(1/12)इस साल के यूपीएससी नतीजे देश के सामने हैं। टॉप 3 में देश की तीन बेटियों का नाम गूँज रहा है। श्रुति शर्मा को इस परीक्षा में पहला स्थान, अंकिता अग्रवाल को दूसरा और गामिनी सिंगला को तीसरा स्थान हासिल हुआ है। इन तीनों की कामयाबी सिर्फ़ इनकी कामयाबी नहीं है,
(2/12)बल्कि मुश्किलों के आगे हिम्मत ना हारने वाले हर इंसान की कामयाबी का सबक़ इनकी कहानियों में छुपा हुआ है। इस परीक्षा को टॉप करने वाली दिल्ली की श्रुति शर्मा को दूसरी कोशिश में कामयाबी मिली, लेकिन हम सबके लिए असली कहानी उनकी पहली कोशिश में है।
(3/12)श्रुति ने पिछले साल भी यह परीक्षा दी थी, तब ना कहीं ढोल नगाड़े थे और ना बधाई देने वालों का जमावड़ा। क्योंकि श्रुति पिछले साल की कोशिश में महज़ एक नंबर की कमी से यूपीएससी के इंटरव्यू में नहीं जा पाई थीं। असल में श्रुति यह एग्ज़ाम इंग्लिश में देना चाहती थीं,
(4/12)लेकिन फ़ॉर्म भरते हुए उन्होंने ग़लती से हिंदी के ऑप्शन को टिक कर दिया। नतीजतन उन्हें परीक्षा हिंदी में देनी पड़ी। लेकिन इस कोशिश से श्रुति ने यह सीखा कि जब मनचाही भाषा में ना लिखने पर भी वह महज़ एक नंबर से चूक गईं, तो अगली बार वह कामयाब ज़रूर होंगी और हुआ भी ऐसा ही।
(5/12)इस बार नतीजे निकले तो श्रुति ने इतिहास ही रच दिया। इस बार बधाई देने वालों की क़तार भी है और ढोल नगाड़े भी हैं। इन सबके बीच सबसे बड़ी सीख यह है कि नाकामयाबी में भी कामयाबी के बीज छुपे होते हैं, आपको पहचान होनी चाहिए।
इस कहानी से अलग दूसरे नाम पर आते हैं, अंकिता अग्रवाल।
(6/12)इन्हें इनके पहले ही प्रयास में कामयाबी मिल गई थी। कोलकाता की अंकिता अपनी पहली ही कोशिश में ना सिर्फ़ यूपीएससी पास करके आईआरएस अधिकारी बन गईं, बल्कि रैंक भी अच्छी लेकर आई थीं। लेकिन अंकिता अग्रवाल ने बचपन से देखा अपना आईएएस का सपना नहीं छोड़ा।
(7/12)लगातार कोशिशें कीं और आख़िरकार इस बार वह आईएएस भी हुईं और इस परीक्षा के इतिहास में उनका नाम भी दर्ज हो गया। अंकिता की कहानी लगातार चलते रहने की है। जो सपना देखा, उसके पूरे होने तक ना रुकने की है।
यूपीएससी के इस साल के नतीजे में तीसरे स्थान पर एक नाम जगमगा रहा है और वह है
(8/12)पंजाब की गामिनी सिंगला का। गामिनी ने कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (CSE) में B.Tech की पढ़ाई की है। उनका कहना है कि उन्होंने पढ़ाई भले ही इंजीनियरिंग की की है, लेकिन वह बचपन से ही IAS अधिकारी बनना चाहती थीं। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद ही वह
(9/12)यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं थीं। गामिनी के पिता डॉक्टर हैं। लेकिन उन्हें मालूम था कि बेटी का सपना है एक दिन आईएएस बनना। इसके लिए ज़रूरी होता है टाइम मैनेजमेंट और यह कैसे किया जाता है, इसकी एक मिसाल देखिए। गामिनी ने अपने पढ़ाई के घंटे विषयों के हिसाब से बाँट रखे थे,
(10/12)लेकिन हर दिन की खबरों से अपडेट रहना भी बेहद ज़रूरी था। गामिनी को किसी और विषय का टाइम अख़बार पढ़ने में ना देना पड़े इसलिए उनके पिता उन्हें अख़बार पढ़कर सुनाते थे। अख़बार की खबरें सुनते-सुनते गामिनी नोट्स बनाने जैसे काम कर लिया करती थीं। अब जब पिता और बेटी की
(11/12)बरसों की मेहनत रंग लाई, तो दोनों की ख़ुशियों का ठिकाना नहीं रहा। गामिनी की कहानी को कामयाब बनाने में एक शानदार पिता का अहम रोल रहा।
ये सारी कहानियाँ आज महज़ दो दिन पहले तक शायद ही किसी को मालूम रही होंगी। लेकिन आज इनकी कामयाबी की खबर से शायद ही कोई अनजान हो।
(12/12)इसलिए अपने सपनों की तरफ़ बढ़ने के लिए कोशिश करते रहिए। क्योंकि अक्सर जीत उन्हीं की होती है, जो हार मानने से इंकार कर देते हैं।
#Inspiring #Nevergiveup #UPSC #UPSCResults

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Jun 2
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