👉🏾 विभाजन : "कुरान की कसम" और कत्ल ; एक साजिश.. #चंद्रभान
शूजाबाद, पाकिस्तान
भारत विभाजन के दौरान हमारे साथ जो हुआ, वह बहुत ही डरावना है। बंटवारे के वक्त मेरी उम्र 16 साल थी। चारों ओर मार-काट हो रही थी। हमारे गांव से करीब छह मील दूर तरेगने नाम से एक गांव है। @Sabhapa30724463 👇🏾
वहां एक दिन मुसलमानों ने हिंदुओं पर हमला कर दिया। सभी हिंदू छत पर चढ़ गए और वहां से ईंट-पत्थर चलाकर मुसलमानों का मुकाबला करने लगे।
जब हिंदू भारी पड़ने लगे तो कुछ मुसलमान सिर पर कुरान रखकर सामने आए और बोले, ‘कसम कुरान की अब तक जो हुआ सो हुआ, आगे कुछ नहीं होगा। नीचे उतरो @rs414317
बातचीत करके मसला हल कर लेते हैं।’ जैसे ही कुछ लोग नीचे आए वैसे ही मुसलमानों ने कुरान को रखकर तलवार से उनकी गर्दन काट दी।
एक दूसरी घटना रामपुर में हुई। वह भी मेरे गांव के पास ही है। वहां डॉ. रूगनाथ जावा बड़े प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। उनका बड़ा घर था और घर के एक हिस्से में बहुत 👇🏾👇🏾
बड़ा हवन कुंड था। उसमें प्रतिदिन हवन होता था और उसमें गांव के लोग भी भाग लेते थे। एक सुबह उनके घर में हवन हो रहा था, तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया। वे हवन छोड़कर दरवाजे पर आए तो देखा कि कुछ मुसलमान कुरान के साथ खड़े हैं।
उन मुसलमानों ने कहा, ‘देखो हाथ में कुरान है, इसलिए घबराने 👇🏾
की जरूरत नहीं है। दरवाजा खोलो आपस में बैठकर बात करेंगे।’ उन्होंने जैसे ही दरवाजा खोला तो उनका सिर तन से अलग कर दिया गया। हवन के कारण घर में 20-25 पुरुष थे। कुछ मुकाबला करने लगे और कुछ ने फटाफट दरवाजा बंद कर दिया। महिलाओं, लड़कियों ने हवन कुंड में कूद कर जान दे दी। #विश्वासघात😡
#गुमनाम_क्रांतिकारी🚩🙏
अमृत महोत्सव – भारत की स्वतंत्रता में जनजातीय नायकों का योगदान :-
स्वाधीनता का अमृत महोत्सव जनजातीय वीर स्वतंत्रता सेनानियों को एक अरण्यांजलि है. जनमानस में स्वतंत्रता के उस भाव को जागृत करना है, जिसके लिए अनगिनत जनजाति वीर योद्धाओं ने अपना सर्वस्व👇🏾👇🏾
समर्पित किया. उनकी इस शौर्यगाथा को प्रबुद्ध जनमानस तक पहुंचाने का श्रेष्ठ माध्यम लेखन कार्य ही है.
जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास
भारतीय सीमाओं का अध्ययन करें तो स्पष्ट होता है कि इन सीमाओं पर निवास करने वाला समू जनजातीय समाज ही था. जब-जब आक्रांताओं ने भारत में प्रवेश👇🏾👇🏾
करने का प्रयास किया, उनका सामना पहली रक्षा पंक्ति में खड़े वनवासियों से होता था. आक्रमणकारी अलेक्जेन्डर का भारत में प्रवेश और सिबई, अगलासोई, मल्लस जैसी जनजातियों के साथ ‘युद्ध से स्पष्ट’ समझा जा सकता है. वनवासियों की आरंभिक क्रांति आगे चल कर स्वाधीनता आंदोलन बनी. भारत के 👇🏾👇🏾
पश्चिम बंगाल की ममता बानो शायद देश की सबसे होशियार महिला हैं इसीलिए गैर भाजपा वाले राज्य के मुख्यमंत्री उन्हीं को फॉलो करते हैं। मोमता की ये हार्दिक इच्छा है कि वो आजीवन पश्चिम बंगाल की गद्दी पर बनी रहें। लाख चुनाव होते रहें पर @Geetaverma07 👇🏾
जनसंख्या की डेमोग्राफी बदल जायेगी तो चुनाव मात्र एक खानापूरी बन कर रह जायेगा और इसी सोच के तहत उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों को अथाह सुविधाओं और नौकरी का लालच देकर पश्चिम बंगाल में न केवल बसाया वरन हिंदुओं के शोषण और पलायन का भी इंतजाम कर दिया। जब बांग्लादेशियों से भी मन नहीं👇🏾
भरा तो रोहिंज्ञाओं के लिए भी द्वार खोल दिये। सरकारी नौकरियों में केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के दिये निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए सौ प्रतिशत तक मोमिनों की भर्ती कर डाली। आज नतीजा सामने है बीजेपी के चाणक्य अमित शाह, जेपी नड्डा और मोदी जी पश्चिम बंगाल में लाख रैलियां कर लें👇🏾
👉🏾कभी सोचा है कि यदि भारत मे मुगलों का ही शासन था, तो हम हिन्दू जिंदा कैसे बच गए या हिन्दू कैसे रह पाए ?
क्योंकि मुसल्मान की ये फितरत तो है नहीं कि वो हावी होने के बाद गैर मुस्लिम को जिंदा छोड़ दे ?
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असल मे हम हमेशा तीन लोगों के लिखे इतिहास को पढ़ते हैं.. @Sabhapa30724463👇🏾
#इतिहास_हमारा_गौरव🚩 #महाराणा_सांगा 🙏
बाबर को हिंदोस्तान का ताज पानीपत जितने से नही मिला बल्कि जब खानवा में उसकी तोपों के सामने सांगा के राजपूत पीछे हटे और फिर कुछ समय बाद सांगा को किसी अपने ने ही विष देकर मार दिया तो बाबर " हिंदोस्तां" का शासक बन बैठा।
इतिहासकार मेवाड़ में 👇🏾
गुहिलोत राजपूतों के शासक बनने का वर्ष 734 ईस्वी को मानते हैं जब नागदा " मेवाड़" के गुहिलोतो की राजधानी बनी ।फिर 948 ईस्वी में राजधानी बनी " अहर" ।1213 ईस्वी में चित्तौड़ " मेवाड़" के गुहिलोतो की राजधानी हुई।
इनके शासन को पहली बड़ी पराजय 1303 ईस्वी में मिली जब अलाउद्दीन खिलजी के
हाथों रावल रतन सिंह को पराजय मिली।
पर हार क्षणिक ही थी और वहां गुहिलोतो ने संघर्ष जारी रखा और 1326 ईस्वी में सिसोदा गांव के गुहिलोत वंशी राणा हम्मीर ने तुर्को को पराजित कर मेवाड़ पुनः गुहिलोतो के लिए जीत लिया। राणा हम्मीर से गुहिलोतो की यह शाखा सिसोदिया के नाम से प्रसिद्ध हुई।👇🏾
👉🏾चीन की दबंगई का जवाब! समुद्र में ताकत दिखाएंगे "भारत" समेत 17 देश, 100 लड़ाकू विमान होंगे शामिल..
"भारत" ऑस्ट्रेलिया में होने वाले एक मेगा हवाई युद्ध अभ्यास में शामिल होगा। इस अभ्यास में भारत समेत 17 देशों के लगभग 100 विमान और 2,500 सैन्यकर्मी भाग लेंगे।
"पिच ब्लैक" अभ्यास👇🏾👇🏾
में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, भारत, जापान, मलेशिया, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ब्रिटेन और अमेरिका के लगभग 100 विमान और 2500 सैन्यकर्मी शामिल होंगे।*
रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायु सेना (आरएएएफ) 👇🏾👇🏾
"पिच ब्लैक" को रणनीतिक भागीदारों और सहयोगियों की वायुसेना के साथ अपनी "कैपस्टोन" को अंतरराष्ट्रीय कार्य गतिविधि के रूप में मानता है। अभ्यास "पिच ब्लैक" हर दो साल में एक बार होता है और रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायुसेना द्वारा आयोजित किया जाता है।
युद्ध अभ्यास आम तौर पर उत्तरी ऑस्ट्रेलिया
👉🏾किताबों को खंगालने से हमें यह पता चला... कि...👇🏾
(BHU) "बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय" के संस्थापक *पंडित मदनमोहन मालवीय जी* नें 14 फ़रवरी 1931 को Lord Irwin के सामने *भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव* की फांसी रोकने के लिए Mercy Petition दायर की थी ताकि उन्हें फांसी न दी जाये 👇🏾👇🏾
और कुछ सजा भी कम की जाएl Lord Irwin ने तब मालवीय जी से कहा कि आप कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष है इसलिए आपको इस Petition के साथ नेहरु, गाँधी और कांग्रेस के कम से कम 20 अन्य सदस्यों के पत्र भी लाने होंगेl
जब मालवीय जी ने भगत सिंह की फांसी रुकवाने के बारे में नेहरु और गाँधी से बात👇🏾👇🏾
बात की तो उन्होंने इस बात पर चुप्पी साध ली और अपनी सहमति नहीं दीl इसके अतिरिक्त गाँधी और नेहरु की असहमति के कारण ही कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी अपनी सहमति नहीं दीl
Retire होने के बाद Lord Irwin ने स्वयं London में कहा था कि "यदि नेहरु और गाँधी एक बार भी भगत सिंह की 👇🏾👇🏾