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Nov 6 11 tweets 4 min read
💥 #लक्ष्मण_रेखा 🚩🚩

लक्ष्मण रेखा आप सभी जानते हैं पर इसका असली नाम शायद नहीं पता होगा । लक्ष्मण रेखा का नाम (सोमतिती विद्या है)

यह भारत की प्राचीन विद्याओ में से जिसका अंतिम प्रयोग महाभारत युद्ध में हुआ था चलिए जानते हैं अपने प्राचीन भारतीय विद्या को
#Thread
👉 #सोमतिती_विद्या--#लक्ष्मण_रेखा....

महर्षि श्रृंगी कहते हैं कि एक वेदमन्त्र है--सोमंब्रही वृत्तं रत: स्वाहा वेतु सम्भव ब्रहे वाचम प्रवाणम अग्नं ब्रहे रेत: अवस्ति,,

यह वेदमंत्र कोड है उस सोमना कृतिक यंत्र का,, पृथ्वी और बृहस्पति के मध्य कहीं अंतरिक्ष में वह केंद्र है जहां
यंत्र को स्थित किया जाता है,, वह यंत्र जल,वायु और अग्नि के परमाणुओं को अपने अंदर सोखता है,, कोड को उल्टा कर देने पर एक खास प्रकार से अग्नि और विद्युत के परमाणुओं को वापस बाहर की तरफ धकेलता है,,

जब महर्षि भारद्वाज ऋषिमुनियों के साथ भृमण करते हुए वशिष्ठ आश्रम पहुंचे तो
उन्होंने महर्षि वशिष्ठ से पूछा--राजकुमारों की शिक्षा दीक्षा कहाँ तक पहुंची है??महर्षि वशिष्ठ ने कहा कि यह जो ब्रह्मचारी राम है-इसने आग्नेयास्त्र वरुणास्त्र ब्रह्मास्त्र का संधान करना सीख लिया है,,
यह धनुर्वेद में पारंगत हुआ है महर्षि विश्वामित्र के द्वारा,, यह जो ब्रह्मचारी
लक्ष्मण है यह एक दुर्लभ सोमतिती विद्या सीख रहा है,,उस समय पृथ्वी पर चार गुरुकुलों में वह विद्या सिखाई जाती थी,,

महर्षि #विश्वामित्र के गुरुकुल में,,महर्षि #वशिष्ठ के गुरुकुल में,, महर्षि #भारद्वाज के यहां,, और उदालक गोत्र के आचार्य #शिकामकेतु के गुरुकुल में,,
श्रृंगी ऋषि
कहते हैं कि लक्ष्मण उस विद्या में पारंगत था,, एक अन्य ब्रह्मचारी वर्णित भी उस विद्या का अच्छा जानकार था,,

सोमंब्रहि वृत्तं रत: स्वाहा वेतु सम्भव ब्रहे वाचम प्रवाणम अग्नं ब्रहे रेत: अवस्ति- इस मंत्र को सिद्ध करने से उस सोमना कृतिक यंत्र में जिसने अग्नि के वायु के जल के
परमाणु सोख लिए हैं उन परमाणुओं में फोरमैन

आकाशीय विद्युत मिलाकर उसका पात बनाया जाता है,,फिर उस यंत्र को एक्टिवेट करें और उसकी मदद से एक लेजर बीम जैसी किरणों से उस रेखा को पृथ्वी पर गोलाकार खींच दें,,

उसके अंदर जो भी रहेगा वह सुरक्षित रहेगा,, लेकिन बाहर से अंदर अगर कोई
जबर्दस्ती प्रवेश करना चाहे तो उसे अग्नि और विद्युत का ऐसा झटका लगेगा कि वहीं राख बनकर उड़ जाएगा जो भी व्यक्ति या वस्तु प्रवेश कर रहा हो,,ब्रह्मचारी लक्ष्मण इस विद्या के इतने

जानकर हो गए थे कि कालांतर में यह विद्या सोमतिती न कहकर लक्ष्मण रेखा कहलाई जाने लगी,,

महर्षि दधीचि,,
महर्षि शांडिल्य भी इस विद्या को जानते थे,
श्रृंगी ऋषि कहते हैं कि योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण इस विद्या को जानने वाले अंतिम थे,,

उन्होंने कुरुक्षेत्र के धर्मयुद्ध में मैदान के चारों तरफ यह रेखा खींच दी थी,, ताकि युद्ध में जितने भी भयंकर अस्त्र शस्त्र चलें उनकी अग्नि उनका ताप
युद्धक्षेत्र से बाहर जाकर दूसरे प्राणियों को संतप्त न करे,,

मुगलों द्वारा करोडों करोड़ो ग्रन्थों के जलाए जाने पर और अंग्रेजों द्वारा महत्वपूर्ण ग्रन्थों को लूट लूटकर ले जाने के कारण कितनी ही अद्भुत विधाएं जो हमारे यशस्वी पूर्वजों ने खोजी थी लुप्त हो गई,,जो बचा है उसे
संभालने में प्रखर बुद्धि के युवाओं को जुट जाना चाहिए, परमेश्वर सद्बुद्धि दे हम सबको.....

🚩 जय जय श्री राम 🚩

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Nov 7
#अद्भुत_और_अप्रतिम_सनातन 🚩

#चौरासी_लाख_योनियों_का_रहस्य

हिन्दू धर्म में पुराणों में वर्णित ८४००००० योनियों के बारे में आपने कभी न कभी अवश्य सुना होगा।
हम जिस मनुष्य योनि में जी रहे हैं वह भी उन चौरासी लाख योनियों में से एक है।
अब समस्या यह है कि अनेक लोग ये नहीं
#Thread Image
समझ पाते कि वास्तव में इन योनियों का अर्थ क्या है?

यह देख कर और भी दुःख होता है कि आज की पढ़ी-लिखी नई पीढ़ी इस बात पर व्यंग करती और कटाक्ष कर हँसती ही नही अपितु अज्ञानतावश उपहास भी करती है कि इतनी सारी योनियाँ कैसे हो सकती है ?

कदाचित अपने सीमित ज्ञान के कारण वे इसे ठीक से
समझ नहीं पाते।
गरुड़ पुराण में योनियों का विस्तार से वर्णन दिया गया है, तो आइये आज इसे समझने का प्रयत्न करते हैं।

सबसे पहले यह प्रश्न आता है कि क्या एक जीव के लिए ये संभव है कि वह इतने सारी योनियों में जन्म ले सके? तो उत्तर है, हाँ। एक जीव, जिसे हम आत्मा भी कहते हैं, इन
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Nov 5
#सभी_लड़की_के_माता_पिता_इसपर_विचार_करें 🚩

लोगों को एक बहु की आवश्यकता होती है, जो घर का काम काज कर सके, परिवार की अच्छे से देखभाल कर सके और समाज में परिवार की मान प्रतिष्ठा को बनाए रखें, न की एक मूर्ति या कागज के फूल की जो सज धज के घर के एक कोने में शोभा बढ़ाती रहे।
#Thread
इसलिए सभी माता-पिता को चाहिये कि वे अपने लड़की के हित में निम्न छोटे छोटे कदम अवश्य उठाएं ,

आप चाहे अपनी बेटी से कितना ही प्यार क्यों न करते हो, उसे कितना ही क्यों न मानते हो, उससे घर का काम
काज अवश्य कराएं, ताकि आगे चलकर उसे अपने जीवन में घर का काम काज करने में कोई परेशानी
का सामना न करना पड़े।
समय-समय पर उसके गलतियों पर उसे डाटते भी रहे, जिससे ससुराल में कोई गलती हो जाए और बड़े बुजुर्ग उसे डांटे, तो वह उसे सह सके। गलती पर डाटने पर उसे गलत न समझे और न ही कोई गलत कदम उठाने की कोशिश करे।

आपकी जिमेदारी अपनी बेटी को अपनी बेटी ही बनाए रखने की नही है,
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Nov 5
#किस_दिन_क्या_न_खाएं 🚩🚩
👉 #प्रतिपदा_को ..
कूष्मांड (पेठा) न खाएं क्योंकि उस दिन यह धन का नाश करने वाला होता है।
👉 #द्वितीया_को..
बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) निषिद्ध है।
👉 #तृतीया_को.
परवल खाने से शत्रुओं की वृद्धि होती है।
👉 #चतुर्थी_को.
मूली खाने से धन का नाश होता है।
👉 #पंचमी_को..

बेल खाने से कलंक लगता है।

👉 #षष्ठी_को..

नीम की पत्ती, फल या दातुन मुंह में डालने से नीच योनि की प्राप्ति होती है।

👉 #सप्तमी_को..

ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है।

👉 #अष्टमी_को..

नारियल फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।

👉 #नवमी_को.

लौकी न खाएं।
👉 #दशमी_को.

कलंबी शाक त्याज्य है।

👉 #एकादशी_को..

सेम खाने से पुत्र का नाश होता है, चावल खाना भी वर्जित।

👉 #द्वादशी_को...

पोई (पूतिका) खाने से पुत्र को परेशानी होती है।

👉 #त्रयोदशी_को...

बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।

🔘अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति, चतुर्दशी
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Nov 3
#विष्णु_जी_ने_शिव_जी_को_क्यों_अर्पित_कर_दिया_था_अपना #_नेत्र 🚩

सभी देवो मे शिव जी सबसे शीघ्र प्रसन्न होने वाले दयालु और वरदानी है !

भगवान की कृपा का दुसरा नाम ही वरदान है, जिसपर उनकी कृपा होती है, उसके जीवन मे आने वाले शूल भी फूल बन जाते है, पुराणों मे भगवान के वरदान से Image
संबंधित अनेक कथाएं है, जो एक भक्त का अपने भगवान पर भरोसा और मजबुत करती है !

सभी देवो मे शिव सबसे शीघ्र प्रसन्न होने वाले दयालु और वरदानी है ! एक बार भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए विष्णु जी ने भी तपस्या की और उन्हे अपना नेत्र तक भगवान शिवजी को भेंट करना पडा !
#कथा_क्या_थी_आप_भी_पढिए 🚩

बहुत प्राचीन काल की बात है ! सृष्टि मे दैत्यो का आतंक बहुत बढ गया था ! तब सभी देवताओं ने उनकी दुष्ट प्रवृतियो का अंत करने के लिए विष्णु जी से प्रार्थना की ! विष़्णु जी देवताओं के करुण पुकार सुनकर कैलाश पर्वत पर गए, वहां वे शिव जी को यह समस्या बताना
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Nov 2
#कृष्ण_की_नगरी_द्वारिका :#मानव_इतिहास_की_अनूठी #और_भव्य_खोज 🚩

हरिवंशपुराण में द्वारिका को वारि दुर्ग (पानी का किला) कहा गया है l कालयवन और जरासंध से मथुरावासियों को बचाने के लिए बसाई थी l

पुराणों के अनुसार द्वारिका धरती का हिस्सा नहीं थी बल्कि कृष्ण द्वारा समुद्र से कुछ समय ImageImageImageImage
के लिए उधार मांगी गई भूमि थी जिसे कृष्ण के जाते ही समुद्र ने वापिस अपने में समा लिया।

दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में एक है द्वारिका: दुनिया भर के इतिहासकार मानते रहे हैं कि ईसापूर्व भारत में कभी कोई बड़ा शहर नहीं था। परन्तु द्वारिका की खोज ने दुनिया के इतिहासकारों को फिर से
सोचने के लिए विवश किया। कार्बन डेटिंग 14 के अनुसार खुदाई में मिली द्वारिका की कहानी 9,000 वर्ष पुरानी है। इस शहर को 9-10,000 वर्षो पहले बसाया गया था। जो लगभग 2000 ईसापूर्व पानी में डूब गई थी।
🔸1. समुद्र में धरती से 36 मीटर की गहराई पर स्थित है शहर: ऎतिहासिक द्वारिका समुद्र में
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Nov 2
💥 #२८_व्यास_मुनियों_के_नाम :🚩🚩

एक मन्वन्तर में ७१ चतुर्युग ( कृतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग ) होते है जिसमें इस वैवस्वत मन्वन्तर के २७ चतुर्युग सम्पूर्ण हो चुके है अर्थात् यह २८ वां चतुर्युग का कलियुग चल रहा है।

हर चतुर्युग के द्वापरयुग में भगवान्
विष्णु व्यासरूप ग्रहण करके एक वेद के अनेक विभाग करते है। वेदमेकं पृथक्प्रभुः । ( श्रीविष्णुपुराण ३.३.७ )

इस वैवस्वत मन्वन्तर में वेदों का पुनः-पुनः २८ बार विभाग हो चुका ।

अष्टविंशतिकृत्वो वै वेदो व्यस्तो सहर्षिभिः ।
वैवस्वतेन्तरे तस्मिन्द्वापरेषु पुनः पुनः ॥
( श्रीविष्णुपुराण ३.३.९ )

💐 #उन_२८_व्यास_मुनियों_के_नाम_इस_प्रकार_हैं :🚩
👇👇
🔘१. ब्रह्माजी,

🔘२. प्रजापति,

🔘३. शुक्राचार्य जी,

🔘४. बृहस्पति जी,

🔘५. सूर्य,

🔘६. मृत्यु,

🔘७. इन्द्र,

🔘८. वसिष्ठ,

🔘९. सारस्वत,

🔘१०. त्रिधामा,
🔘११. त्रिशिक,
🔘१२. भरद्वाज
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