मैं #गिरिजा_रैना !
#निर्भया से भी बीसियों साल पीछे,
मेरा भी हुआ था सामूहिक बलात्कार,
जीवित ही गुप्तांग के भगोष्ठों से होकर,
आरा मशीन से काटा था सर तक आरपार
मै गिरिजा रैना!
मैने भी देखे थे सपने सुन्दर जीवन के,
इक खुशहाल जिन्दगी-पति-औ-बच्चो के,
पढ़ाती थी गांव के छोटे स्कूली बच्चे
भाईचारा के पाठ से नये पौधे थे सींचे।
मैं #गिरिजा_रैना!
धीरे धीरे बदलने लगी घाटी की दास्तान,
लाउडस्पीकर से होने लगे पान्चो वक्त ये ऐलान,
भागो ऐ काफिरों कि कश्मीर है हमारा,
आजादी काफिरो से मकसद है हमारा।।
मै #गिरिजा_रैना!
बड़ा भरोसा था मुझको अपने पडोस के लोगो पर,
बचपन जिनके संग संग खेली थी,
मेला-हाट-दशहरा था देखा,
कितने चच्चाओ के कंधो पर।।
मैं #गिरिजा_रैना!
खींच लिया इक रात वहशियों ने घर से,
पूरी रात नोचते रहे जिसम बारी-बारी से,
कह नही सकती कितने अजनबी थे कितने अपने थे,
भूखे-भेड़िऐ थे या अरसे से जुगत में थे।।
मैं #गिरिजा_रैना!
कितना रोई-कितना-चीखी-याद-कहां,
उन शैतानों पे फरियादों का असर कहां,
जितने जानने वाले थे ऊनको दुहाई दी,
लुका-छिपी-झूलो की यादें दिलाई भी।।
मैं #गिरिजा_रैना!
आजादी-मजहब-के नशे में चूर थे सब,
इक-इक ने कयी-कयी बार किया फिर-फिर वो सब,
आखिर थक कर चूर हो चुके थे जब सब,
अब क्या और जुलम करें ये सोचें मिल सब
मैं #गिरिजा_रैना!
आखिर में तरकीब लगा ली अपनो ने,
मैं क्या कोई ना सोच सके कभी सपने में,
पास वहीं आरा मशीन इक चालू थी,
मुझपे जुल्म की इन्तिहा होने वाली थी,
मैं #गिरिजा_रैना!
मैं निर्वस्त्र सिसकती-हाथों-को जोड़े,
मांग रही थी भीख-कि शायद अब छोड़े,
एक तरफ की टाँग थी थामी दूजो ने,
एक तरफ की टाँग को अपने थे पकड़े।।
मैं #गिरिजा_रैना!
आरी के आगे लाकर टाँगे दोनो फैला दीं,
अट्टाहस और ठहाको की चीख सी जैसे सुनाई दी,
तेज चमकती दोधारी आरी थी,
आरी के आगे बेबस लाचार मैं नारी थी।।
मैं #गिरिजा_रैना!
जिन जननांगो से निकले पिशाच वो थे,
उसी जननांग पे आरी चलाने वाले थे,
अपने शैतानी कुकर्मो से वो सब,
मानवता-इन्सानियत लजाने वाले थे।।
मै #गिरिजा_रैना!
धार खून की छूटी,
आखिरी चीख गले से फूटी,
कट-गयी-गिरिजा-दो-पाटो में,
सारी #कश्मीरियत पीछे छूटी।।
मै #गिरिजा_रैना!
ये मेरे दो टुकड़े पड़े हुऐ ऐसे,
नंगा पड़ा हो भाईचारा,
गंगा-जमुनी पेड़ को जैसे,
काट गया कोई आरा।।
मैं #गिरिजा_रैना!
एक शिकायत तब भी थी सबसे,
एक शिकायत अब भी है सबसे,
मेरी मौत पे तब भी सब चुप थे
आज भी सब चुपचाप से है क्यों?
मैं #गिरिजा_रैना!
मेरी ऐसी निर्मम हत्या,
कोई भी कैन्डल मार्च नहीं क्यों❓
मेरी हत्या-हैवानियत का,
कोई भी जिम्मेदार नही क्यों❓
#कश्मीर_फाईल्स_2
बेहद उदास। ।😥

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Apr 5
जब योगी आदित्यनाथ ने BJP छोड़ दी…

बात अक्टूबर 2005 की है UP का एक माफिया, नाम था मुख़्तार अंसारी, वो खुली जीप में हथियार लहराते हुए मऊ में साम्प्रदायिक दंगा करवा रहा था
3 दिन बीत चुके थे,दंगे को
उस वक़्त UP के CM थे मुलायम सिंह और वो भी कई बार बोल चुके थे कि मुझसे बड़ा गुंडा इस UP में नही है
ये बात वो सिंर्फ़ योगी जी के लिये बोलते थे

जब दंगे को तीसरा दिन था,तो प्रशासन और UP के CM इस दंगे पे कुछ भी नहीं कर रहे थे…
योगी जी ने राजनाथ जी को चुनौती दे दी।
तब मऊ से 64 KM दूरी पे गोरखपुर में बैठे योगी जी को ये दंगा बर्दास्त नहीं हुआ और वो BJP के सारे बड़े नेता…अटल जी,आडवाणी जी,मुरली जी और राजनाथ जी को सीधी चुनौती दे दी
Read 17 tweets
Feb 22
There is a fascinating mystery called “Baan Stambh” in the ancient Somnath Temple in Gujarat.

On the south side of the temple, overlooking the sea, is a pillar called “Baan sthamb”. An arrow is built on the top of the pillar which points towards the sea.
The existence of this pillar is mentioned in some ancient books from the 6th century.
There is an inscription carved on the pillar in Sanskrit -
“आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुव,पर्यंत अबाधित ज्योर्तिमार्ग'”
(“there is no earth terrain from this point of the sea to the South Pole).
Now the fun fact. If you start travelling from Somnath Mandir towards South, you will indeed not find any mountain or piece of land until you reach the South Pole (Antarctica), 10,000 km away.
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Feb 19
बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ की जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा, उसकी आधी ताकत बाली के शरीर मे चली जायेगी..
.
और इससे बाली हर युद्ध मे अजेय रहेगा..
.
सुग्रीव, बाली दोनों ब्रम्हा के औरस ( वरदान द्वारा प्राप्त ) पुत्र हैं.. Image
और ब्रम्हा जी की कृपा बाली पर सदैव बनी रहती है...
.
बाली को अपने बल पर बड़ा घमंड था, उसका घमंड तब ओर भी बढ़ गया.. जब उसने करीब करीब तीनों लोकों पर विजय पाए हुए रावण से युद्ध किया और रावण को अपनी पूँछ से बांध कर छह महीने तक पूरी दुनिया घूमी..
.
रावण जैसे योद्धा को इस प्रकार हरा कर बाली के घमंड का कोई सीमा न रही..
.
अब वो अपने आपको संसार का सबसे बड़ा योद्धा समझने लगा था.. और यही उसकी सबसे बड़ी भूल हुई...
.
अपनी ताकत के मद में चूर एक दिन एक जंगल मे पेड़ पौधों को तिनके के समान उखाड़ फेंक रहा था..
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