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Aug 27 14 tweets 5 min read
#जानिये_आत्मा_नए_शरीर_में_कैसे_जाती_है
#गरुड़ ने भगवान श्री विष्णु से प्रश्न किया

मृत्यु के बाद आत्मा कैसे शरीर के बाहर जाता है? कौन प्रेत का शरीर प्राप्त करता है? क्या भगवान के भक्त प्रेत योनि में प्रवेश करते हैं?

भगवान विष्णु ने गरुड़ को उत्तर दिया(गरुड़ पुराण)
#Thread
मृत्यु के बाद आत्मा निम्न मार्गों से शरीर के बाहर जाता है

आँख, नाक या त्वचा पर स्थिर रंध्रों से.

(1) ज्ञानियों का आत्मा मस्तिस्क के उपरी सिरे से बाहर जाता है
(2) पापियों का आत्मा उसके गुदा द्वार से बाहर जाता है( ऐसा पाया गया है कि कई लोग मृत्यु के समय मल त्याग करते हैं)
यह आत्मा को शरीर से बाहर निकलने के मार्ग हैं |
शरीर को त्यागने के बाद सूक्ष्म शरीर घर के अंदर कई दिनों तक रहता है

१.अग्नि में ३ तीन दिनों तक
२. घर में स्थित जल में ३ दिनों तक

जब मृत व्यक्ति का पुत्र १० दिनों तक मृत व्यक्ति के लिए उचित वेदिक अनुष्ठान करता है
तब मृत व्यक्ति की आत्मा को दसवे दिन एक अल्पकालिक शरीर दिया जाता है जो अंगूठे के आकार का होता है| इस अल्पकालिक शरीर के रूप में वह आत्मा दसवे दिन यम लोक के लिए प्रस्थान करता है | तीन दिनों बाद अर्थात तेरहवे दिन वह यमलोक पहुंचता है |

यमलोक में चित्रगुप्त जीव के सभी कर्मो का
लेखा यमराज को प्रस्तुत करते हैं| उसके आधार पर यमराज जीव के लिए स्वर्ग लोक या नरक लोक जाता तय करते हैं| जीव अपने कर्मो के अनुसार स्वर्ग या नरक लोक में रहता है और फिर उसके बाद वह पृथ्वी पर पुनः एक नए शरीर के रूप में जन्म लेता है|

#प्रेत_योनि_में_कौन_जन्म_लेता_है ?
कुछ मनुष्य जो कुछ विशेष प्रकार का कर्म करते हैं वे यमराज द्वारा वापस पृथ्वी पर प्रेत योनि में भेजे जाते हैं जिसमे वे एक निश्चित समय तक रहते हैं |

निम्न प्रकार के कर्म करने वाले लोग प्रेत योनि प्राप्त करते हैं.

(1) विवाह के बाहर किसी से शारीरिक सम्बन्ध बनाना.
(2) धोखाधडी या किसी की संपत्ति हड़प करना.

( 3) आत्म हत्या करना.

( 4) अकाल मृत्यु: जैसे किसी जानवर द्वारा या किसी दुर्घटना में मारा जाना आदि (अकाल मृत्यु स्वयं मनुष्य के कुछ विशेष कर्मो के कारण प्राप्त होते हैं)
व्याख्या

प्रेत योनि प्राप्त करने के पीछे के कारण की
व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है|

जब कोई जीव मनुष्य शरीर धारण करता है तो उसके कर्मो आदि के अनुसार उसका एक समय तक पृथ्वी पर रहना अपेक्षित होता है |

यमराज जब मनुष्य के सभी कर्मो की समीक्षा करते हैं और उसमे यह पाते हैं कि जीव उस अपेक्षित समय से पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो
गया तब उस जीव को बाकि समय के लिए प्रेत योनि में व्यतीत करना पडता है|

मान लें कि किसी मनुष्य का जीवन ८० वर्षों का बनता था, लेकिन उसने ७०वे साल में आत्म हत्या कर ली, वैसी स्थिति में उसे १० सालों तक प्रेत योनि में व्यतीत करना पड़ेगा|

प्रेत योनि एक सूक्ष्म शरीर होता है|
प्रेत योनि में निवास करते समय मनुष्य की सभी इक्षाएं वैसी ही होती है जैसा उसका मनुष्य शरीर में था | यहाँ तक की भोजन आदि की इक्षाए भी वही होती है|

प्रेत योनि में वह सभी कुछ करना चाहता है लेकिन कर नहीं पाता क्योंकि उसके पास भौतिक शरीर नहीं होता| इसलिए अगर मनुष्य के रूप में
उसकी कई इक्षाएं अपूर्ण रह गई हों तो प्रेत योनि में उस मनुष्य को अपनी इक्षाएं पूरी नहीं होने की पीड़ा झेलनी पड़ती है|

जब प्रेत योनि में उसका समय समाप्त हो जाता है जितना कि मनुष्य के रूप में उसे पृथ्वी पर रहना था तब उस आत्मा को नया शरीर प्राप्त होता है |

इसलिए मनुष्यों को कभी
आत्म हत्या जैसा कर्म नहीं करना चाहिए|

यह तो आत्म हत्या के सन्दर्भ में था| लेकिन कुछ दूसरे पाप करने वाले भी प्रेत योनि में जाते हैं| उनका प्रेत योनि में रहने का समय उनके पाप के अनुसार होता है,जो ज्यादा पाप करते हैं वह लंबे समय तक प्रेत योनि में रहते हैं जहाँ वे अपनी इक्षाओं को
पूरा करने के लिए तडपते हैं|

#भगवान_के_भक्तो_का_क्या_होता_है ?

भगवान के भक्तों को मृत्यु के बाद किसी प्रकार की यातना नहीं झेलनी पड़ती| भगवान के भक्त को यमराज के दूत नहीं बल्कि भगवान के अपने दूत लेने आते हैं| भगवान के दूत उस जीवात्मा की घर के बाहर प्रतीक्षा करते हैं और बहुत आदर
के साथ भगवान के धाम लेकर जाते हैं| जहाँ वह जन्म और बंधनों से मुक्त अलौकिक जीवन जीता है|

भगवान ने श्रीमद भगवद गीता में यह वचन दिया है

कौन्तेय प्रतिजानीहि न में भक्तः प्रणश्यति।

अर्जुन!
मेरे भक्त का कभी पतन नहीं होता !

#सनातन_संस्कृति

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Aug 27
भगवान शिव के दो बेटों के अलावा उनकी तीन बेटियां भी है। आइए आप को इस बात से अवगत करवाते हैं, और पूर्ण जानकारी देते हैं।

#पहली_पुत्री ;- अशोक सुंदरी को माता पार्वती के द्वारा बनाया गया था ताकी उनका अकेलापन दूर हो जाए। अशोक नाम इसीलिए रखा गया था, क्यूँकि दुख या
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#Copied Image
शोक के समय वह अपनी इस पुत्री के साथ समय व्यतीत करें, तो उन्हें अच्छा महसूस हो।

सुंदरी इसीलिए कहा जाता है, क्योंकि वह बहुत ही सुंदर थी। अशोक सुंदरी का विवाह राजा नहुष के साथ हुआ था। उनके द्वारा सौ पुत्रियो का जन्म हुआ जो उनके जैसे ही बहुत सुंदर थी।
#दूसरी_पुत्री ;- ज्योति- यह माता ज्योति के नाम से आज भी धरती पर पूजी जाती हैं। यह भगवान शिव की दूसरी पुत्री हैं। इनके जन्म के पीछे दो कहानियां प्रसिद्ध हैं। पहली कहानी के अनुसार यह भगवान शिव के प्रभामंडल से उत्पन्न हुई थी।

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Aug 26
#घर_बैठे_तीर्थ_दर्शनों_का_आनन्द_ले ..

राम मंदिर का सबूत माँगने वाले लोगो को मेरी तरफ से एक छोटा सा सबूत ?????

भारतीय संस्कृति का इतिहास को पन्नो से मिटा सकते हो जमीन से कैसे मिटाओगे जब कण कण इसकी गवाही देती है

#जय_श्री_राम 🚩🚩
#सनातन_संस्कृति
#Thread
Read 4 tweets
Aug 26
💥 #तनाव_प्रबंधन_सीखें_भगवान_शंकर_से :🚩

🔹1- जटा में गंगा और त्रिनेत्र में अग्नि (जल और आग की दुश्मनी)

🔸2- चन्द्रमा में अमृत और गले मे जहर (अमृत और जहर की दुश्मनी)

🔹3- शरीर मे भभूत और भूत का संग ( भभूत और भूत की दुश्मनी)
#Thread
@Itishree001 @IndiaTales7
🔸4- गले मे सर्प और पुत्र गणेश का वाहन चूहा और पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर ( तीनो की आपस मे दुश्मनी)

🔹5- नन्दी (बैल) और मां भवानी का वाहन सिंह ( दोनों में दुश्मनी)

🔸6- एक तरफ तांडव और दूसरी तरफ गहन समाधि ( विरोधाभास)

🔹7- देवाधिदेव लेकिन स्वर्ग न लेकर हिमालय में तपलीन।
🔸8- भगवान विष्णु इन्हें प्रणाम करते है और ये भगवान विष्णु को प्रणाम करते है।

इत्यादि इतने विरुद्ध स्वभाव के वाहन और गणों के बाद भी, सबको साथ लेकर चिंता से मुक्त रहते है। तनाव रहित रहते हैं।

और हम लोग विपरीत स्वभाव वाले सास-बहू, दामाद-ससुर, बाप-बेटे, माँ-बेटी, भाई-बहन,
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Aug 25
#जाने_यज्ञ_कुंड 🔥 #कितने_प्रकार_के_होते_हैं ? ⛳

यज्ञ कुंड मुख्यत : #आठ_प्रकार के होते हैं और सभी का प्रयोजन अलग अलग होता हैं ।

🌻1. योनी कुंड – योग्य पुत्र प्राप्ति हेतु ।

🌻2. अर्ध चंद्राकार कुंड – परिवार मे सुख शांति हेतु । पर पति पत्नी दोनों को एक साथ
#Thread Image
आहुति देना पड़ती हैं ।

🌻3. त्रिकोण कुंड – शत्रुओं पर पूर्ण विजय हेतु ।

🌻4. वृत्त कुंड - जन कल्याण और देश मे शांति हेतु ।

🌻5. सम अष्टास्त्र कुंड – रोग निवारण हेतु ।

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🌻7. चतुष् कोणा स्त्र कुंड – सर्व कार्य की
सिद्धि हेतु ।

🌻8. पदम कुंड – तीव्रतम प्रयोग और मारण प्रयोगों से बचने हेतु ।
तो आप समझ ही गए होंगे की सामान्यतः हमें चतुर्वर्ग के आकार के इस कुंड का ही प्रयोग करना हैं ।

ध्यान रखने योग्य बाते :- अब तक आपने शास्त्रीय बाते समझने का प्रयास किया यह बहुत जरुरी हैं ।
Read 12 tweets
Aug 25
💥 #चार_युग_और_उनकी_विशेषताएं 🚩
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'युग' शब्द का अर्थ होता है एक निर्धारित संख्या के वर्षों की काल-अवधि। जैसे सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग आदि ।
यहाँ हम चारों युगों का वर्णन करेंगें। युग वर्णन से तात्पर्य है कि उस युग में
#Thread
@IndiaTales7
किस प्रकार से व्यक्ति का जीवन, आयु, ऊँचाई, एवं उनमें होने वाले अवतारों के बारे में विस्तार से परिचय देना। प्रत्येक युग के वर्ष प्रमाण और उनकी विस्तृत जानकारी कुछ इस तरह है -

🔸 #सत्ययुग 🚩

यह प्रथम युग है इस युग की विशेषताएं इस प्रकार है -
इस युग की पूर्ण आयु अर्थात् कालावधि –
17,28,000 वर्ष होती है ।

इस युग में मनुष्य की आयु – 1,00,000 वर्ष होती है ।
मनुष्य की लम्बाई – 32 फिट (लगभग) [21 हाथ]
सत्ययुग का तीर्थ – पुष्कर है ।

इस युग में पाप की मात्र – 0 विश्वा अर्थात् (0%) होती है ।
इस युग में पुण्य की मात्रा – 20 विश्वा अर्थात् (100%) होती है ।
Read 11 tweets
Aug 24
रामायणमें वर्णित मुख्य स्थान -

1.तमसानदी : अयोध्या से
20 किमी दूर है तमसा नदी।
यहां पर उन्होंने नाव से नदी पार की।

2.श्रृंगवेरपुरतीर्थ : प्रयागराज से
20-22 किलोमीटर दूर वे
श्रृंगवेरपुर पहुंचे,
जो निषादराज गुह का राज्य था।
यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा
/2
पार करने को कहा था।
श्रृंगवेरपुर को वर्तमान में
*सिंगरौर* कहा जाता है।

3.कुरईगांव : सिंगरौर में गंगा पार कर श्रीराम कुरई में रुके थे।

4.प्रयाग: कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे। कुछ महीने पहले तक प्रयाग को इलाहाबाद कहा जाता था ।
5.चित्रकूट : प्रभु श्रीराम ने प्रयाग संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट।
चित्रकूट वह स्थान है,
जहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचते हैं।
तब जब दशरथ का देहांत हो जाता है। भारत यहां से राम की चरण पादुका ले जाकर उनकी चरण पादुका
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