1972 #शिमला_समझौता और उसी के साथ बांग्लादेश का उदय एवं जम्मू कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र या अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य से आपसी विवाद का विषय पर पाकिस्तान की स्वीकृति.
1972 से 1989 तक न तो पाकिस्तान द्वारा किसी वैश्विक मंच पर कश्मीर का ज़िक्र किया गया न किसी
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अन्य देश ने भारत के संदर्भ में कश्मीर का नाम लिया.
यदि एक आध बार किसी इस्लामिक राष्ट्र के माध्यम से कोशिश भी हुई तो ईरान जैसे मित्र देशों से ही जवाब दिलवा दिया गया, कश्मीर घाटी शांति की ओर बढ़ती जा रही थी, नई पीढ़ी भूलने लगी थी कि कभी किसी ने अलगाव वाद का नारा भी दिया था.
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फिर मिलीजुली सरकारों का दौर आया,श्रद्धेय जी की सरकार बनी और घिनौने देश विरोधी खेल खेले जाने लगे,पंडितों का पलायन कराया गया,पड़ोसी प्रत्येक मंच से कश्मीर की ख़ुदमुख़्तारी की माँग करने लगा.
फिर भी पुराने अधिकारी और नीतियाँ इतनी मज़बूत थी कि कोई भी देश पाकिस्तान का साथ नही देता था.
आठ साल पहले मुल्क़ पर अज़ाब मुसल्लत हो गया और आज तुर्की के बाद जर्मनी जैसा देश भी कश्मीरके नाम पर हमें आँखे दिखा रहा है
जर्मनी की“विदेश मंत्री”के बयान को नज़रअन्दाज़ करना शतुर्मुर्गी आचरण के अतिरिक्त कुछ नही होगा
वन्दे भारत पर सवार करके ये देश को कहाँ तक ले आए? @parmodpahwaInd
भारतीय मीडिया द्वारा घोषित कथित रूप से बीमार और अशक्त रुस से राष्ट्रपति वलडमिर पुतिन ने एक घंटा पहले अपने सम्बोधन में झौलेंसकी की आतंकवादी गतिविधियों का पुरज़ोर जवाब देने की घोषणा की.
क़ीएव पर हुई बमबारी पर अभी युएस और नाटो की कोई प्रतिक्रिया नही आई है
1 fb.watch/g40krN7zmX/
क्योंकि यूरोप के कई स्थानों से जनता द्वारा अपनी सरकारों और उनके द्वारा तीसरे देश में युद्ध में टांग फ़साने को लेकर प्रदर्शन किए जाने के समाचार भी है
संभवतः इस युद्ध को लेकर यूरोप आपस में विभाजित हो जाए अन्यथा कम से कम ब्रिटेन से तो दूरी बना ही लेगा.
ग्रेट ब्रिटेन शायद अब ग्रेट
तो क्या ब्रिटेन भी नही रह पाएगा क्योंकि इस युद्ध का अंतिम लक्ष्य उन परिवारों का वर्चस्व तोड़ना है जो विश्व की बैंकिंग और मुद्रा को नियंत्रित करते है.
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पहले से कर्ज में लदे मिस्र की नई राजधानी5 लाख करोड़ में बन रही हैं..जनता को विकास का सपना दिखाते अब्दुल फत्ता अल सीसी राज में कर्ज चार गुना बढ़ चुका है,काहिरा में 8 लेंन कि सड़के विशाल पुल बने हैं ,यह सारा विकास निर्माण वहां सेना द्वारा किया जा रहा वही मोदीजी राज पहले जो कर्ज
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53 लाख करोड था मोदी काल मे अतिरिक्त 82 लाख करोड़ और कर्ज लेने के बाद भारत पे कुल कर्ज का आंकड़ा 140 लाख करोड़ पार कर चुका है मोदी जी के दूसरे कार्यकाल के खत्म होते होते भारत मोदीकाल मे सारे नेशनल एसेट अडानी विल्मर जैसे चीनी उद्योगपति के पैसे से फलफूल रहे प्राइवेट प्लेयर्स
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हवाले कर 150 लाख करोड़ का कर्जदार बन चुका होगा ....जिसे चुकाने को भारत की जनता भी मिस्र की तरह बेतहासा टेक्स टोल पेट्रोल प्राइज महंगी बिजली से पैदा होती महंगाई से लड़ते रहना दूभर होता जाएगा, वही भारत के फॉरेक्स रिजर्व में लगातार गिरावट
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एक रात को पुलिस वालों ने शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को पकड़ने के लिए एक बीयर बार के बाहर अपनी गाड़ी खड़ी कर ली।
थोड़ी देर बाद जब बार बंद होने वाला था तो एक आदमी @budhwardee बार से बाहर निकला और लड़खड़ाता हुआ अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ने लगा। चलते-चलते वह एकदम से गिर गया।
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फिर उठा और थोड़ा संभला और आगे बढ़ा। उसने अपनी जेब में से चाबी निकाली 3-4 गाड़ियों को लगाने के बाद उसे अपनी गाड़ी मिल गई। वह बड़ी मुश्किल से गाड़ी में बैठा।
गाड़ी स्टार्ट की और चल पड़ा। जैसे ही वह चला पुलिस वालों ने उसके पीछे अपनी गाड़ी लगा ली और उसे रोक लिया। पुलिस वाले ने उसे
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जांच के लिए बाहर निकलने को कहा।
आदमी झट से बाहर निकला। लेकिन जांच में शराब की मात्रा आई ही नहीं। पुलिस वाले हैरान हो गए और उससे पूछा कि इसका क्या राज है? आदमी ने उन्हें बताया कि उसने तो शराब पी ही नहीं है।
इसराइल में यहूदियों ने क़ब्ज़ा किया और उनका वर्चस्व हो गया लेकिन फिर भी वहाँ मुस्लिम रहते है और उनकी धार्मिक आस्थाओं का सम्मान किया जाता है.
केवल सऊदी अरब को छोड़कर कोई इस्लामिक देश ऐसा नही है जहां मंदिर, गुरुद्वारा या अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल न हो. 5/1
भारत को अभी तक सर्वधर्म समभाव के दृष्टिकोण से सर्वोपरि समझा जाता था क्योंकि यहाँ पग पग पर देवता , भाषा और संस्कृति बेशक बदल जाती हो किंतु एक दूसरे से नफ़रत “नही होती थी”
शायद किसी की पनौती लगी कि अपने ही अपनों को भूल गए.
बंगाली समाज में दुर्गा पूजा बहुत धूमधाम से मनाई गई,
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सुंदर पंडाल बने, माँ दुर्गा को बेटी स्वरूप में विराजित किया गया और फिर विदाई का अवसर आया.
उससे पहले कोलकाता में एक कार्निवाल आयोजित किया गया जिसमें 95 सबसे सुंदर प्रतिमाएँ सजाई गई तथा UNESCO की विशेष टीम के साथ बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी उपस्थित रही.
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क्या कांग्रेस आ जाए, तो ये विनाशकारी आर्थिक नीति, पूुंजीवाद, निजीकरण की नीति महंगाई वगैरह बदल देगी??
कोई भूल मे न रहिये, कतई नही बदेलगी।
न आप बदलेगी,न ममता न कोई और..
जिननी आजादी आप और हम, मीडिया, कोर्ट या दूसरी सस्थाऐ जो खुशी खुशी खो चुकी हैं, उतनी आपको जबरन
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चलो,मत रूको
क्या कांग्रेस आ जाए,तो ये विनाशकारी आर्थिक नीति, पूुंजीवाद, निजीकरण की नीति महंगाई वगैरह बदल देगी??
कोई भूल मे न रहिये, कतई नही बदेलगी।
न आप बदलेगी,न ममता नलौटाने कोई सरकार नही आएगी।अपनी जो ताकत आप देशभक्ति, धर्मभक्ति मे सरेंडर कर चुके, वह तो गई,
सदा के लिए l
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भविष्य मे कभी भी अगर हासिल होगी,तो किसी आंदोलन के बूते होगी।या किसी ऐसे व्यक्तित्व की सरकार होने पर..तो संत पुरूष हो, पॉलिटिशियन नही।जिसे सरकार का इकबाल गिराकर जनता की आजादी बढ़ाने की खुजली हो।
मंहगाई कम होगी,पेट्रोल डीजल के दाम घटेगें, रोजगार बढेंगे, बस मामूली। लेकिन कोई बिकी
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डिस्क्लेमर:इस तस्वीर का नीचे लिखी कहानी से कोई संबंध नहीं है
"एक शख्स ज़िबाह की हुई मुर्गी लेकर कसाई की दुकान पर आया और कहा-"भाई जरा इस मुर्गी को काट कर मुझे दे दो।"
कसाई बोला :"मुर्गी रखकर चले जाओ और आधे घँटे बाद आकर ले जाना।"
इत्तिफ़ाक़ से जरा देर बाद ही शहर का काज़ी कसाई की
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दुकान पर आ गया और कसाई से कहा:"ये मुर्गी मुझे दे दो"
कसाई बोला:"ये मुर्गी मेरी नही है,बल्कि किसी और की है और मेरे पास भी अभी कोई और मुर्गी नही जो आप को दे सकूं।"
काज़ी ने कहा : "कोई बात नही,ये मुझे दे दो मालिक आए तो कहना कि मुर्गी उड़ गई है।"
कसाई बोला : "ऐसा कहने का भला क्या
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फायदा होगा? मुर्गी तो उसने खुद ज़िबाह करके मुझे दी थी,फिर ज़िबाह की हुई मुर्गी कैसे उड़ सकती है?"
काज़ी ने कहा : "मैं जो कहता हूं उसे गौर से सुनो! बस ये मुर्गी मुझे दे दो और उसके मालिक से यही कहना कि तेरी मुर्गी उड़ गई है। वह ज़ियादा से ज़ियादा तुम्हारे खिलाफ मुकदमा लेकर मेरे
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