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Sep 18, 2022 21 tweets 6 min read Read on X
#चीताजी_से_साक्षात्कार

आप जानते हैं, हमारे बीच चीताजी पधार चुके हैं।चीताजी विलुप्त होने से पहले भारत के मूल निवासी माने जाते थे। १९५२ में उन्हें भारत में विलुप्त मानकर विदेशी घोषित कर दिया गया।चीता जी अफ्रीका में बस गए। जब वापस आए हैं तो लोग उनके आने को घर वापसी कह रहे हैं।
वे हमसे बड़ी सहृदयता से मिले और हमारे प्रश्नों के उत्तर खुलकर दिए। पढ़िए कुछ अंश –
चीता जी दूर खड़े थे, पास आने के लिए उन्होंने ही पूछा – “मैं आऊं?”
हमने कहा – “आइए आइए, स्वागत है आपका। कैसा लग रहा है आपको भारत आकर?”
#कूनो
इस प्रश्न पर वे केवल मुस्कुराए और चिड़िया की तरह चहचहा उठे -“चां चां चां”। उनका तात्पर्य था कि वे बहुत प्रसन्न हैं।
फिर भी हमने शिष्टाचार में पूछा – “कैसे हैं आप?”
वे बोले “आं म्यां आं म्यां”
“देखिये, ऐसे राम राम बोलेंगे तो सांप्रदायिक घोषित हो जायेंगे। अपने बारे में कुछ बताइये?”
“हमारे पूर्वज थे तो भारतीय ही, फिर हम व्यापार के चलते अफ्रीका में बस गए।”
हमें यह जानकार अत्यंत प्रसन्नता हुई। हमने पूछा – “लोग आपके भारत आने को घर वापसी की संज्ञा दे रहे हैं। क्या अफ्रीका में अपने धर्म परिवर्तन किया था? अब जब लौटे हैं तो क्या आपका शुद्धिकरण किया गया है?”
बड़े बड़े दांत दिखाते हुए बोले – “जी घर वापसी तो है। अफ्रीका में वे अफ्रीकी थे लेकिन अब पूरी तरह से भारतीय हो गए हैं।”
इस पर हमनें पूछा – “तो जब आपको नागरिकता दी गई तो क्या CAA के तहत दी गई? आप CAA को कैसा कानून मानते हैं?”
उन्होंने बड़े विस्मय से हमारी ओर देखा।

#कूनो
बोले – “हम जैसे CAA.T. फॅमिली वालों के लिए तो अच्छा ही है। जो भारत में बसना चाहते हैं। “
“आपको नहीं लगता CAA के माध्यम से CAA.T. फॅमिली के आलावा अन्य फॅमिली वाले जानवरों को भी भारत में बसने का मौका मिलना चाहिए?”
वे बोले – “किसनें रोका है?”
“तो क्या उनको भी घर वापसी करनी पड़ेगी?”
”जो यहाँ का है वो यहीं का है। घर वापसी से अच्छा क्या होगा?”
“आप संघ से प्रभावित लगते हैं। हमारे एक पाठक मंडल का मानना है कि आप अब शिकार करेंगे। आपके शिकार के लिए चीतल वगैरह छोड़े गए हैं। आप उनकी गर्दन तोड़ेंगे और उनको खा जायेंगे? “
“आपका पाठक मंडल कतई भ्रमित प्रतीत होता है।
शिकारी शिकार नहीं करेगा तो क्या – बुध्दं शरणं गच्छामि कहते हुए घास खाएगा? “
“तो क्या शिकार पाप नहीं है?”
“पाप है अपनी कुंठाओं, मनोरंजन और भय व्याप्त करने के लिए अकारण किसी पर आक्रमण करना।”
“फिर भी शिकार तो आप करेंगे ही न?”
“हाँ, भूख मिटाने के लिए। लेकिन द्वेष तो नहीं फैलाएंगे।
गधों के हिस्सों की घास तो खाएंगे ही नहीं।”
“फिर लोग तो यह भी कह रहे हैं कि आपके आने से बेरोजगारी दूर नहीं हो रही? न महंगाई कम हो रही है। महिला सशक्तिकरण भी नहीं होगा।”
“वे तो कुछ भी बोल सकते हैं। वे सशक्तिकरण ठीक से बोल पाए?”
“आप जवाब दीजिये – आपके आने से गरीबों को क्या फायदा?”
“नुक्सान भी क्या होगा? हम तो चुपचाप जंगल में घूमते रहेंगे, और पैसे भी नहीं लेंगे। आप उनसे ही पूछिए कि वो जो AC वाले कंटेनर में जो जोड़-तोड़ करते घूम रहे हैं, उससे कितने किलोमीटर गरीबों को रोजगार मिल गया?”
“खैर छोड़िये। एक नेता जी कह रहे हैं कि आप १३ साल पहले आने वाले थे।

#कूनो
तब क्या हुआ था? आपका मन नहीं था?”
“हमारे दादा रहे होंगे, जरूर उस समय की सरकार को देखकर मना कर दिया होगा। वैसे भी उनके समय में कौन से निर्णय समय पर लिए जाते थे। उस समय की सरकार ने योजना बनाई होगी। योजना तो बहुत बनाते थे, पूरी कितनी करते थे? हर योजना की तरह यह योजना भी धरी रह गई।
“तो निर्णय में देरी से आप आहत हैं?”
“जितनी देर वो सरकार करती थी, उतने साल तो हम जीते नहीं। जो आहत हुए होंगे वो तो चल बसे। “
“इतिहास में आपके पूर्वजों का मुगलों के साथ गहरा रिश्ता मिलता है। आपके दादा कुछ सुनाते थे मुगलों के बारे में?”
“बिलकुल है। हम पहले मुगलई चीते कहलाते थे।"
मुगलों के साथ मुगलई चला गया।सोच रहे हैं ग्वालियर और ओरछा के जहांगीर महल पर दावा ठोक दें।”
“जैसा मोदी जी ने कहा है कि उस समय कबूतर छोड़ते थे, अब चीते छोड़ते हैं। आपका इसपर क्या विचार है?”
“ये मोदी जी के अपने विचार हैं। हम तो मानते हैं कबूतर छोड़ने वाले चाचा और चीते का च एक ही है।
अब मोदीजी ने हमें छोड़ा है या नया घर दिया है समय बताएगा। बस एक शिकायत रह गई, सबको भाषण देते हैं। छोड़ते समय एक छोटा सा भाषण हम चीतों को भी दे देते। या थोड़ी देर के लिए सही फॉलो ही कर लेते। लेकिन हम कौन से उनको वोट देने वाले हैं।”
“क्यों नहीं देंगे? फिर किसको देंगे?”
“किसी को नहीं देंगे?”
“क्यों?”
“क्योंकि वोट देने की उम्र १८ साल है। हम बारह से ज्यादा जीते ही नहीं।”
“और किसी नेता नें आपका स्वागत किया है?”
“जी, किसी हैंडसम ने हमारे बच्चों के लिए झुनझुना भेजा है।
एक नेताजी का फोन आया था वो चीतों को नंबर वन बनाने की बात कह रहे थे। उन्होंने हमें मुफ्त हिरण और हमारे बच्चों को सर्कस ट्रेनिंग देने का वादा भी किया।
उसके लिए वो जंगल में स्कूल बनवाएंगे।
एक नेत्री नें हमारे ऊपर कविता भी लिख डाली जो हमको समझ में नहीं आई –
चीता पीता,
काटा फीता,
कच्चा बादाम,
पक्का पपीता।
चीता आता कोलकाता,
आटा बाटा खाता
आम, जामुन, अनारस,
चलो जाएँ बनारस।
संतरा मौसंबी किन्नू,
चीता का घर कुन्नू।
एक #अरबनराकस नेता ने हमको देख लेने की बात की।”

"और किसी नेता के साथ कोई अनुभव रहा आपका?”

#कूनो
कोई ट्रिन-ट्रिन करते आए थे। बिलकुल भोले बालबुद्धि वाले।
आते ही जिद करने लगे – “दहाड़ के दिखाओ।”
हमने कहा -” हम नहीं दहाड़ते।”
वे बोले – “दहाड़ना तो पड़ेगा।”
हमने कहा – “हम गुर्राते हैं। और उनको गुर्रा कर दिखाया। वे हंसने लगे, बोले हम इतने दिनों से दहाड़ का इंतज़ार कर रहे थे।
ये तो बड़ा बिल्ला निकला। चीता बोलके मोदी जी बिल्ला उठा लाए।”
हम उनको क्या समझाते, हमने बस इतना कहा "हमने कभी साइकिल नहीं देखी एकबार चालू कर के दिखा दो।"
वे कहने लगे "साइकिल में इंजन नहीं होता।"
"हमने कहा साइकिल का टैंक फुल करवा के आओ रेस लगायेंगे।"
"साइकिल में पेट्रोल नहीं डलता।" कहते हुए चुपचाप चले गए।
“जी ये तो है तरह तरह के नेता, तरह तरह की बात। अब ये कूनो ही आपका घर है। आशा है आप ख़ुशी से रहेंगे।”
“हाँ, हम तो घर ही समझते हैं बस ये वफ्फ वाले पहले जंगल और फिर हमको ही अपनी संपत्ति न घोषित कर दें।
हमने अंतिम प्रश्न किया - "इस थ्रेड के चोरी होने की कितनी संभावना है?"
चीता जी बोले - "है तो उतनी ही जितनी शेर वाले की थी। लेकिन इस थ्रेड को चुराने वालों को चितचोर चीता मित्र घोषित कर दीजिये।"

#अरबनराकस
#KunoNationalPark
#CheetahIsBack

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Sep 10, 2023
आज का थ्रेड - कांग्रेस राज में G20

कुंठित पत्रकारों की सभा हो रही थी। सभी आदि इत्यादि पत्रकार रोनी सूरत बनाकर बैठे हुए थे। बैठे-बैठे सामूहिक सपना देखने लगे। कांग्रेस की सरकार आ गई है और राह–उल–गान्ही प्रधानमंत्री बन गए हैं। जी–२० का आयोजन हो रहा है।
तैयारियों के नाम पर एक लाख करोड़ रुपए आवंटित हुए थे जिसे मंत्री खा गए हैं। सबको हिस्सा मिला है। गान्ही बाबा ने कहा है कुछ तैयारी की जरूरत नहीं है। जो जैसा है वैसा ही दिखाएंगे।अपनों से क्या छिपाना?
एक पत्रकार ने सपने में देखा राष्ट्राध्यक्ष आ रहे हैं। उन्हें लेने कोई नहीं गया।
सब रिक्शा कर के जनवासे में जा रहे हैं। सबको एक स्कूल में ठहराया गया है। स्कूल के कमरे अलग अलग देशों को दे दिए गए हैं। सारी डेस्क उठाकर एक कोने में एक के ऊपर एक चढ़ा कर रख दी गई हैं। कमरों में दरी बिछी है। दरी पर सफेद चादर में लिपटे गद्दे हैं। साथ में काले कंबल भी रखे हैं।
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Jun 8, 2023
वैसे तो इस थ्रेड में तर्क वगैरह हो स्वाहा ही समझिये। फिर भी अगर बिना किसी तर्क के ही पढ़ सकें तो पढ़ें।

एक नई फिल्म के टीजर देखने के बाद, हमने सोचा अगर पुराने जमाने के टिपिकल मसाला फिल्मों वाले इस फिल्म के डायलॉग लिखते तो कैसे लिखते। डायलॉग और सीन कैसे होते?
किसी किले के सामने –

"रावण अली! चुपचाप अपने दोनों हाथ ऊपर कर के बाहर आ जाओ। वानरों ने तुम्हें चारों तरफ से घेर लिया है।"

"तुमने अभी रावण का कहर देखा नहीं है सूर्यवंशी। रावण के खौफ से देवता भी थर थर कांपते हैं।"

पृष्ठभूमि में संगीत ~ लंक..लंक..ल..ल ...लंकेश ..लंकेश।
"रावण जब स्वर्ग की तरफ देख भी लेता है तो देवता कहते हैं अप्सराओं छुप जाओ नहीं तो रावण आ जाएगा।"

"ये गीदड़ भभकी किसी और को देना रावण। माँ का दूध पिया है तो बाहर निकल। क्या कायरों की तरह छुप कर बैठा है।"

"लौट जाओ सूर्यवंशी, वरना.."

"वरना क्या रावण अली.."

"अंजाम बहुत बुरा होगा!"
Read 25 tweets
Mar 21, 2023
बिजनेस चैनल पर भूकंप –

चार्ट देखकर बताइए ये जो spike आया है, आपकी क्या राय है?

देखिए चार्ट में एक हिलता डुलता झूमर पैटर्न बना है। मोमेंटम बना है लेकिन शॉर्ट टर्म का लगता है। इसमें पहला टारगेट 5.5 का बनता है, अगले 30 से 60 सेकंड में 6.6 से 7.7 के लेवल देखने को मिल सकते हैं।
अगर 6.6 से ऊपर निकलता है तो थोड़ा थोड़ा करके जो मिले समेट कर घर से निकल जाने की राय है।
जो ग्राउंड फ्लोर पर हैं वो बने रहें और जो ऊपर के फ्लोर पर हैं वो अपनी बुकिंग कर लें। लो राइज बिल्डिंग वालों के लिए कोई राय नहीं है।

तो ये है आपकी राय 7.7 तक का हो सकता है टारगेट।
आइए रुख करते हैं दूसरे एक्सपर्ट की तरफ, बताइए आपकी कोई राय?

देखिए पहले वाले एक्सपर्ट ने सही कहा है spike आ रहा है और डोलता झूमर पैटर्न देखने को मिल रहा है। छोटे लोग इसको को झूलता पंखा पैटर्न कहते हैं। ये मत समझिए कि पेग का असर है, सच में भूकंप है घर से निकलने की कोशिश कीजिए।
Read 7 tweets
Jan 22, 2023
युवराज ने धनुष उठाया, और तेल की कड़ाही के पास जाकर खड़ा हो गया। उसने कड़ाही हो देखा, कड़ाही में भरे तेल को देखा, सभा में भरे लोगों को देखा, दो तीन को तो मन ही मन गले भी लगाया। ऊपर लटकती मछली को देखा और उसे अपना चुनाव चिन्ह दिखाते हुए कहा डरो मत।
उसनें धनुष के ऊपर तीर को चढ़ाया, और निशाना लगाया।
उसने नहीं सोचा कि उसे तीर मारने के बाद क्या मिलेगा, उसने तेल में देखा, उसे छत दिखी, छत पर लगा झूमर दिखा, छत पर बनी कलाकृति दिखी, छत पर लटकती मछली और अपनी ही परछाई दिखाई दी, फिर उसने तीर तेल में दिख रही अपनी ही आंख पर चला दिया।
फिर सभा में खड़ा होकर कहने लगा "मार दिया मैंने उसको, गया वो। अब तो वो है ही नहीं।जो आपको दिख रहा है वो युवराज है ही नहीं। समझो आप।"
एक राजा बोला–तीर तो मछली की आंख पर मारना था?
जब मैंने ये नहीं सोचा कि तीर मारने के बाद मुझे क्या मिलेगा तो मैं ये क्यों सोचता कि तीर मारना कहां है।
Read 16 tweets
Sep 17, 2022
#एक_प्रेत_कथा

कहते हैं एक बार राज्य में संकट आया तो राजा अपना राज्य बचाने के उपाय ढूंढने लगा। तब किसी ने कहा एक प्रेत है अगर उसे प्रसन्न कर दिया जाए तो राज्य बच जाएगा और राजा सौ साल राज करेगा।
राजा उस प्रेत को प्रसन्न करने का अनुष्ठान करने लगा।
प्रेत उसकी सभा में प्रकट हुआ। बोला मुझे खाने को दो।
राजा ने कहा जो चाहे खाओ, बस प्रसन्न हो जाओ। प्रेत मुस्कुराया बोला मैं तो भूमि खाता हूं, वही खाऊंगा। राजा ने कहा खुशी से खाओ।
प्रेत प्रसन्न हुआ कहने लगा मांगो तुमको क्या चाहिए?
राजा बोला मेरा राज बना रहना चाहिए।
प्रेत ने कहा राज जनता से है, तुम्हारे राज्य की जितनी जनता मेरी पूजा करती है। उनपर मेरा पूरा प्रभाव है मैं तुम्हें अपने प्रभाव वाली सारी जनता का समर्थन देता हूं। वे आंख बंद करके तुम्हारे साथ रहेंगे तुमको मुझे प्रसन्न रखना होगा और मेरे पूजा करने वालों को अधिक महत्त्व देना होगा।
Read 12 tweets
Jul 13, 2022
शेर जंगल में रहता, शिकार वगैरह करता था। दहाड़ता था तो पशु-पक्षी डर जाते थे। जंगल की एक गुफा में बैठा था कि शेरनी उसके पास आई।
शेरनी-खाने में क्या लाऊँ।
शेर-जो मन करे ले आओ।
- फिर भी बोलो तो।
- ठीक है दो मुलायम खरगोश ले आओ।
- खरगोश तो कल ही खाये थे।
- तो हिरन ही मार लाओ।
- उसके शिकार के लिए तो बहुत दौड़ना पड़ेगा। आज मन नहीं है।
- तो एक भैंसा ले आओ।
- भैंसा हैवी हो जाएगा।
- फिर कोई छोटा जानवर ले आओ।
- अब छोटे मोटे जानवर के लिए क्या ही शिकार पर निकलूं।
- तो जो मन करे ले आओ।
- फिर भी बोलो तो।
- रहने दे! कल के शिकार की कुछ हड्डियाँ पड़ी हैं आज वही खा लूंगा।
- कल का ज्यादा नहीं बचा है, कुछ तो लाना ही पड़ेगा।
- तो एक काम कर आज मैगी ही उबाल ले।
शेरनी ने कहा ठीक है, आराम से करती हूँ फिर, और वहीं आराम से बैठ गई।
Read 22 tweets

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