तं विद्यादः दुःखसंयोगवियोगं योगसज्ञितम्।
स निश्चयेन योक्तव्यो योगोऽनिर्विण्णचेतसा॥
दुःख के संयोग से वियोग की अवस्था को योग के रूप में जाना जाता है, ऐसा तू जान। इस योग का दृढ़तापूर्वक कृतसंकल्प के साथ निराशा से मुक्त होकर पालन करना चाहिए।
तम्-उसको; विद्यात्-तू जान; दु:ख-संयोग-वियोगम्-वियोग से दुख की अनुभूति; योग-संज्ञितम्-योग के रूप में ज्ञान; निश्चयेन-दृढ़तापूर्वक; योक्तव्यो–अभ्यास करना चाहिए; योग-योग; अनिर्विण्णचेतसा-अविचलित मन के साथ।
Chapter: 06, Verse: 23
taṁ vidyād duḥkha-sanyoga-viyogaṁ yogasaṅjñitam
sa niśhchayena yoktavyo yogo ’nirviṇṇa-chetasā
You should know that state of severance from union with misery is known as Yog. This Yog should be resolutely practiced with determination free from pessimism.
tam—that; vidyāt—you should know; duḥkha-sanyoga-viyogam—state of severance from union with misery; yoga-saṅjñitam—is known as yog; saḥ—that; niśhchayena—resolutely; yoktavyaḥ—should be practiced; yogaḥ—yog; anirviṇṇa-chetasā—with an undeviating mind
Yoga is a holistic practice for the benefit of body, mind and soul. Kriya Yoga is a very ancient form of spiritual sadhana derived from the yoga system.
It can be described as the science of balancing the life energy in a way it heals the body and mind and elevates the consciousness to the higher levels culminating in self-realization.
Through Kriya Yoga, man can ascend to the higher spiritual planes with ease.
शनैः शनैरूपरमेबुद्ध्या धृतिगृहीतया।
आत्मसंस्थं मनः कृत्वा न किञ्चिदपि चिन्तयेत्॥
फिर धीरे-धीरे निश्चयात्मक बुद्धि के साथ मन केवल भगवान में स्थिर हो जाएगा और भगवान के अतिरिक्त कुछ नहीं सोचेगा।
शनै:-क्रमिक रूप से; शनै:-क्रमिक रूप से; उपरमेत्–शान्ति प्राप्त करना; बुद्धया-बुद्धि से; धृति-गृहीतया-ग्रंथों के अनुसार दृढ़ संकल्प से प्राप्त करना; आत्म-संस्थम्-भगवान में स्थित; मन:-मन; कृत्वा-करके; न-नहीं; किञ्चित्-अन्य कुछ; अपि-भी; चिन्तयेत्-सोचना चाहिए।
Presenting a brief information about Nalanda University.
Bihar needs no introduction. It’s a land of wisdom and learning.
The University of Nalanda was established during the reign of Gupta Empire in 5th century. It was one of the earliest universities in the world.
Built in red bricks, the university is an architectural masterpiece.
It is believed that the whole University campus is spread across over 15,000,000 sq meters and only 10% of which has been excavated while rest of the ruins still lie under the ground.
At that time, it was the only international university in the world.
जितात्मनः प्रशान्तस्य परमात्मा समाहितः।
शीतोष्णसुखदुःखेषु तथा मानापमानयोः॥
वे योगी जिन्होंने मन पर विजय पा ली है वे शीत-ताप, सुख-दुख और मान-अपमान के द्वंद्वों से ऊपर उठ जाते हैं। ऐसे योगी शान्त रहते हैं और भगवान की भक्ति के प्रति उनकी श्रद्धा अटल होती है।
जित-आत्मन:-जिसने मन पर विजय प्राप्त कर ली हो; प्रशान्तस्य–शान्ति; परम-आत्मा-परमात्मा; समाहितः-दृढ़ संकल्प से; शीत-सर्दी; उष्ण-गर्मी में; सुख-सुख, दुःखेषु-और दुख में; तथा-भी; मान-सम्मान; अपमानयोः-और अपमान।
जिन्होंने मन पर विजय पा ली है, मन उनका मित्र है किन्तु जो ऐसा करने में असफल होते हैं मन उनके शत्रु के समान कार्य करता है।
बन्धुः-मित्र; आत्मा–मन; आत्मनः-उस व्यक्ति के लिए; तस्य-उसका; येन-जिसने; आत्मा-मन; एव–निश्चय ही; आत्मना-जीवात्मा के लिए; जित:-विजेता; अनात्मनः-जो मन को वश नहीं कर सका; तु-लेकिन; शत्रुत्वे-शत्रुता का; वर्तेत-बना रहता है; आत्मा-मन; एव-जैसे; शत्रु-वत्-शत्रु के समान।