m.k.s Profile picture
May 8 4 tweets 2 min read
अवश्य देखिये 😊
मैं सिर्फ़ एक बात ज़रूर कहना चाहूंगी कि हम 70 सालों से एक होके रहे हैं..
बचपन में हमको जो प्रोवोग सिखाते हैं #यूनिवर्सिटी_इन_डाइवर्सिटी' वगेरह..वो हमने जिया है.. बिलकुल.. 70 सालों तक हमने जिया है। पता नहीं पिछले 7-8 सालों में क्या हो गया है भारत को+
@baxiabhishek
कि हमारे बीच में ही अलग अलग टुकड़े हो गए हैं.. ये होना नहीं चाहिए.. आई थिंक एट द एंड ऑफ इट..हम सब एक ही मिट्टी के बने हुए हैं..सबको एक साथ.. इस देश का नागरिक बनके एक साथ भाईचारे से हम सबको रहना चाहिए।
@irfaniyat सर लाजवाब एपिसोड 🙏
.@Ashok_Kashmir .@puru_ag
.@_sayema
Currection-
1. ˈप्रॉव़ब्‌
2.यूनिटी इन डाइवर्सिटी
Currection-
1. ˈप्रॉव़ब्‌
2.यूनिटी इन डाइवर्सिटी

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with m.k.s

m.k.s Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @SavaiyaM

May 9
#Thread
#अक़बर_महान एवं मुगलों का नाम लेकर लगातार न केवल धर्मान्धता फैलाई जा रही है बल्कि इतिहास को विकृत रूप से प्रस्तुत कर लोगों को बरगलाने की कोशिश भी हो रही है।इसीलिए मैं आपको #हल्दीघाटी के युद्ध के संबंध में कुछ तथ्यात्मक एवं मूलभूत बातों से परिचित कराना चाहता हूँ+ Image
ताकि आपके भ्रम दूर हो सकें -
" यह संघर्ष (हल्दीघाटी का युद्व) हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष की समस्या नहीं था बल्कि मुग़ल साम्राज्य तथा मेवाड़ के मध्य की समस्या था.अगर ऐसा न होता तो #राणा_प्रताप अपनी सेना के एक भाग को हाकिम खां सूर के नेतृत्व में न रखता, न ही अक़बर की सारी+
फ़ौज़ मानसिंह के नेतृत्व में रही होती."
अक़बर का विजय अभियान समुद्रगुप्त की दिग्विजय के लिए किए गए "अश्वमेध यज्ञ" के पश्चात किये गए विजय अभियान की ही तरह था. जिसे एक बड़े इतिहासकार ने "शाही आवेग" या अन्य शब्दों में "अश्वमेधी अभियान " कहा हैं . इस शाही आवेग की चपेट में जिस+
Read 6 tweets
Nov 21, 2021
मैकाले का 'अधोगामी निस्पंदन का सिद्धांत' और इतिहास के स्वयंभू छद्म व्याख्याता-

क्या इतिहास वर्तमान में सर्वाधिक आकर्षित करने वाला रुचिकर विषय बन गया है ?

मैकाले के'अधोगामी निस्पंदन का सिद्धांत'
(Downward Filtration Theory) जिसके तहत भारत के उच्च तथा मध्यम वर्ग के एक+
छोटे से हिस्से को शिक्षित करना था ताकि एक ऐसा वर्ग तैयार हो जो रंग और खून से भारतीय हो लेकिन विचारों, नैतिकता तथा बुद्धिमत्ता में ब्रिटिश हो.
अब इसी सिद्धांत को भारत में इतिहास विषय पर लागू किया जा रहा है. जिसके तहत इतिहास की एक छद्म शाखा विशेष से छद्म इतिहास में प्रशिक्षित+
छद्म इतिहास के नए व्याख्याता -
कंगना रनौत-@KangnaRanaut___ शैक्षणिक योग्यता 10 वीं पास,अभिनेत्री

"हमें सही इतिहास नहीं पढ़ाया गया"

"इतिहास वामपंथियों ने लिखा"

"हमें अपने हीरो सावधानी से चुनना चाहिए"

"गांधी,कांग्रेस,भारत छोड़ो आंदोलन का स्वतंत्रता दिलाने में कोई योगदान नहीं है
Read 10 tweets
Nov 15, 2021
@manojmuntashir ने कहा था कि "हमे 'ग' से 'गणेश' की जगह 'ग' से गधा पढ़ाया गया.1971-72 में पाठ्यपुस्तकों में 'ग' से
'गणेश' की जगह 'ग' से 'गधा' कर दिया गया. " पर गोखले जी तो 75 वर्ष के हैं उन्होंने तो ग से गणेश ही पढ़ा होगा फिर ग से गधा जैसी बात क्यों कर रहे हैं ?
गोखले जी आप भी कंगना की तरह बिना इतिहास को जाने मूँह उठाकर चले आए. आइये आपको इतिहास भारतीय स्वतन्त्रता के समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री रहे क्लीमेंट एटली के 'भारतीय स्वतंत्रता विधेयक ' के विषय में आधिकारिक रूप से व्यक्त किए गए वक्तव्य से अवगत कराता हूँ.
" यह ( भारतीय स्वतंत्रता विधेयक )
उस घटना चक्र की लंबी श्रंखला का चरम बिंदु है. मिंटो मॉरले तथा मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुझाव, साइमन कमीशन की रिपोर्ट, गोलमेज़ कान्फ्रेंस, मेरे माननीय मित्रों का गत वर्ष भारत जाना ( मंत्रिमंडल का शिष्टमंडल ) यह सभी उस मार्ग के चरण बिंदु हैं."
Read 5 tweets
Nov 13, 2021
पं.जवाहरलाल नेहरू को संसद में श्री अटल बिहारी वाजपेयी की श्रद्धांजलि

अध्यक्ष महोदय,

एक सपना था जो अधूरा रह गया,एक गीत था जो गूँगा हो गया, एक लौ थी जो अनन्त में विलीन हो गई। सपना था एक ऐसे संसार का जो भय और भूख से रहित होगा,गीत था एक ऐसे महाकाव्य का जिसमें गीता की गूँज और गुलाब+ ImageImage
की गंध थी। लौ थी एक ऐसे दीपक की जो रात भर जलता रहा, हर अँधेरे से लड़ता रहा और हमें रास्ता दिखाकर, एक प्रभात में निर्वाण को प्राप्त हो गया। लेकिन क्या यह ज़रूरी था कि मौत इतनी चोरी छिपे आती? जब संगी-साथी सोए पड़े थे, जब पहरेदार बेखबर थे, हमारे जीवन की एक अमूल्य निधि लुट गई।+
मृत्यु ध्रुव है, शरीर नश्वर है। कल कंचन की जिस काया को हम चंदन की चिता पर चढ़ा कर आए, उसका नाश निश्चित था। भारत माता आज शोकमग्ना है – उसका सबसे लाड़ला राजकुमार खो गया। मानवता आज खिन्नमना है – उसका पुजारी सो गया। शांति आज अशांत है – उसका रक्षक चला गया। +
Read 7 tweets
Oct 14, 2021
@vikramsampath जी
दो प्रश्न मन में उठ रहे हैं-
पहला, सावरकर ने मर्सी पिटीशन (माफ़ीनामा) इसलिए दी कि ऐसा करना सेल्युलर जेल के समस्त कैदियों के लिए अनिवार्य था

दूसरा, या ऐसा करना सावरकर की रणनीति का हिस्सा था ?

यदि पहली बात सही है तो गांधी का ज़िक्र या भूमिका बेवजह चर्चा में है
(वैसे 1911 से गांधी के तथाकथित पत्र के पूर्व सावरकर 5बार मर्सी पिटीशन दे चुके थे)
यदि दूसरी बात सही है तो फ़िर आपको एक पुस्तक और लिखने की सलाह दूँगा जिसमें रिहा होने के बाद सावरकर के स्वतंत्रता के लिए किये गए कार्यों का लेखा जोखा हो?
अब आपका ध्यान एक महत्वपूर्ण तथ्य कीऔर आकर्षित
करना चाहूंगा जो @Ashok_Kashmir जी की पुस्तक " उसने गांधी को क्यों मारा " के पृष्ठ 164 पर अंकित है " यदि मुझे इस शर्त पर रिहा कर दिया जाए कि मैं किसी साम्प्रदायिक या राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा नहीं लूँगा तो सरकार जब तक चाहे मैं इसका पालन करने को तैयार हूँ." (पाठकों की सुविधा के Image
Read 5 tweets
Sep 24, 2021
@sudhirchaudhary जी राजा महेंद्र प्रताप पर आपके शो DNA में आपने अशोक, अक़बर और अंग्रेज एवं वामपंथी इतिहासकारों पर टीका टिप्पणी की. राजा महेंद्र प्रताप पर ज्ञानवर्धन हेतु आपको मैं @Ashok_Kashmir जी द्वारा बनाये वीडियो को देखने की सलाह दूँगा. इस वीडियो की लिंक है.👇+
Link :
चंदबरदाई, जगनक, भूषण ,बाणभट्ट या अबुल फजल आदि सब दरबारी कवि या इतिहासकार ही थे, इसमें क्या बुराई है ? पर दरबारी पत्रकार /एंकर होना या गोदी गैंग का सक्रिय सदस्य होना शर्मनाक है. आप जितने ग से गधा इतिहास पढ़ने में रहे उतने ही+
जर्नलिज़्म की पढ़ाई में भी.मैं आपको बताना चाहता हूँ कि या तो आप छठवीं कक्षा में पढ़े इतिहास को भूल गए हैं या आप पढ़ाई में बहुत कमज़ोर थे.दूसरी बात अंग्रेजों या वामपंथी इतिहासकारों पर आपकी खीज व्यर्थ है कि उन्होंने ने अशोक महान को अनदेखा कर अक़बर महान का इतिहास लिखा.रोमिला थापर
Read 8 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(