हम सबने सुना है और फोटो में देखा है कि भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग के ऊपर लेटे हुए हैं .
लेकिन, कोई नहीं जानता था कि आखिर ये क्षीर सागर है कहाँ..
कोई कैस्पियन सागर को क्षीर सागर बताता था तो कोई #Thread
अटलांटिक महासागर के झाग को क्षीर सागर बताता था..
तो, कोई कैलाश पर्वत के पास क्षीर सागर की मौजूदगी बताते थे.
लेकिन, यह जानकर आपके हैरानी की सीमा नहीं रहेगी कि....
नासा के खगोलविदों ने अंतरिक्ष में तैरते हुए एक विशाल महासागर की खोज की है जो पृथ्वी के सभी महासागरों से
करोड़ो गुणा बड़ा है जिसमें पृथ्वी पर मौजूद कुल पानी से 140 ट्रिलियन गुणा अधिक पानी है.
(1 ट्रिलियन = 1 लाख करोड़)
अंतरिक्ष में पानी का ये असीमित महासागर हमारी पृथ्वी से लगभग 12 अरब प्रकाश वर्ष दूर है.
(1 प्रकाशवर्ष = 1 साल में प्रकाश जितनी दूरी तय कर पाती है)
जहाँ यह
सैकड़ों प्रकाश-वर्ष के क्षेत्र में फैला हुआ है.
जिसकी खोज खगोलविदों की दो टीमों ने की है...
इस महासागर को क्वासर के गैसीय क्षेत्र में खोजा गया है...
जो एक ब्लैक होल द्वारा संचालित आकाशगंगा के केंद्र में एक शानदार कॉम्पैक्ट क्षेत्र है.
(उस महासागर का फोटो संलग्न है)
हालांकि, यह विशेषज्ञों के लिए आश्चर्य की बात नहीं है...
लेकिन, इससे पहले कभी भी पानी की खोज नहीं की गई थी.
क्वासर से प्रकाश ( विशेष रूप से, लिंक्स नक्षत्र में एपीएम 08279 + 5255 क्वासर) को पृथ्वी तक पहुंचने में 12 अरब वर्ष लगे...
जिसका अर्थ है कि पानी का यह द्रव्यमान उस
समय से अस्तित्व में है जब ब्रह्मांड केवल 1.6 अरब वर्ष पुराना था.
इसके लिए एक टीम ने हवाई में कैल्टेक सबमिलिमीटर वेधशाला में जेड-स्पेक उपकरण का इस्तेमाल किया.
जबकि दूसरे ने फ्रांसीसी आल्प्स में पठार डी ब्यूर इंटरफेरोमीटर का इस्तेमाल किया.
ये सेंसर मिलीमीटर और सबमिलीमीटर
तरंग दैर्ध्य का पता लगाते हैं...
जिससे, प्रारंभिक ब्रह्मांड में मौजूद गैसों एवं जल वाष्प के विशाल जलाशय का पता लगाया जा सकता है.
क्वासर में पानी के कई वर्णक्रमीय उंगलियों के निशान की खोज ने शोधकर्ताओं को जलाशय के विशाल परिमाण की गणना करने के लिए आवश्यक डेटा प्रदान किया.
अगर इतने सारे टेक्निकल पॉइंट को छोड़ दिया जाए तो एक लाइन में कह सकते हैं कि...
हमारे वेदों एवं विष्णु पुराण में अंतरिक्ष में मौजूद इस तरह के जलाशय (क्षीर सागर) का वर्णन उस समय से है...
जब बाकी दुनिया को ये तक नहीं मालूम था कि धरती चपटी है या गोल है.
और, नासा की इस पुष्टि के बाद... आखिर हमें हमारे धर्मग्रंथों एवं खुद के सनातनी होने पर क्यों गर्व नहीं होना चाहिए ???
हरि ॐ...!! 🚩
फोटो एवं डिटेल : साभार NASA
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
💥 #अस्त्र :-
👇👇 #अस्त्र उसे कहते हैं, जिसे मन्त्रों के द्वारा दूरी से फेंकते हैं। वे अग्नि, गैस और विद्युत तथा यान्त्रिक उपायों से चलते हैं। दैवी अस्त्र वे आयुध हैं जो मन्त्रों से चलाये जाते हैं। प्रत्येक शस्त्र पर भिन्न-भिन्न देव या देवी का अधिकार होता है और
मन्त्र-तन्त्र के द्वारा उसका संचालन होता है। वस्तुत: इन्हें दिव्य तथा मान्त्रिक-अस्त्र कहते हैं।
ब्रिटिश पार्लियामेंट में 1872 में ब्रिटिश एविडेंस एक्ट 1872 पारित किया था इसके अनुसार अपराधी के पास बरामद सारी चीजें एविडेंस के तौर पर पेश की जाएंगी और उन्हें सुरक्षित रखा जाएगा और उन्हें अदालत में पेश किया जाएगा
मुझे लगता है 1872 में साईकिल का भी अविष्कार नहीं हुआ था फिर
जब यही कानून ब्रिटिश सरकार ने भारत पर लागू कर दिया फिर यह भारतीय एविडेंस एक्ट 1872 बन गया
यानी यदि कोई अपराधी अपराध किया है फिर उसे पकड़ा जाता है तो वो जिस गाड़ी में होगा उस गाड़ी को भी एविडेंस बना लिया जाता है या किसी गाड़ी में अपराध हुआ है तो उसे भी एविडेंस एक्ट के तहत
बहुतों को शायद ये पता न हो कि दरगाहो मे एक बेड़ी बाँधने और काटने की रस्म होती है। दरगाह मे जाकर मन्नत माँगने वाली लड़की के पैर मे काले रंग के धागे से बेड़ी बाँध दी जाती है। #Thread
ये बेड़ी कथित मन्नत के पूरा होने पर दरगाह मे जाकर खादिम से कटवाई जाती है, तब जाकर वो लड़की बेड़ी कटवाकर मुक्त होती है। ये मजारों के खादिमों का नया टंटा है, जिसमे अधिकतर हिन्दू लड़कियां दरगाहों पर बेड़ी बँधवा रही हैं।
इसकी शुरुआत कलियर शरीफ से हुई थी..यह भोली भाली हिन्दू
लड़कियों को फ़साने का टोटका है जो बहुत हद तक कामयाब हो रहा है। आजकल हर छोटी बडी दरगाह मे यही बाँधने -काटने का धंधा चाल रहा है ।
पैर के पास जहां पायल या धागा पहनते है उस जगह पर मंगल ग्रह का निवास माना जाता है और मंगल ग्रह को काली चीज पसंद नही इसलिए काला धागा पैरों में नही
🔸5. #भीगे पैर नहीं सोना चाहिए। सूखे पैर सोने से लक्ष्मी (धन) की प्राप्ति होती है। *(अत्रिस्मृति)* टूटी खाट पर तथा *जूठे मुँह* सोना वर्जित है - #महाभारत