Does anyone know in Ramayan, who was Manthara in her previous birth? Let’s know who she was.
When Lord Vishnu was about to incarnate on earth as Shri Ram, that time Brahma ji asked all the gods to incarnate on earth so that everyone could help Lord Ram. Then in front of the all devtas, Brahma ji ordered a Gandharvi named Dundubhi to go to earth and help ghe Gods to...
Sep 29, 2023 • 7 tweets • 1 min read
#BhagavadGita
अध्याय: १३, श्र्लोक: २९
समं पश्यन्हि सर्वत्र समवस्थितमीश्वरम् ।
न हिनस्त्यात्मनात्मानं ततो याति परां गतम् ॥
वे जो भगवान को सर्वत्र और सभी जीवों में समान रूप से स्थित देखते हैं वे अपने मन से स्वयं को निम्नीकृत नहीं करते। इस प्रकार से वे अपने परम गंतव्य को प्राप्त करते हैं।
Northern temples were destroyed by Islamic armies, we know that. But were Southern temples spared? Read..
We all know Hindu temples in North India having faced destruction at the hands of Islamic armies. But not many know that Southern temples were also vandalised and looted during multiple Islamic invasions. Here are 5 southern temples that once faced the wrath of Islamic vandalism.
शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्यसे कर्मबन्धनैः ।
संन्यासयोगयुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि ॥
इस प्रकार सभी कार्य मुझे समर्पित करते हुए तू शुभ और अशुभ फलों के बंधन से मुक्त रहेगा। इस वैराग्य द्वारा मन को मुझ में अनुरक्त कर तू मुक्त होकर मेरे पास आ पाएगा।
यत्करोषि यदश्नासि यज्जुहोषि ददासि यत् ।
यत्तपस्यसि कौन्तेय तत्कुरुष्व मदर्पणम् ॥
हे कुन्ती पुत्र! तू जो भी करता है, जो भी खाता है, पवित्र यज्ञाग्नि में जो आहुति डालता है, जो भी दान देता है, जो भी तपस्या करता है, यह सब मुझे अर्पित करते हुए कर।
जरामरणमोक्षाय मामाश्रित्य यतन्ति ये ।
ते ब्रह्य तद्विदुः कृत्स्न्मध्यात्म कर्म चाखिलम् ॥
जो मेरी शरण ग्रहण करते हैं, वे बुढ़ापे और मृत्यु से छुटकारा पाने की चेष्टा करते हैं, वे ब्रह्म, अपनी आत्मा और समस्त कार्मिक गतिविधियों के क्षेत्र को जान जाते हैं।
येषां त्वन्तगतं पापं जनानां पुण्यकर्मणाम् ।
ते द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ता भजन्ते मां दृढव्रताः ॥
लेकिन पुण्य कर्मों में संलग्न रहने से जिन व्यक्तियों के पाप नष्ट हो जाते हैं, वे मोह के द्वन्द्वों से मुक्त हो जाते हैं। ऐसे लोग दृढ़ संकल्प के साथ मेरी पूजा करते हैं।
इच्छाद्वेषसमुत्थेन द्वन्द्वमोहेन भारत ।
सर्वभूतानि सम्मोहं सर्गे यान्ति परन्तप ॥
हे भरतवंशी! इच्छा तथा घृणा के द्वन्द मोह से उत्पन्न होते हैं। हे शत्रु विजेता! भौतिक जगत में समस्त जीव जन्म से इन्हीं से मोहग्रस्त होते हैं।
Benefits of Kriya Yoga
It reduces blood pressure. Unlike in other medications, blood pressure values within the normal range are not affected. Only what goes above the normal range is brought within the normal range.
यतो यतो निश्चरति मनश्चञ्चलमस्थिरम्।
ततस्ततो नियम्यैतदात्मन्येव वशं नयेत्॥
जब और जहाँ भी मन बेचैन और अस्थिर होकर भटकने लगे तब उसे वापस लाकर स्थिर करते हुए भगवान की ओर केन्द्रित करना चाहिए।
Know the techniques and benefits of Kriya Yoga.
Yoga is a holistic practice for the benefit of body, mind and soul. Kriya Yoga is a very ancient form of spiritual sadhana derived from the yoga system.
शनैः शनैरूपरमेबुद्ध्या धृतिगृहीतया।
आत्मसंस्थं मनः कृत्वा न किञ्चिदपि चिन्तयेत्॥
फिर धीरे-धीरे निश्चयात्मक बुद्धि के साथ मन केवल भगवान में स्थिर हो जाएगा और भगवान के अतिरिक्त कुछ नहीं सोचेगा।
सङ्कल्पप्रभवान्कामांस्त्यक्त्वा सर्वानशेषतः।
मनसैवेन्द्रियग्रामं विनियम्य समन्ततः॥
संसार के चिन्तन से उठने वाली सभी इच्छाओं का पूर्ण रूप से त्याग कर हमें मन द्वारा इन्द्रियों पर सभी ओर से अंकुश लगाना चाहिए।
तं विद्यादः दुःखसंयोगवियोगं योगसज्ञितम्।
स निश्चयेन योक्तव्यो योगोऽनिर्विण्णचेतसा॥
दुःख के संयोग से वियोग की अवस्था को योग के रूप में जाना जाता है, ऐसा तू जान। इस योग का दृढ़तापूर्वक कृतसंकल्प के साथ निराशा से मुक्त होकर पालन करना चाहिए।
जितात्मनः प्रशान्तस्य परमात्मा समाहितः।
शीतोष्णसुखदुःखेषु तथा मानापमानयोः॥
वे योगी जिन्होंने मन पर विजय पा ली है वे शीत-ताप, सुख-दुख और मान-अपमान के द्वंद्वों से ऊपर उठ जाते हैं। ऐसे योगी शान्त रहते हैं और भगवान की भक्ति के प्रति उनकी श्रद्धा अटल होती है।
बन्धुरात्मात्मनस्तस्य येनात्मैवात्मना जितः।
अनात्मनस्तु शत्रुत्वे वर्तेतात्मैव शत्रुवत्॥
जिन्होंने मन पर विजय पा ली है, मन उनका मित्र है किन्तु जो ऐसा करने में असफल होते हैं मन उनके शत्रु के समान कार्य करता है।
उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥
मन की शक्ति द्वारा अपना आत्म उत्थान कर और स्वयं का पतन न होने दे। मन जीवात्मा का मित्र और शत्रु भी हो सकता है।
Difference amongst Rishi, Sadhu, Saint, Muni, Sanyasi and Yogi. 1. Muni (मुनि):- Muni is derived from manan (मनन्), in Sanskrit it is root verb (धातु).
Manan means to think. Muni is someone who does introspection (अन्तर्दर्शन) or who is thoughtful.
According to Srimad Bhagwadam:
Muni is expert in mental speculation or in thinking.
भोक्तारं यज्ञतपसां सर्वलोकमहेश्वरम्।
सुहृदं सर्वभूतानां ज्ञात्वा मां शान्तिमृच्छति॥
जो भक्त मुझे समस्त यज्ञों और तपस्याओं का भोक्ता, समस्त लोकों का परम भगवान और सभी प्राणियों का सच्चा हितैषी समझते हैं, वे परम शांति प्राप्त करते हैं।