भारत की समृद्धशाली परंपरा मे #बाम्हन_बाभन शब्द का प्रयोग:-
चक्रवर्ती सम्राट अशोक द्वारा लिखित वृहद अभिलेख का चतुर्थ संदेश है #बाम्हन_समण के प्रति लोग आदर का भाव रखे|
अब यहां ध्यान दे कि पाली वाक्य मे जब दो या दो से अधिक संज्ञा नाम का प्रयोग करना होता है तो उन सबो के बीच मे #च
का प्रयोग होता है| जैसे:- बुद्धो भूपालस्स च अमच्चानं च धम्मं देसेस्सति|
सम्राट ने अपने अभिलेख मे #बाम्हनसमण के बीच #च का प्रयोग नही किये है| जिस वजह से इसे निरंतरता से पढे और इसका अर्थ भी एक ही साथ करे|
(याद रखे कि पाली मे बाम्हन का अर्थ विद्वान होता है, और समण का अर्थ नष्ट करने
वाला, बुझाने वाला होता है|
जैसे:- #अग्नि_शमन_वाहन) यानी सम्राट द्वारा समण (#भिक्खु) को ही बाम्हन (#विद्वान) भिक्खु कहकर संबोधित कर रहे है|
उसी प्रकार सम्राट #समुद्रगुप्त का इलाहाबाद स्तंभ लेख मे भी #बाभनेआजीवको लिखा हुआ मिला है| यानी यहां भी आजीवक को ही विद्वान(बाभने) कह रहे है|
अब भारत मे धूर्तों का समूह ने जब जाति निर्माण करना शुरू किया तो अपने द्वारा निर्मित धूर्त समूह का नाम उसी बाम्हन को संस्करारित करते हुए ब्राह्मण से संबोधित किया, तो उसमे पूर्व के बाम्हन, बम्ह, बम्ही जैसे शब्दो का क्या दोष?
दोष तो आज के लोगो का है कि जानकारी मिलने के बाद भी लोग इस
शब्द को धूर्तों से मुक्त नही रहा रहे है|
ऐसे आज के लोगो को छोटी सी भूखंड की जानकारी अगर मिल जाए कि यह भूखंड मेरे पूर्वज का है तो उसके लिए कोर्ट का चक्कर लगाने को तैयार रहते है|
बौद्ध धर्म मे बुद्धपदो का अत्यंत महत्व है| बुद्धपद तथागत बुद्ध के ऐतिहासिक होने की पहचान है| बुद्ध भले ही हमारे बीच नही है, लेकिन बुद्धपदो के रुप मे हम उन्हे महसूस कर सकते है, यह लोगो का विश्वास था| इसलिए, बौद्ध लोग बुद्धपदो की पूजा करते थे|
बौद्ध धर्म मे जो पादुका पुजा है, वह वास्तव मे बुद्धपद पुजा है, जिसे "सिरिपद पुजा" भी कहा जाता है| सिरि मतलब बुद्ध और सिरिपाद मतलब बुद्धपद| सिरिमान (श्रीमान) मतलब बुद्ध को माननेवाला बौद्ध अनुयायी और सिरिमती (श्रीमती) मतलब बुद्ध को माननेवाली बौद्ध अनुयायी| सम्राट अशोक ने कश्मीर मे
बुद्ध की याद मे सिरिनगर ( वर्तमान श्रीनगर) स्थापित कर दिया था| सिरिनगर मतलब बुद्ध का नगर|
तथागत बुद्ध के पदो की पुजा का प्रचलन बौद्ध काल मे बडे पैमाने पर फैल गया था| बुद्ध पदो की पुजा आज भी तथागत विठ्ठल की पादुका पुजन के रुप मे किया जाता है| रामायण मे भरत अपने भाई बोधिसत्व राम
13अक्तूबर के दिन येवला मे आयोजित बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क की धम्मपरिषद मे शामिल हो जाओ|
नेपाल के काठमांडू और भारत के नाशिक शहर मे "नागबलि यज्ञ" किया जाता है| भारत का इतिहास "बौद्ध क्षत्रिय बनाम ब्राम्हण पुरोहित" के बीच चले निरंतर संघर्ष का इतिहास है| नागबलि परंपरा उसी भयंकर
संघर्ष का प्रतीक है|
मूलनिवासी बहुजनो को प्राचीन भारत मे "नागवंशी खत्तिय" कहा जाता था| नाग वास्तव मे मूलनिवासी बहुजनो का टोटेम था, इसलिए उन्हे नागवंशी कहा जाता है| नागवंशी लोग प्राचीन बौद्ध थे| इसके शेकडो प्रमाण हमे बौद्ध साहित्य और शिल्पो मे मिलते है| दक्षिण भारत के अमरावती
स्तुप मे नागराजा और उसकी रानीयाँ बुद्ध का अभिवादन करते हुए शिल्प मे दिखाए गए है| कान्हेरी बौद्ध गुफा क्रमांक90 और घटोत्कच बौद्ध गुफा मे नागराजा का शिल्प है और उसके उपर नागफनी दिखती है| नागार्जुनकोंडा मे बुद्ध की मुर्ति के उपर सात नागफनी दिखाए गए है, जिससे स्पष्ट होता है कि, तथागत
@AdvRajendraPal@AamAadmiParty@AAPDelhi नाम के राजनैतिक दल के एम्प्लॉई थे | उन्हे कैबिनेट मंत्री पद से भी नवाजा गया था | अगर आप किसी कंपनी या राजनैतिक दल से जुडे है तो उस कंपनी या दल की विचारधारा अनुसार कार्य करना होता है |
AAP एक ब्राह्मणवादी राजनैतिक दल है, ब्राह्मणवादी दल
बौद्ध धम्म के विरोध मे ही काम करेगा | अरविंद केजरीवाल कह चुके है वे ब्राह्मण निर्देशित एक बनिया है और दूसरे नंबर के नेता मनीष सिसोदिया ने कहा है वे भी ब्राह्मण निर्देशित क्षत्रिय राजपूत है |
बौद्ध धम्म समर्थक अरविंद केजरीवाल और उसकी आम आदमी पार्टी से 22 प्रतिज्ञाओ पर कैसे नरम
#06अक्टूबर2022 की नागपुर (महाराष्ट्र) मे आयोजित भारत मुक्ति मोर्चा एवम बहुजन क्रान्ति मोर्चा की विशाल महारैली मे 85% मूलनिवासी समाज के प्रत्येक संगठन को सम्मिलित होने के लिए मा वामन मेश्राम साहब ने अपील की है|
यह महारैली संविधान एवम तमाम तरह के संवैधानिक
मौलिक अधिकारो को बचाने के लिए आयोजित की गई है|
क्योंकि RSS-BJP ने हरियाणा, उत्तरप्रदेश , छत्तीसगढ़ एवं बिहार मे हमारे कार्यक्रमो एवम परिवर्तन यात्रा को रोक कर संवैधानिक मौलिक अधिकारो का हनन किया है|
मूलनिवासी समाज को आर्टिकल19 के तहत मिले संगठन बनाने एवम विचारो की अभिव्यक्ति
करने की आजादी के अधिकार ही ब्राह्मणो ने खत्म कर दिए है तो फिर बचा ही क्या??
यह सब कुछ जानते हुए भी जो संगठन इस विशाल महारैली मे सम्मिलित होकर, महारैली को सफल बनाने के लिए साथ एवम सहयोग नही करेंगे, ऐसे संगठनो के असली चेहरे समाज के सामने आ जायेंगे?
#साथियो, तथाकथित आजादी के 75 वर्षों बाद भी मूलनिवासी समाज की आर्थिक, सामाजिक एवम राजनीतिक समस्याओ का समाधान>>आखिर क्यों नही हुआ? एवम जिस मूलनिवासी समाज के वोटो की संख्या लगभग 85% होने के बाद भी उस समाज के लोग शासन, प्रशासन मे निर्णय लेने की मुख्य भूमिका मे होने की बजाय अपने आप
को असुरक्षित महसूस क्यों करते है, मूलनिवासी समाज के चयनित जनप्रतिनिधियो को विधानसभा एवम लोकसभा बोलने भी नही दिया जाता है, वे समाज को संविधान मे मिले अधिकारो को भी दिलवाने के लायक क्यों नही है?
इसके कारणो एवम उसका समाधान कैसे सम्भव है? जानने के लिए 25सितम्बर2022 को जम्बुरी मैदान,
BHEL भोपाल (मध्यप्रदेश) आयोजित--बहुजन मुक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन मे रखे गए--तमाम विषयो पर जो गंभीर चर्चा होने वाली है उसे सुनने के लिए जरूर उपस्थित होंगे--ऐसी अपेक्षा है|
अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने ऐसे मुद्दो पर आज तक चर्चा नही कि है?
समाज मे धम्म स्थापित करने की प्रक्रिया को सम्राट अशोक ने "धम्मथम्बानि" कहा है| और जिन जिन प्रदेशो मे धम्म स्थापित किया वहाँ पर सम्राट अशोक ने धम्मस्तंभ स्थापित किए| अर्थात, धम्मस्तंभ वास्तव मे सम्राट अशोक के "धम्मविजय" के प्रतीक थे| इसलिए, सम्राट अशोक विजयादशमी के दिन सम्राट अशोक
की प्रतिमा रथ मे रखकर धम्म रैली निकालनी चाहिए और सम्राट अशोक के धम्मस्तंभ की अंत मे पुजा करनी चाहिए|
धम्ममहामात्र मतलब धम्म के महान विद्वान अर्थात धम्म महाथेर| सम्राट अशोक ने धम्ममहामात्र की तरह धम्म युक्त भी नियुक्त किए थे| युक्त मतलब जोडना, जिससे योगा शब्द तैयार हुआ है| सम्राट
अशोक के धम्मयुक्त अधिकारी लोगों को धम्म के माध्यम से जोडते थे, इसलिए उन्हे धम्मयुक्त कहा जाता था|
सम्राट अशोक के युक्त अधिकारीयो ने भारत के विभिन्न समुदायो को धम्म के माध्यम से जोड़ दिया था, जिससे लोगो के बीच भेदभाव खत्म होकर भाईचारा पैदा हुआ और अखंड शक्तिशाली भारत बनाने मे