समूचे मजदूर और मेहनतकश जनता के बीच धर्म, भाषा, क्षेत्र जातीय बटवारा कर सरमायेदार एवं उनकी पार्टियाँ तरह-तरह के खेल खेलते है। अपने देश मे निश्चित ही बड़ी संख्या में आर्थिक, सामाजिक तौर पर पिछड़े लोग है । मगर इस समूचे शोषण से उनकी मुक्ति तभी
√ उनमे से शायद अधिसंख्यक मजदूर - किसान - मेहनतकश है।
√ बँटवारे से उन्हें नुकसान एवम शोषकों की भलाई है।
√ इन समूचे शोषण से उनकी मुक्ति तभी होगी जब अपने देश मे मजदूर - किसान - मेहनतकश का राज होगा।
यही है हमारी 70 सालो की पुरवर्ती सरकार की शिक्षा प्रणाली?"
यह पूर्ववर्ती सरकारों की गलती नहीं है। यह संघ की विरासत का संकट है। हमारे पास इनकी विरासत होने के कारण इन क्रांतिकारियों के माता पिता के नाम मालूम हैं। संघियों के ज्ञान के लिए नाम लिख रहा हूँ।
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