देवों के देव महादेव का वह पवित्र स्थान जहाँ पर आधुनिक विज्ञान और वैज्ञानिक फैल –
कैलाश पर्वत जहाँ जो निवास स्थान है देवो के देव महादेव का – जहाँ पर आज तक कोई भी व्यक्ति नहीं पहुँच सका....
वैसे तो विश्व की सबसे ऊँची चोटी गौरी शंकर (माउंट एवरेस्ट )है और जिस पर ७००० हजार
लोग अभी तक पहुँच चुके हैं...ll
पर क्या कारण है कि उससे छोटे कैलाश पर्वत पर आज तक कोई भी व्यक्ति नहीं पहुँच सका...ll
ऐसा नहीं है कि वहाँ पर पहुँचने की कोशिश नहीं की गई...l
वहाँ पर पहुँचने के लिए अनेक प्रयास किये गये....
परंतु सभी असफल रहे क्योंकि वहाँ पर चढ़ाई करने गए
लोगों के साथ कुछ ऐसी घटनाएं हुई जिससे उनके होश उड़ गये...ll
वहाँ पर चढ़ाई करने गए लोगों का कहना है कि वहाँ पर चढ़ाई करने के बाद वहाँ पर समय बहुत तेजी से आगे बढ़ने लगता है और अचानक हाथ के नाखून और बाल बहुत बड़े हो जाते हैं... ll
इसके अलावा वहाँ पर हमारे कोई यन्त्र काम नहीं करते
और दिशा भ्रम होता है और अगर ज्यादा कोशिश करते हैं तो हमें कोई आभास कराता है कि अब मृत्यु निकट है जिस कारण लोग वापिस आ जातें हैं...ll
बहुत से वैज्ञानिक और नासा ने अपनी खोज से ये निष्कर्ष निकाला है कि यह वह स्थान है जहाँ पर विज्ञान फैल है और उन्होंने इस स्थान को धरती का केन्द्र
माना है...ll
वह कहते हैं कि निश्चय ही यहाँ पर कोई ऐसी शक्ति है जो बहुत अधिक शक्तिशाली है और जिस के सामने विज्ञान कुछ भी नहीं.
उनका कहना है कि यह पर्वत प्राकृतिक नहीं है.
इस का निर्माण किसी शक्ति ने किया है और इस पर्वत के चार मुख हैं जो चारों दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते है
हमारे वेदों, रामायण, महाभारत में कैलाश का वर्णन है हम आज भी मानसरोवर की यात्रा करते हैं कैलाश पर्वत पर दो झीलें है एक ब्रह्मा द्वारा रचित सूर्य के आकार की पवित्र झील जिसे हम मानसरोवर कहते हैं और दूसरी राक्षस झील जो कि चन्द्र के आकार की है....ll
वैज्ञानिको ने यह भी माना है कि इन
झीलो का निर्माण किया गया है....ll
जब हम मानसरोवर से दक्षिण दिशा की ओर देखते हैं तो एक स्वस्तिक का निर्माण हमें दिखाई देता है जिस का वैज्ञानिक पता लगाने मे नाकाम रहे हैं तथा वह यह पता भी नहीं लगा सके हैं कि मानसरोवर पर जब बर्फ पिघलती है तो डमरू और ओम की ध्वनि कैसे और कहाँ से
उत्पन्न होती है जिसे हम साफ सुन सकते हैं....ll
कैलाश पर्वत वह स्थान है जहाँ पर काल और समय का प्रवेश वर्जित है...l #कैलाश_पर्वत_के_चार_मुख_हैं...ll
पूर्व मे अश्व मुख जो कि क्रिस्टल से निर्मित है...
पश्चिम में हाथी के समान जो कि रूबी से उत्तर मे सिंह जो कि स्वर्ण से और दक्षिण मे
मोर जो कि नीलम से निर्मित है... ll
कैलाश पर्वत पर हमेशा बिजली चमकती रहती है और जिस के ऊपर से भी कोई जहाज या पक्षी नहीं निकल सकता – ऐसा पवित्र स्थान है देवों के देव महादेव का
जहाँ पर आधुनिक विज्ञान फैल है और जिसका वर्णन हमारे वेदों मे विस्तार से है...ll
🚩🙏🏻ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी में अंतर :-----⁉️
🇮🇳भारत में प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों का बहुत महत्त्व रहा है।
ऋषि मुनि समाज के पथ प्रदर्शक माने जाते थे और वे अपने ज्ञान और साधना से हमेशा ही लोगों और समाज का कल्याण करते आये हैं।
तीर्थ स्थल पर हमें कई साधु देखने को मिल जाते हैं। धर्म कर्म में हमेशा लीन रहने वाले इस समाज के लोगों को ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी आदि नामों से पुकारते हैं।
ये हमेशा तपस्या, साधना, मनन के द्वारा अपने ज्ञान को परिमार्जित करते हैं।
ये प्रायः भौतिक सुखों का त्याग करते हैं
हालाँकि कुछ ऋषियों ने गृहस्थ जीवन भी बिताया है। आइये देखते हैं ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी कौन होते हैं और इनमें क्या अंतर है ?
🩸🙏🏻#ऋषिकौनहोते_हैं⁉️
भारत हमेशा से ही ऋषियों का देश रहा है। हमारे समाज में ऋषि परंपरा का विशेष महत्त्व रहा है।
आज भी हमारे समाज और परिवार
हम जिस मंदिर का जिक्र कर रहे हैं वह त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से तकरीबन १७८ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का नाम है है उनाकोटी। कहते हैं कि यहां कुल ९९ लाख ९९ हजार ९९९ पत्थर की मूर्तियां हैं, जिनके रहस्यों को आज तक कोई भी सुलझा नहीं पाया है। मसलन ये #Thread
मूर्तियां किसने बनाई, कब बनाई और क्यों बनाई और सबसे जरूरी कि एक करोड़ में एक कम ही क्यों? कहते हैं कि इन रहस्यमय मूर्तियों की संख्या के कारण ही इस जगह का नाम उनाकोटी पड़ा है। इसका अर्थ होता है करोड़ में एक कम।
उनाकोटि या उनोकोटि - इस शब्द में ही भव्यता का आभास है। उनाकोटी
का शाब्दिक अर्थ है " एक करोड़ से भी कम "। यह बहुत बड़ी संख्या है! किंवदंती है कि उनाकोटी की पहाड़ियों में देवी-देवताओं की एक ९९,९९,९९९ रॉक-कट छवियां थीं।
जब मैंने यह पहली बार सुना, तो मुझे पता था कि मुझे त्रिपुरा के उनाकोटी जाना है। घने जंगलों वाली जम्पुई पहाड़ियों के एक
हिन्दू धर्म में पुराणों में वर्णित ८४००००० योनियों के बारे में आपने कभी न कभी अवश्य सुना होगा।
हम जिस मनुष्य योनि में जी रहे हैं वह भी उन चौरासी लाख योनियों में से एक है।
अब समस्या यह है कि अनेक लोग ये नहीं #Thread
समझ पाते कि वास्तव में इन योनियों का अर्थ क्या है?
यह देख कर और भी दुःख होता है कि आज की पढ़ी-लिखी नई पीढ़ी इस बात पर व्यंग करती और कटाक्ष कर हँसती ही नही अपितु अज्ञानतावश उपहास भी करती है कि इतनी सारी योनियाँ कैसे हो सकती है ?
कदाचित अपने सीमित ज्ञान के कारण वे इसे ठीक से
समझ नहीं पाते।
गरुड़ पुराण में योनियों का विस्तार से वर्णन दिया गया है, तो आइये आज इसे समझने का प्रयत्न करते हैं।
सबसे पहले यह प्रश्न आता है कि क्या एक जीव के लिए ये संभव है कि वह इतने सारी योनियों में जन्म ले सके? तो उत्तर है, हाँ। एक जीव, जिसे हम आत्मा भी कहते हैं, इन
महर्षि श्रृंगी कहते हैं कि एक वेदमन्त्र है--सोमंब्रही वृत्तं रत: स्वाहा वेतु सम्भव ब्रहे वाचम प्रवाणम अग्नं ब्रहे रेत: अवस्ति,,
यह वेदमंत्र कोड है उस सोमना कृतिक यंत्र का,, पृथ्वी और बृहस्पति के मध्य कहीं अंतरिक्ष में वह केंद्र है जहां
यंत्र को स्थित किया जाता है,, वह यंत्र जल,वायु और अग्नि के परमाणुओं को अपने अंदर सोखता है,, कोड को उल्टा कर देने पर एक खास प्रकार से अग्नि और विद्युत के परमाणुओं को वापस बाहर की तरफ धकेलता है,,
जब महर्षि भारद्वाज ऋषिमुनियों के साथ भृमण करते हुए वशिष्ठ आश्रम पहुंचे तो
लोगों को एक बहु की आवश्यकता होती है, जो घर का काम काज कर सके, परिवार की अच्छे से देखभाल कर सके और समाज में परिवार की मान प्रतिष्ठा को बनाए रखें, न की एक मूर्ति या कागज के फूल की जो सज धज के घर के एक कोने में शोभा बढ़ाती रहे। #Thread
इसलिए सभी माता-पिता को चाहिये कि वे अपने लड़की के हित में निम्न छोटे छोटे कदम अवश्य उठाएं ,
आप चाहे अपनी बेटी से कितना ही प्यार क्यों न करते हो, उसे कितना ही क्यों न मानते हो, उससे घर का काम
काज अवश्य कराएं, ताकि आगे चलकर उसे अपने जीवन में घर का काम काज करने में कोई परेशानी
का सामना न करना पड़े।
समय-समय पर उसके गलतियों पर उसे डाटते भी रहे, जिससे ससुराल में कोई गलती हो जाए और बड़े बुजुर्ग उसे डांटे, तो वह उसे सह सके। गलती पर डाटने पर उसे गलत न समझे और न ही कोई गलत कदम उठाने की कोशिश करे।
आपकी जिमेदारी अपनी बेटी को अपनी बेटी ही बनाए रखने की नही है,
#किस_दिन_क्या_न_खाएं 🚩🚩
👉 #प्रतिपदा_को ..
कूष्मांड (पेठा) न खाएं क्योंकि उस दिन यह धन का नाश करने वाला होता है।
👉 #द्वितीया_को..
बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) निषिद्ध है।
👉 #तृतीया_को.
परवल खाने से शत्रुओं की वृद्धि होती है।
👉 #चतुर्थी_को.
मूली खाने से धन का नाश होता है।