#साथियो, तथाकथित आजादी के 75 वर्षों बाद भी मूलनिवासी समाज की आर्थिक, सामाजिक एवम राजनीतिक समस्याओ का समाधान>>आखिर क्यों नही हुआ? एवम जिस मूलनिवासी समाज के वोटो की संख्या लगभग 85% होने के बाद भी उस समाज के लोग शासन, प्रशासन मे निर्णय लेने की मुख्य भूमिका मे होने की बजाय अपने आप
को असुरक्षित महसूस क्यों करते है, मूलनिवासी समाज के चयनित जनप्रतिनिधियो को विधानसभा एवम लोकसभा बोलने भी नही दिया जाता है, वे समाज को संविधान मे मिले अधिकारो को भी दिलवाने के लायक क्यों नही है?
इसके कारणो एवम उसका समाधान कैसे सम्भव है? जानने के लिए 25सितम्बर2022 को जम्बुरी मैदान,
BHEL भोपाल (मध्यप्रदेश) आयोजित--बहुजन मुक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन मे रखे गए--तमाम विषयो पर जो गंभीर चर्चा होने वाली है उसे सुनने के लिए जरूर उपस्थित होंगे--ऐसी अपेक्षा है|

अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने ऐसे मुद्दो पर आज तक चर्चा नही कि है?

किसी ने सच ही कहा है कि--
कारण को जाने बगैर-उसका समाधान करना सम्भव नहीं है|

बाबासाहब अम्बेडकर ने तो संविधान मे मूलनिवासी समाज के सभी सामाजिक समूहो की समस्याओ का समाधान करने का प्रावधान संविधान मे किया था लेकिन मूलनिवासी समाज की किसी भी समस्या का समाधान अभी तक आखिर क्यों नही हुआ?

ब्राह्मणो के नियंत्रण
मे चलने वाली पार्टियो ने समस्याओ का समाधान करने की बजाय, जो समस्याये गुलाम भारत मे नही थी वे आजाद भारत मे निर्माण कर दी है|

80 करोड़ लोगो को राशन की दुकानो पर पहुंचा कर भिखारी बना दिया है|
@BMP4India @ppspsingh @BMM4India @BKM4India @IndiaBVM @cvikaspatel @RPVM2017
#BanEVM

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Sep 23

#06अक्टूबर2022 की नागपुर (महाराष्ट्र) मे आयोजित भारत मुक्ति मोर्चा एवम बहुजन क्रान्ति मोर्चा की विशाल महारैली मे 85% मूलनिवासी समाज के प्रत्येक संगठन को सम्मिलित होने के लिए मा वामन मेश्राम साहब ने अपील की है|

यह महारैली संविधान एवम तमाम तरह के संवैधानिक
मौलिक अधिकारो को बचाने के लिए आयोजित की गई है|

क्योंकि RSS-BJP ने हरियाणा, उत्तरप्रदेश , छत्तीसगढ़ एवं बिहार मे हमारे कार्यक्रमो एवम परिवर्तन यात्रा को रोक कर संवैधानिक मौलिक अधिकारो का हनन किया है|

मूलनिवासी समाज को आर्टिकल19 के तहत मिले संगठन बनाने एवम विचारो की अभिव्यक्ति
करने की आजादी के अधिकार ही ब्राह्मणो ने खत्म कर दिए है तो फिर बचा ही क्या??

यह सब कुछ जानते हुए भी जो संगठन इस विशाल महारैली मे सम्मिलित होकर, महारैली को सफल बनाने के लिए साथ एवम सहयोग नही करेंगे, ऐसे संगठनो के असली चेहरे समाज के सामने आ जायेंगे?

फिर ऐसे संगठनो से मूलनिवासी
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Sep 23
समाज मे धम्म स्थापित करने की प्रक्रिया को सम्राट अशोक ने "धम्मथम्बानि" कहा है| और जिन जिन प्रदेशो मे धम्म स्थापित किया वहाँ पर सम्राट अशोक ने धम्मस्तंभ स्थापित किए| अर्थात, धम्मस्तंभ वास्तव मे सम्राट अशोक के "धम्मविजय" के प्रतीक थे| इसलिए, सम्राट अशोक विजयादशमी के दिन सम्राट अशोक Image
की प्रतिमा रथ मे रखकर धम्म रैली निकालनी चाहिए और सम्राट अशोक के धम्मस्तंभ की अंत मे पुजा करनी चाहिए|

धम्ममहामात्र मतलब धम्म के महान विद्वान अर्थात धम्म महाथेर| सम्राट अशोक ने धम्ममहामात्र की तरह धम्म युक्त भी नियुक्त किए थे| युक्त मतलब जोडना, जिससे योगा शब्द तैयार हुआ है| सम्राट
अशोक के धम्मयुक्त अधिकारी लोगों को धम्म के माध्यम से जोडते थे, इसलिए उन्हे धम्मयुक्त कहा जाता था|

सम्राट अशोक के युक्त अधिकारीयो ने भारत के विभिन्न समुदायो को धम्म के माध्यम से जोड़ दिया था, जिससे लोगो के बीच भेदभाव खत्म होकर भाईचारा पैदा हुआ और अखंड शक्तिशाली भारत बनाने मे
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Sep 19


#EVM मशीन में वोट की गड़बड़ी का केस लेकर डॉ सुब्रमण्यम स्वामी सुप्रीम कोर्ट मे गये |

#माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 8 अक्टूबर 2013 को फैसला सुनाया की सिर्फ EVM से फ्री, फेयर एंड ट्रांसपरेंट चुनाव नही हो सकते है | इसके साथ VVPAT मशीन (जिससे कागज की पर्ची
निकले यानि पेपर ट्रेल) लगानी होगी |

#चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने के बाउजूद 2014 के चुनावो मे VVPAT मशीन नही लगाई तो BAMCEF के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा वामन मेश्राम साहब सुप्रीम कोर्ट मे गये और केस जीता और सुप्रीम कोर्ट ने 24 अप्रैल 2017 को अगले चुनावो मे 100% पोलिंग
बूथ पर VVPAT मशीन लगाने का आदेश जारी किया | और कहा कि यदि डिस्प्यूट की स्तिथि निर्मित होती है तो VVPAT मशीन से निकलने वाली कागज की पर्चियों की 100% रिकाउंटिंग करवाना होगा | 2019 के लोकसभा चुनावो मे 100% EVM मशीन के साथ VVPAT मशीन लगाई | लेकिन चुनाव आयोग ने नये कानून बना दिये |
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Sep 19
चीन मे लेशान बुद्ध की विशाल मुर्ति ऐसा कहा जाता है कि एक समय नदी का प्रवाह इतना तेज था कि उसे कोई तैर कर या नाव से इस पार से उस पार नही जा सकते थे | नदी इतनी गहरी भी थी जिस का कोई छोर नही था तथा पानी का तेज बहाव के कारण तट पर बसे गांव नष्ट हो गये तब उस क्षेत्र के लोगो इस मुश्किल
का हल खोजने मे कई बरस लगे तब उन्हे ख्याल आया कि नदी का तेज बाहर को रोकने के लिये पहाड को तराशा गया |
चीन के लोग बुद्ध से प्यार करते थे इस लिये एक काम को दो तरीके से पुरा करना चाहते थे नदी का बहाव कम हो और बुद्ध मुर्ति का निर्माण हो इस काम को पुरा करने मे नब्बे साल लगे जिसे आज
लेशान का विशाल बुद्ध कहा जाता है |
आज वर्तमान मे चीन मे पानी का अकाल है कई नदियो का पानी सुख गया है जिसमे लेशान की नदी भी है |
जल का स्तर कम होने से लेशान कि पुरी प्रतिमा दिखाई दे रही है |
यह बुद्ध मुर्ति इतनी विशाल है कि बुद्ध की इस प्रतिमा के पेर कि एक उँगली पर दर्जन भर आदमी
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Sep 18
चलो बालाघाट... बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क का मध्यप्रदेश मे राज्य अधिवेशन|

मध्यप्रदेश सम्राट अशोक के बचपन की कर्मभूमि है| सम्राट अशोक को उनके पिता बिंदुसार ने विदिशा का कुमार नियुक्त कर दिया था| विदिशा मे एक श्रेष्ठी (व्यापारी शेट्टी) की पुत्री देवी के साथ राजकुमार अशोक का विवाह
भी विदिशा मे ही हुआ| देवी और उनका परिवार बुद्धिस्ट था| देवी के पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा ने बड़े होने के बाद दक्षिण भारत और श्रीलंका मे धम्म स्थापित कर दिया था|

विदिशा उस समय मध्य भारत का मुख्य व्यापारी केंद्र था जहाँ से विभिन्न दिशाओ मे व्यापारी रास्ते जाते थे, इसलिए
उसे विदिशा नाम पडा़ था| सम्राट अशोक ने देवी की याद मे एक बड़ा स्तुप विदिशा मे बनवाया था जिसे आजकल वैश्य का टिला कहा जाता है| उसकी अवस्था बिकट है और नष्ट होने के कगार पर है लेकिन मध्य प्रदेश के बौद्ध इस बात से अनभिज्ञ है|

इसी तरह, मध्य प्रदेश मे सांची का महास्तुप है| मध्यप्रदेश
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Sep 17
श्रीलंका मे जन्मे 'डेविड हेवावितरणे' ने बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर अपना नाम बदल कर 'अनागारिक धम्मपाल' कर दिया था | सन 1891 मे अनागारिक धम्मपाल ने बुद्धगया के महाबोधि महाविहार की यात्रा की और वे रह देख कर अचंभित रह गए कि किस तरह ब्राह्मण पुजारियो ने बुद्ध के मूर्तियो को हिन्दू
देवी-देवताओ की मूर्तियो मे तब्दील कर दिया था और महाबोधि महाविहार मे बौद्धो को प्रवेश करने से निषेध कर रखा था | सन 1891 मे महाबोधि सोसायटी की स्थापना कर के भारत मे बौद्ध धर्म स्थलो के संरक्षण के लिए आपने विश्‍व के कई बौद्ध देशो को पत्र लिखा तथा एक सिविल सुट दायर किया जिसमे मांग की
गई थी कि महाबोधि महाविहार और दूसरे अन्य तीन प्रसिध्द बौद्ध स्थलो को बौद्धो को हस्तांतरित किये जाएं | इसी का परिणाम है कि आज महाबोधि महाविहार मे बौद्ध जा सकते है |
अपने जीवन के 40 वर्षों मे, अनागारिक धम्मपाल ने भारत, श्रीलंका और विश्‍व के कई देशो मे बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के
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