मुझे नहीं पता आपमें से कितनों को मुजफ्फरनगर वाला जाट नरसंहार याद है या नहीं,
किंतु मुझे भली प्रकार याद है

तब देश में @INCIndia की सरकार थी चौधरी अजीत सिंह कांग्रेस के सहयोगी थे और सरकार में सम्मिलित भी थे

तब शांतिदूतों द्वारा एक जाट लड़की से छेड़खानी का विरोध करने पर

१/१०
लडकी के दोनो भाइयो को शांतिदूतों की भीड द्वारा दौडाकर चक्की के पाटो से कुचलकर मारा गया था

दोनो लडको की स्थिति ऐसी थी कि चेहरा तक पहचानना संभव नही था

तब प्रदेश मे @samajwadiparty सरकार थी आजम खान की तूती बोला करती थी
@yadavakhilesh सपने भी आजमखान के तलवों मे दबे रहते थे
२/१०
मीडिया तब पूरी तरह से @INCIndia के इशारों पर काम करता था, ये न्यूज़ उनके एजेंडे को सूट नहीं करती थी अतः कवरेज भी नहीं मिली,

तब जाटों द्वारा एक महापंचायत का आवाह्न किया गया और उस आह्वान पर महापंचायत में सम्मिलित होने के बाद

३/१०
वहां से लौटते समय शांतिदूतों की भीड़ द्वारा घात लगाकर जाटों पर आक्रमण कर दिया गया!

और उनका नरसंहार हुआ, शव नहर में फेंक दिए गए, कहते हैं कि अभी तक 18 लोग का कोई आता पता नहीं चला है,

और तब जब सभी हिन्दुओं ने इसका विरोध किया गया तब समाजवादी सरकार ने पुलिसिया कार्यवाही और
४/१०
झूठे मुकदमों द्वारा दमन पीड़ित जाट समुदाय का ही किया,

उस घटना का नेटेरिव कुछ ऐसा बनाया गया जैसे पीड़ित जाट ही आक्रमणकारी रहे हो और हत्यारा समुदाय ही पीड़ित हो,

उस घटना के बाद #सोनिया_गांधी #मौनमोहन_सिंह @shivpalsinghyad @Mayawati सब मुजफ्फरनगर पहुंचे थे,

५/१०
किंतु आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वह सब जाटों से मिलने नहीं केवल शांतिदूत समुदाय से मिलने गए थे, और उन्हीं को राहत पैकेज व सहानुभूति देकर वापस लौट गए, मतलब अत्याचारी को इनाम दे कर हौसला अफजाई की गई!

६/१०
जाटों ने सोचा कि उनके नेता चौधरी अजीत सिंह तो कांग्रेस के साथ सत्ता में है और अजीत सिंह के सुपुत्र जयंत चौधरी तब सांसद हुआ करते थे,

तब जाटों ने चौधरी अजीत सिंह @jayantrld @RakeshTikaitBKU @NareshTikait परिवार सब का आह्वान किया,

७/१०
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इनमें से कोई भी उस समय जाटों के संग खड़ा होने नहीं आया दंगे चलते रहे पीड़ित जाट अपने नेता चौधरी अजीत सिंह को फोन मिलाते रहे
परंतु उन्होंने तो मुजफ्फरनगर का दौरा करना तक उचित नहीं समझा,

८/१०
और तब केवल एक पार्टी और उसके स्थानीय नेता थे जो जाटों के संग उनका समर्थन कर रहे थे व उनकी आवाज मीडिया में उठाई, और जमीन पर उतरे!

उनके नाम थे @drsanjeevbalyan, @SangeetSomMLA, @SureshRanaBJP ....

हालांकि इसकी कीमत इन लोगों ने अपने ऊपर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट झेलकर चुकाई!

९/१०
परंतु यह नहीं भूलना चाहिए कि वह @BJP4UP और उसके नेता ही थे जो उस समय जाटों के साथ खड़े हुए थे,

ना कि चौधरी अजीत सिंह या @jayantrld या @RakeshTikaitBKU परिवार!!!🙏

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Jan 18
दुर्गा शक्ति नागपाल....

याद तो होगी ही??
ज्यादा पुरानी नही सन् 2013 की बात है।

ये कोई I.A.S. अफसर थी गौतम बुद्ध नगर जिले में उस समय के समाजवादी खनन माफियाओ के खिलाफ अभियान छेड़ने की गलती कर बैठी।

लाल टोपे वाली पार्टी के कारिंदो ने आरोप जड़ दिया कि
1/n
इस अफसर ने नोएडा में एक निमार्णाधीन मस्जिद की दीवार गिरा दी। बस फिर क्या था आनन फानन मे टोंटी चोर ने बेचारी को सस्पैंड कर दिया।

यूपी तो छोड़ो, सारे देश में बवाल मचा था।
IAS ऐसोसियेशन, IPS ऐसोसियेशन, किरण बेदी, चीफ सेक्रेटरी, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट,

2/n
और खुद केंद्र के दखल के बावजूद कोई भी टोंटी चोर का बाल टेढ़ा नही कर पाया। खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हस्तक्षेप किया मगर टोंटी चोर ने उस महिला IAS अधिकारी का सस्पेंशन Revoke करने बजाय, उसे चार्जशीट दे दी गई।

इस पूरे प्रकरण मे गौर करने वाली बात ये थी
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Read 15 tweets
Jan 17
मोदीजी मेरी जाति बिरादरी के नहीं हैं , मोदी मेरे गृहक्षेत्र , जिले , कस्बे या मुहल्ले के भी नही हैं । मैं मोदी जी से आज तक मिला भी नहीं हूं, न उनसे कभी बात की है। बस इतना है कि हम दोनों स्वयंसेवक हैं वे सीनियर हैं, मैं जूनियर रहा हूँ।

1/n Image
मोदी राज में मैं ठेकेदारी भी नहीं कर रहा हूँ , ,न मुझे अपने भाई भतीजे पुत्र के लिए सरकारी नौकरी की सिफारिश की आवश्यकता है । उनके राज में मुझे यश भारती , पद्मश्री या भारत रत्न भी नहीं मिलेगा इतना तो तय है ।

2/n
मैं ये भी जानता हूँ की मेरी किसी मुसीबत में मोदीजी या अमित शाहजी मुझे कतई बचाने नही आएंगे। तब मुझे खुद अपनी समस्याओं से जूझना पड़ेगा उनसे संघर्ष करना करना पड़ेगा।यह मैं अच्छी तरह से जानता व समझता हूँ ।

और न वो मुझे अपने प्रचार के लिए महीने पर तनख्वाह देते हैं

3/n
Read 11 tweets
Jan 17
चंबल वाले डाकू छविराम से मथुरा वाले रामबृक्ष यादव तक की समाजवादी यात्रा और नेता जी की टूटी उंगली :

बात शुरू होती है साल 1980-82 से। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. वी. पी. सिंह ने दस्यु उन्मूलन का अभियान शुरू किया और खास कर चंबल के

1/n
बीहड़ों के डाकूओं के इनकाउंटर शुरू हुए। इसी क्रम में मार्च 1982 में कुख्यात डाकू छविराम को उसके 13 गैंग सदस्यों के साथ इनकाउंटर में मार दिया गया। छविराम का गिरोह बड़ा था और इनकाउंटर के बाद भी उस गिरोह के कई सदस्य और सफेदपोश मददगार बचे रह गए थे।

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उसी लिस्ट में समाजवादी पुरुष श्री शिवपाल सिंह यादव जी भी शामिल थे।

अब चूंकि वी पी सिंह दस्यु उन्मूलन अभियान को लेकर बेहद सख्त थे और यहां तक कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री,

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