#पंचकदार🔱🚩
पंच केदार : भगवान शिव को समर्पित पांच हिंदू मंदिरों या शिव संप्रदाय के पवित्र स्थानों को संदर्भित करता है।
उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है।
.
पंच केदार के बारे में लोक कथा हिंदू महाकाव्य महाभारत के नायक पांडवों से संबंधित है। #Thread @AnkitaBnsl
पांडवों ने महाकाव्य कुरुक्षेत्र युद्ध में अपने चचेरे भाइयों - कौरवों को हराया था।
वे युद्ध के पापों का प्रायश्चित करना चाहते थे। अपने भाइयों और अन्य ब्राह्मणों को मारने के लिए।
इस प्रकार, वे भगवान शिव की तलाश में और उनका आशीर्वाद लेने के लिए निकल पड़े। शिव को कहीं नहीं
मिलने पर, पांडव गढ़वाल हिमालय चले गए। जहां उन्होंने पांच अलग-अलग रूपों में भगवान शिव के प्रकट होने से प्रसन्न होकर शिव की पूजा और पूजा के लिए पांच स्थानों पर मंदिरों का निर्माण किया। इस प्रकार पांडव अपने पापों से मुक्त हो गए।
.
पंचकेदार पांच मंदिर 🚩🚩👇👇
.
1. केदारनाथ (3583मी)- यहां भगवान शिव के पीठ की पूजा की जाती है
2. मधमहेश्वर (3490मी)- यहां भगवान शिव के बेली बटन की पूजा की जाती है
3. तुंगनाथ (3680मी)- यहां भगवान शिव की भुजाओं की पूजा की जाती है
4. रुद्रनाथ (3559मी)- यहां भगवान शिव के मुख की पूजा की जाती है
5. कल्पेश्वर (2200मी)- यहां भगवान शिव के बालों की पूजा की जाती है।
.
उत्तराखंड, भारत🇮🇳🇮🇳
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
उरुग्वे एक ऐसा देश है, जिसमे औसतन हर एक आदमी के पास 4 गायें हैं और पूरे विश्व में वो खेती के मामले में नम्बर वन की पोजीशन में है! सिर्फ 33 लाख लोगों का देश है और 1 करोड़ 20 लाख गायें है!
हर एक गाय के कान पर इलेक्ट्रॉनिक चिप लगा रखी है! जिससे कौन सी गाय @HeritageGuy7 #Thread
कहाँ पर है, वो देखते रहते हैं! एक किसान मशीन के अन्दर बैठा फसल कटाई कर रहा है, तो दूसरा उसे स्क्रीन पर जोड़ता है कि फसल का डाटा क्या है..??
इकठ्ठा किये हुये डाटा के जरिए, किसान प्रति वर्ग मीटर की पैदावार का स्वयं विश्लेषण करता हैं! 2005 में 33 लाख लोगों का देश, 90 लाख
लोगों के लिए अनाज पैदा करता था और आज की तारीख में 2 करोड़ 80 लाख लोगों के लिये अनाज पैदा करता है!
उरुग्वे के सफल प्रदर्शन के पीछे देश, किसानों और पशुपालकों का दशकों का अध्ययन शामिल है! पूरी खेती को देखने के लिए 500 कृषि इंजीनियर लगाए गए हैं और ये लोग ड्रोन और सैटेलाइट से
!! नर्मदा नदी के हर पत्थर में हैं शिव आखिर क्यों..!!
प्राचीनकाल में नर्मदा नदी ने बहुत वर्षों तक तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन्न किया। प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने वर मांगने को कहा। नर्मदाजी ने कहा:- ’ब्रह्मा जी! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे गंगाजी के समान कर दीजिए।’
/2
ब्रह्माजी ने मुस्कराते हुए कहा - ’यदि कोई दूसरा देवता भगवान शिव की बराबरी कर ले, कोई दूसरा पुरुष भगवान विष्णु के समान हो जाए, कोई दूसरी नारी पार्वतीजी की समानता कर ले और कोई दूसरी नगरी काशीपुरी की बराबरी कर सके तो कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान हो सकती है।'
ब्रह्माजी की बात
सुनकर नर्मदा उनके वरदान का त्याग करके काशी चली गयीं और वहां पिलपिलातीर्थ में शिवलिंग की स्थापना करके तप करने लगीं।
भगवान शंकर उनपर बहुत प्रसन्न हुए और वर मांगने के लिए कहा।
नर्मदा ने कहा - ’भगवन्! तुच्छ वर मांगने से क्या लाभ...? बस आपके चरणकमलों में मेरी भक्ति बनी रहे।'