
भीड़ बोली, हाँ l
कलाकार बोला, ठीक है,कोई मुझे अपना बच्चा दे दे,मैं उसे अपने कंधे पर बैठाकर रस्सी पर चलूँगा।
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