प्यार का कोई धर्म नही होता इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नही होता वो अपना धर्म मानेगा मैं अपना धर्म कुछ ऐसा ही दावा हर वो लड़की करती है जो इस तरह की शादियां करती पर लास्ट में 95% ऐसी शादियों का रिजल्ट बेहद खतरनाक होता है___"
गुजरात के सुरत शहर मे मुस्लिम लडक़ी को हिन्दु पति ने_ 1/8
भरी बाजार मे चाकु से गोद के कत्ल कर दिया सात साल पहले घर से भाग के शादी कि थी चार साल कि बच्ची है मरने वाली लडक़ी का नाम #मिनाझ_सैयद और पति का नाम #संदीप_अहीर था____"
ऐसी हज़ारों मामलात देख सुन चुकी हूं कुछ दिनों पहले ही एक वीडियो देख रही थी जिसमें मुस्लिम लड़की ने एक ऐसे ही
एक हिन्दू लड़के से शादी की लड़की ने लड़के के लिए जॉब की उसे आईटीआई की पढ़ाई करायी उसकी पूरी खर्च तक उठाती रही लेकिन शादी के 6,7 बाद ही लड़के ने घर से भाग गया साथ ही साथ लड़की की कुछ पैसे और ज़ेवर ले गया_____"
ये सभी देख कर भी बाकी मुस्लिम बहने कुछ इबरत हासिल नहीं करती
ऐसे ही कहती फिरती है प्यार मोहब्बत की कोई धर्म नहीं होती है इंसानियत ही सबसे बड़ी धर्म होती, ऐसी ल़डकियों में क्या कहूँ मैं तो इतना ही कहूँगी, बेशक तुम्हारी नजरो में प्यार की कोई धर्म नहीं होती होगी, लेकिन मेरे नजरों में ये प्यार नहीं एक धन्धा जरूर है संघी लड़को का____"
मुस्लिम ल़डकियों को सिर्फ ये लोग मुर्तद नहीं बनाते हैं उसकी पूरी जिंदगी जहन्नुम बना कर रख देती है, आखिरकार जहन्नुम बनाने के लिए तो उन्हें दो लाख रुपये दी जा रही साथ ही साथ एक फ्लेट भी खाने पीने के साथ____"
लेकिन ये सब खबरें देख कर भी हमारी कौम तंजीम फिक्रमंद नहीं होती तो
बड़ी अफसोस की बात है___"
एक ये भी दर हक़ीक़त की असल मैं हमारी कौम मुआशरा ये कभी नहीं सोचते कि आख़िरकार एक तरफ मुस्लिम ल़डकियों को मुर्तद बनाई जा रही है, तो दूसरी तरफ हमारी मुस्लिम बहनो को हिजाब को लेकर बराबर दुनियावी तालीम से रोकी जा रही है, आखिर क्युं कभी आपने सोचा है,
में हमेशा सोचती हूँ आप भी सोचिए आखिर क्युं
अगर मुआशरा सोचने लगे तो कई मसले को हम आसानी से हल कर सकते है लेकिन हम सोचने के बजाय हम ये कह देते हैं कि ये संघी लोगों की साज़िश है, अरे भाई बिलकुल ये संघीयो की ही साज़िश है लेकिन इसपर यक़ीन क्यूँ नहीं करते हो हर बार की तरह
"सलाम है कर्नाटक के उड़पी की इन बहनों को" लगातार स्कूल स्टाफ द्वारा हिजाब लगाने की वजह से क्लॉस ना अटेंट करने से रोकने पर भी यह लोग रोज हिजाब में आती हैं और गैलरी में बैठ कर पढ़ टाइम पूरा करके चली जाती हैं___"
1930 में फ्रांस ने अल जज़ायर Algeria) पर अपने कब्जे का 100 साला जश्न मनाया और सारी दुनिया के सामने कहा कि यह जश्न अल जज़ायर में इस्लाम का "जनाज़ा' है
अल जज़ायर के लोग अब फ्रांसीसी मुआशरे (समाज)में ढल जाने के काबिल हो गए उसकी दलील के तौर पर फ्रांसीसी अधिकारियों ने एक
रैली का आयोजन किए जिसमें अल जज़ायर की लड़कियां मॉर्डन कपड़ों में रैली में एक साथ निकलेंगी, और इसका सारा खर्चा फ्रांस का होगा इस काम के लिए फ्रांस के एक मजहबी पेशवा "लाकोस्टा" को जिम्मेदारी दी गई कि वह उन चंद लड़कियों की तालीम तरबीयत (ट्रेनिंग) करे____"
उनको सिर्फ मुस्लिम ल़डकियां चाहिए चाहें वो कैसी भी हो
लेकिन हमारे मुआशरे के लोगों को मुस्लिम लड़कियां चाहिए पढ़ी लिखी लड़के से बहुत ज्यादा पढ़ी लिखी भी न हो जॉब न करती हो खूबसूरत हो गोरी हो काम हाइट भी नही चलेगी लड़के के बराबर भी हाइट न हो खानदान भी आला हो और मालदार भी हो 1/4
जो दहेज भी बेहतर दे सके बिरादरी सेम होनी चाहिए____"
वही मुआशरे की लड़कियों को भी चाहिए साढ़े चार फुट के लड़का लड़के की हाइट ठीक ठाक ही होनी चाहिए स्मार्ट भी होना चाहिए खुद चाहें गुरबत में हो लेकिन लड़का मालदार चाहिए फैमिली छोटी होनी चाहिए सांस नंद का झमेला न हो लड़का वेल सेटल
हो बिरादरी का मसला यहां भी इंपॉर्टेंट है
खुद चाहें कुछ न खर्च करें लेकिन लड़के से ये उम्मीद की पांच लाख के जेवर लेकर आए दो सौ बाराती ताकि अपनी सहेलियों रिश्तेदारों को दिखा सकें___"
ये हलाल रिश्तों के लिए शर्तों की लंबी फेहरिस्त है जबकि हराम रिश्ते के लिए कोई शर्त नहीं उसके लिए
अभी तक जितनी भी लड़कियों से बात की हूं किसी लड़की ने मुझसे ये नही कही कि भगवा लव ट्रेप के बारे में उसके भाई बाप ने बताया हो शौहर ने बताया है___"
बल्कि हर लड़की यही बात कहती है कि दोस्त ने बताया सोशल मीडिया से समझ आई इसका मतलब ये की जो लड़कियां लंबी पोस्ट नही पढ़ती 1/4
या सोशल मीडिया इस्तेमाल नहीं करती वो अब भी अनजान होंगी क्योंकि घर के मर्द को तो शर्माने से फुर्सत नहीं___"
ये हाल है हमारे मर्दों का
और लड़कों से पूछी तो लड़के कहते हैं कि वो अपने घर में ये सब बात करने में शर्म करते हैं या हमारे घर का मामला ठीक है हमारे घर की औरते अलग हैं___"
मेरे भाई जिन घरों के मामले आ रहे हैं उन घरों के मर्द भी ऐसे ही गलतफ़हमी में थे की उनका घर ठीक है उनके घर में कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती हैं___"
फितनो को औरत के मुकाबले मर्द ज्यादा जल्दी समझते है और औरत फितनो की शिकार जल्दी होती है इस लिए मर्द की जिम्मेदारी है कि वो औरतों को
हमने अपनी पिछले पोस्ट पार्ट___:-3 में जिक्र की थी किस तरह से यहूदी अपने बच्चों 4000 साल पुरानी तालीम दें रही है, और एक हम हैं जो 1400 साल की तालीम को भूल बैठे है___"
जिस वक़्त हम लोग चैन से सोते है, उस वक़्त वो लोग हमे हमेशा के लिए सुलाने की मंसूबा बना रहे होते है, वो अपनी औलादों के दिलों मे भर रहे है तलमूद की वो #लाइंस, जो आज के फितनों की जड़ है, वो कुछ इस तरह से है____"
"___We are choosen People of God and Other are Gentiles___"
इसकी मतलब एकदम साफ है, य़ाहुदीओं के हिसाब से वो खुदा के चुनिन्दा लोग है और बाकी सब यानि गैर य़ाहुदी जो भी है वो कीड़े मकौड़े हैं, वैसे ये इतनी सी बात नहीं है, बात इससे भी आगे तक की है, इन लाइन के आगे लिखी है,"___ये हमारे लिए बनी है, हम इनको जैसे चाहें वैसे इस्तिमाल
मेरी अकाउंट 4 दिन से लॉक थी एक भी ट्वीट नहीं हो रही थी, लेकिन कल ही मेरी लॉक हटी तो काफी इस ट्वीट पर Mention की गई ताकि मैं कुछ लिखूं लेकिन में क्या लिखूं सारी बात इस अकाउंट से रखी जा चुकी है___"
खैर मैं अपनी कुछ बाते रखने की कोशिश करती हूं आप सभी ग़ौर करें____" 1/13
भगवा लव ट्रैप, यानी मुश्-रिकीन के ज़रिए मुसलमान लड़कियों को प्यार के जाल में फंसाकर उनसे शादी करना, और बाद में यूज करके उन्हें छोड़ देना, और उनकी ज़िंदगी बर्बाद कर देना,
इसलिए हमारे मुआशरे के मुस्लिम भाई को चाहिए कि अपनी लड़कियों की हिफ़ाज़त करे,
वर्ना कहीं देर न हो जाए, अगर आपके घर की लड़कियां किसी ग़ैर मुस्लिम के साथ भागती हैं, या उससे कोर्ट मैरिज करती हैं, तो इसकी ज़िम्मेदार चार लोग हैं____"
हमने अपनी पिछली पोस्ट पार्ट____:- 2 में ज़िक्र की थी कि किस तरह से य़ाहुदी यानि दुश्मन अपनी औलादों को जंग की तालीम दे रहे हैं, वैसे आपको एक बात और बतानी चाहती हूँ, मुझे मालूम है लोग इसको जानते ही होंगे,
लेकिन फिर भी बतानी ज़रूरी है कि 1949 से पहले य़ाहुदिओं पर अपनी निजी कोई मुल्क नहीं थी, साथ ही साथ इन्होंने तक़रीबन 3000 साल से ज़्यादा अल्लाह का अज़ाब सहा है,इन पर अल्लाह ने बड़े बड़े शदीद अज़ाब नाज़िल किये हैं, जो इन पर वक़्त के हिसाब से आते रहे है____"
•इनकी तारीख भी सबसे पुरानी है तकरीबन 4000 साल से भी ज़्यादा, अब इतनी पुरानी तारीख को ये आजतक साथ लेकर चल रहे है, और अपने मकसद को पूरा करने के लिए ये तारीख नस्ल दर नस्ल देते आ रहे हैं, यानि अपनी इतनी पुरानी तारीख को आज तक संभाले हुए है, आप ज़रा अन्दाज़ा लगाए की