यह वेदमंत्र कोड है उस सोमना कृतिक यंत्र का, पृथ्वी और बृहस्पति के मध्य कहीं अंतरिक्ष में वह केंद्र है (2/11)
जहां यंत्र को स्थित किया जाता है, वह यंत्र जल, वायु और अग्नि के परमाणुओं को अपने अंदर सोखता है, कोड को उल्टा कर देने पर एक खास प्रकार से अग्नि और विद्युत के परमाणुओं को वापस बाहर की तरफ धकेलता है।
जब महर्षि भारद्वाज ऋषिमुनियों के साथ भृमण करते हुए वशिष्ठ आश्रम पहुंचे (3/11)
तो उन्होंने महर्षि वशिष्ठ से पूछा, राजकुमारों की शिक्षा दीक्षा कहाँ तक पहुंची है? महर्षि वशिष्ठ ने कहा कि यह जो ब्रह्मचारी राम है, इसने आग्नेयास्त्र वरुणास्त्र ब्रह्मास्त्र का संधान करना सीख लिया है। यह धनुर्वेद में पारंगत हुआ है महर्षि विश्वामित्र के द्वारा, यह जो (4/11)
ब्रह्मचारी लक्ष्मण है यह एक दुर्लभ सोमतिती विद्या सीख रहा है, उस समय पृथ्वी पर चार गुरुकुलों में वह विद्या सिखाई जाती थी।
महर्षि विश्वामित्र के गुरुकुल में, महर्षि वशिष्ठ के गुरुकुल में, महर्षि भारद्वाज के यहां, और उदालक गोत्र के आचार्य शिकामकेतु के गुरुकुल में श्रृंगी (5/11)
ऋषि कहते हैं कि लक्ष्मण उस विद्या में पारंगत था, एक अन्य ब्रह्मचारी वर्णित भी उस विद्या का अच्छा जानकार था।
इस मंत्र को सिद्ध करने से उस सोमना कृतिक यंत्र में जिसने अग्नि के वायु के जल (6/11)
के परमाणु सोख लिए हैं उन परमाणुओं में फोरमैन।
आकाशीय विद्युत मिलाकर उसका पात बनाया जाता है,,फिर उस यंत्र को एक्टिवेट करें और उसकी मदद से एक लेजर बीम जैसी किरणों से उस रेखा को पृथ्वी पर गोलाकार खींच दें।
उसके अंदर जो भी रहेगा वह सुरक्षित रहेगा, लेकिन बाहर से अंदर अगर (7/11)
कोई जबर्दस्ती प्रवेश करना चाहे तो उसे अग्नि और विद्युत का ऐसा झटका लगेगा कि वहीं राख बनकर उड़ जाएगा जो भी व्यक्ति या वस्तु प्रवेश कर रहा हो, ब्रह्मचारी लक्ष्मण इस विद्या के इतने जानकार हो गए थे कि कालांतर में यह विद्या सोमतिती न कहकर लक्ष्मण रेखा कहलाई जाने लगी।
महर्षि (8/11)
दधीचि, महर्षि शांडिल्य भी इस विद्या को जानते थे, श्रृंगी ऋषि कहते हैं कि योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण इस विद्या को जानने वाले अंतिम थे।
उन्होंने कुरुक्षेत्र के धर्मयुद्ध में मैदान के चारों तरफ यह रेखा खींच दी थी, ताकि युद्ध में जितने भी भयंकर अस्त्र शस्त्र चलें उनकी अग्नि (9/11)
उनका ताप युद्धक्षेत्र से बाहर जाकर दूसरे प्राणियों को संतप्त न करे।
मुगलों द्वारा करोडों करोड़ो ग्रन्थों के जलाए जाने पर और अंग्रेजों द्वारा महत्वपूर्ण ग्रन्थों को लूट लूटकर ले जाने के कारण कितनी ही अद्भुत विधाएं जो हमारे यशस्वी पूर्वजों ने खोजी थी लुप्त हो गई, जो बचा (10/11)
है उसे संभालने में प्रखर बुद्धि के युवाओं को जुट जाना चाहिए, परमेश्वर सद्बुद्धि दे हम सबको...
भारत भूमि पर नारी इतनी शक्तिशाली थी कि स्वयं भगवान सूर्य भी उसकी अनदेखी नहीं कर सकते थे। जिसके आगे किसी का तेज फीका पड़ जाए उस सूर्य नारायण का तेज एक स्त्री के समक्ष मंद पड़ गया!
किसी नगर में कौशिक नामक एक क्रोधी और निष्ठुर ब्राह्मण रहता था। उसे (1/10)
कोढ़ की बीमारी थी। उसकी पत्नी शांडिली मां दुर्गा की बड़ी भक्त थी। वह बड़ी पतिव्रता थी और कोढ़ से सड़े-गले पति को सर्वश्रेष्ठ पुरूष और पूजनीय समझती थी!
एक रात वह अपने पति को कंधे पर लादकर कहीं लेकर जा रही थी। रास्ते में कहीं माण्डव्य मुनि को उसके पति के पैरों की ठोकर लग (2/10)
गई। ऋषि क्रोधित हुए और शाप दे दिया, मूर्ख, स्त्री तेरा पति सूर्योदय होते ही मर जाएगा!
ऋषि के शाप को सुनकर शांडिली बोली, महाराज, भूल से मेरे पति का पैर आपको लगा। जान बूझकर आपका अपमान नहीं किया। फिर भी आपने शाप दे दिया। मैं भी आपको शाप देती हूं कि जब तक मैं न कहूं तब तक (3/10)
पूर्णिमा के दिन गङ्गा स्नान और गङ्गा स्नान के बाद भगवान् सत्यनारायण की कथा का श्रवण करना, बहुत ही शुभफलदायक होता है।
"श्री सत्यनारायण भगवान की कथा"
"पहला अध्याय"
एक समय की बात है नैषिरण्य तीर्थ में शौनिकादि, अठ्ठासी हजार ऋषियों ने श्री सूतजी से पूछा, "हे प्रभु! इस (1/62)
कलियुग में वेद विद्या रहित मनुष्यों को प्रभु भक्ति किस प्रकार मिल सकती है? तथा उनका उद्धार कैसे होगा? हे मुनि श्रेष्ठ! कोई ऎसा तप बताइए जिससे थोड़े समय में ही पुण्य मिलें और मनवांछित फल भी मिल जाए। इस प्रकार की कथा सुनने की हम इच्छा रखते हैं।"
सर्व शास्त्रों के ज्ञाता (2/62)
सूत जी बोले, "हे वैष्णवों में पूज्य! आप सभी ने प्राणियों के हित की बात पूछी है इसलिए मैं एक ऐसे श्रेष्ठ व्रत को आप लोगों को बताऊँगा जिसे नारद जी ने लक्ष्मीनारायण जी से पूछा था और लक्ष्मीपति ने मुनिश्रेष्ठ नारद जी से कहा था। आप सब इसे ध्यान से सुनिए":-
मात्र 10 रुपए की फिटकरी आपके के लिए कितनी लकी साबित हो सकती है, यह बात आपने कभी नहीं सोची होगी। वास्तु शास्त्र में फिटकरी को बहुत ही शुभ और पवित्र माना गया है और आज हम आपको इससे जुड़े 15 वास्तु टिप्स बताएंगे, जिन्हें आजमाकर आप भी जीवन में सुख (1/5)
समृद्धि पा सकती हैं।
अगर आपके पास धन नहीं रुकता है, तो आप तिजोरी में एक फिटकरी का टुकड़ा लाल कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए। इससे आपके खर्चे कम होंगे।
घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए आप काले कपड़े में फिटकरी का टुकड़ा बांधकर मुख्य द्वार पर लटका दीजिए।
परिवार में (2/5)
कलह का माहौल है, तो आपको रात में सोने से पूर्व एक ग्लास पानी में फिटकरी का टुकड़ा डाल कर उसे ढक कर रख देना चाहिए। सुबह उठ कर उस पानी को बहते जल में बहा देना चाहिए। ऐसा करने से परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम बढ़ता है।
अगर घर के किसी सदस्य की बहुत समय से तबियत खराब है, (3/5)
इस कथा को जो पढ़ेगा उसे 84 लाख योनियों से मुक्ति मिल जायेगी।
एक बार की बात है कि यशोदा मैया प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आ गयीं और छड़ी लेकर श्री कृष्ण की ओर दौड़ीं। जब प्रभु ने अपनी मैया को क्रोध में देखा तो वह अपना बचाव करने के लिए भागने लगे। भागते- भागते श्री (1/13)
कृष्ण एक कुम्हार के पास पहुँचे । कुम्हार तो अपने मिट्टी के घड़े बनाने में व्यस्त था। लेकिन जैसे ही कुम्हार ने श्री कृष्ण को देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ। कुम्हार जानता था कि श्री कृष्ण साक्षात् परमेश्वर हैं। तब प्रभु ने कुम्हार से कहा कि 'कुम्हारजी, आज मेरी मैया मुझ पर (2/13)
बहुत क्रोधित हैं। मैया छड़ी लेकर मेरे पीछे आ रही हैं। भैया, मुझे कहीं छुपा लो।' तब कुम्हार ने श्री कृष्ण को एक बड़े से मटके के नीचे छिपा दिया। कुछ ही क्षणों में मैया यशोदा भी वहाँ आ गयीं और कुम्हार से पूछने लगीं, 'क्यूँ रे, कुम्हार! तूने मेरे कन्हैया को कहीं देखा है, (3/13)
आज सभी मित्रों को गुरुपूर्णिमा अर्थात कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ...!
यह चित्र 1908 को लिया गया अमृतसर के हरमंदिर साहब का है... जिसे, अंग्रेज़ ईसाईयों व वामपंथियों ने गोल्डन टेंपल कहना शुरू किया...!
लेकिन, इस चित्र को देखकर आपके मन में एक स्वाभाविक सा प्रश्न (1/16)
यह उठेगा कि...
यहाँ... सिक्खों के तीर्थ हरमंदिर में हिन्दू साधु ध्यान कैसे कर रहे हैं??
तो... इसका जबाब सिक्खों के इतिहास में छुपा है... इसीलिए, चलिए... तनिक इतिहास के कुछ पन्ने पलटते हैं...
सिक्खों के आजतक 10 गुरु हुए हैं... जिनमें से...
सिक्खों के पहले गुरु गुरुनानक (2/16)
थे: 2- गुरु अंगददेव 3- गुरु अमरदास 4- गुरु रामदास 5- गुरु अर्जुनदेव 6- गुरु हरगोविंद 7- गुरु हरराय
8 - गुरु हरकिशन 9- गुरु तेगबहादुर 10- गुरु गोविंद सिंह
आपने गौर किया होगा कि सिक्खों के सभी गुरुओं के नाम में राम, अर्जुन, गोविंद (कृष्ण), हर (महादेव) आदि हैं।
अजीब बात ये है की कुछ लोगो के हिसाब से सूर्या, जो आड़े टेढ़े शॉट खेलता है, वो क्लास नही है, उनके हिसाब से 140 की रफ्तार से आ रही गेंद की डायरेक्शन को कोई भी बल्लेबाज घुटने पर बैठकर मोड़ सकता है। सूर्या ऐसा क्रिकेटर नही है जो आते ही छा गया, उसकी सबसे बड़ी खासियत ये है की जो (1/19)
उसे पसंद करता है वो उसे पसंद करने की वजह लगातार देता रहता है। सूर्या की पर्फोमेंस वक्त के साथ कभी नीचे नही गई और वो दिन ब दिन खुद को साबित कर रहा है। वो ऐसा खिलाड़ी है जो फिजिकली और मेंटली बहुत मजबूत है, जो सामने वाली टीम के कप्तान की मुश्किल बढ़ा देता है, उन्हे अपने (2/19)
प्लान से हटने को मजबूर कर देता है, एक चलते हुए मैच का पूर माहौल सूर्य सिर्फ दो शॉट खेलकर बदल देता है। और ये सारी काबिलियत उसे जन्मजात नही मिली थी, उसने मेहनत की है, खुद को इस काबिल बनाया है कि उस यकीन है की वो पड़ने वाली गेंद को कही भी खेल सकता है।