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दूकानदार ने डिब्बे से जूता निकाला ,बढ़िया सा कपड़ा मारा और मुझे दिखाते हुए बोला -लो भाई साहब,यह जूता आपको सिर्फ सात सौ में पड़ेगा।
मैंने अपने पांवों में पहना जूता निकाला और लहराते हुए कहा--यह तुम्हे सिर्फ पचास में पड़ेगा।
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दूकानदार बोला -- हम पुराने जूते नहीं खरीदते।
मैंने कहा --बेच कौन रहा है।मैं तो सिर्फ पचास रु में तुम्हे यह जूता मारूंगा।और सुनो,पचास रु भी मैंही दूंगा।
दूकानदार गुस्से से लाल हो गया और चिल्लाया --तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे जूता मारनेकी।
मैंने भी चिल्लाते हुए कहा--पैंट से बाहर ना निकल।मैं जूता मारकर पैसे तो दे रहा हूं।2
तुम तो जूता भी मार रहेथे और पैसे भी मुझसे ही ले रहेथे।
दूकानदार औरभी कन्फ्यूज़ हो गया।हाथ जोड़ कर बोला--भाई साहब मैंनेतो जूता मारनेकी बात कहीही नहीं
मैंने पूछा--तुमने जूता दिखा कर क्या बोलाथा?सात सौ में पड़ेगा।जूते पड़ने का मतलब समझते हो?
अब उसकी जानमें जान आई।शरमातेहुए बोला
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--सॉरी भाई साहब,हम तो सभी को ऐसे ही बोलते हैं।आपकी तरह आज तक तो कोई नाराज़ नहीं हुआ। आप हिन्दी के मास्टर हैं न ?
मैंने खुश हो कर कहा --शाबास ! सही पहचाना। कैसे पता चला?
दूकानदार कुछ बोलता इससे पहले ही मेरी पत्नी बोल पड़ी --तुम जिस तरह बाल की खाल निकालते हो, हर कोई पहचान लेगा।
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भूल गए कल ही तो ब्यूटी-पार्लर पर पिटते - पिटते बचे हो।
यह सुनकर दूकानदार को मजा आने लगा। बोला -- क्या हुआ था बहनजी ? बताओ न , भगवान की कसम , सौ रु छोड़ दूंगा।
पत्नी को लालच आ गया , बोली -- भैया ,उसके पार्लर के बाहर बोर्ड लगा था उसमें हिन्दी की तीन गलतियां थी। उससे भिड़ गए कि
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हिंदुस्तान में रह कर गलत हिन्दी बोलने-लिखने वाले देश के दुश्मन हैं। उसने इनका कॉलर पकड़ लिया था। वो तो भैया , मैंने छुड़वाया, नहीं तो इनके गाल पर एक पार्टी का चुनाव-चिह्न छाप देती।
दूकानदार अपना मोटा पेट हिला हिला कर बहुत देर हंसा और फिर कहने लगा--बहन जी , सौ रु और कम कर दूंगा
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अगर इसी तरह की मजेदार बात और सुनाओ तो।
पत्नी को फिर लालच आ गया , बोली -- परसों मैंने पड़ौसी दूकानदार से पूछा -- भैया, अण्डे कैसे दिए। इस नालायक आदमी ने मुझे थप्पड़ जड़ दिया और बोला - अण्डों का भाव पूछो , तरीका मत पूछो। वैसे भी ये अण्डे मुर्गी ने दिए हैं , इस दूकानदार ने नहीं।
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अबकी बार दूकानदार हो हो करके इतना हंसा कि उसकी आँखों में आंसू आ गए।बोला--बस बहनजी,और मत सुनाना।इनके किस्से तो इतने होंगे कि सौ सौ रु कम होते जाएंगे और मुझे यह जूते फ्री देने पड़ेंगे।
मैंने कहा--फ्री तो अब भी देने पड़ेंगे।
दूकानदारके माथे पर बल पड़ गए।बोला--फ्री किस ख़ुशी में?
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मैंने मुस्कुरा कर कहा--तुम दोनों ने एक दूसरे को इतनी बार भैया - बहनजी बोला है। बोला है न?"
दूकानदार बोला -तो?
मैंने कहा -अब अपने जीजा जी से पैसेभी लोगे?
दोस्तो,उसके बाद क्या हुआ मुझे अब याद नहीं। मैं अस्पतालके बेड से यह पोस्ट लिख रहा हूं , बाएं हाथ से।दायां तो टूट गया ,सर पर
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गूमड़ बना हुआहै और एक आँखभी सूजी हुई है।पत्नी हरेक मिलने आने वाले से यही बताती है -जूते लेने गए थे,खा कर आ गए।
मैं उसे समझाना चाहता हूं कि खाई तो रोटी जाती है,जूते नहीं।लेकिन चुप हूं तो इस डर से कि पास में इंजेक्शन लिए डॉक्टर खड़ा है।मैंने पिछले हफ्ते इसी डॉक्टर को बतायाथा कि
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सही शब्द डेंगू नहीं बल्कि डेंगी होता है। यह डेंगू पर अड़ा हुआ था ,मैं डेंगी पर। कोई फैसला नहीं हो पाया तो इसने मुझे उल्टा लिटा कर इतने जोर का इंजेक्शन लगाया था कि मैं तुरन्त मान गया था --डेंगू ही होता है।
अब तक आप समझ ही गए होंगे ,इस देश में मास्टर होना कितना टेढ़ा काम है।
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एक तो ये की जो गोबरपट्ठे नहीं है उन राज्यों का आइसोलेशन हो रहा है,
गोबरपट्ठी के गोबरपट्ठे पंजाब वालो को खालिस्तानी बोल रहे हैं खुलेआम और तमिल नाडु से पेरियार को ख़त्म करने की धमकी दे रहे हैं,
ये डेंजरस ट्रेंड है,
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जिसको के रोकना पड़ेगा अगर देश को जोड़े रखना है तो। ये बेहतरीन पॉइंट था।
दूसरा जो चीन के प्रति आगाह किया के चीन नज़दीकी भविष्य में ही भारत के खिलाफ कुछ प्लान कर रहा है ये बात बहुत डरावनी लगी।
राहुल इतनी भारी बात ऐसे ही नहीं बोल सकता।
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उसे कुछ पता है जो सबको पता होना चाहिए। उसपर तो भाजपाई भी सन्न रह गए थे, पिन ड्राप साइलेंस टाइप माहौल था। 3/3 @BramhRakshas
कल ऐसा लगा कि मानो इंदिरा जी के पोते के कद के आगे प्रधानमंत्री का पद छोटा पड़ गया... कल मुझे राहुल गांधी में पता नहीं क्या दिखा कि आंखें भावुक हो गई...ये वही लड़का है न जिसने अपनी दादी को छलनी देखा... पिता के मांस के टुकड़े टुकड़े समेट कर उनका अंतिम संस्कार किया...
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फिर भी इतना निर्भय, इतना सशक्त, इतना ओजस्वी... कैसे....
अब समझ में आया कि संघ का थिंक टेंक...स्वघोषित विश्व की सबसे बड़ी मिस्डकॉल पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ता... नेता...मंत्री...पूरी की पूरी आईटी सेल...लाखों वाट्सएप ग्रुप... फेसबुक पेज..आदि सब पिछले 8-9सालों से सिर्फ
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एक ही व्यक्ति का क्यों चरित्रहरण करने में लगे रहे... क्योकि उन्हें मालूम था कि इस व्यक्ति में नेहरू, इंद्रिरा,राजीव के देश के प्रति जिम्मेदारी और गंभीरता है..ये अपने परनाना और दादी से भी ज्यादा सशक्त प्रधानमंत्री साबित होगा..
देखिए जिनकी नजर में परसों तक राहुल गांधी पप्पू थे,
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आइए जोकर को नचाने की कीमत जान लेते हैं।6ट्रिलियन की इकोनॉमी का ढोल पीटने वाले की हकीकत ये है। 39.45करोड़ के प्रस्तावित बजट आय में16.61लाख करोड़ रुपए कर्ज से आएंगे।
नचनिए के बाकी तमाशे आप गिनते रहना। अभी तो ये समझ लो, कुल बजट आय का बीस फीसदी हिस्सा मौजूदा कर्जों का ब्याज चुकाने
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में चला जायेगा। ब्याज अगर आठ लाख करोड़ देना है, तो सोचो देनदारी कितनी होगी? हम एक क्रूर जोकर की धमाचौकड़ी के सिवाय कुछ देख क्यों नही पाते?
विपक्ष की तो मेंटल डेथ हो चुकी है। मोटे तौर पर सरकार पर कर्ज का आकलन करें, तो पैरों तले से जमीन खिसक जाएगी। एक नचनिये का शौक भारत को
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कितना मंहगा पड़ने वाला है, यह सोचकर होश फाख्ता हो जाते हैं।
पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने 12 लाख करोड़ का कर्ज़ लिया था। इस वर्ष इसे 16.61 लाख करोड़ और बढ़ा दिया जायेगा। अब हम सूदखोरों और मददगारों के 1 लाख 23 हज़ार करोड़ के देनदार हो गए हैं। बजट में हमारी घरेलू हिस्सेदारी
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भोपाल के बाहरी इलाके बैरसिया में स्थित विश्व हिंदू परिषद की एक गौशाला में 4609 गायों की हत्या 5 साल में कर दी गईं।
ये हत्याएं शिवराज सरकार के बीते 5 साल में हुई हैं। इसे राज्य समर्थित गौ हत्या माना जाना चाहिए, क्योंकि ये सरकारी और सामाजिक अनुदान पर चल रही थीं।
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लेकिन चूंकि ये गौशाला विश्व हिंदू परिषद की है, इसलिए पालतू मीडिया चुप है।
विवेक पांडेय की RTI बताती है कि भोपाल की 28 गौशालाओं को सरकार से2015-2020 तक 5.42करोड़ का अनुदान मिला।
इसमें से 32% अनुदान बैरसिया की गौ शाला को मिला, यानी 1.78 करोड़।
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जिस गौशाला में हज़ारों गायों की
हत्या की गईं, उसे विहिप ट्रस्ट की ओर से अशोक जैन चलाता है। जैन विश्व हिंदू परिषद से जुड़े ट्रस्ट का अध्यक्ष है। अब आप इस नृशंस हत्याकांड का राज़ समझ सकते हैं।
जैन की पत्नी आशा 4 बार बीजेपी पार्षद रह चुकी हैं। अब वे शिवराज सरकार पर ही लापरवाही का आरोप लगा रही हैं।
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अब जबकि न्यूयॉर्क टाइम्स ने यह साफ कर दिया है कि भारत ने ही इजरायल से 2017 में 2 बिलियन डॉलर के सौदे में पेगासस स्पाईवेयर भी खरीदा था, भक्तों को इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
जासूसी भारत में एक सनातन परंपरा रही है। यह घर से शुरू होकर सड़क से दफ़्तर तक हर जगह व्याप्त है।
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खासकर, बहन-बेटियों की।
इसीलिए पेगासस पर हम कुछ मित्रों की सीरीज को ज़्यादातर ने हवा में उड़ा दिया था।
मेरा-आपका निजी कुछ भी नहीं। लेकिन अगर नरेंद्र मोदी सरकार अपने ही मंत्रियों, बाबुओं और विपक्षी नेताओं, पत्रकारों की जासूसी करवाये तो इसका मतलब है कि सरकार डरपोक है।
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डरता वही है, जो गलत होता है। असुरक्षित होता है। मोदी कह सकते हैं कि वे बचपन से ही असुरक्षित, शक्की थे और यह सिलसिला नागपुर में उनकी ट्रेनिंग से लेकर गुजरात की सत्ता प्राप्ति के बाद भी जारी रहा।
ये डोवाल, NSA, राष्ट्रीय सुरक्षा-ये सब बहाने हैं। अपनी बेशर्मी को छिपाने के।
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भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय की ओर से 26 जनवरी के इस निमंत्रण पत्र में नीचे छोटे अक्षरों में एक वाक्य लिखा है, आंवला का पौधा उगाने के लिए इस कार्ड को बोएं। Sow this card to grow an Amla Plant.
क्या..? ये कार्ड लगाएंगे तो आंवला का पेड़ उगेगा..??? हाँ यह सही है ...! भारत ने ऐसे
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अद्भुत काम किए हैं जिनकी कल्पना करना मुश्किल है,न कि केवल सामूहिक स्तर पर। (वाकई मोदी है तो मुमकिन हैं)
गणतंत्र दिवस परेडका निमंत्रण कार्ड सीड पेपर से बना होताहै।इस पेपर को प्लांटेबल भी कहा जाता है।यह वानस्पतिक और तकनीकी भाषा में बायोडिग्रेडेबल इको पेपर है।एक कागज जिसके तत्व
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प्राकृतिक रूप से पृथ्वी के तत्वों में समा जाते हैं।वहाँ कुछ नहीं बचा है। पर्यावरण के संरक्षण के लिए इससे बेहतर और अनुकरणीय क्या हो सकता है!
गणतंत्र दिवस परेड के लिए यह निमंत्रण कार्ड नम मिट्टी की एक पतली परत में दफन है, ध्यान से थोड़े से पानी और धूप के बीच पानी पिलाया जाता है।
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