चौरासी लाख योनियों का रहस्य...

हिन्दू धर्म में पुराणों में वर्णित ८४००००० योनियों के बारे में आपने कभी ना कभी अवश्य सुना होगा। हम जिस मनुष्य योनि में जी रहे हैं वो भी उन चौरासी लाख योनियों में से एक है। अब समस्या ये है कि कई लोग ये नहीं समझ पाते कि वास्तव में इन
योनियों का अर्थ क्या है? ये देख कर और भी दुःख होता है कि आज की पढ़ी-लिखी नई पीढ़ी इस बात पर व्यंग करती और हँसती है कि इतनी सारी योनियाँ कैसे हो सकती है। कदाचित अपने सीमित ज्ञान के कारण वे इसे ठीक से समझ नहीं पाते। गरुड़ पुराण में योनियों का विस्तार से वर्णन दिया गया है।
तो आइये आज इसे समझने का प्रयत्न करते हैं।

सबसे पहले ये प्रश्न आता है कि क्या एक जीव के लिए ये संभव है कि वो इतने सारे योनियों में जन्म ले सके? तो उत्तर है, हाँ। एक जीव, जिसे हम आत्मा भी कहते हैं, इन ८४००००० योनियों में भटकती रहती है। अर्थात मृत्यु के पश्चात वो इन्ही
८४००००० योनियों में से किसी एक में जन्म लेती है। ये तो हम सब जानते हैं कि आत्मा अजर एवं अमर होती है इसी कारण मृत्यु के पश्चात वो एक दूसरे योनि में दूसरा शरीर धारण करती है। अब प्रश्न ये है कि यहाँ "योनि" का अर्थ क्या है? अगर आसान भाषा में समझा जाये तो योनि का अर्थ है जाति (नस्ल),
जिसे अंग्रेजी में हम स्पीशीज (Species) कहते हैं। अर्थात इस विश्व में जितने भी प्रकार की जातियाँ है उसे ही योनि कहा जाता है। इन जातियों में ना केवल मनुष्य और पशु आते हैं, बल्कि पेड़-पौधे, वनस्पतियाँ, जीवाणु-विषाणु इत्यादि की गणना भी उन्ही ८४००००० योनियों में की जाती है।
आज का विज्ञान बहुत विकसित हो गया है और दुनिया भर के जीव वैज्ञानिक वर्षों की शोधों के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि इस पृथ्वी पर आज लगभग ८७००००० (सतासी लाख) प्रकार के जीव-जंतु एवं वनस्पतियाँ पाई जाती है। इन ८७ लाख जातियों में लगभग २-३ लाख जातियाँ ऐसी हैं जिन्हे आप मुख्य जातियों
में लगभग २-३ लाख जातियाँ ऐसी हैं जिन्हे आप मुख्य जातियों की उपजातियों के रूप में वर्गीकृत कर सकते हैं। अर्थात अगर केवल मुख्य जातियों की बात की जाये तो वो लगभग ८४ लाख है। अब आप सिर्फ ये अंदाजा लगाइये कि हमारे हिन्दू धर्म में ज्ञान-विज्ञान कितना उन्नत रहा होगा कि हमारे ऋषि-मुनियों
ने आज से हजारों वर्षों पहले केवल अपने ज्ञान के बल पर ये बता दिया था कि ८४००००० योनियाँ है जो कि आज की उन्नत तकनीक द्वारा की गयी गणना के बहुत निकट है।

हिन्दू धर्म के अनुसार इन ८४ लाख योनियों में जन्म लेते रहने को ही जन्म-मरण का चक्र कहा गया है। जो भी जीव इस जन्म मरण के चक्र से
छूट जाता है, अर्थात जो अपनी ८४ लाख योनियों की गणनाओं को पूर्ण कर लेता है और उसे आगे किसी अन्य योनि में जन्म लेने की आवश्यकता नहीं होती है, उसे ही हम "मोक्ष" की प्राप्ति करना कहते है। मोक्ष का वास्तविक अर्थ जन्म-मरण के चक्र से निकल कर प्रभु में लीन हो जाना है। ये भी कहा गया है कि
सभी अन्य योनियों में जन्म लेने के पश्चात ही मनुष्य योनि प्राप्त होती है। मनुष्य योनि से पहले आने वाले योनियों की संख्या ८०००००० (अस्सी लाख) बताई गयी है। अर्थात हम जिस मनुष्य योनि में जन्मे हैं वो इतनी विरली होती है कि सभी योनियों के कष्टों को भोगने के पश्चात ही ये हमें प्राप्त
होती है। और चूँकि मनुष्य योनि वो अंतिम पड़ाव है जहाँ जीव अपने कई जन्मों के पुण्यों के कारण पहुँचता हैं, मनुष्य योनि ही मोक्ष की प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन माना गया है। विशेषकर कलियुग में जो भी मनुष्य पापकर्म से दूर रहकर पुण्य करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति की उतनी ही अधिक
सम्भावना होती है। किसी भी अन्य योनि में मोक्ष की प्राप्ति उतनी सरल नहीं है जितनी कि मनुष्य योनि में है। किन्तु दुर्भाग्य ये है कि लोग इस बात का महत्त्व समझते नहीं हैं कि हम कितने सौभाग्यशाली हैं कि हमने मनुष्य योनि में जन्म लिया है।

एक प्रश्न और भी पूछा जाता है कि क्या मोक्ष
पाने के लिए मनुष्य योनि तक पहुँचना या उसमे जन्म लेना अनिवार्य है? इसका उत्तर है, नहीं। हालाँकि मनुष्य योनि को मोक्ष की प्राप्ति के लिए सर्वाधिक आदर्श योनि माना गया है क्यूंकि मोक्ष के लिए जीव में जिस चेतना की आवश्यकता होती है वो हम मनुष्यों में सबसे अधिक पायी जाती है।
इसके अतिरिक्त कई गुरुजनों ने ये भी कहा है कि मनुष्य योनि मोक्ष का सोपान है और मोक्ष केवल मनुष्य योनि में ही पाया जा सकता है। हालाँकि ये अनिवार्य नहीं है कि केवल मनुष्यों को ही मोक्ष की प्राप्ति होगी, अन्य जंतुओं अथवा वनस्पतियों को नहीं। इस बात के कई उदाहरण हमें अपने वेदों और
पुराणों में मिलते हैं कि जंतुओं ने भी सीधे अपनी योनि से मोक्ष की प्राप्ति की। महाभारत में पांडवों के महाप्रयाण के समय एक कुत्ते का जिक्र आया है जिसे उनके साथ ही मोक्ष की प्राप्ति हुई थी, जो वास्तव में धर्मराज थे। महाभारत में ही अश्वमेघ यज्ञ के समय एक नेवले का वर्णन है जिस
युधिष्ठिर के अश्वमेघ यज्ञ से उतना

पुण्य नहीं प्राप्त हुआ जितना एक गरीब के आंटे से और बाद में वो भी मोक्ष को प्राप्त हुआ। विष्णु एवं गरुड़ पुराण में एक गज और ग्राह का वर्णन आया है जिन्हे भगवान विष्णु के कारण मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। वो ग्राह पूर्व जन्म में गन्धर्व और गज भक्त
राजा थे किन्तु कर्मफल के कारण अगले जन्म में पशु योनि में जन्मे। ऐसे ही एक गज का वर्णन गजानन की कथा में है जिसके सर को श्रीगणेश के सर के स्थान पर लगाया गया था और भगवान शिव की कृपा से उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। महाभारत की कृष्ण लीला में श्रीकृष्ण ने अपनी बाल्यावस्था में खेल-खेल में
"यमल" एवं "अर्जुन" नमक दो वृक्षों को उखाड़ दिया था। वो यमलार्जुन वास्तव में पिछले जन्म में यक्ष थे जिन्हे वृक्ष योनि में जन्म लेने का श्राप मिला था। अर्थात, जीव चाहे किसी भी योनि में हो, अपने पुण्य कर्मों और सच्ची भक्ति से वो मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।
एक और प्रश्न पूछा जाता है
कि क्या मनुष्य योनि सबसे अंत में ही मिलती है। तो इसका उत्तर है, नहीं। हो सकता है कि आपके पूर्वजन्मों के पुण्यों के कारण आपको मनुष्य योनि प्राप्त हुई हो लेकिन ये भी हो सकता है कि मनुष्य योनि की प्राप्ति के बाद किये गए आपके पाप कर्म के कारण अगले जन्म में आपको अधम योनि प्राप्त हो।
इसका उदाहरण आपको ऊपर की कथाओं में मिल गया होगा। कई लोग इस बात पर भी प्रश्न उठाते हैं कि हिन्दू धर्मग्रंथों, विशेषकर गरुड़ पुराण में अगले जन्म का भय दिखा कर लोगों को डराया जाता है। जबकि वास्तविकता ये है कि कर्मों के अनुसार अगली योनि का वर्णन इस कारण है
ताकि मनुष्य यथासंभव पापकर्म करने से बच सके।

हालाँकि एक बात और जानने योग्य है कि मोक्ष की प्राप्ति अत्यंत ही कठिन है। यहाँ तक कि सतयुग में, जहाँ पाप शून्य भाग था, मोक्ष की प्राप्ति अत्यंत कठिन थी। कलियुग में जहाँ पाप का भाग १५ है, इसमें मोक्ष की प्राप्ति तो अत्यंत ही कठिन है।
हालाँकि कहा जाता है कि सतयुग से उलट कलियुग में केवल पाप कर्म को सोचने पर उसका उतना फल नहीं मिलता जितना करने पर मिलता है। और कलियुग में किये गए थोड़े से भी पुण्य का फल बहुत अधिक मिलता है। कई लोग ये समझते हैं कि अगर किसी मनुष्य को बहुत पुण्य करने के कारण स्वर्ग की प्राप्ति होती है
तो इसी का अर्थ मोक्ष है, जबकि ऐसा नहीं है। स्वर्ग की प्राप्ति मोक्ष की प्राप्ति नहीं है। स्वर्ग की प्राप्ति केवल आपके द्वारा किये गए पुण्य कर्मों का परिणाम स्वरुप है। स्वर्ग में अपने पुण्य का फल भोगने के बाद आपको पुनः किसी अन्य योनि में जन्म लेना पड़ता है। अर्थात आप जन्म और मरण
के चक्र से मुक्त नहीं होते। रामायण और हरिवंश पुराण में कहा गया है कि कलियुग में मोक्ष की प्राप्ति का सबसे सरल साधन "राम-नाम" है।

पुराणों में ८४००००० योनियों का गणनाक्रम दिया गया है कि किस प्रकार के जीवों में कितनी योनियाँ होती है। पद्मपुराण के ७८/५ वें सर्ग में कहा गया है:
जलज नवलक्षाणी,
स्थावर लक्षविंशति
कृमयो: रुद्रसंख्यकः
पक्षिणाम् दशलक्षणं
त्रिंशलक्षाणी पशवः
चतुरलक्षाणी मानव

अर्थात,

जलचर जीव: ९००००० (नौ लाख)
वृक्ष: २०००००० (बीस लाख)
कीट (क्षुद्रजीव): ११००००० (ग्यारह लाख)
पक्षी: १०००००० (दस लाख)
जंगली पशु: ३०००००० (तीस लाख)
मनुष्य: ४००००० (चार लाख)
इस प्रकार ९००००० + २०००००० + ११००००० + १०००००० + ३०००००० + ४००००० = कुल ८४००००० योनियाँ होती है।

जैन धर्म में भी जीवों की ८४००००० योनियाँ ही बताई गयी है। सिर्फ उनमे जीवों के प्रकारों में थोड़ा भेद है।

जैन धर्म के अनुसार:
पृथ्वीकाय: ७००००० (सात लाख)
जलकाय: ७००००० (सात लाख)
अग्निकाय: ७००००० (सात लाख)
वायुकाय: ७००००० (सात लाख)
वनस्पतिकाय: १०००००० (दस लाख)
साधारण देहधारी जीव (मनुष्यों को छोड़कर): १४००००० (चौदह लाख)
द्वि इन्द्रियाँ: २००००० (दो लाख)
त्रि इन्द्रियाँ: २००००० (दो लाख)
चतुरिन्द्रियाँ: २००००० (दो लाख)
पञ्च इन्द्रियाँ (त्रियांच): ४००००० (चार लाख)
पञ्च इन्द्रियाँ (देव): ४००००० (चार लाख)
पञ्च इन्द्रियाँ (नारकीय जीव): ४००००० (चार लाख)
पञ्च इन्द्रियाँ (मनुष्य): १४००००० (चौदह लाख)

इस प्रकार ७००००० + ७००००० + ७००००० + ७००००० + १०००००० + १४००००० +
२००००० + २००००० + २००००० + ४००००० + ४००००० + ४००००० + १४००००० = कुल ८४०००००

अतः अगर आगे से आपको कोई ऐसा मिले जो ८४००००० योनियों के अस्तित्व पर प्रश्न उठाये या उसका मजाक उड़ाए, तो कृपया उसे इस शोध को पढ़ने को कहें। साथ ही ये भी कहें कि हमें इस बात का गर्व है कि जिस चीज को
साबित करने में आधुनिक/पाश्चात्य विज्ञान को हजारों वर्षों का समय लग गया, उसे हमारे विद्वान ऋषि-मुनियों ने सहस्त्रों वर्षों पूर्व ही सिद्ध कर दिखाया था।
🚩#सनातन_धर्म_ही_सर्वश्रेष्ठ_है 🚩

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with सनातनी जगदीश दुबे

सनातनी जगदीश दुबे Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @JAGDISH73187314

Nov 2
"पीएम नरेंद्र मोदी जी ने हिन्दूओ के लिए क्या किया ? पेट्रोल, डीजल, दाल, प्याज, सब्जी, आलू, से बाहर निकलोगे तो जान पाओगे"🚩

30 दिसम्बर 2017 को एक आदमी केरल के कोच्ची हवाई अड्डे पर आता है बैंकाक से। जैसे ही वो इमीग्रेशन पर अपना पासपोर्ट देता है तो कम्प्यूटर
में चेक करने के बाद महिला इमीग्रेशन अफसर उससे उसका नाम बोलने को कहती है, वो आदमी बोलता है नाम पासपोर्ट पर लिखा है। वो अफसर डाँट के बोलती है बहस नहीं नाम बोलो। वो नाम बोलता है इमीग्रेशन अफसर तत्काल उसको अपने सीनियर के हवाले कर देती है। पूरी रात वो आदमी हवाई
अड्डे के उस कमरे में बैठा रहता है, सुबह की पहली फ्लाइट से वापस उसको देश से निकाल दिया जाता है। रात भर वो आदमी केरल से लेकर दिल्ली तक के हर बड़े कांटेक्ट को फ़ोन करता है लेकिन उसकी दाल नहीं गलती। केंद्र सरकार से सीधे आदेश है और IB के लोग हवाई अड्डे पर जमे हैं,
Read 19 tweets
Nov 2
कुलदेवी देवता और पितृ का महत्व को जाने

आईए आज इस अहम विषय को समझे और जाने जो आज के आधुनिकता में लोग भूलते जा रहे हैं और काल का ग्रास बनकर घोर विपत्तियों में फंसे हुवे हैं।

हमारे पूर्वजों ने सदैव अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर अपने कुलदेवी देवता और पित्रों का सम्मान किया और
कुलदेवी को घर में स्थापित कर सदैव सम्मान दिया जो परंपरा वर्षों से पीढ़ी दर पीढ़ी चलते आया।पर आधुनिकता से वशीभूत होकर आज की पीढ़ियों को अपना कुल देवी कौन है ?पता ही नही!

कुल देवी ही है जो सबसे पहले आपके ऊपर आने वाले संकटो से पूरे परिवार की रक्षा करते हैं और हमारे पूर्वज पितृ के
ऊर्जा के रूप में उनका आशीर्वाद सदैव हमारे साथ रहता है।अगर कही कुलदेवी और पितृ के कृपा से वंचित हो जाते हैं तो परिवार में कुछ न कुछ समस्याएं सदैव घेरे रहते हैं नकरात्मकता का भाव पैदा होता है। राह चलते तंत्रों का शिकार हो जाते हैं।
फिर समस्याओं से निजात पाने के लिए भटकते रहते हैं।
Read 7 tweets
Nov 1
हिंदुस्तान के हिंदुओं ने 2 मुस्लिम फ़ादर ऑफ नेशन दिए, प्रधानमंत्री की तो बात ही छोड़ दो

क्या कोई मुस्लिम बहुल राष्ट्र एक भी हिंदू प्रधानमंत्री दे सकता है ?

- पूरे कुएं में भांग पड़ी है.. रविवार को आज तक के कार्यक्रम में दंगल में एंकर शुभंकर मिश्रा ने बीजेपी के नेता
सुधांशु त्रिवेदी से सवाल पूछा कि क्या आप कभी मुस्लिम प्रधानमंत्री देंगे ?

दिमाग खराब हो गया ! (29 अक्टूबर 2022) अखबार में खबर छपी है कि पाकिस्तान के अंदर एक 10 साल की हिंदू लड़की को किडनैप करके उसकी शादी 80 साल के बुजुर्ग से करवा दी गई ।
हम हिंदुओं ने तो मातृभूमि का हिस्सा चीर कर पाकिस्तान दिया जिसका फादर ऑफ नेशन जिन्ना बना और बांग्लादेश का फ़ादर ऑफ नेशन मुजीबुर रहमान बना ।

जवाब दीजिए हमने तो अपनी छाती चीरकर दो दो देश और दो दो मुस्लिम फादर ऑफ नेशन दे दिए लेकिन क्या पाकिस्तान या बांग्लादेश, अरब, ईरान, अजरबैजान,
Read 6 tweets
Oct 30
जरा सोचिए कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार हो और कांग्रेसी मुख्यमंत्री के हेलिकाप्टर को भारत में घुसकर पाकिस्तानी लड़ाकू विमान मार गिराए।

भारतीय इतिहास में यह चमत्कार गुजरात के मुख्यमंत्री स्वर्गीय बलवंत राय मेहता के साथ हुआ.......
स्वर्गीय बलवंत राय मेहता अपनी पत्नी के साथ हेलीकॉप्टर में मीठापुर से कच्छ जा रहे थे उसी समय पाकिस्तान का एक फाइटर जेट भारतीय एयर स्पेस में घुसा और हेलीकॉप्टर पर हमले की मुद्रा में आ गया..
हेलीकॉप्टर के पायलट ने जब उसे अपने ऊपर मंडराते देखा तो हेलीकॉप्टर के पंखे हिला-हिला कर
और रेडियो पर मर्सी संदेश भेज भेजकर जीवन दान मांगा..
दरअसल हेलीकॉप्टर के डैने हिलाने में संकेत होता है कि मुझपर दया करो..
लेकिन पाकिस्तानी फाइटर पायलट ने सभी मर्सी संकेतो को दरकिनार करते गुजरात सीएम के हेलीकॉप्टर के परखच्चे उड़ा दिए.. इस हमले में मुख्यमंत्री बलवंत राय मेहता ,उनकी
Read 5 tweets
Oct 30
एक धनी प्रधानमंत्री बन सकता है
ये नेहरू ने साबित किया।

एक गरीब प्रधानमंत्री बन सकता है
ये शास्त्री जी ने साबित किया.।

एक बुजुर्ग प्रधानमंत्री बन सकता है
ये मोरारजी ने साबित किया।

एक युवा प्रधानमंत्री बन सकता है
ये राजीव गांधी ने साबित किया।
एक औरत प्रधानमंत्री बन सकती है
ये इंदिरा गांधी ने साबित किया।

एक अनपढ़ प्रधानमंत्री बन सकता है
चौ. चरण सिंह ने साबित किया।

एक राजघराने का व्यक्ति प्रधानमंत्री हो सकता है
ये वी.पी. सिंह ने साबित किया।

एक शिक्षित एवं बहुआयामी व्यक्ति प्रधानमंत्री बन सकता है
ये पी.वी.नरसिंहा राव ने साबित किया।

एक कवि प्रधानमन्त्री बन सकता है
ये अटल बिहारी बाजपेयी ने साबित किया।

कोई भी प्रधानमंत्री बन सकता है
ये एच.डी.देवगौडा ने साबित किया।

एक प्रधानमंत्री की आवश्यकता ही नहीं है
ये डा. मनमोहन सिंह ने साबित किया।
Read 4 tweets
Oct 15
मुस्लिमों का डरावना सच:-

(1) अधिकतर मुस्लिम खेती नहीं करते, पर कृषि उत्पादों की दलाली करते हैं!

(2) गाय नहीं पालते, पर गाय खाते हैं!

(3) गंदगी के अम्बार लगाते हैं, पर सफाई कर्मचारी नहीं बनते!

(4) चैरिटेबल चिकित्सालय नहीं खोलते, पर सरकारी अस्पताल इन्हीं की तीमारदारी
में लगे रहते हैं!

(5) फौज में भर्ती नहीं होते, पर फौजियों पर गोलीबारी और पत्थर बरसाते हैं!

(6) बातें ईमान की करते हैं, पर 98% अपराध यही करते हैं!

(7) राष्ट्र से सुविधा व सुरक्षा चाहते हैं, पर राष्ट्र को मानते नहीं हैं!

(8) बात बात पर फतवे जारी करते हैं, पर
कानून तोड़ने में सबसे आगे रहते हैं!

(9) भाई चारे की बात करते हैं, लेकिन सारे आतंकवादी इसी समुदाय से मिलते हैं!

(10) इस्लाम की तारीफ़ में बातें बड़ी-बड़ी करते हैं, और कहते है इस्लाम अमन और शांति का मजहब है,पर सारी दुनिया में इस्लाम दहशत और आतंकवाद ही फैलाता आया है,
Read 11 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(