भाग्य और कर्म
दो आदमी थे, दोनों ही बड़े धार्मिक थे।एक बार भगवान उनसे आकर मिले तो उन्होंने अपने भविष्य के बारे में पूछा।भगवान ने पहले को बताया कि "तुम्हारे घर सौ मन अनाज होगा और दूसरे को कहा कि अगले साल तुम्हारी मौत किसी के भाला मारने से हो जाएगी।" उसके बाद वो अंतर्ध्यान हो गए।
जिसको सौ मन अनाज होने वाला था उसने उस दिन के बाद उसका जोड़ घटाव करना शुरू कर दिया। सुबह शाम सोते जागते उसके दिमाग में सौ मन अनाज ही घूमता रहता। उसकी लालच धीरे - धीरे बढ़ती रही और उसने दूसरे के खेत से चोरी करना भी शुरू कर दिया। साल बीता उसने अपना खेत कटवाया पूरा जोड़ा घटाया
लेकिन उसमें सौ मन तो क्या पचास मन भी नहीं निकला। उसने चोरी किया हुआ अनाज भी उसमें जोड़ा लेकिन मामला निन्यानबे मन तक ही आकर अटक गया।
उधर दूसरा जिसे भाला लगने वाला था उसके दिमाग में चौबीसों घंटे मरने का खयाल घूमने लगा। उसने अपनी सारी संपदा दान पुण्य में लुटा दी।
वह रात दिन किसी न किसी की मदद में जुटा रहता। साल समाप्त होते होते वह रास्ते में कहीं जा रहा था तो उसके पैर में सिर्फ बेल का कांटा चुभा बाकी कुछ नहीं हुआ।
भगवान की कही हुई बात दोनो के लिए झूठी निकली थी। पहले तो भगवान स्वयं आकर इनसे मिले थे लेकिन इसबार इन्होंने खुद भगवान को
ढूढना शुरू किया। एक दिन ढूढते हुए वो मिल गए तो दोनों उन्हे झूठा बताकर उनसे लड़ने लगे।
तब भगवान ने उन्हें समझाते हुए कहा, "मैंने तुम्हारे बारे में जो जो भविष्यवाणियां की थी वो उस समय के कर्म के आधार पर थीं....।"
"लेकिन तुमने.."भगवान ने पहले को इंगित करते हुए कहा -"तुमने जिस सौ मन अनाज को दो सौ करने के चक्कर में जिन जिन के यहां चोरियां की मैंने उनका भी तो पूरा करना था।वो मै कहां से करता,वो मैने तुम्हारे खाते से ही काटकर किया इसलिए चोरियां करने के बावजूद भी तुम्हारा निन्यानबे मन ही रह गया
"और तुमने..." भगवान ने दूसरे की ओर इशारा किया।
"भाला लगने की बात सुनकर तुमने जितने मानव कल्याण के काम किए उससे भाले का आकार छोटा होता रहा और अंत में वह सिर्फ कांटा बनकर तुम्हारे पैर में चुभ गया।"
बाल सुलभ राजा का मन....
सबके सब लोकतंत्र की छाती पर पाँव रखे संविधान का बाजा बजा रहे उधर राजा पर्यटन पर है। अभी तक 66 देशों का पर्यटन कर चुका है, इनमें से कई में अनेक अनेक बार की गयी यात्राओं का जोड़ शामिल नहीं है। इन दिनों वह धुंआधार देशाटन पर है। प्रमुदित, उत्फुल्लित,
आल्हादित, बालसुलभ उत्साह से उत्साहित होकर दिन में 7 बार परिधान बदल रहा है। राजतंत्र के जमाने के राजा एक ही मुद्रा में बैठकर तैलचित्र बनवाते थे, मरे हुए शेर के ऊपर पाँव रखकर फोटो उतरवाते थे। उन्हें की नक़ल करने की कोशिश में वह नारद स्वयंवर काण्ड दोहरा रहा है।
कभी हाथ फैला कर अभिराम मुद्रा में पोज दे रहा है, कभी युवा उत्साही पर्यटकों की तरह सूरज को हथेली में लेकर तो कभी ऊंचे पर्वतीय शिखर पर हाथ रखकर फोटो सेशन कर रहा है। उसके अलावा फोटो फ्रेम में कोई और न आये इसके लिए बच्चों की तरह बिफर रहा है,
परीक्षा में गब्बरसिंह का चरित्र के बारे में लिखने के लिए कहा गया
दसवीं के एक छात्र ने लिखा-😉 1. सादगी भरा जीवन-:- शहर की भीड़ से दूर जंगल में रहते थे,
एक ही कपड़े में कई दिन गुजारा करते थे,
खैनी के बड़े शौकीन थे.😊
2. अनुशासनप्रिय-:- कालिया और उसके साथी को प्रोजेक्ट ठीक से न करने पर सीधा गोली मार दिये थे.😁
3.दयालु प्रकृति-:- ठाकुर को कब्जे में लेने के बाद ठाकुर के सिर्फ हाथ काटकर छोड़ दिया था, चाहते तो गला भी काट सकते थे😛
4. नृत्य संगीत प्रेमी-;- उनके मुख्यालय में नृत्य संगीत के कार्यक्रम चलते रहते थे..
'महबूबा महबूबा',
'जब तक है जां जाने जहां'.
बसंती को देखते ही परख गये थे कि कुशल नृत्यांगना है.😊
*Q*:- _*कैशलेस ट्रांजैक्शन में क्या खराबी है*_..?
*A*:- _सर सोचिए कि 100 रुपए का नोट 1,00,000 बार सर्कुलेट किया जाता है, इसका मूल्य समान होगा, किसी को कोई कमीशन नहीं मिलता_।
लेकिन अगर इसे कैशलेस लेनदेन के माध्यम से परिचालित किया जाता है, तो प्रत्येक लेनदेन
पर *2.5%* कमीशन मिलता है, यानी 1,00,000 गुना 2.5% = 2500% यानी रु। पेटीएम या जियो मनी आदि जैसे सेवा प्रदाताओं को 2,50,000 (दो लाख पचास हजार रुपये)। *सिर्फ सौ रुपये में*_।
_तो, *यह हमेशा के लिए सोने का अंडा देने वाली हंस है जो गिरोह को उपहार में दी गई है*_।
_इसलिए ये है *सभी घोटालों की जननी* अति महत्वपूर्ण आँकड़े कृपया पढ़ें और समझें, इसमें कोई राजनीति नहीं_।
*क्या आप जानते हैं*...
1) _डेबिट कार्ड प्रत्येक लेनदेन के लिए खुदरा विक्रेता या धन प्राप्तकर्ता से 0.5% से 1% के बीच शुल्क लेते हैं_।
वह सिर्फ एक व्यक्ति भर था जो कह गया—
'समरथ को नहिं दोष गुसाईं' लेकिन यहां तो हमने इस अनर्थ को संस्थागत रूप से स्वीकार कर लिया है।
क्या अंकिता भंडारी मामले के मुख्य आरोपी पुलकित आर्य का बाप पिछले डेढ़ महीने से छिपाकर रखा गया है तो इसीलिए कि वह सत्ताधारियों का इतना करीबी है कि उसे
राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया, उसके एक बेटे को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का उपाध्यक्ष बनाकर उपकृत किया गया।
वह कथित वीवीआइपी कौन था जिसे स्पेशल सर्विस देने का दबाव अंकिता पर डाला जा रहा था और न मानने पर उसकी हत्या कर दी गई?
पुलकित के पिता और उस वीवीआइपी को भुलाने की कोशिश की जा रही है तो क्यों?
भाजपा राज में महिलाएं असुरक्षित; और हत्यारों व बलात्कारियों की मौज
देश की राजधानी दिल्ली के नजफगढ़ में 9 फरवरी, 2012 को किरण नेगी के सामूहिक बलात्कार के बाद हरियाणा में की गई नृशंस हत्या में लिप्त तीनों आरोपियों को द्वारका सेशन कोर्ट द्वारा सुनाये गये फांसी के फैसले और फिर
उसे दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखने वाले फैसले को पलटते हुए 7 नवंबर को उच्चतम न्यायालय ने बरी कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने किरण नेगी के माता-पिता और पूरे उत्तराखंडी समाज को भीतर से बुरी तरह झकजोर दिया है।
किरण नेगी अपने परिवार का खर्च चलाने वाली एकमात्र सदस्य थी। उसे 9 फरवरी, 2012 को दिल्ली में क़ुतुब विहार, नजफगढ़ से तीन युवक अपनी गाड़ी में अपहृत कर हरियाणा ले गये। वहां ले जाकर उसका न सर्फ बेदर्दी से सामूहिक बलात्कार किया बल्कि उसके शरीर में 21 गंभीर घाव करने के अलावा
भ्रष्टाचार
यमराज दिन भर की व्यस्तता से थोड़ा खाली होकर टी.वी.देख रहे थे. लम्बे विज्ञापन के बाद समाचार शुरू हुए.मगर ठीक उसी समय अचानक बिजली चली गयी जब न्यूज़ एंकर कह ही रहा था कि, 'बेटे की संपत्ति कई हज़ार गुना बढ़ी. 'यमलोक के फोन घनघना उठे.
यमदूतों के फोन पर फोन आने लगे. यमराज ने कहा हम यमलोक में भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे.इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा. उन्होंने यमदूतों की एक आपात बैठक बुलाई. बैठक में यह तय किया गया कि सबसे पहले यमराज ट्वीट कर दें कि यमलोक में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
इसके बाद चित्रगुप्त और दूसरे वरिष्ठ यमदूत प्रेस कांफ्रेंस कर लेंगे. तमाम यमदूत जिला मुख्यालयों पर उस भ्रष्टाचारी बेटे का पुतला दहन करेंगे. उसके बाप का इस्तीफा भी माँगा जाएगा. सी.डी.तैयार कर उसका प्रसारण भी चुनावों में होगा. आनन-फानन में जांच के आदेश भी दे दिये गए