हिंदू सनातन विज्ञान के अनुसार इंसान के माथे पर, दो भौहों के बीच, एक ऐसा स्थान है जो प्राचीन काल से मानव शरीर में एक प्रमुख तंत्रिका बिंदु माना जाता है।
माना जाता है कि तिलक मानव शरीर में "ऊर्जा" के ह्रास को रोकता है। +
ऐसा कहा जाता है कि मस्तक पर भौहों के बीच वाले स्थान पर लाल ‘कुमकुम’ मानव शरीर में ऊर्जा को बनाए रखता है, मानव मस्तिष्क में एकाग्रता के विभिन्न स्तरों को नियंत्रित करता है और व्यक्ति की समझ को भी बढ़ाता है।
कुमकुम लगाते समय मध्य भौंह क्षेत्र पर ‘आज्ञा-चक्र’ स्वतः दब जाते हैं। +
तिलक लगाने से चेहरे की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति भी सुगमता से होती है।
यह केवल सौंदर्य नहीं है। पूजा से पहले कुमकुम का तिलक लगाने से देवों/मंत्रों/जप आदि पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
हम घर पर हल्दी, चूना/सोडा और पानी से कुमकुम दिए गए चित्र के अनुसार बना सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कल्प पुरुष की कुंडली में मेष राशि का भाव माथे पर होता है। मेष राशि का स्वामी मंगल है और इसका रंग लाल है।
लाल चंदन, कुमकुम और सिंदूर को माथे पर तिलक स्वरूप लगाने के पीछे यह भी एक कारण है।
किंतु कुछ दशकों से ‘स्टिकर बिंदी’ ने कुमकुम का स्थान ले लिया है। +
जबकि वह मात्र प्लास्टिक व कागज के गोल टुकड़ों से ज्यादा कुछ भी नहीं हैं, जिनके पीछे चिपकने वाला पदार्थ लगा होता है। ऐसी बिंदी का कोई उपयोग नहीं है। वे बस मानव मस्तक पर ‘आज्ञा चक्र’ को अवरुद्ध करते हैं और त्वचा के लिए भी हानिकारक होते हैं।
An open letter, questioning @RahulGandhi, is going viral on social media. The letter asks Rahul Gandhi himself to decide whether he can be compared with PM Modi Ji or not.
Dear Mr. Rahul Gandhi!
Millions of people follow Narendra Modi as their leader.
They accept him as their role model.
How many people in our Country consider you, Rahul Gandhi, as their role model?
The Country which doesn’t want to be recognised as dynastic followers, elected Narendra Modi, but you represent the same dynasty which was rejected by the people.
Apart from having a Gandhi tag, what is your achievement in any sphere of life? In fact, the masses have been deceived for too long. Let us know what exactly you achieved?
Every year Narendra Modi, on his birthday, meets his mother and she gifts him with a copy of the…
श्रीभगवान् बोले – अर्जुन! तुझे इस असमय में यह मोह किस हेतु से प्राप्त हुआ? क्योंकि न तो यह श्रेष्ठ पुरुषों द्वारा आचरित है, न स्वर्ग को देने वाला है और न कीर्ति को करने वाला ही है। ॥२॥
#श्रीमद्भगवद्गीता
क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते ।
क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप । ३ ।
» इसलिये हे अर्जुन! नपुंसकता को मत प्राप्त हो, तुझ में यह उचित नहीं जान पड़ती। हे परन्तप! हृदय की तुच्छ दुर्बलता को त्यागकर युद्ध के लिये खड़ा हो जा। ॥ ४ ॥
संजय बोले — उस समय राजा दुर्योधन ने व्यूहरचनायुक्त पाण्डवों की सेना को देखकर और द्रोणाचार्य के पास जाकर यह वचन कहा, “हे आचार्य! आपके बुद्धिमान् शिष्य द्रुपदपुत्र धृष्टद्युम्न द्वारा व्यूहाकार खड़ी की हुई पाण्डु पुत्रों की इस बड़ी भारी सेना को देखिये।” ॥२-३॥