केंद्र सरकार ने यूपीएससी को 749 कैंडिडेट के नाम भेजने का निर्देश दिया। UPSC ने आज 685 की ही लिस्ट भेजी है। आख़िरी कैंडिडेट 685 नंबर पर राधा मोहन पांडे है।
बाक़ी 64 कैंडिडेट कहाँ गए? जनरल में आज 308 की जगह 244 नाम ही क्यों भेजे गए? #UPSC_Scam
दरअसल रिज़र्व कटेगरी के 64 कैंडिडेट जनरल मेरिट में आ गए हैं। इनके रिज़ल्ट रोक लिए गए हैं।
बाद में किसी दिन चुपके से ये एक्स्ट्रा रिज़ल्ट जारी होगा। उसमें लगभग सभी सवर्ण होंगे। #UPSC_Scam
1. यूपीएससी एक बार में 749 कैंडिडेट की लिस्ट क्यों नहीं दे रही है? 2. जिन कैंडिडेट को रिज़र्व लिस्ट में रखा गया है, उन वेटिंग कैंडिडेट के नाम गोपनीय क्यों हैं? #UPSC_Scam
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सभी धर्माचार्यों, महामण्डलेश्वरों ने मेरे इस ट्वीट का समर्थन किया है। इसे 5,00,001 लोगों ने रिट्वीट किया। इसे रिट्वीट करके पुण्य कमाएँ। स्वर्ग में सीट बुक कराएँ। धर्मस्थलों में सिर्फ फूल चढ़ाएँ। नर्क जाने से बचें।
ये हो सकता हो कि आप जो नोट चढ़ा रहे हों वह मटन की दुकान से होकर आया हो। थोड़ा बहुत खून लगा हो तो? या वेश्यालय से होकर आया हो। कितना बड़ा अधर्म होगा। इसलिए हमेशा फूल चढ़ाएँ। गारंटी के साथ पुण्य कमाएँ।
एक आदमी ने 500 का नोट चढ़ाया। नोट वेश्यालय से होकर आया था। उस आदमी की बकरी मर गई। हमेशा फूल चढ़ाएँ।
आप सबको सूचित करते हुए बेहद दुख हो रहा है कि #Sanskrit की मौत हो चुकी है। सरकार के हवा फूंकने से वह जी नहीं उठेगी। कुछ लोग उसका अंतिम संस्कार करने से मना कर रहे हैं। वैसे ही जैसे बंदरिया अपने मरे बच्चे को छाती से चिपका कर घूमती है। संस्कृत की बॉडी सड़ रही है। लाश को अब जला दें।
कृपया संस्कृत की मौत के लिए दूसरे को दोष न दें। आपने अपने फ़ायदे के लिए उसे मर जाने दिया है। बल्कि मार डाला। आपने इस भाषा को कभी जनभाषा बनने नहीं दिया।
संस्कृत में आज तक कोई लोरी नहीं गाई गई। इस भाषा में बाज़ार में सामान ख़रीदा और बेचा नहीं गया।
संस्कृत कभी ज़िंदा भाषा थी ही नहीं। इसमें प्रेम गीत नहीं गाए गए। इस भाषा में लोगों ने आपस में झगड़ा नहीं किया। किसी माँ ने संस्कृत में अपने बच्चे को नहीं बुलाया।
आपने खुद मौका देखकर अपने बच्चों को इंग्लिश स्कूल में डाल दिया।
Why Christianity failed in India? Here are five reasons that answer Christianity’s failure in the past and why it will continue to be a filature in the future too.
First, in India, Christianity has never been a liberation theology. Spending money or doing social work or helping people in need to proselytise them is in itself an immoral act and no god will perhaps approve of this act.
Seeking to convert people in need of financial help or aid is immoral but not the other way round. People can accept money or other means of help and revert or cling to the religion of their choice. This is not at all unethical.
जो दलित हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध बन गए, उनकी शिक्षा, शहरीकरण, सेक्स रेशियो और काम करने वालों की संख्या न सिर्फ़ हिंदू दलितों से, बल्कि तमाम हिंदुओं की तुलना में बेहतर हो गयी। #Census_Data 2011 से ये बातें देश के सामने आईं। पूरा पढ़ें…
बौद्धों, जिनमें ज़्यादातर धर्म परिवर्तन कर बौद्ध बने, की साक्षरता 81.29% हैं। हिंदुओं की साक्षरता सिर्फ 73.27% है। अनुसूचित जाति की साक्षरता दर सिर्फ 66% है। यानी बौद्ध परिवार अपने बच्चे-बच्चियों की शिक्षा पर ज़्यादा ध्यान देते हैं और उस पर निवेश करते हैं।
उत्तर प्रदेश में 68.59% बौद्ध साक्षर हैं। उत्तर प्रदेश का की औसत साक्षरता 67.68% है। यूपी में हिंदू दलितों की साक्षरता सिर्फ 60.88% है। यानी बौद्ध बन कर दलित न सिर्फ़ हिंदू दलितों से बल्कि बाक़ी हिंदुओं से भी आगे निकल गए।
"Brahmins form the intellectual class of the Hindus. It is not only an intellectual class, but it is a class which is held in great reverence by the rest of the Hindus...The Hindus are taught that Brahmins alone can be their teachers." - Dr. B.R. Ambedkar in Annihilation of Caste
"A man who is born a Brahmin has much less desire to become a revolutionary. Indeed, to expect a Brahmin to be a revolutionary in matters of social reform is as idle as to expect the British Parliament, to pass an Act requiring all blue-eyed babies to be murdered." (ibid)
"An intellectual man can be a good man, but he can easily be a rogue. Similarly an intellectual class may be a band of high-souled persons, ready to help, ready to emancipate erring humanity—or it may easily be a gang of crooks, or a body of advocates for a narrow clique.."
Babasaheb Dr. B.R. Ambedkar on Rama and Shambuka: “That without penal sanction the ideal of Chaturvarnya cannot be realized, is proved by the story in the Ramayana of Rama killing Shambuka. Some people seem to blame Rama because he wantonly and without reason killed Shambuka....
...But to blame Rama for killing Shambuka is to misunderstand the whole situation. Ram Raj was a Raj based on Chaturvarnya. As a king, Rama was bound to maintain Chaturvarnya....
...It was his duty therefore to kill Shambuka, the Shudra who had transgressed his class and wanted to be a Brahmin. This is the reason why Rama killed Shambuka. But this also shows that penal sanction is necessary for the maintenance of Chaturvarnya...