How a trust owned by Hindus used an Urdu name "Tanzeem-E-Zarkhez" allegedly to spread Islamophobia & pooled over 200 acres of land on throwaway price.
Later, it was renamed as Prof PC Mahajan Foundation.
Now, a BJP leader is chairman of the trust.
Thread -
A group of 11+ Hindu formed a charitable trust with an Urdu name #Tanzeem-E-Zarkhez in 2002 & appointed Zakir Shaikh as its manager.
Zakir, who sported a long beard was allegedly used to spread a propaganda that a Muslim trust is buying lands to open butcher house & graveyard.
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Many Hindu / Muslim farmers fell into the trap & sold their lands on throwaway price to Tanzeem-E-Zarkhez & Prakash Smirti Sewa Sansthan, another trust owned by the same group.
PSSS was formed in 1996. It made over 20K members through a lucrative chit fund business model.
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In 2007-08, Tanzeem-E-Zarkhez was renamed after Professor PC Mahajan Foundation, father of Ravi Mahajan, director of the trust.
Trust pooled the land to use it for social work. But, now, it is building homes on these lands & selling at a higher price, said a worker of Trust.
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Farmers who sold their lands then felt cheated and gave an application to Khargone SP demanding action.
Members of PSSS also demanded justice.
There is more.
The whistleblower of this alleged scam is an RSS worker and advocate Sudheer Kulkarni.
A detailed story soon.
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MP: On allegations of pelting stones at #Garba event, Mandsaur Police booked 19, arrested 7 & #razed homes of Zafar, Raies & Salman within 2-day of incident.
Admin said, their homes were illegal.
Alleged stone pelting occurred on Sunday night in Surjani village of Sitamau PS.
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Mandsaur SP Anurag Sujania said 19 people were booked under section 307 & 147 of the IPC & 7 arrested.
The illegal homes were identified and razed by the Revenue Department which is worth over 4 Cr.
हिन्दू संगठनों ने ख़बर फैलाई के MP के रतलाम ज़िले में दर्जनों मुसलमानों ने हिंदू धर्म अपना लिया।
तो पता यह चला के बंजारा समाज के लोग जो मोहल्लों में फकीरों के भेस में मांग चांग कर खाते थे कुछ के नाम मुस्लिम, कुछ के हिंदू, कभी मस्जिद नहीं गए नमाज़ नहीं पढ़ी वो अपना शुद्धीकरण..
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करवा रहे हैं।
किसी का नाम धर्मवीर शाह, राजू शाह, अरुण शाह तो किसी का मोहम्मद शाह और रमजानी। महिलाओं का नाम आशा बाई, मीनू बाई और रंजिता बाई।
उनका कहना हैं कि वो हिन्दू धर्म में ही थे बस नाम मुस्लिमों जैसा था और मुस्लिम फकीरों जैसे कपड़े पहन कर मांग कर खाते थे और ताबीज देते थे
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ख़ैर, स्वामी आनंदगिरी महाराज के देख रेख में भीमनाथ मंदिर के पास बने कुंड में पूरे परिवार को गोबर, गोमूत्र से स्नान कराया।
जनेऊ धारण कर भगवा वस्त्र पहनाकर जयश्री राम, जय महाकाल और सनातन धर्म के जयघोष के नारे भी लगाए।
एक ने तो भास्कर को पीछे छोड़ते हुए 18 की जगह 55 लिख दिया।
टोपी पहन कर सब्ज़ी मण्डी (बस स्टैंड) से जा रहे दो भाइयों को 1 बाइक सवार ने धर्म सूचक गलियां दी, जब उन्होंने इसका विरोध किया तो बाइक सवार समेत सब्ज़ी/फल बिक्रेताओ ने धारदार हथियार से हमला किया।
दोनों अस्पताल में भर्ती। DM/ SP मौके पर।
दंगे के लगभग 2 महीने बाद भी खरगौन ने हालात सामन्य नहीं हुए हैं। आज की हिंसा बताती हैं कि लोगों के अंदर नफरत और दूसरे को लेकर हीन भावना बड़ गई है।
इसकी मुख्य वजह हैं घटना के अगले दिन से प्रशासन की एकतरफा कार्यवाही।
सरकार/प्रशासन को हालात सामान्य करने की कोशिश करनी चाहिए। @DGP_MP
शांति का टापू कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में सितंबर 2020 से आख़िर क्यों दंगे भड़क रहे हैं, आख़िर इन दंगो से किसे फायदा और किसे नुक्सान हो रहा हैं !!