2/4 परमेश्वर के स्वरूप में समाधिस्थ हुए तब-तब परमात्मा ने अभीष्ट मन्त्रें के अर्थ जनाये । जब बहुतों के आत्माओं में वेदार्थप्रकाश हुआ तब ऋषि मुनियों ने वह अर्थ और ऋषि मुनियों के इतिहासपूर्वक ग्रन्थ बनाये। उन का नाम ब्राह्मण
4/4 इसलिये अद्यावधि उस-उस मन्त्र के साथ ऋषि का नाम स्मरणार्थ लिखा आता है। जो कोई ऋषियों को मन्त्रकर्त्ता बतलावें उन को मिथ्यावादी समझें। वे तो मन्त्रें के अर्थप्रकाशक हैं।