सड़क पर एक शोहदा बेतरतीबी से छड़ी घुमाता चला जा रहा था। ओलिवर वेंडेल ने उसे रोका, छड़ी को नियंत्रण के रखने को कहा। शोहदे ने दादागिरी से पूछा
- क्या ये आजाद देश नही है
- बिल्कुल है
- तो फिर मुझे जिस तरह से चाहूँ छड़ी घुमाने
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की आजादी है
- हाँ, मगर तुम्हारी आजादी वहां खत्म हो जाती है, जहां से मेरी नाक शुरू होती है।
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डियर भक्तों।
मुझे फर्क नही पड़ता ये देश हिन्दू राष्ट्र है, या इस्लामी, या क्रिश्चियन, या कोई और। हिंदुस्तान की बड़ी आबादी इस संवेधानिक रूप से धर्मनिरपेक्ष देश छोड़कर मुस्लिम और
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क्रिश्चियन देशों में जाकर रहती है,पढ़ती है,रोजी रोटी कमाती है,और तुम्हे चन्दा भेजती है,
"ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ इंडिया"नही, "ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी"बनाती है।फिर तुम्हारे नौटंकी नेताके वेम्बले-मेडिसन के तमाशों में आकर चीयर कर करती है।
इसमे केरल के गरीब भी हैं,मुम्बई के अमीर भी।
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गुजरात के जिग्नेश भाई भी,पंजाब के भाटिया जी भी।किसी से भी पूछिये,जीने की परिस्थितियां मायने रखती हैं,जॉब्स,बिजनेस,शांति और इंफ्रास्ट्रक्चर मायने रखता है।राष्ट्र का ऑफिशयल धर्म नही।
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दुनिया मे धर्म पर बने देश मे ताजा एक इजराइल है। आधी आबादी के पास डबल पासपोर्ट है, और बीबीसी की
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ताजा रिपोर्ट के अनुसार इजराइली बड़ी संख्या में हमेशा के लिए इजराइल छोड़कर यूरोप औऱ अमेरिका में जा रहे हैं।
इसलिए कि निरंतर युद्ध का मैदान बना देश, भले उनका ज्यूइश स्टेट होने का दम भरता है,जीने योग्य नही पाते। पर बीबीसी की ही दूसरी रिपोर्ट बताती है, की देश छोड़ने वालो की इससे
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ज्यादा संख्या भारतीयों की है।
जो प्रोफेशनल हैं,मध्यम या सुपर रिच हैं,भारत छोड़ रहे हैं।डर है कि तुम्हारा हिन्दू राष्ट्र का सपना,असलमे जीने के ना-लायक राष्ट्र की तरफ़ जा रहाहै।
लाजिमी है।ऐसा राष्ट्र जहां कोई मूर्ख,आपको वक्त बेवक्त गद्दारी का सर्टिफीकेट बांटे।जहां न्याय व्यवस्था
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पुलिस,ब्यूरोक्रेसी,कंप्रोमाइज्ड हो।जहां व्यापार व्यवसाय के लिये पार्टी का कृपापात्र होना जरूरी हो,
जहां आपकी हर गतिविधि पर सरकारी निगाह हो,और बात बात पर बैन हो।खानपान,मनोरंजन,शिक्षा,नॉलेज पर किसी मूढमति की अनुमति की जरूरत हो,जहां पग पग पर अशांति हो,वो देश इस्लामी हो,ज्यूइश हो,
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क्रिश्चियन या फिर तुम्हारा हिन्दू राष्ट्र..जीने के लायक नही ।
राजनीति चाहे जैसे करो,- 'कोई नृप होए हमे का हानि'??
लेकिन देश ऐसा बना दो जो जीने रहने के लायक नही रहे,ये कैसे मंजूर करें।
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अब हमारे पास दो चॉइस छोड़ी है तुमने
पहला, या तो झोला उठाकर जनता निकल ले। कहीं और ठौर खोजे
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जीने का कोना ढूंढ निकाले। पर मुट्ठी भर लोग ही इसमे सक्षम हैं।
दूसरा, तुम्हारा झोला उठवाए।
तुम्हारी गालियों का जवाब गाली से दे। तुम्हे बताये की तुम, तुम्हारा नेता, तुम्हारे आइडियाज, तुम्हारे आइडियल्स सिर्फ जडमूर्खता है, यह बात नही, लात के काबिल है। और बात से नही सुधरे तो
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लतियाने में गुरेज न करे।
उस ईश्वर का दिया यह जीवन,जिसका नाम ईसा, अल्लाह, वाहेगुरु या राम,व्हाटएवर हो... तुम्हारी पार्टी की एम-लेस पावर का घोड़ा बनने के लिए नही दिया गया। तो गद्दार,धर्मद्रोही, मुल्लाप्रेमी और तमाम बेवकूफाना सर्टिफिकेट अपने पास धरो,रोल गोल करके सूच्याकार बनाओ,
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और वापस खुद में जमा कर लो। यस, ठीक समझा, ऑन दैट प्लेस ...
इसलिए कि तुम्हारी जुबान,लाठी,गंडासे घुमाने की आजादी वहां ख़त्म होती है,जहां से मेरी नाक और मेरे परिवार का जीवन शुरू होता है।
बुल्डोजर,मुल्ले, सर्वे,नफरत ,मीडिया के द्वारा भ्रमित करना और हर मस्जिद के नीचे मुर्ति।
परिणाम ?मनोज झा
समस्तीपुर के विद्यापति नगर के मऊ थाना अंतर्गत एक सवर्ण परिवार के 5लोगों ने
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आर्थिक तंगी से तंग आकर खुद को फांसी पर लटका लिया।
मनोज झा (45) मनोज झा के मां (65) मनोज झा के 2 पुत्र सत्यम (10) और शिवम कुमार झा (7) और मनोज की पत्नी सुंदरमणी देवी (38) ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर फांसी से लटका कर सम्मान से जीने की कीमत चुकाई।
इसके बावजूद कि सरकार
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उज्जवला सिलेंडर मुफ्त में दे रही है ,घर, राशन,शौचालय ,वृद्धावस्था पेंशन के अतिरिक्त रू 6000/-सालाना दे रही है।
मगर सम्मान से जीने के लिए इतना काफी नहीं होता बाबू ,यह भक्त नहीं समझेंगे।
मुल्लों को कंट्रोल करने के चक्कर में बर्बाद हो जाएगे।
नेहरू जी के शासनकाल में विश्वगुरु प्रतियोगिता हुई थी।
तब तीन देशों की पुलिस को जंगल मे शेर पकड़ने का काम मिला।रूसी गए, अपनी फोरेंसिक टेक्निक से पांच घण्टे में उन्होंने शेर को खोज निकाला।
पीछे से अमेरिकन गए। उन्होंने सेटेलाइट इमेजरी से आधे घण्टे में शेर को खोज निकाला। फिर
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दिल्ली पुलिस घुसी।एक घण्टा,पांच घण्टा,24 घण्टे,दो दिन,एक हफ्ता ..ये लोग वापस ही नही आये।
आयोजको को चिंता हुई।सारे जंगल मे घुसे ही थे की सामने दिल्ली पुलिस दिख गयी। उसने एक बंदर को पेड़ पर उल्टा लटका रखा था, और सारे मिलकर पीट रहे थे। इंस्पेक्टर चीख रहा था -
"बोल तू ही शेर है"
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हमे कॉम्पटीशन से डिसक्वालीफाई किया गया। हम विश्वगुरु नही बन सके।लेकिन मोदी जी डिटेर माइंड थे।नेहरू को हटाकर वे गद्दी पर आ गए, तैयारी शुरू कर दी।
प्रतियोगिता फिर आयोजित हुई। इस बार फॉर्मेट अलग था।अमेरिकनों ने एक तार बनाया। एकदम महीन,इतना पतला, की आँख से न दिखे।
आजकल सोशल मिडिया पर पृथ्वीराज चौहान पर बनी ऐतिहासिक फिल्म की धूम है,फिल्म में दिखाये गये तथ्यों की बहुत चर्चा है सरकार टैक्स फ्री करके इसको देखने के लिये प्रोत्साहन कर रही है।खतरा यह है कि इस सिनेमा को देखकर विद्यार्थी उसके तथ्यों को एग्जाम में लिख दिया तो और कुछ बने या न बने ,
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बाबू ललई सिंह तो बन ही जायेगा।
अब आप यह भी जानना चाहेंगे कि ये बाबू ललई सिंह कौन है?बाबू ललई सिंह काशी हिंदू वि.वि. से परास्नातक है ,पी.यच.डी. करते करते रह गये।घटना है आपातकाल खतम हुआ था , जनता पार्टी की सरकार बन चुकी थी । बाबू ललई सिंह भी गांव से इंटर रायल डिविजन में पास करके
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बनारस आकर का.हि.वि.वि. के कला संकाय काउंटर से १ रूपये का फार्म लेकर किसी साथी को २ रूपया का नास्ता कराकर उससे फार्म कंप्लीट कराकर संकाय में जमा कर दिये , उनको पता था कि रायल डिविजन है , प्रवेश की संभावना नहीं है फिर भी फार्म भरने के नाम पर बनारस आने के लिये घर से खर्चा तो मिला,
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गयासुद्दीन के वंशज #नेहरू ने इन संस्थाओं का #ध्येय_वाक्य#संस्कृत में बनाकर हिंदुओं को बेवकूफ बनाने का प्रयास किया था इसलिए साहेब ने अधिकांश को बेच दिया और जो नहीं बिके उनकी शक्ति कम कर दी।
एक महीने के लिए गाय की सेवा करें,गौशाला में एक लाख रुपए जमा करें ": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश गोहत्या अधिनियम के आरोपी पर जमानतकी शर्त लगाई.
जस्टिस शेखर यादव की पीठ ने
आवेदक को निम्नलिखित दो शर्तों पर जमानत दी :
"आवेदक रिहा होने के एक माह के भीतर
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जिला बरेली के किसी रजिस्टर्ड गौशाला के पक्ष में एक लाख रुपए जमा करवाएगा।जेल से छूटने के तुरंत बाद आवेदक स्वयं गौशाला में उपलब्ध होगा और एक माह की अवधि तक गायों की सेवा करेगा।"
जस्टिस शेखर कुमार यादव की पीठ ने सितंबर 2021में कहा था कि इस तथ्य के आलोक में गाय को राष्ट्रीय पशु का
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दर्जा दिया जाना चाहिए कि गाय भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है और गोमांस को खाना किसी भी व्यक्ति का मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता।
जस्टिस शेखर कुमार यादव ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि वैज्ञानिकों का मानना है कि गाय एकमात्र ऐसी जानवर है, जो ऑक्सीजन लेती है और
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यूक्रेन और रूस जंग अभी खत्म नहीं हुई थी कि अब आसमान से किसी भी वक्त एलियंस हमला कर सकते हैं।
दरअसल,आकाशगंगा मिल्की वे में चार एलियन सभ्यताएं मौजूद हैं,जो धरती पर हमला कर सकती हैं।स्पेन की यूनिवर्सिटी ऑफ वीगो में पीएचडी कर रहे अल्बर्टो कैबलेरो ने कहाहै कि,उन्हें 1977में डिटेक्स
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किए गए 'वाउ सिग्नल' के सटीक स्रोत से पता चला है
" क्योंकि इस धरती पे एक ऐसा सफेद दाड़ी धारी शक्स मौजूद हैं जिसकी शक्ल देख कर ही उन्हें न सिर्फ हथियार डाल के सरेंडर करना पड़ेगा बल्कि उसे अपना सम्राट भी इसलिये वो कर नही रही हैं !
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इसलिए बोलो हर हर ....आएगा तो ....समझे ...जिसकी वजह से बचे हुए हो रोज उसी को गाली मत दिया करो
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