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University Topper,SET,NET,Ph.D., 'न जाति न धर्म, मानवता ही जीवन का मर्म' Humanist..... Tweets are always personal views. likes and RTs are not endorsement
Jun 18, 2023 7 tweets 3 min read
#हल्दीघाटी_का_युद्ध ' 18 जून 1576

क्या हिदू-मुस्लिम संघर्ष था हल्दीघाटी का युद्ध?

“हल्दीघाटी का युद्व हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष की समस्या नहीं था।अगर ऐसा न होता तो राणा प्रताप अपनी सेना के एक भाग को #हाकिम_खां_सूर के नेतृत्व में न रखता, न ही अक़बर की सारी फ़ौज़ मानसिंह के नेतृत्व+ ImageImage में रही होती।
अक़बर का विजय अभियान समुद्रगुप्त द्वारा “अश्वमेध यज्ञ” के पश्चात किये गए दिग्विजय अभियान की ही तरह था, जिसे एक बड़े इतिहासकार ने “शाही आवेग” या अन्य शब्दों में “अश्वमेधी अभियान” कहा हैं। इस शाही आवेग की चपेट में जिस तरह मालवा के बाज़बहादुर, गुजरात के मुज़फ्फर,+
Jun 18, 2023 12 tweets 3 min read
क्या #महाराणा_प्रताप ने जीता था 'हल्दीघाटी का युद्ध' ?

हल्दीघाटी के युद्ध को हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष के चश्मे से देखने के साथ ही हाल के कुछ वर्षों में हल्दीघाटी के युद्ध के परिणाम में राणा प्रताप को विजयी घोषित करने की अनैतिहासिक कोशिश भी देखने में आ रही है।+
#हल्दीघाटी_का_युद्ध Image इस प्रकार की कोशिशें महाराणा प्रताप के स्वतंत्रता के लिए किए गए दीर्घकालीन संघर्ष का उपहास है। बिंदा झाला के बलिदान एवं राणा प्रताप के युद्ध क्षेत्र से पलायन का वर्णन समकालीन स्रोत एवं सभी इतिहासकार करते हैं।

इतिहासकार इस युद्ध को हिन्दू मुस्लिम संघर्ष भी नहीं मानते।+
Apr 3, 2023 12 tweets 4 min read
प्रायः ट्वीटर पर पोस्ट देखने में आती है कि हमें इतिहास में हिन्दू राजाओ के बारे में कम सुल्तानों या #मुग़लों के बारे में ज़्यादा पढ़ाया गया। ये वो लोग हैं जो धार्मिक ग्रंथों में वर्णित कपोल कल्पित बातों को तो आँख मीचकर मान लेते हैं+
#NCERT #UPBoard
#मुग़ल
#History #इतिहास पर संदर्भो,तर्को के साथ लिखे इतिहास को अंग्रेजों और वामपंथियों द्वारा लिखा हुआ बताकर न केवल प्रश्नचिन्ह खड़े करते हैं बल्कि नकारने की हद तक चले जाते हैं. इस प्रकार की पोस्ट करने वाले लोग वो हैं जिनकी इतिहास में कोई रुचि कभी थी ही नहीं.और यदि अब है तो केवल राजनीतिक कारणों से या+
Dec 4, 2022 9 tweets 4 min read
#अमृतकाल में विष उगलने वाले मनोज #मुंतशिर के धर्मनिरपेक्ष से #धर्मान्ध बनने
की दास्ताँ-
गौरीगंज की पगडंडियों से मुंबई के राजपथ तक का सफर तय करने वाले मनोज मुंतशिर की राह इतनी आसान भी न थी. इस राह में उनके हिस्से में मुंबई के फुटपाथ भी लिखे थे किस्मत ने. इन्हीं फुटपाथों+ ने संघर्ष के दौरान उन्हें जाति और धर्म की संकीर्णताओं परे सोचना सिखाया. उसकी झलक उनके काव्य में स्पष्ट दिखाई देती है. उन्होंने सीखा कि भाषाओं को संकीर्ण दायरों में नहीं बांधा जा सकता. उनके काव्य में भारत के विभाजन की पीड़ा भी
दिखाई देती है और धर्मान्धता के विरुद्ध आक्रोश भी.+
May 9, 2022 6 tweets 3 min read
#Thread
#अक़बर_महान एवं मुगलों का नाम लेकर लगातार न केवल धर्मान्धता फैलाई जा रही है बल्कि इतिहास को विकृत रूप से प्रस्तुत कर लोगों को बरगलाने की कोशिश भी हो रही है।इसीलिए मैं आपको #हल्दीघाटी के युद्ध के संबंध में कुछ तथ्यात्मक एवं मूलभूत बातों से परिचित कराना चाहता हूँ+ ताकि आपके भ्रम दूर हो सकें -
" यह संघर्ष (हल्दीघाटी का युद्व) हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष की समस्या नहीं था बल्कि मुग़ल साम्राज्य तथा मेवाड़ के मध्य की समस्या था.अगर ऐसा न होता तो #राणा_प्रताप अपनी सेना के एक भाग को हाकिम खां सूर के नेतृत्व में न रखता, न ही अक़बर की सारी+
May 8, 2022 4 tweets 2 min read
अवश्य देखिये 😊
मैं सिर्फ़ एक बात ज़रूर कहना चाहूंगी कि हम 70 सालों से एक होके रहे हैं..
बचपन में हमको जो प्रोवोग सिखाते हैं #यूनिवर्सिटी_इन_डाइवर्सिटी' वगेरह..वो हमने जिया है.. बिलकुल.. 70 सालों तक हमने जिया है। पता नहीं पिछले 7-8 सालों में क्या हो गया है भारत को+
@baxiabhishek कि हमारे बीच में ही अलग अलग टुकड़े हो गए हैं.. ये होना नहीं चाहिए.. आई थिंक एट द एंड ऑफ इट..हम सब एक ही मिट्टी के बने हुए हैं..सबको एक साथ.. इस देश का नागरिक बनके एक साथ भाईचारे से हम सबको रहना चाहिए।
@irfaniyat सर लाजवाब एपिसोड 🙏
.@Ashok_Kashmir .@puru_ag
.@_sayema
Nov 21, 2021 10 tweets 4 min read
मैकाले का 'अधोगामी निस्पंदन का सिद्धांत' और इतिहास के स्वयंभू छद्म व्याख्याता-

क्या इतिहास वर्तमान में सर्वाधिक आकर्षित करने वाला रुचिकर विषय बन गया है ?

मैकाले के'अधोगामी निस्पंदन का सिद्धांत'
(Downward Filtration Theory) जिसके तहत भारत के उच्च तथा मध्यम वर्ग के एक+ छोटे से हिस्से को शिक्षित करना था ताकि एक ऐसा वर्ग तैयार हो जो रंग और खून से भारतीय हो लेकिन विचारों, नैतिकता तथा बुद्धिमत्ता में ब्रिटिश हो.
अब इसी सिद्धांत को भारत में इतिहास विषय पर लागू किया जा रहा है. जिसके तहत इतिहास की एक छद्म शाखा विशेष से छद्म इतिहास में प्रशिक्षित+
Nov 15, 2021 5 tweets 2 min read
@manojmuntashir ने कहा था कि "हमे 'ग' से 'गणेश' की जगह 'ग' से गधा पढ़ाया गया.1971-72 में पाठ्यपुस्तकों में 'ग' से
'गणेश' की जगह 'ग' से 'गधा' कर दिया गया. " पर गोखले जी तो 75 वर्ष के हैं उन्होंने तो ग से गणेश ही पढ़ा होगा फिर ग से गधा जैसी बात क्यों कर रहे हैं ? गोखले जी आप भी कंगना की तरह बिना इतिहास को जाने मूँह उठाकर चले आए. आइये आपको इतिहास भारतीय स्वतन्त्रता के समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री रहे क्लीमेंट एटली के 'भारतीय स्वतंत्रता विधेयक ' के विषय में आधिकारिक रूप से व्यक्त किए गए वक्तव्य से अवगत कराता हूँ.
Nov 13, 2021 7 tweets 2 min read
पं.जवाहरलाल नेहरू को संसद में श्री अटल बिहारी वाजपेयी की श्रद्धांजलि

अध्यक्ष महोदय,

एक सपना था जो अधूरा रह गया,एक गीत था जो गूँगा हो गया, एक लौ थी जो अनन्त में विलीन हो गई। सपना था एक ऐसे संसार का जो भय और भूख से रहित होगा,गीत था एक ऐसे महाकाव्य का जिसमें गीता की गूँज और गुलाब+ ImageImage की गंध थी। लौ थी एक ऐसे दीपक की जो रात भर जलता रहा, हर अँधेरे से लड़ता रहा और हमें रास्ता दिखाकर, एक प्रभात में निर्वाण को प्राप्त हो गया। लेकिन क्या यह ज़रूरी था कि मौत इतनी चोरी छिपे आती? जब संगी-साथी सोए पड़े थे, जब पहरेदार बेखबर थे, हमारे जीवन की एक अमूल्य निधि लुट गई।+
Oct 14, 2021 5 tweets 2 min read
@vikramsampath जी
दो प्रश्न मन में उठ रहे हैं-
पहला, सावरकर ने मर्सी पिटीशन (माफ़ीनामा) इसलिए दी कि ऐसा करना सेल्युलर जेल के समस्त कैदियों के लिए अनिवार्य था

दूसरा, या ऐसा करना सावरकर की रणनीति का हिस्सा था ?

यदि पहली बात सही है तो गांधी का ज़िक्र या भूमिका बेवजह चर्चा में है (वैसे 1911 से गांधी के तथाकथित पत्र के पूर्व सावरकर 5बार मर्सी पिटीशन दे चुके थे)
यदि दूसरी बात सही है तो फ़िर आपको एक पुस्तक और लिखने की सलाह दूँगा जिसमें रिहा होने के बाद सावरकर के स्वतंत्रता के लिए किये गए कार्यों का लेखा जोखा हो?
अब आपका ध्यान एक महत्वपूर्ण तथ्य कीऔर आकर्षित
Sep 24, 2021 8 tweets 4 min read
@sudhirchaudhary जी राजा महेंद्र प्रताप पर आपके शो DNA में आपने अशोक, अक़बर और अंग्रेज एवं वामपंथी इतिहासकारों पर टीका टिप्पणी की. राजा महेंद्र प्रताप पर ज्ञानवर्धन हेतु आपको मैं @Ashok_Kashmir जी द्वारा बनाये वीडियो को देखने की सलाह दूँगा. इस वीडियो की लिंक है.👇+ Link :
चंदबरदाई, जगनक, भूषण ,बाणभट्ट या अबुल फजल आदि सब दरबारी कवि या इतिहासकार ही थे, इसमें क्या बुराई है ? पर दरबारी पत्रकार /एंकर होना या गोदी गैंग का सक्रिय सदस्य होना शर्मनाक है. आप जितने ग से गधा इतिहास पढ़ने में रहे उतने ही+
Sep 16, 2021 8 tweets 5 min read
.@manojmuntashir जी ..इसे पलायन कहूँ या पीठ दिखाकर भाग जाना कहूँ ?
.@Ashok_Kashmir जी और .@devduttmyth जी का विशेष आभार एवं धन्यवाद कि .@manojmuntashir द्वारा
बनाये गए अनर्गल वीडियो "आप किसके वंशज हैं"का काउंटर करने में, मेरी आवाज़ को सही मुक़ाम तक पहुंचाने में मेरा पूर्ण+ सहयोग किया . @irfaniyat साहब .@mayurpuri जी .@varungrover जी .@Sujata1978 जी .@puru_ag सर .@PuneetVuneet जी .@DrRakeshPathak7 जी .@Mdzeeshanayyub जी सहित उन सभी का बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद कि इतिहास की सच्चाई को फैलाने में मेरा साथ दिया .
वे ट्वीट्स जिनके कारण मुंतशिर जी ने+
Sep 7, 2021 9 tweets 3 min read
.@manojmuntashir जी मैं "अक़बर महान" क्षमा..क्षमा"ग्लोरीफाईड डकैत"अक़बर के बारे मैं आपसे सहमत हो गया हूँ. वाक़ई 'अक़बर महान' डकैत था.ये डकैत 1542 में बीहड़ों या जंगलों में पैदा नहीं हुआ बल्कि एक राजपूत राजा के यहाँ अवतरित हुआ और 1556 में पानीपत में बड़ा डाका डालकर भारत पे+ आधिपत्य की शुरुआत कर दी इस डकैत ने. 1556 से 1563-64 तक ये डकैत कुछ महिला डकैतों ,(अतका खेल) और बैरम खां जैसे डकैत के प्रभाव में रहा.इनके प्रभाव से मुक्त होते ही इस ग्लोरि-फाईड़ डकैत का दिमाग़ फ़िर गया और अच्छी भली आमदनी के साधन ,तीर्थयात्रा और जज़िया कर वसूलना बंद कर दिया+
Sep 6, 2021 14 tweets 3 min read
..@manojmuntashir जी @TimesNow
को दिए अपने साक्षात्कार में आपने इतिहासकारों विशेष रूप से वामपंथी विचारधारा के इतिहासकारों पर बिना सिरपेर के अनर्गल आक्षेप लगाये.जबकि विज्ञान स्नातक होने के कारण आपने तो 10th के बाद इतिहास को छुआ भी नहीं होगा.प्रायःवामपंथी विचारधारा के इतिहासकारों+ पर और उनके लेखन पर छद्म राष्ट्रवादियों, दक्षिपंथीयों द्वारा आक्षेप लगाये जाते हैं कि उन्होंने और अंग्रेज़ इतिहासकारों ने भारत के इतिहास को ग़लत ढंग से लिखा. पर प्रश्न उठता है कि जब वामपंथी विचारधारा के इतिहासकार और अंग्रेज़ इतिहासकार इतिहास+
Sep 2, 2021 7 tweets 2 min read
@manojmuntashir जी अक़बर महान एवं मुगलों का नाम लेकर आपके द्वारा लगातार न केवल धर्मान्धता फैलाई जा रही है बल्कि इतिहास को विकृत रूप से प्रस्तुत कर लोगों को बरगलाने की कोशिश भी हो रही है जबकि आपके द्वारा एक साक्षात्कार में स्वयं कहा गया कि मैं कोई इतिहासकार नहीं हूँ, इतिहास के बारे में ज़्यादा नहीं जानता. इसीलिए मैं आपको हल्दीघाटी के युद्ध के संबंध में कुछ तथ्यात्मक एवं मूलभूत बातों से परिचित कराना चाहता हूँ ताकि आपके भ्रम दूर हो सकें -
" यह संघर्ष (हल्दीघाटी का युद्व) हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष की समस्या नहीं था बल्कि मुग़ल साम्राज्य तथा मेवाड़ के मध्य की
Aug 27, 2021 10 tweets 3 min read
@manojmuntashir
आपका बनाया वीडियो "आप किसके वंशज हैं" को देखा.
मैं आपको बताना चाहता हूँ कि इसमें गंभीर त्रुटियाँ हैं. आपने बताया कनिष्क भारत वर्ष का महान बौद्ध राजा था जिसे अफ़ग़ानिस्तान ने अपने हीरोज़ में जगह दी और ग़ज़नवी को अपनी सांस्कृतिक विरासत से बेदखल जार दिया. कनिष्क+ निश्चित रूप से भारत के महान राजाओं अशोक, हर्षवर्धन, समुद्रगुप्त, चंद्रगुप्त द्वितीय , अक़बर आदि में स्थान रखता है.पर कनिष्क, और ग़ज़नवी के बारे में आपकी जानकारी भ्रामक है. 2013 में गज़नी को एशिया की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में चुना गया. आप गूगल से इतिहास की जानकारी जुटातें+
Jun 26, 2021 5 tweets 2 min read
@TeamSaath पिछले 15 दिनों में मैंने कई अंधभक्त ट्रोलरों का सामना किया ...मैंने उन्हें ब्लॉक नहीं किया. उन्हें गंदगी निकालने दी. मैंने एक प्रकार का रिसर्च किया उनपर. और कुछ निष्कर्षो पर पहुंचा...👇
1. उनकी गंदी भाषा में गजब की समानता है ...जिसे वो महिलाओं और पुरुषों पर सामान रूप से प्रयोग करते हैं.
2. बहरूपिये और डरपोक या कायर हैं और स्वयं की पहचान पूरी तरह से छुपाकर रखते हैं.
3. उनका मुख्य उद्देश्य धार्मिक संकीर्णता फैला कर, लोगों को बरगलाकर .उनका माइंडवाश करके राजनीतिक परिणामों को प्रभावित करना है.
4.ये अखण्ड भारत की बात तो करते हैं पर मुसलमानों की +
Jun 23, 2021 8 tweets 2 min read
कंगना रनौत का राष्ट्रवाद और भारतीय संस्कृति के प्रति छद्म प्रेम उमड़-उमड़ कर बिना किसी तार्किक सोच के बाहर आ रहा है... यदि उन्हें इतना ही भारतीयता से लगाव है तो-

सबसे पहले अपने घर की वेस्टर्न स्टाइल की लैट्रिन तुड़वाना चाहिये.
वैसे तो प्राचीन काल में जंगल ही विकल्प था. ImageImage साथ ही वेस्टर्न कपड़े, चीज़ें जो विदेशों से ख़रीदे हैं वापस भेज देना चाहिए... बिकनी सहित..
शुद्ध हिंदी बोलना चाहिये.. विदेशी मोबाइल या app का उपयोग कर रही हैं तो उन्हें डस्टबीन में डाल देना चाहिए.