याद तो होगी ही??
ज्यादा पुरानी नही सन् 2013 की बात है।
ये कोई I.A.S. अफसर थी गौतम बुद्ध नगर जिले में उस समय के समाजवादी खनन माफियाओ के खिलाफ अभियान छेड़ने की गलती कर बैठी।
लाल टोपे वाली पार्टी के कारिंदो ने आरोप जड़ दिया कि
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इस अफसर ने नोएडा में एक निमार्णाधीन मस्जिद की दीवार गिरा दी। बस फिर क्या था आनन फानन मे टोंटी चोर ने बेचारी को सस्पैंड कर दिया।
यूपी तो छोड़ो, सारे देश में बवाल मचा था।
IAS ऐसोसियेशन, IPS ऐसोसियेशन, किरण बेदी, चीफ सेक्रेटरी, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट,
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और खुद केंद्र के दखल के बावजूद कोई भी टोंटी चोर का बाल टेढ़ा नही कर पाया। खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हस्तक्षेप किया मगर टोंटी चोर ने उस महिला IAS अधिकारी का सस्पेंशन Revoke करने बजाय, उसे चार्जशीट दे दी गई।
इस पूरे प्रकरण मे गौर करने वाली बात ये थी
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कि ग्रेटर नोएडा के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट रविकांत ने खुद मामले की जाँच करके रिपोर्ट दाखिल की थी जिसमे उन्होने बाकायदा लिखा था कि दुर्गा शक्ति नागपाल ने मस्जिद की दीवार गिराना तो दूर की बात है, वहाँ अभी तक कोई दीवार बनी ही नही थी।
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वहाँ केवल कथित मस्जिद बनाने के लिए नींव खोदी जा रही थी, क्योंकि वो जगह सरकारी थी, और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार किसी भी सरकारी जमीन पर कब्जा करना और उस पर धर्म स्थल बनाना अवैध है। इसीलिए दुर्गा शक्ति नागपाल पर दीवार गिराने का आरोप लगाना ही गलत है।
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उन्होने केवल सरकारी जमीन पर धर्म स्थल बनाने का प्रयास कर रहे लोगो को चेतावनी दी थी।
एक मुख्यमंत्री की जिद और खुले तुष्टीकरण के चलते, IAS ऐसोसियेशन, पूरी ब्यूरोक्रेट लाॅबी, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और प्रधानमंत्री तक पानी भरते नजर आये।
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मुलायम ने खुले आम I.G. रैंक के अमिताभ ठाकुर को गालियाँ बकी थी। बाल टेढ़ा नही कर सका कोई।
राज्य लोक सेवा आयोग को "यादव आयोग" की संज्ञा भी दी गई, जब आयोग ने मेरिट में नीचे रहने वाले यादव अभ्यर्थियो को इंटरव्यू मे दूसरे अभ्यर्थियो के बजाय दुगुने नंबर देकर 90% S.D.M.
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और पुलिस DSP भर्ती कर डाले थे। बाप-बेटे और चाचा की मनमानी के आगे किसी की कुछ नही चली। प्रधानमंत्री तक की नही चलती थी, क्योंकि इसी मुलायम ने जनवरी 2013 मे अल्पमत में आई UPA सरकार को गिरने से बचाया था।
खुलेआम बयान दिये गये कि केवल "मुस्लिम लडकियाँ" ही हमारी बेटियाँ है
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और सरकार से 30,000/- रूपये का शिक्षा अनुदान केवल उन्ही को मिलेगा। निर्धन हिंदू लडकियों को शिक्षा अनुदान देने की कोई योजना सपा सरकार में नही है, और यही हुआ भी था।
नोएडा मे एक B.A. पास डिप्लोमा होल्डर आदमी, जो कि इंजीनियर तक नही था,
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नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरणका चीफ इंजीनियर और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण का चीफ बनाकर बैठा दिया गया
954करोड का घोटाला था
और उत्तरप्रदेश सरकार यादवसिंह को बचाने सुप्रीम कोर्ट तक गई,जहा से लतियाकर भगा दिये गये
2020मे यादवसिंह को फिर से CBIने गिरफ्तार किया है
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इनकी करतूतें केवल यहीं समाप्त नही होती।
One more feather had been added to their लाल टोपी जब मथुरा मे इनके गुर्गे "रामवृक्ष यादव" और उसकी चांडाल चौकड़ी ने, मथुरा के जवाहर बाग से अपनी समानांतर सरकार चलाना शुरू कर दी थी। कोर्ट के आदेश को अखिलेश बाबू की शह पर,
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रामवृक्ष यादव ने मूत की धार पर रख दिया था। 2 पुलिस अफसर बेमौत मार डाले गये और 22 गुर्गे भी खेत रहे थे। वहाँ से मात्र 47 बंदूकें, 6 राईफल और 179 हैंड ग्रेनेड ही बरामद हुए थे।
रामवृक्ष यादव कौन था???
किसका गुर्गा था???... बच्चे बच्चे को पता था कि केवल शिवपाल यादव का ही नही
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बल्कि पूरे यादव परिवार का संरक्षण प्राप्त था उसे। और ये टटपूंजिया सा आदमी मथुरा के जवाहर बाग से अपनी समानांतर सरकार लाल टोपी गैंग के इशारे और संरक्षण में चला रहा था।
ये तो बस छोटे मोटे कारनामे हैं, लाल टोपी, टेढी नाक टोंटीचोर गैंग के।
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इनकी शान में अगर पूरी फेहरिस्त पढ़ी जाये, तो माशाअल्ला सुबह हो जायेगी मगर इनके चमत्कारी कारनामो का दूसरा छोर नजर नही आयेगा।
गुंडा राज, सैफई का मुजरा, ये सब तो "क्षुद्र किस्म" के कारनामे थे, जो चमत्कार की श्रेणी मे आते ही नही।
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असली चमत्कारो की तरफ तो भक्तो का ध्यान ही नही जा रहा
क्योंकि हम भक्त लोग बचपन से ही Short term memory lossके शिकार रहे है
इसीलिए, याद दिलाने की हिमाकत की है ताकि सनद रहे
और वोट डालते समय आपकी बुद्धि घास चरने ना जाये
जय हिंद
मोदीजी मेरी जाति बिरादरी के नहीं हैं , मोदी मेरे गृहक्षेत्र , जिले , कस्बे या मुहल्ले के भी नही हैं । मैं मोदी जी से आज तक मिला भी नहीं हूं, न उनसे कभी बात की है। बस इतना है कि हम दोनों स्वयंसेवक हैं वे सीनियर हैं, मैं जूनियर रहा हूँ।
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मोदी राज में मैं ठेकेदारी भी नहीं कर रहा हूँ , ,न मुझे अपने भाई भतीजे पुत्र के लिए सरकारी नौकरी की सिफारिश की आवश्यकता है । उनके राज में मुझे यश भारती , पद्मश्री या भारत रत्न भी नहीं मिलेगा इतना तो तय है ।
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मैं ये भी जानता हूँ की मेरी किसी मुसीबत में मोदीजी या अमित शाहजी मुझे कतई बचाने नही आएंगे। तब मुझे खुद अपनी समस्याओं से जूझना पड़ेगा उनसे संघर्ष करना करना पड़ेगा।यह मैं अच्छी तरह से जानता व समझता हूँ ।
और न वो मुझे अपने प्रचार के लिए महीने पर तनख्वाह देते हैं
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चंबल वाले डाकू छविराम से मथुरा वाले रामबृक्ष यादव तक की समाजवादी यात्रा और नेता जी की टूटी उंगली :
बात शुरू होती है साल 1980-82 से। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. वी. पी. सिंह ने दस्यु उन्मूलन का अभियान शुरू किया और खास कर चंबल के
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बीहड़ों के डाकूओं के इनकाउंटर शुरू हुए। इसी क्रम में मार्च 1982 में कुख्यात डाकू छविराम को उसके 13 गैंग सदस्यों के साथ इनकाउंटर में मार दिया गया। छविराम का गिरोह बड़ा था और इनकाउंटर के बाद भी उस गिरोह के कई सदस्य और सफेदपोश मददगार बचे रह गए थे।
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उसी लिस्ट में समाजवादी पुरुष श्री शिवपाल सिंह यादव जी भी शामिल थे।
अब चूंकि वी पी सिंह दस्यु उन्मूलन अभियान को लेकर बेहद सख्त थे और यहां तक कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री,
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