RSS जिसे आम बोलचाल की भाषा में संघ कहा जाता है, इसकी स्थापना विजयादशमी के दिन हुई थी। 27 सितम्बर 1925 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना इनके संस्थापक डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी। #RSS_स्थापना_दिवस #RSSVijayadashami2022
आरएसएस की स्थापना (rss ki sthapna) बिलकुल ही अलग तरीके से हुई थी। डॉक्टर जी ने अपने घर 15-20 चुनिंदा लोगों को बुलाया और उनसे कहा कि आज से हम संघ शुरू कर रहे है और संघ शुरू हो गया। संघ शुरू करने का केवल एक ही मकसद था कि ब्रिटिशराज भारत में हिंदुओं को संगठित करना।
शुरुआत में संघ के सदस्यों को सभासद कहा जाता था और सारे सभासदों से इतनी उम्मीद रखी जाती थी कि वे पर्याप्त मात्रा में व्यायाम करें और सप्ताह में एक बार सभी सभासद इकट्ठा हो।
ठीक छ: महीने बाद यानि 17 अप्रैल 1926 के दिन डॉक्टर हेडगेवार ने अपने सहयोगियों संग एक बैठक अपने घर बुलाई। उस बैठक का मुख्य उद्देश्य संघ के नामकरण का था, उसके साथ संघ की विचारधारा स्पष्ट करना भी था।
तीन नाम सुझाव में आये।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
जरपटिका मण्डल
भारतोद्धारक मण्डल
अब सभासद स्वयंसेवक बन चुके थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की क्रिया प्रणाली
इतवार दरवाजा प्राथमिक शाला के मैदान में रविवार प्रात: 5 बजे सैनिक शिक्षण का अभ्यास होता था, जिसे आज संघ में समता कहते है। सप्ताह में दो दिन भिन्न-भिन्न विषयों पर भाषण होते थे, जिसे राजकीय वर्ग कहते थे।
1927 के बाद से राजकीय वर्ग का नाम बदल कर बौद्धिक वर्ग कर दिया गया
नए-नए स्वयंसेवक शाखा में आने लगे तो इतवार दरवाजा प्राथमिक शाला का मैदान छोटा पड़ने लगा, जिसके कारण साल 1928 में शाखा मोहिते बाड़ा में लगाई जाने लगी। आज संघ का मुख्य प्रधान ऑफिस नागपुर में उसी स्थान पर बनाया हुआ है।
मोहिते बाड़े में शाखा शुरू होते ही स्वयंसेवकों को सैनिक शिक्षा दी जाने लगी थी, जिससे इस शिक्षा के बाद पथ संचलन यानि मार्चपास्ट निकालने का विचार आया। लेकिन उसके लिए बैंड यानि घोष की आवश्यकता महसूस हुई। इसके लिए बहुत सारे स्वयंसेवकों ने पैसा बचाना शुरू किया।
शाखा
शाखा में व्यायाम, खेल, सूर्य नमस्कार, समता, गीत और प्रार्थना होती है। सामान्यतः शाखा हर रोज एक घंटे की ही लगती है। शाखाएँ निम्न प्रकार की होती हैं:
प्रभात शाखा: सुबह लगने वाली शाखा को “प्रभात शाखा” कहते है।
सायं शाखा: शाम को लगने वाली शाखा को “सायं शाखा” कहते है।
रात्रि शाखा: रात्रि को लगने वाली शाखा को “रात्रि शाखा” कहते है।
मिलन: सप्ताह में एक या दो बार लगने वाली शाखा को “मिलन” कहते है।
संघ-मण्डली: महीने में एक या दो बार लगने वाली शाखा को “संघ-मण्डली” कहते
संघ की गणवेश
शुरुआत में संघ की गणवेश खाकी निकर घुटनों तक, खाकी कमीज के साथ दो बटनों वाली खाकी टोपी थी। 1930 में खाकी टोपी की जगह काली टोपी कर दी गई। फिर 1940 में खाकी कमीज की जगह सफ़ेद कमीज कर दी गई।
1973 में लॉन्ग बूट की जगह चमड़े के काले जूते और 2010-11 में चमड़े के बेल्ट की जगह मोटे कपड़े की पेटी कर दी गई। काफी समय तक संघ के स्वयंसेवकों की पहचान रही खाकी निकर की जगह 11 अक्टूबर 2016 से हल्के भूरे रंग की पूरी पैंट कर दी गई
संघ का संविधान
1948 तक संघ बिना किसी नियम कानून से चलता रहा, 1940 में डॉक्टर हेडगेवार के बाद गुरुजी माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर संघ के दूसरे सरसंघचालक बने और 1948 में संघ पर प्रतिबंध लग गया था।
इस काल में संघ का संविधान लिखा गया और उसे गुरुजी ने जेल से ही स्वीकृति दे दी थी।
संघ की संरचना
संघ में संगठनात्मक रूप से सबसे ऊपर सरसंघचालक का स्थान होता है,जो पूरे संघ को लेकर चलता है, उन्हें राह दिखाता है।अभी वर्तमान में संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत है।सरसंघचालक की नियुक्ति मनोनयन द्वारा होती है,अपना उत्तराधिकारी की घोषणा खुद सरसंघचालक ही करते है।
संघ के सरसंघचालक कुछ इस प्रकार रहे है:
डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार: 1925–1940
माधव सदाशिवराव गोलवलकर:
1940–1973
मधुकर दत्तात्रेय देवरस: 1973-1993
प्रोफेसर राजेंद्र सिंह: 1993-2000
कृपाहल्ली सीतारमैया सुदर्शन:
2000-2009
डॉक्टर मोहनराव मधुकरराव भागवत: 2009-वर्तमान
संघ के साथ जुड़े अन्य संगठन
संघ दुनिया के लगभग 80 से अधिक देशों में कार्यरत है। संघ के लगभग 50 से ज्यादा संगठन राष्ट्रीय ओर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है और लगभग 200 से अधिक संगठन क्षेत्रीय प्रभाव रखते हैं। जिसमे कुछ प्रमुख संगठन है, जो संघ की विचारधारा को आधार मानते हैं।
भारतीय जनता पार्टी
विश्व हिन्दू परिषद
बजरंग दल
हिन्दू जागरण मंच
भारतीय किसान संघ
हिन्दू स्वयंसेवक संघ
लघु उद्योग भारती
विवेकानंद केंद्र
भारतीय मजदूर संघ
सेवा भारती
राष्ट्र सेविका समिति
अखिल भारतीय विश्व परिषद
विद्या भारती
सरस्वती शिशु मंदिर
वनवासी कल्याण आश्रम
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच
राष्ट्रीय सिख संगत
विश्व संवाद केंद्र
स्वदेशी जागरण मंच
विदेश में संघ की पहली शाखा मोंबासा, केन्या में लगी थी।
आरएसएस की पहली शाखा में सिर्फ 5 लोग (संघी) शामिल हुए थे लेकिन आज देशभर में आरएसएस की 60,000 से ज्यादा शाखाएँ है और एक शाखा में लगभग 100 स्वयंसेवक है। आज के समय में आरएसएस दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है।
आरएसएस की शाखाओं में शाखा के अंत में एक प्रार्थना गाई जाती है “नमस्ते सदा वत्सले”। यह संघ की स्थापना के 15 साल बाद गाई जाने लगी। इससे पहले एक श्लोक मराठी और एक श्लोक हिंदी में गाया जाता था।
आरएसएस के प्रचारक को संघ के लिए काम करते समय तक अविवाहित रहना होता है और दूसरे होते है संघ के विस्तारक, जो गृहस्थ जीवन में रहकर ही संघ से किशोरों को जोड़ने का काम करते है।
RSS and India
संघ ने जंगल सत्याग्रह से ब्रिटिश कॉलोनियल सिस्टम के खिलाफ अभियान छेड़ा, संघ अपने संगठन से अंग्रेजों के विरूद्ध अपने स्वयंसेवकों को भेजता था,संघ का मुख्य उद्देश्य इसके पीछे अंग्रेजोॆ से अपने नाम को छिपाना था।
आजादी के बाद जब देश का बंटवारा हुआ तो संघ शरणार्थियों को जगह देने के लिये सबसे पहले आगे आया।
1962 के भारत चीन युद्ध में सैनिकों के लिये Blood donation में संघ ने कैम्प लगाये।
1965 के भारत पाक युद्ध में शास्त्री जी ने दिल्ली के ट्रैफिक की जिम्मेदारी संघ को दी थी।
पुर्तगालियों से गोवा मुक्ति के लिये सबसे पहले आवाज उठाने वाला संघ ही था।
दादरा नगर हवेली को भारत के मुख्य भू भाग में मिलाने में संघ की महती भूमिका थी।
1975 के आपातकाल के समय जब सारा मीडिया बैन था तब संघ के स्वयंसेवक ही गुप्तचरों की भांति सूचना का आदान प्रदान कर रहे थे।
1984 के सिक्ख दंगों के समय सिक्खों की मदद के लिये संघ ने अपने सहायता समूह को भेजा।
संघ का सेवा भारती समूह भारत में कहीं भी कोई आपदा आये तो मदद के लिये तैयार रहता है।
असल में सेवा भारती का गठन ही इस कार्य के लिये किया गया है जो आज तक करीब 1 लाख ऐसे प्रोजेक्ट्स पर कार्य कर चुका है।
सेवा भारती करीब 13786 शिक्षा के प्रोजेक्ट हैं,10978 स्वास्थ्य सुविधा,17560 सामाजिक सुधार एवम् 7452 अन्य जिन पर कार्य करते हुये मुख्य रूप से आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को सहायता प्रदान कर रहा है जिसमें संकल्प के रूप में IAS कोचिंग और ऐसे ही Technical coaching जो फ्री में दे रहा है
सेवा भारती पूरे भारत में करीब 5000 हेल्थ केयर सेन्टर खोल चुका है
जिसमें 2761 ग्रामीण क्षेत्रो में,385 Mobile clinic,161 Rsident clinic,30 Counseling centers,7 leprosy medication,14 blood bank,300 blood donation indexes And 234 medicine collection and distribution cente.
वैसे तो संघ की महानता इतनी विशाल है कि उसका वर्णन करना शायद एक दिन में सम्भव नहीं है लेकिन जब भी भारत या विश्व में कभी संकट पड़ा ते संघ और संघ का सेवा भारती सबसे पहले आया।
कोविड को बीते दिन नही हुये जो संघ के सबसे बड़े आलोचक थे वो भी संघ की स्वार्थरहित सेवा की सराहना ही कर रहे थे
I am proud to be a part of @RSSorg
And it gives me proud moment when someone ask me
Oye संघी हो क्या?
Property.. 1- Indian Army - 18 lakh Acre 2- Indian Railway - 12 Lakh Acre 3- Waqf board - 8 lakh Acre
And you will be surprised In 2009 waqf board has 4 lakh acre land
that means in just 13 year they have doubled their property.
How?
वक्फ बोर्ड की शुरूआत 1947 में नेहरू लियाकत समझौते से हुयी..
जहां ये तय किया गया कि जो जमीन मुसलमान अपनी भारत छोड़कर पाकिस्तान जायेंगे वो सारी सम्पत्ति वक्फ बोर्ड की होगी।
दूसरे मायनो में बंटवारा तो हुआ लेकिन मुसलमान उसी तरह भारत की जमीन पर अपना हक जताते रहे जैसा वो पूर्व में किये
1954 में वक्फ बोर्ड का गठन हुआ जहां एक ओर पाकिस्तान ने तो नेहरू लियाकत समझौते को लतिया दिया लेकिन भारत उस पर मेमने की भांति अडिग रहा पता नहीं क्या डर था भारत को।
खैर 1995 में नरसिम्हा राव आये और बाहें खोलकर वक्फ को सब लुटा दिया।
Project Tiger,
You started modi ji completed
Project lion
You started modi ji completed
Project leopard
You started modi ji completed
Sardar sarovar dam
You started modi ji completed after 60 year
GST
You thought modi ji brought
Aadhar
You thought modi ji brought
संयोग ही है कि आज ही महान शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा जी की जयन्ती है और आज ही @narendramodi जी का जन्मोत्सव यूं कहें तो आधुनिक भारत के शिल्पकार का जन्मदिवस।
माननीय प्रधानमन्त्री जी को जन्मदिवस की हार्दिक बधाइयां।
मोदी जी आप अमर तो हो ही गये हैं अपने कार्यों से बस आपसे इतनी विनती है कि अपने ही जैसे विचारों और कार्यों के नेता हर राज्य में दे दीजिये ताकि हर राज्य आपस में प्रतिस्पर्धा कर समग्र रूप से भारत को नवीन ऊंचाइयों तक ले जाये। #HappyBirthdayModiji
तीन तरीके के मनुष्य धरा पर होते हैं,
पहले जो कार्य प्रारम्भ ही न करते
दूसरे जो कार्य प्रारम्भ कर बीच में छोड़ देते
तीसरे वो जो कार्य सम्पन्न करके ही दम लेते।
और @narendramodi जी की खासियत ये है कि वो कार्य सम्पन्न करके ही दम लेते यही खासियत उनको विशिष्ट बनाती है।
जैसे --
क्या आप जानते हैं ऐसे योद्धा को
जो मात्र 50 सैनिक लेकर अंग्रेजों की छावनी पर टूट पड़े थे?
और कमाल की बात ये है कि इस युद्ध में न केवल योद्धा लड़े बल्कि उस योद्धा का वफादार कुत्ता भी युद्ध लड़ा था साथ ही उनका वफादार घोड़ा जिसने जीते जी अपने मालिक की देह अंग्रेजों के हाथ न लगने दी।
उस महान योद्धा का नाम था "चैन सिंह" और उस महान कुत्ते का नाम था "शेरू"
ये बात 1824 की है और जगह का नाम है नरसिंहगढ,सीहोर मध्य प्रदेश की।
इस महान योद्धा ने मात्र 24 वर्ष की उम्र में वीरगति को प्राप्त किया था।
1824 का स्वतन्त्रता संग्राम भी उसी तरह भारत में व्यापक रूप में फैला था जैसा 1857 का फैला था हालांकि उसको पृष्ठों पर वीर सावरकर की तरह कोई उकेरने वाला न मिल सका जो वाकई में लोगों को बता सके कि ये भी कभी हुआ था।
"आजादी के लिये संघर्ष" पहला संघर्ष कब हुआ तो वामी किताबों की मानें तो गान्धी का दांडी मार्च
और थोड़ा व्यापकता की ओर बढें तो 1857 का प्रथम स्वाधीनता संग्राम और थोड़ा अन्दर की ओर जायें तो 1855 का संथालों की हूल क्रान्ति और आगे बढें तो रानी वेल्लू नाचियार का 1772 में गोरों का दमन..
खैर मेरा मानना है कि भारत ने आजादी के लिये प्रथम संघर्ष चाणक्य के निर्देशन में चन्द्रगुप्त के नेतृत्व में प्रारम्भ किया था क्योंकि कोई भी विदेशी आकर भारत पर राज्य किया और उसके खिलाफ जो भी संघर्ष चला वो सब आजादी के लिये संघर्ष ही कहलायेगा।
वामी इतिहासकारों की खूबसूरती ये है कि वो बहुत अच्छे ढंग से मुगलों के खिलाफ भारतीय संघर्ष को आजादी का संघर्ष बताते ही नहीं वहीं कभी मुरब्बे को मुगलों की देन तो कभी लहसुन को मुगलों की देन बता देते वो बात अलग है कि मुगल जिस जगह को अपना आदर्श मानते थे वहां तम्बू के सिवाय कुछ न था।