उनको सिर्फ मुस्लिम ल़डकियां चाहिए चाहें वो कैसी भी हो
लेकिन हमारे मुआशरे के लोगों को मुस्लिम लड़कियां चाहिए पढ़ी लिखी लड़के से बहुत ज्यादा पढ़ी लिखी भी न हो जॉब न करती हो खूबसूरत हो गोरी हो काम हाइट भी नही चलेगी लड़के के बराबर भी हाइट न हो खानदान भी आला हो और मालदार भी हो 1/4
जो दहेज भी बेहतर दे सके बिरादरी सेम होनी चाहिए____"
वही मुआशरे की लड़कियों को भी चाहिए साढ़े चार फुट के लड़का लड़के की हाइट ठीक ठाक ही होनी चाहिए स्मार्ट भी होना चाहिए खुद चाहें गुरबत में हो लेकिन लड़का मालदार चाहिए फैमिली छोटी होनी चाहिए सांस नंद का झमेला न हो लड़का वेल सेटल
हो बिरादरी का मसला यहां भी इंपॉर्टेंट है
खुद चाहें कुछ न खर्च करें लेकिन लड़के से ये उम्मीद की पांच लाख के जेवर लेकर आए दो सौ बाराती ताकि अपनी सहेलियों रिश्तेदारों को दिखा सकें___"
ये हलाल रिश्तों के लिए शर्तों की लंबी फेहरिस्त है जबकि हराम रिश्ते के लिए कोई शर्त नहीं उसके लिए
न बिरादरी देखेंगे न मजहब काफिर भी चलेगा चलेगी
भला ऐसे में मसले हल होंगे जब तक हम इस्लाम पर अमल नहीं करेंगे तब तक कोई मसले हल नहीं हो सकती है, हमने सिर्फ इस्लाम कुबूल किया है इस्लाम को जिंदगी में नहीं लाए यही हमारी परेशानी है_____"
"सलाम है कर्नाटक के उड़पी की इन बहनों को" लगातार स्कूल स्टाफ द्वारा हिजाब लगाने की वजह से क्लॉस ना अटेंट करने से रोकने पर भी यह लोग रोज हिजाब में आती हैं और गैलरी में बैठ कर पढ़ टाइम पूरा करके चली जाती हैं___"
1930 में फ्रांस ने अल जज़ायर Algeria) पर अपने कब्जे का 100 साला जश्न मनाया और सारी दुनिया के सामने कहा कि यह जश्न अल जज़ायर में इस्लाम का "जनाज़ा' है
अल जज़ायर के लोग अब फ्रांसीसी मुआशरे (समाज)में ढल जाने के काबिल हो गए उसकी दलील के तौर पर फ्रांसीसी अधिकारियों ने एक
रैली का आयोजन किए जिसमें अल जज़ायर की लड़कियां मॉर्डन कपड़ों में रैली में एक साथ निकलेंगी, और इसका सारा खर्चा फ्रांस का होगा इस काम के लिए फ्रांस के एक मजहबी पेशवा "लाकोस्टा" को जिम्मेदारी दी गई कि वह उन चंद लड़कियों की तालीम तरबीयत (ट्रेनिंग) करे____"
अभी तक जितनी भी लड़कियों से बात की हूं किसी लड़की ने मुझसे ये नही कही कि भगवा लव ट्रेप के बारे में उसके भाई बाप ने बताया हो शौहर ने बताया है___"
बल्कि हर लड़की यही बात कहती है कि दोस्त ने बताया सोशल मीडिया से समझ आई इसका मतलब ये की जो लड़कियां लंबी पोस्ट नही पढ़ती 1/4
या सोशल मीडिया इस्तेमाल नहीं करती वो अब भी अनजान होंगी क्योंकि घर के मर्द को तो शर्माने से फुर्सत नहीं___"
ये हाल है हमारे मर्दों का
और लड़कों से पूछी तो लड़के कहते हैं कि वो अपने घर में ये सब बात करने में शर्म करते हैं या हमारे घर का मामला ठीक है हमारे घर की औरते अलग हैं___"
मेरे भाई जिन घरों के मामले आ रहे हैं उन घरों के मर्द भी ऐसे ही गलतफ़हमी में थे की उनका घर ठीक है उनके घर में कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती हैं___"
फितनो को औरत के मुकाबले मर्द ज्यादा जल्दी समझते है और औरत फितनो की शिकार जल्दी होती है इस लिए मर्द की जिम्मेदारी है कि वो औरतों को
हमने अपनी पिछले पोस्ट पार्ट___:-3 में जिक्र की थी किस तरह से यहूदी अपने बच्चों 4000 साल पुरानी तालीम दें रही है, और एक हम हैं जो 1400 साल की तालीम को भूल बैठे है___"
जिस वक़्त हम लोग चैन से सोते है, उस वक़्त वो लोग हमे हमेशा के लिए सुलाने की मंसूबा बना रहे होते है, वो अपनी औलादों के दिलों मे भर रहे है तलमूद की वो #लाइंस, जो आज के फितनों की जड़ है, वो कुछ इस तरह से है____"
"___We are choosen People of God and Other are Gentiles___"
इसकी मतलब एकदम साफ है, य़ाहुदीओं के हिसाब से वो खुदा के चुनिन्दा लोग है और बाकी सब यानि गैर य़ाहुदी जो भी है वो कीड़े मकौड़े हैं, वैसे ये इतनी सी बात नहीं है, बात इससे भी आगे तक की है, इन लाइन के आगे लिखी है,"___ये हमारे लिए बनी है, हम इनको जैसे चाहें वैसे इस्तिमाल
मेरी अकाउंट 4 दिन से लॉक थी एक भी ट्वीट नहीं हो रही थी, लेकिन कल ही मेरी लॉक हटी तो काफी इस ट्वीट पर Mention की गई ताकि मैं कुछ लिखूं लेकिन में क्या लिखूं सारी बात इस अकाउंट से रखी जा चुकी है___"
खैर मैं अपनी कुछ बाते रखने की कोशिश करती हूं आप सभी ग़ौर करें____" 1/13
भगवा लव ट्रैप, यानी मुश्-रिकीन के ज़रिए मुसलमान लड़कियों को प्यार के जाल में फंसाकर उनसे शादी करना, और बाद में यूज करके उन्हें छोड़ देना, और उनकी ज़िंदगी बर्बाद कर देना,
इसलिए हमारे मुआशरे के मुस्लिम भाई को चाहिए कि अपनी लड़कियों की हिफ़ाज़त करे,
वर्ना कहीं देर न हो जाए, अगर आपके घर की लड़कियां किसी ग़ैर मुस्लिम के साथ भागती हैं, या उससे कोर्ट मैरिज करती हैं, तो इसकी ज़िम्मेदार चार लोग हैं____"
हमने अपनी पिछली पोस्ट पार्ट____:- 2 में ज़िक्र की थी कि किस तरह से य़ाहुदी यानि दुश्मन अपनी औलादों को जंग की तालीम दे रहे हैं, वैसे आपको एक बात और बतानी चाहती हूँ, मुझे मालूम है लोग इसको जानते ही होंगे,
लेकिन फिर भी बतानी ज़रूरी है कि 1949 से पहले य़ाहुदिओं पर अपनी निजी कोई मुल्क नहीं थी, साथ ही साथ इन्होंने तक़रीबन 3000 साल से ज़्यादा अल्लाह का अज़ाब सहा है,इन पर अल्लाह ने बड़े बड़े शदीद अज़ाब नाज़िल किये हैं, जो इन पर वक़्त के हिसाब से आते रहे है____"
•इनकी तारीख भी सबसे पुरानी है तकरीबन 4000 साल से भी ज़्यादा, अब इतनी पुरानी तारीख को ये आजतक साथ लेकर चल रहे है, और अपने मकसद को पूरा करने के लिए ये तारीख नस्ल दर नस्ल देते आ रहे हैं, यानि अपनी इतनी पुरानी तारीख को आज तक संभाले हुए है, आप ज़रा अन्दाज़ा लगाए की
हमने पहले ही पार्ट___:-1 में ज़िक्र कि थी की मुसलमानों पर कितने बुरे वक़्त आ गई है और ये वक़्त हम पर क्यूँ आई है, तो आज हम अपनी पोस्ट मे इस पर तफ़सील से रोशनी डालने की कोशिश करूंगी___1/13
____:- सबसे पहले हम आपको बता देनी चाहती हूँ, जो कौम अपनी तारीख को याद नहीं रखती है, और उसको आगे तक यानी अपनी नस्लों को नहीं बताती है, तो याद रखें ऐसी कौम का मुस्तकबिल भी कोई खास नहीं होती है, जैसा की आज मुसलमानो का जो हाल हो रही है, क्यूंकि आज मुसलमान
अपनी तारीख को भूल चुके है, इन्हें ये भी याद नहीं है, की हम सदियों से सुल्तान रहे है इस दुनिया के____"
हमारे अदल ओ इंसाफ की लोग कसमें खाते नहीं थकते है, हमारे जानी दुश्मन भी हमारी तारीफ में कसीदे लिखते थे, हमारे हुक्मेरानों की तारीफ किये बिना रह नहीं पाते