हनुमान जी को अपनी शक्तियां भूलने का श्राप क्यों मिला था?
हनुमान जी के माता-पिता का नाम केसरी व अंजना था। जिन्होंने उन्हें बहुत यत्न के बाद प्राप्त किया था। हनुमान भगवान शिव के 11वें अंशावतार माने जाते हैं जिन्होंने इस पृथ्वी पर भगवान विष्णु के सातवें पूर्ण अवतार (1/11)
श्रीराम की सहायता करने के उद्देश्य से जन्म लिया था। इसी कारण हनुमान के अंदर अत्यधिक बल व शक्तियों का वास था।
चूँकि हनुमान जी वानर जाति से थे व बचपन में बहुत चंचल भी थे इसलिये अपनी बाल्यावस्था में वे अपने आसपास रहने वाले ऋषि मुनियों को बहुत तंग किया करते थे। प्रतिदिन उनकी (2/11)
शरारतें बढ़ती ही जा रही थी जिस कारण उनके माता-पिता भी चिंतित रहने लगे।
हनुमान जी का चंचल स्वभाव:
हनुमान जी साधना व योग में लगे ऋषियों को अपनी शक्ति से हवा में उछाल देते थे या यज्ञ की लकड़ियों को फेंक देते थे। जंगल के पेड़ों को भी क्षतिग्रस्त कर देते थे। उस वन में बहुत (3/11)
से भृगु व अंगीरा ऋषि निवास करते थे जो हनुमान के इस उद्दंड प्रवत्ति से परेशान थे।
किंतु भगवान श्रीराम की सहायता करने के लिए उनके अंदर यह बल होना भी आवश्यक था।
हनुमान को मिला श्राप:
इसलिये एक दिन सभी ऋषि मुनियों ने हनुमान जी के माता-पिता से विचार-विमर्श किया व उसके बाद (4/11)
हनुमान को श्राप दिया कि वे एक समयकाल के लिए अपनी सभी शक्तियों व बल को भूल जायेंगे व उनका प्रयोग नही कर पाएँगे। एक समय के पश्चात जब उन्हें इसकी सबसे अधिक सहायता होगी व श्रीराम की सेवा करनी होगी तब किसी ज्ञानी पुरुष के द्वारा उन्हें अपनी शक्तियों को फिर से याद दिलाया जायेगा (5/11)
जिससे उन्हें अपना वही बल व पराक्रम ज्ञात हो जायेगा व वे अभी के समान बलशाली बन जायेंगे।
इस श्राप को मिलने के पश्चात बाल हनुमान स्वयं को मिली सभी शक्तियों को भूल गए व उसके परिणाम स्वरुप उनका ऋषि मुनियों को तंग करना भी बंद हो गया। अब हनुमान भगवान की भक्ति में लीन रहते व (6/11)
वेदों शास्त्रों का अध्ययन करते।
माता सीता की खोज में निकले:
जब माता सीता का रावण के द्वारा अपहरण कर लिया गया तब सुग्रीव ने भगवान श्रीराम के आदेश अनुसार अपनी सेनाओं को चारों दिशाओं में भेजा। हनुमान को भी जाम्बवंत, अंगद इत्यादि के साथ दक्षिण दिशा में भेजा गया जहाँ एक सीमा (7/11)
के बाद समुंद्र आता था। जब उन्हें जटायु के भाई सम्पाती के द्वारा यह पता चला कि रावण माता सीता को उस पार लंका ले गया है तो वानर सेना के लिए वहां जाना असंभव था। स्वयं जाम्बवत भी अब बूढ़े हो चुके थे इसलिये वे भी समुंद्र को लांघने में असमर्थ थे।
जाम्बवंत ने याद दिलाई हनुमान (8/11)
को शक्ति:
जाम्बवंत जी को हनुमान जी की शक्तियां व उनको मिले श्राप के बारें में ज्ञान था व यह सही समय था हनुमान को उनकी भूली हुई शक्तियों को याद दिलाने का। इसलिये जाम्बवंत जी ने हनुमान को उस समय की सारी बात बताई व उनकी शक्तियों का बखान किया। जाम्बवंत जी के द्वारा पुनः (9/11)
याद दिलाने के कारण हनुमान को ऋषि मुनियों के श्राप से मुक्ति मिली व फिर से उनके अंदर वही तेज व बल वापस आ गया जिसके बल पर उन्होंने माता सीता को खोज निकाला व भगवान श्रीराम की सहायता की।
ईश्वर का अस्तित्व तुम्हें साकार नजर आ जाएगा
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जो लोग दुनिया के सबसे अमीर शख्श एलन मस्क को केवल एक व्यवसायी समझते हैं वो उसके पीछे छिपे घृणित अमेरिकी चेहरे को देख नहीं पा रहे हैं। एलन मस्क सार्वजनिक तौर पर अनेकों बार भारतीय योग्यता का लोहा मान चुके हैं और यही बात उनकी भारतीयों के प्रति दुर्भावना और नफरत का (1/12)
कारण भी है।
नरेंद्र मोदी की आलोचना उनका प्रिय विषय है और यही कारण है कि भारत का विपक्ष एलन मस्क को प्रिय है। एलन मस्क को भारत और नरेंद्र मोदी से इतनी नफरत क्यों है उसके पीछे भी एक खास कारण है। जरा नरेंद्र मोदी का पहला अमेरिकी दौरा याद करिए जिसमें उन्होंने एलन मस्क, (2/12)
मार्क जुकरबर्ग सहित अनेकों सीईओ से उन्होंने मुलाकात की थी जिसमें मोदी ने एलन मस्क की टेस्ला कम्पनी को भारत में इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल प्लांट लगाने का निमंत्रण दिया था। एलन मस्क को लगा कुआं खुद प्यासे के पास आ गया है, अर्थात भारत के बड़े बाजार पर उनका आधिपत्य निश्चित है (3/12)
हम भारतीयों को जब तक कोई खुलकर बेइज्जत नहीं करता तब तक बात समझ मे नहीं आती। विगत माह ब्रिटेन के लीसेस्टर में भारतीय मंदिरों पर पाकिस्तानी मूल के इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हमला किया गया जिसमें अनेकों हिंदुओं पर जानलेवा हमला हुआ। भारत सरकार के बार बार अपील के बावजूद (1/9)
ब्रिटेन की गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन तमाशबीन बनी रही और यही हाल ब्रिटेन की पुलिस का भी रहा जिससे इस्लामिक कट्टरपंथियों को और ज्यादा शह मिली। ज्ञात हो ब्रिटेन की गृहमंत्री भारतीय मूल की ही हैं।
अब यही ब्रितानी गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने भारत के साथ हो रहे व्यापार (2/9)
समझौते को लेकर चिंताएं ज़ाहिर की हैं। सुएला ब्रेवरमैन ने कहा है कि भारत के साथ व्यापार समझौते की वजह से ब्रिटेन में आने वाले भारतीयों की संख्या बढ़ सकती है जो ब्रिटेन के हित में नहीं है। भारतीय यहां पहले से बहुत अधिक हैं और ये लोग वीज़ा अवधि समाप्त होने के बावजूद यहां (3/9)
ये छठ जरुरी है। धर्म के लिए नहीं। समाज के लिए नहीं। जरुरी है हम और आप के लिए जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं। उन बेटों के लिए जिनके घर आने का ये बहाना है। उस माँ के लिए जिन्हें अपनी संतान को देखे महीनों हो जाते हैं। उस परिवार के लिये जो टुकड़ो (1/4)
में बंट गया है। ये छठ जरुरी है उस नए बच्चो के लिए जिन्हें नहीं पता की दो कमरों से बड़ा भी घर होता है।
उनके लिए जिन्होंने नदियों को सिर्फ किताबों में ही देखा है। ये छठ जरुरी है उस परंपरा को ज़िंदा रखने के लिए जो समानता की वकालत करता है। जो बताता है कि बिना पुरोहित के भी (2/4)
पूजा हो सकती है। जो सिर्फ उगते सूरज को ही नहीं डूबते सूरज को भी प्रणाम करता है। ये छठ जरुरी है गागर निम्बू और सुथनी जैसे फलों को जिन्दा रखने के लिए। सूप और दउरा को बनाने वालों के लिए।
ये बताने के लिए इस समाज में उनका भी महत्व है। ये छठ जरुरी है उन दंभी पुरुषों के लिए (3/4)
सुबह उठा तो मन उद्विग्न था। पता नहीं चला कि मामला क्या है? तभी याद आया कि आज तो तीस अक्तूबर है। आज ही के रोज अयोध्या में रामजन्मभूमि मंदिर की कारसेवा के लिए आमादा कारसेवकों पर गोली चली थी। बत्तीस बरस पहले आज की सुबह मैं अयोध्या में मौक़े पर मौजूद था। उस (1/76)
रोज वहॉं क्या हुआ था। जानिए क्षण प्रति क्षण का हाल। मेरी किताब “युद्ध में अयोध्या” के अंश....
30 अक्तूबर की सुबह अयोध्या डर, आशंका और अनिश्चितता की गिरफ्त में थी। हालात बेकाबू दिख रहे थे। अयोध्या से जुड़नेवाली सभी छोटी-बड़ी सड़कों पर अर्द्धसैनिक बलों के बूट खनक रहे थे। (2/76)
सीमाएँ सील थीं। मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने यह ऐलान कर रखा था कि वहाँ परिंदा भी पर नहीं मार सकता। उनकी घोषणा को अमल में लाने के लिए आई.जी. से लेकर थानेदार तक सड़कों पर थे। अयोध्या में चार रोज से कर्फ्यू था। राम जन्मभूमि के दर्शन पर रोक नहीं थी, पर वहाँ किसी को जाने की (3/76)
बड़ी खूबसूरत अभिनेत्री थीं जया भादुड़ी। ऐसी ऐसी कालजयी फिल्में दी कि फिल्मों के इतिहास में उनका नाम अमर हो गया। बाद में अमिताभ बच्चन जैसे सुपर स्टार से ब्याही गईं और उन्हीं के कारण संसद में भी पहुंचीं।
न जाने क्यूं, उम्र जैसे जैसे बढ़ती गई कर्कशा होती गईं। दरअसल रेखा से (1/5)
अमिताभ के संबंधों ने उन्हें कुंठित कर दिया। यह कुंठा उनका स्वभाव बन गई। संसद में थाली में छेद की बात जया की छलनी बनकर आज भी खूब ट्रोल हो रही है।
मुंबई में पपराजी पत्रकारों को रोजाना फटकारते फटकारते वे और भी कुंठित हो गई। कार्यक्रमों में कोई छात्र मोबाइल से तस्वीर लेने (2/5)
लगे तो बेहद फटकारती हैं। अब पपराजी को देखते ही भड़क जाती हैं। उनका गुस्सा उनकी चिढ़ाई बन गया है।
खैर! उनकी मर्जी जैसे चाहें अपना जीवन जियें, लेकिन गत दिवस एक पॉडकास्ट में अपनी बेटी और नातिन के सामने उन्होंने जो कहा उसने शायद अमिताभ, ऐश्वर्या और अभिषेक को भी विचलित कर (3/5)
भारतीय कंपनियां पश्चिमी कंपनियों के पलायन से रूस में उभरी तमाम संभावनाओं को आज भी अनदेखा कर रही हैं, जबकि चीन बहुत तेजी से रूस के उन क्षेत्रों में पाँव पसारने में लगा हुआ है जहाँ पश्चिमी कंपनियों के हटने के कारण एक शून्य पैदा हो गया है। इसमें मेटल उद्योग, ऑटोमोबाइल, (1/7)
सॉफ्टवेयर, फ़ूड चैन फ्रेंचाइजीज, से लेकर लग्जरी-लिविंग प्रोडक्ट्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
पता नहीं ऐसा भारत सरकार की किसी अघोषित नीति के अनुपालन में हो रहा है, या फिर भारतीय बिजनेस हाऊसेज खुद ही पश्चिमी प्रतिबंधों के डर से सुसके हुए हैं, लेकिन जिस रिस्क के डर से हमारी (2/7)
कंपनियां यह भीरुता दिखा रही हैं, वह रिस्क उठाने वाला फैक्टर ही किसी व्यापारी को फर्श से अर्श तक पहुंचाता है।
याद रखें, यह युद्ध अनंतकाल तक नहीं चलेगा, एक न एक दिन यह भी समाप्त हो जाएगा। लेकिन इस अस्थिरता भरे माहौल में भी जिसने रूसी बाजार में उतरने और टिके रहना का साहस (3/7)