#EVM मशीन में वोट की गड़बड़ी का केस लेकर डॉ सुब्रमण्यम स्वामी सुप्रीम कोर्ट मे गये |

#माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 8 अक्टूबर 2013 को फैसला सुनाया की सिर्फ EVM से फ्री, फेयर एंड ट्रांसपरेंट चुनाव नही हो सकते है | इसके साथ VVPAT मशीन (जिससे कागज की पर्ची
निकले यानि पेपर ट्रेल) लगानी होगी |

#चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने के बाउजूद 2014 के चुनावो मे VVPAT मशीन नही लगाई तो BAMCEF के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा वामन मेश्राम साहब सुप्रीम कोर्ट मे गये और केस जीता और सुप्रीम कोर्ट ने 24 अप्रैल 2017 को अगले चुनावो मे 100% पोलिंग
बूथ पर VVPAT मशीन लगाने का आदेश जारी किया | और कहा कि यदि डिस्प्यूट की स्तिथि निर्मित होती है तो VVPAT मशीन से निकलने वाली कागज की पर्चियों की 100% रिकाउंटिंग करवाना होगा | 2019 के लोकसभा चुनावो मे 100% EVM मशीन के साथ VVPAT मशीन लगाई | लेकिन चुनाव आयोग ने नये कानून बना दिये |
तथा 100% पेपर ट्रेल की रिकाउंटिंग न करने का षड़यन्त्र करके BJP को जीताया गया |

#इसके विरोध मे मा वामन मेश्राम साहब ने पूरे देश मे 26 जून 2019 से EVM भंडाफोड़ परिवर्तन यात्रा निकाली और नारा दिया था कि EVM चोर हैं और चुनाव आयोग चोरो का सरदार है |

#विभिन्न राजनीतिक दलो के लोगो के
बीच मे मा वामन मेश्राम साहब ने EVM के बारे मे और चुनाव आयोग के षड़यंत्रो के बारे बहुत ही मत्वपूर्ण जानकारी दी |

#सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिये गए आदेश के सबूतो के आधार पर |

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Sep 19
चीन मे लेशान बुद्ध की विशाल मुर्ति ऐसा कहा जाता है कि एक समय नदी का प्रवाह इतना तेज था कि उसे कोई तैर कर या नाव से इस पार से उस पार नही जा सकते थे | नदी इतनी गहरी भी थी जिस का कोई छोर नही था तथा पानी का तेज बहाव के कारण तट पर बसे गांव नष्ट हो गये तब उस क्षेत्र के लोगो इस मुश्किल
का हल खोजने मे कई बरस लगे तब उन्हे ख्याल आया कि नदी का तेज बाहर को रोकने के लिये पहाड को तराशा गया |
चीन के लोग बुद्ध से प्यार करते थे इस लिये एक काम को दो तरीके से पुरा करना चाहते थे नदी का बहाव कम हो और बुद्ध मुर्ति का निर्माण हो इस काम को पुरा करने मे नब्बे साल लगे जिसे आज
लेशान का विशाल बुद्ध कहा जाता है |
आज वर्तमान मे चीन मे पानी का अकाल है कई नदियो का पानी सुख गया है जिसमे लेशान की नदी भी है |
जल का स्तर कम होने से लेशान कि पुरी प्रतिमा दिखाई दे रही है |
यह बुद्ध मुर्ति इतनी विशाल है कि बुद्ध की इस प्रतिमा के पेर कि एक उँगली पर दर्जन भर आदमी
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Sep 18
चलो बालाघाट... बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क का मध्यप्रदेश मे राज्य अधिवेशन|

मध्यप्रदेश सम्राट अशोक के बचपन की कर्मभूमि है| सम्राट अशोक को उनके पिता बिंदुसार ने विदिशा का कुमार नियुक्त कर दिया था| विदिशा मे एक श्रेष्ठी (व्यापारी शेट्टी) की पुत्री देवी के साथ राजकुमार अशोक का विवाह
भी विदिशा मे ही हुआ| देवी और उनका परिवार बुद्धिस्ट था| देवी के पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा ने बड़े होने के बाद दक्षिण भारत और श्रीलंका मे धम्म स्थापित कर दिया था|

विदिशा उस समय मध्य भारत का मुख्य व्यापारी केंद्र था जहाँ से विभिन्न दिशाओ मे व्यापारी रास्ते जाते थे, इसलिए
उसे विदिशा नाम पडा़ था| सम्राट अशोक ने देवी की याद मे एक बड़ा स्तुप विदिशा मे बनवाया था जिसे आजकल वैश्य का टिला कहा जाता है| उसकी अवस्था बिकट है और नष्ट होने के कगार पर है लेकिन मध्य प्रदेश के बौद्ध इस बात से अनभिज्ञ है|

इसी तरह, मध्य प्रदेश मे सांची का महास्तुप है| मध्यप्रदेश
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Sep 17
श्रीलंका मे जन्मे 'डेविड हेवावितरणे' ने बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर अपना नाम बदल कर 'अनागारिक धम्मपाल' कर दिया था | सन 1891 मे अनागारिक धम्मपाल ने बुद्धगया के महाबोधि महाविहार की यात्रा की और वे रह देख कर अचंभित रह गए कि किस तरह ब्राह्मण पुजारियो ने बुद्ध के मूर्तियो को हिन्दू
देवी-देवताओ की मूर्तियो मे तब्दील कर दिया था और महाबोधि महाविहार मे बौद्धो को प्रवेश करने से निषेध कर रखा था | सन 1891 मे महाबोधि सोसायटी की स्थापना कर के भारत मे बौद्ध धर्म स्थलो के संरक्षण के लिए आपने विश्‍व के कई बौद्ध देशो को पत्र लिखा तथा एक सिविल सुट दायर किया जिसमे मांग की
गई थी कि महाबोधि महाविहार और दूसरे अन्य तीन प्रसिध्द बौद्ध स्थलो को बौद्धो को हस्तांतरित किये जाएं | इसी का परिणाम है कि आज महाबोधि महाविहार मे बौद्ध जा सकते है |
अपने जीवन के 40 वर्षों मे, अनागारिक धम्मपाल ने भारत, श्रीलंका और विश्‍व के कई देशो मे बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के
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Sep 17
fb.watch/fBooFoe6oi/
#आदिवासियो के विस्थापन,उनकी समस्याओ,आदिवासी क्षेत्रो मे हो रहे घोटालो की बात विधानसभा मे उठाने पर एक चयनित जनप्रतिनिधि के साथ ऐसा दुर्व्यवहार होने के बाद भी,#आदिवासी समुदाय के अधिकारो के लिए लडने की #ढींगे हाँकने वाले #चयनित जनप्रतिनिधि (MLA) आखिर चुप
क्यों है ?
#यह पूना-पैक्ट का परिणाम है, आरक्षित वर्ग के जनप्रतिनिधियो को गांधी जी ने पूना की येरवडा जेल मे 21 दिन तक आमरण अनशन करके गुलाम बनाया था|
#क्या टिकिट कटने के भय से चिड़िचुप है ?
#जो MLA /MP आदिवासी समुदाय के जनप्रतिनिधियो के साथ खड़े नही हो सकते है ऐसे लोग समाज के
आमलोगो के साथ खड़े होंगें क्या ?
#ये सब पार्टी और हाईकमान के गुलाम है|#इनको अगले चुनाव मे अपनी टिकिट कट जाने का डर है, पार्टी से निष्कासित किये जाने का डर है ?
-एच.एन.रेकवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, RAEP राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद, नई दिल्ली.
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Sep 13
महत्वपूर्ण सूचना:-👈
बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क का 5वां राष्ट्रीय अधिवेशन येवला, नाशिक के बजाए नागपुर, महाराष्ट्र को दि. 5अक्टूबर2022 को होगा, इसका यह नया हैंडबिल है|
दि.13अक्टूबर2022 को येवला, नाशिक मे मुक्ति भूमि पर महाराष्ट्र राज्य स्तरीय धम्म परिषद होगी, उसका नया हैंडबिल और
सूचना थोडे ही दिनो मे दी जाएगी|
बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क के साथियो को 5अक्टूबर2022 को नागपुर के 5वें राष्ट्रीय अधिवेशन को लोगो को साथ मे लेकर अधिक संख्या मे आना है और 6अक्टूबर2022 को भारत मुक्ति मोर्चा, बहुजन क्रांति मोर्चा के विशाल राष्ट्रीय महारैली के लिए बेझन बाग ग्राउंड पर
उपस्थित रहना है|
-डॉ.विलास खरात, राष्ट्रीय प्रभारी, बुद्धिस्ट इंटनेशनल नेटवर्क, नई दिल्ली
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Sep 12
*तथागत बुद्ध ही "विनायक" है| (J.O.B.S, p. 103)*

तथागत बुद्ध ने निब्बाण (निर्वाण) का मार्ग बताया है, निर्वाण मतलब संसारिक दुखो से (परेशानीयो से) मुक्ति पाना है| निर्वाण को "विवत्त" (Vivatta) भी कहा जाता है| वत्त (Vatta) मतलब संसारिक दुख या बंधन और विवत्त मतलब उससे मुक्ति पाना| Image
विवत्त से विट्ठल और विनायक शब्द बने है|

विनायक या विट्ठल (Vittal) मतलब संसारिक दुखो को नष्ट करनेवाला (Destroyer)| तथागत बुद्ध वास्तव मे संसारिक दुखो के संहारकर्ता (संहारक/विनाशक) है, इसलिए बुद्ध को "विनायक" कहा जाता है|

महावग्ग (IV.31.4-7) मे तथागत बुद्ध कहते है कि, "मैं विनयो
का नायक (विनायक) हूँ और संसारिक दुखो को नष्ट करने के लिए मेरा जन्म हुआ है"| इसका मतलब यह है कि, तथागत बुद्ध दुखो का नाश करनेवाले संहारक भी है और निब्बाणरुपी सुख को प्रदान करनेवाले मंगलमुर्ती भी है|

इसलिए, बुद्ध ही सही मायने मे "विनायक" है| तथागत बुद्ध ने बनारस मे अपना पहला
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