•Use Abbreviations instead of full word's like for Enforcement department= ED,Prime Minister=PM, Home Minister=HM.
•Use Some Symbol instead of using english alphabet like use '!' instead of 'i'. '$' instead of 's'.
•Use Mirror image of some alphabets in between name of any person like RAJNISH use ЯAJNISH.
•Use another languages words in between english alphabet which looks similar but meaning different download Ukraine, Russian or any other languages in your keyboard.
•Use ALT description while image sharing, try to avoid download and reupload and image or video, use retweet or quote.
•while sharing font forget to give credits to originals or mentioned them.
•avoid shearing a copyright materials like bollywood songs or other things, (amit shah twitter account suspended)
•New laws imposed on social media last year while twitter india started suspending all twitter name and photo pointing "मैं भी राहुल गाँधी".
• किसी नेता या किसी भी चीज के नाम के एक latter जान बूझकर गलत लिख दें! इससे क्या होगा? पढ़ने वाले पढ़ लेंगे, समझने वाले समझ लेंगे, यदि कोर्ट में केस हुआ तो हम ही जीतेगें, कह देगें मैंने तो इनको कुछ कहा ही नहीं। आप मेरे पोस्ट में नाम के स्पेलिंग चेक कर लीजिए!
use साहेब, पप्पू, वास्कोडिगामा, फलाना-ढिमकाना instead of their full name
put yourself content warning (Nudity,Violent,Sensitive) when you upload any photo or video, content found in that categories. If some one others report it, than either your post or account will be terminated
अपनी जिंदगी के शुरुआती समय में सावरकर भी देशभक्त हुआ करता था देश की आजादी अंग्रेजों से चाहता था।
पर अंग्रेजों का मुसलमानों से लगा पूरा जाए रहा था जो कि सावरकर को पसंद नहीं था
क्यों?
क्योंकि अभी हाल ही में मुगल साम्राज्य खत्म हुआ था जिसके कारण अधिकांश संपत्ति और
देश अमीर जमींदार लोग मुसलमान ही हुआ करते थे।
इसलिए सावरकर ने टू नेशन थ्योरी दिया उसका मानना था कि मुसलमान अलग जाकर रहे हिंदुस्तान में सिर्फ हिंदू रहेगा।
साथ ही अंग्रेजों से लड़ने के लिए कुछ हिंदुओं को एकजुट कर अभिनव भारत नामक आतंकवादी संगठन बनाया जो अक्सर अंग्रेजी सरकार को परेशान
किया करता था।
लेकिन जब इस मामले में अंग्रेजी सरकार ने सावरकर को पकड़कर जेल में डाल दिया तो
अमीरी और तमाम सुख-सुविधाओं के बीच पले बढ़े सावरकर को अपना जीवन काफी पीड़ादायक और अंधकार में लगने लगा और तभी से उसने माफी मांगने के लिए अंग्रेजी सरकार को पत्र लिखना शुरू कर दिया
'बोलना ही है' ; Ravish Kumar; NDTV india
एक बेहद ही शानदार किताब ,
मेरा मानना है कि भारत के हर नागरिक को इसे immediately; पढ़ना ही चाहिए.
भाषाओं और शब्दों का selection काफी सावधानी से ,विवेकपूर्वक किया गया है
यह किताब मीडिया की आलोचना से ज्यादा लोगों को नागरिकबोध पर फोकस करता है
मेरा मानना है कि विपक्ष (जनता/काँग्रेस या कोई और राजनैतिक पार्टियों) को यह किताब जरूर ही पढ़ना चाहिए.
आज TV डिबेट में विपक्षी पार्टियों के प्रवक्ताओं के पास को बोलने और अपना बात ठीक से रखने के लिए ठीक शब्द नहीं है या वे शब्दो का सही से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं
रवीश कुमार का यह
किताब 'बोलना ही है' में अपार शब्दों और कुछ पुरानी घटनाओं की सत्यता को उजागर किया गया है। इसलिए विपक्षी पार्टियों को इसका फायदा जरूर उठाना चाहिए
लेकिन BJP के प्रवक्ताओं की तरह काँग्रेस या किसी अन्य पार्टियों के प्रवक्ताओं के पास भी ऐसे महत्वपूर्ण किताब पढ़ने का समय कहाँ हैं?
ये IAS अफसर बनेंगे और लोगों की सेवा करेगें, जो न जाने कितने सालों से लोगों के सम्पर्क में भी नहीं आए।
जिसने अपने माँ-बाप के बीमार होने पर एक ग्लास पानी तक नहीं दिया होगा__ये देश के सेवा करेगें।
क्या ऐसा आदमी कभी गरीब जनता की हालत को समझ पाएगा?
असल जिंदगी तो किताबों से अलग होती है
ये हमारी सिस्टम की नाकामी ही है जो जैसे व्यक्ति को इतना जिम्मेदार पद दे देता है जिसके वह लायक नहीं।
सरकार को ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए जिसमें जनता के बीच और साथ रहने वाले को ही ऐसे जिम्मेदार पद दिया जाए!
जरा सोचकर देखिए,
2 साल तक बन्द कमरों में रहने वाला बाहर खुले में जी रहे लोगों की सेवा करेगा।
क्या आपको विचित्र नहीं लगता ये सब...?
मेरा मानना है जब तक ऐसा सिस्टम रहेगा देश में अमीर-गरीब किसी का भी कल्याण नहीं होगा।
सरकार बनते ही जनहित/देशहित में राष्ट्रवादी, डबल इंजन सरकार, सन्यासी योगी आदित्यनाथ जी का बड़ा फैसला....
रिटायरमेंट की उम्र 60 साल से घटाकर 50 कर दिया गया है।
याद रखिए,
सरकारी नौकरी के अंतिम 5 वर्षों में उतनी कमाई होती है जितना शुरुआत के 10-15 साल में होता है।
(1/7)
औसतन 25-26 साल में नौकरी होती है 20-25 हजार रुपये महीने पर....
55-60 साल की होते हुए यह 80-90 हजार रुपये महीने तक पहुंच जाता है।
तो इस तरह से 60 की जगह मात्र 50 की आयु में रिटायर करवाके योगी सरकार ने हजारों करोड़ रुपया बचा लिया है।
दूसरों शब्दों में यह भी कह सकते हो कि
(2/7)
योगीजी ने सरकारी कर्मचारियों की ले ली है (गलत सेंस वाला).
पेंशन भी नहीं है सरकारी नौकरी में... राटायर भी 10 साल पहले....
ऐसा फैसला बहुमत की सरकार ही ले सकती है।विपक्ष को कमज़ोर रखने का फल दिया जा रहा है।
(3/7)
Women Factor #SilentVoter
पुरुष #GodiMedia देखता है,बाहर जाता है,
किसी से डिबेट करके अपनी बेज्जती करवाता है तब या तो #अंधभक्त का certificate पाता है या फिर उसका दिमाग ठिकाने लग जाता है और वह Normal Humans की तरह सोचने लग जाता है।
On the other hand
महिलाएँ घर में बैठी रहती है, #GodiMedia देखती है, फिर TV सीरियल देखती है, कभी समझदार व्यक्ति से बात करने का मौका ही नहीं मिलता है उनको...
वो न सामान्य इंसान के रूप में सोच पाती है और न ही #अंधभक्ति का प्रमाणपत्र प्राप्त कर पाती है।
वैसे एक बात मानना पड़ेगा मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए बहुत काम भी किया है #शौचालय,#राशन...
महिलाएँ इतने में ही खुश हो जाती है,उसका मरद कितना कमाता है और कितना कम बचा पाता है इसके लिए वो सरकार को नहीं, बल्कि अपने मरद को ही जिम्मेदार मानती है...
जबकि महँगाई सरकार ने बढ़ा रखी है।
#RavishKumar (@ravishndtv) जी ने बहुत साल पहले एक बात कहा था
• नागरिक को TV debate देखना बन्द कर देना चाहिए और
• विपक्ष को पूर्णतः GodiMedia का बहिष्कार कर देना चाहिए
दरसल उस समय रवीश बहुत बड़े पॉइंट की तरफ ईशारा कर रहे थे.....
दोनों में से किसी ने #रवीश_कुमार की नहीं सुनी और नुकसान दोनों का हो रहा है
•GodiMedia जनता को सही और निष्पक्ष जानकारी नहीं देता और
•विपक्ष को बोलने का स्पेस नहीं देता है
विपक्ष को बैठाकर फकेन्यूज़ फैलाया जा रहा होता है और उसे स्पष्ट बोलने का मौका नहीं दिया जाता है तो...
अगर विपक्ष गोदी मीडिया के किसी भी डिबेट में शामिल नहीं होता तो जनता जरूर अनुपस्थित विपक्ष को ढूढती....उनका पक्ष जानने के लिए
जनता को ही विपक्ष बनने का मौका दिया जाना चाहिए... कांग्रेस (विपक्ष) उस समय का उपयोग जमीनी स्तर पर मजबूत कार्यकर्ताओं को खड़े करने में कर सकती है