अब जाकर राज खुल रहा है कि अग्निपथ सेना के नाम पर युवाओं को, कॉर्पोरेट और बड़े सगठनों के लिए चौकीदार बनाने की साजिश है। सेना के नाम पर योग्य युवाओं को भर्ती करो, उन्हे 4 साल की नौकरी दो, फिर उन्ही के वेतन से कुछ पैसे काट और कुछ मिला कर लगभग ₹12 लाख देकर, 75% को सेना से निकाल दो।
फिर वे क्या करेंगे, यह बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय से सुनिए,
"सेना की ट्रेनिंग में पहला डिसिप्लीन, दूसरा आज्ञा का पालन करना है. जब वो (अग्निवीर) ट्रेनिंग लेगा और चार साल की सेवा के बाद निकलेगा. साढ़े 17 साल से 23 साल की उम्र...
यदि वो 21 साल की उम्र में भी भर्ती होता है, चार साल काम करता है तो 25 साल. 25 साल की उम्र में जब वो बाहर निकलेगा तो उसके हाथ में 11 लाख रुपये होंगे. और वो छाती पर अग्निवीर का तमगा लगाकर घूमेगा.
किसी भी... मुझे अगर इस ऑफ़िस में, बीजेपी के ऑफ़िस में सिक्योरिटी रखना है तो मैं अग्निवीर को प्राथमिकता दूंगा."
कैलाश विजयवर्गीय के इस बयान पर कड़ी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। #अग्निपथ
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अग्निवीर की असलियत ये है कि भारत सरकार आर्थिक रूप से संकट मे आ गई है। वित्त मंत्रालय की कल एक रिपोर्ट आई है कि सरकार को अपना ख़र्चा कम करना पड़ेगा क्योंकि भारत सरकार की आय इस साल कम होने जा रही है। सरकार को अपना ख़र्चा कम करने पड़ेगा क्योंकि कमाई कम होने जा रही है.
सरकारी ख़र्च का मतलब सिर्फ़ सैलरी और पेंशन नहीं है. अगर भारत की सरकार पैसा न ख़र्च करे तो इस देश की अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, और न जाने क्या क्या बुलडोजर से डिमॉलिश की गई बिल्डिंग की तरह गिर पड़ेगा। आख़िर ये हालात आये कैसे ?
हुआ यह कि, महंगाई कम करने के चक्कर में सरकार ने पेट्रोल/डीज़ल पर टैक्स कटौती की, फ़र्टिलाइज़र की सब्सिडी बढ़ा दी। महंगाई फिर भी ताबड़तोड़ बढ़ी जा रही है। रुपए के दाम डॉलर के मुक़ाबले भी गिरते चले जा रहे हैं. रुपया गिरने से, आयात महँगा हो रहा है और डॉलर, ज़्यादा ख़र्चा हो रहा है।
तो भारतीय सेना में रेगुलर सैनिकों की भर्ती, क़रीब दो हज़ार सैनिक क्योंकि इस वर्ष कुल आठ हज़ार अग्निवीर ही भर्ती किये जा सकते हैं और उनके 25% ही रेगुलर सेना में स्वीकृत किये जाएँगे, आज से चार साल बाद होगी। पिछले दो साल कोई भर्ती नहीं हुई और आगामी चार साल तक होगी।
प्रति वर्ष क़रीब साठ हज़ार सैनिक रिटायर होते हैं तो इस दर से तीन लाख साठ हज़ार सैनिक तब तक रिटायर हो जाएँगे और कुल दो हज़ार सैनिक उसके बाद लिये जाएँगे । अगले साल क़रीब पैंतालीस हज़ार अग्निवीर भर्ती होंगे जिनमें से 25% यानि क़रीब 4125 रेगुलर सैनिक बनेंगे ।
इस प्रकार, दस बरस में क़रीब छह लाख सैनिक भूतपूर्व हो जाएँगे और उनकी जगह आने वाले कुल क़रीब पच्चीस हज़ार रेगुलर सैनिक होंगे जिन्हें पूरा वेतन भत्ते पेंशन और मृत्यु या घायल होने की स्थिति में नियत राशि / सहयोग करना पड़ेगा ।
फासिस्ट और जनविरोधी सत्ताएं अक्सर सेना के शौर्य, बलिदान, देशभक्ति आदि उदात्त भावों का दोहन करती हैं। यह इतिहास से जाना और सीखा जा सकता है। पर जो राज्य, लोकतंत्र और लोककल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रतिबद्ध और शासित है में, यह जान लेना जरूरी है कि, सेना, सुप्रीम नहीं होती है।
भारत एक कोई फासिस्ट देश और सरकार के आधीन नही है। यहां, सेना भी सरकार के आधीन एक सिस्टम है और देश की रक्षा के लिए संविधान के अंतर्गत गठित है। वह सरकार और संसद के आधीन है। उसे इन सबसे अलग कर के देखना घातक होगा। देश की जनता के टैक्स से उसका बजट तय होता है।
उस बजट की ऑडिटिंग होती है और उसके खर्चे संसद की लोक लेखा समिति के समक्ष रखे जाते है। सेना द्वारा लिए गए कतिपय प्रशासनिक निर्णय भी न्यायिक समीक्षा के अंतर्गत आते हैं। संसद में उस पर सवाल उठाए जा सकते हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, NHRC सैनिक कृत्यों की जांच कर सकती है।
IAF ने आज अग्निपथ भर्ती प्रणाली का विवरण जारी किया है, जिसकी प्रक्रिया 24 जून से शुरू होगी, जो 4 साल की अवधि के लिए सेना में भर्ती करेगी। रक्षा मंत्रालय अग्निवीर के लिए 10% आरक्षण देगा। गृह मंत्रालय ने केंद्रीय पुलिस बल, CAPF और असम राइफल्स में उनकी भर्ती के लिए प्राथमिकता देगा।
IAF दस्तावेज़ में पात्रता, शैक्षिक योग्यता, चिकित्सा मानकों, मूल्यांकन, छुट्टी, पारिश्रमिक, जीवन बीमा कवर आदि का विवरण दिया गया है।
आईएएफ अग्निवीर अनुबंध (संविदा) के 10 बिंदु यहां दिए गए हैं।
1. अग्निवीर, इस अवधि के दौरान अपनी वर्दी पर एक अलग प्रतीक चिन्ह पहनेंगे, जो IAF के नियमित प्रतीक चिह्न से अलग होगा। 2. अग्निवीर संविदा काल में, सम्मान और पुरस्कार के हकदार होंगे।
मोदी सरकार ने BEML यानी "भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड" के मालिकाना हक़ को बेचने की घोषणा कर दी..और गोदी मीडिया इस ख़बर को दबा गया..ये है असली ख़ेल। BEML को बेचने के पहले BEML की ज़मीन बेची जाएगी..ज़मीन बेचने की घोषणा भी हुई है।
BEML एशिया की दूसरी सबसे बड़ी "अर्थ मूविंग" कंपनी है..1964 में नेहरु जी ने BEML की स्थापना की थी।
अब कुछ सवाल ~ 1. "पृथ्वी मिसाइल लॉचंर" कौन बनाता है? 2. "पिनाका मल्टीबैरल रॉकेट लॉचंर" कौन बनाया? 3. रक्षा क्षेत्र के सीक्रेट सिस्टम कौन बनाता है?
4. मेट्रो रेल के कोच कौन बनाता है? 5. राष्ट्रीय सुरक्षा/राष्ट्रनिर्माण की कंपनी को बेचने का हक़ मोदी को किसने दिया?
ये सब BEML बनाती है और यह सब नेहरु सरकार के समय का बनाया हुआ है।
यदि अग्निवीर को सेना का जवान कहा जा रहा है तो यह भरमाया जा रहा है। वह सेना में तभी शामिल माना जायेगा जब चार साल बाद 25% में आ जायेगा। शेष 75% जो घर वापसी करेंगे वे पूर्व सैनिक नहीं, बल्कि पूर्व अग्निवीर कहे जायेंगे।
उन्हे ₹11.77 लाख मिलेगा और अन्य सरकारी नौकरियों में आरक्षण का वादा है। हाई स्कूल/इंटर पास युवा 4 साल लिखाई पढ़ाई से दूर रह कर जब 25% में नहीं आ पाएंगे, तब वे किसी और सरकारी सेवा के लिए प्रार्थना पत्र देंगे।
तो, क्या उस समय वह, अपने उन प्रतियोगियों से जो इस सरकारी सेवाओं के लिए पहले से ही तैयारी कर रहे थे, की तुलना में टिक पाएंगे? और इस बात की क्या गारंटी है कि, तब तक अग्निपथ जैसी कोई योजना पुलिस, केंद्रीय पुलिस बलों की भर्ती में भी न शुरू हो जाय?