अमित Profile picture
Nov 12 20 tweets 5 min read
💥 #सीता_की_निंदा_करने_वाले_धोबी_के_पूर्व
जन्म_का #_वृत्तान्त :🚩🚩

मिथिला नाम की नगरी में महाराज जनक राज्य करते थे। उनका नाम था सीरध्वज। एक बार वे यज्ञ के लिए पृथ्वी जोत रहे थे उस समय फाल से बनी गहरी रेखा द्वारा एक कुमारी कन्या का प्रादुर्भाव हुआ। रति से भी सुंदर Image
कन्या को देख कर राजा को बड़ी प्रसन्नता हुई और उन्होंने उस कन्या का नाम सीता रख दिया
परम सुंदरी सीता एक दिन सखियों के साथ उद्यान में खेल रहीं थीं। वहाँ उन्हें एक शुक पक्षी का जोड़ा दिखाई दिया,जो बड़ा मनोरम था। वे दोनों पक्षी एक पर्वत की चोटी पर बैठ कर इस प्रकार बोल रहे थे
‘पृथ्वी पर श्री राम नाम से विख्यात एक बड़े सुंदर राजा होंगे। उनकी महारानी, सीता के नाम से विख्यात होंगी। श्री राम, सीता के साथ ग्यारह हजार वर्षों तक राज्य करेंगे। धन्य हैं वे जानकी देवी और धन्य हैं वे श्री राम।

तोते को ऐसी बातें करते देख सीता ने यह सोचा कि ये दोनों मेरे ही
जीवन की कथा कह रहे हैं, इन्हें पकड़ कर सभी बातें पूछूँ।ऐसा विचार कर उन्होंने अपनी सखियों से कहा, ‘यह पक्षियों का जोड़ा सुंदर है तुम लोग चुपके से जाकर इसे पकड़ लाओ।’

सखियाँ उस पर्वत पर गयीं और दोनों सुंदर पक्षियों को पकड़ लायीं।

सीता उन पक्षियों से बोलीं—‘तुम दोनों बड़े
सुंदर हो; देखो, डरना नहीं। बताओ, तुम कौन हो और कहाँ से आये हो? राम कौन हैं? और सीता कौन हैं? तुम्हें उनकी जानकारी कैसे हुई? सारी बातों को जल्दी जल्दी बताओ। भय न करो।

सीता के इस प्रकार पूछने पर दोनों पक्षी सब बातें बताने लगे —–‘देवि ! वाल्मीकि नाम से विख्यात एक बहुत बड़े
महर्षि हैं। हम दोनों उन्हीं के आश्रम में रहते हैं। महर्षि ने रामायण नाम का एक ग्रन्थ बनाया है जो सदा मन को प्रिय जान पड़ता है। उन्होंने शिष्यों को उस रामायण का अध्ययन भी कराया है। रामायण का कलेवर बहुत बड़ा है। हम लोगों ने उसे पूरा सुना है ।

राम और जानकी कौन हैं, इस बात को हम
बताते हैं तथा इसकी भी सूचना देते हैं कि जानकी के विषय में क्या क्या बातें होने वाली हैं; तुम ध्यान देकर सुनो।

‘महर्षि ऋष्यश्रंग के द्वारा कराये हुए पुत्रेष्टि-यज्ञ के प्रभाव से भगवान विष्णु राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न—ये चार शरीर धारण करके प्रकट होंगे। देवांगनाएँ भी उनकी
उत्तम कथा का गान करेंगी।

श्री राम महर्षि विश्वामित्र के साथ भाई लक्ष्मण सहित हाथ में धनुष लिए मिथिला पधारेंगे। उस समय वहाँ वे शिव जी के धनुष को तोड़ेंगे और अत्यन्त मनोहर रूप वाली सीता को अपनी पत्नी के रूप में ग्रहण करेंगे। फिर उन्हीं के साथ श्री राम अपने विशाल राज्य का पालन
करेंगे। ये तथा और भी बहुत सी बातें वहाँ हमारे सुनने में आयी हैं। सुंदरी ! हमने तुम्हें सब कुछ बता दिया। अब हम जाना चाहते हैं, हमें छोड़ दो।

पक्षियों की ये अत्यंत मधुर बातें सुनकर सीता ने उन्हें मन में धारण किया और पुनः उन दोनों से पूछा —-‘राम कहाँ होंगे? वे किसके पुत्र हैं
और कैसे वे आकर जानकी को ग्रहण करेंगे? मनुष्यावतार में उनका श्री विग्रह कैसा होगा?

उनके प्रश्न सुनकर शुकी मन ही मन जान गयी कि ये ही सीता हैं। उन्हें पहचान कर वह सामने आ उनके चरणों पर गिर पड़ी और बोली —- श्री रामचन्द्र का मुख कमल की कली के समान सुंदर होगा। नेत्र बड़े बड़े तथा
खिले हुए, नासिका ऊँची, पतली और मनोहारिणी होगी। भुजाएँ घुटनों तक, गला शंख के समान होगा। वक्षःस्थल उत्तम व चौड़ा होगा। उसमें श्रीवत्स का चिन्ह होगा।

श्री राम ऐसा ही मनोहर रूप धारण करने वाले हैं। मैं उनका क्या वर्णन कर सकती हूँ। जिसके सौ मुख हैं, वह भी उनके गुणों का बखान नहीं
कर सकता। फिर हमारे जैसे पक्षी की क्या बिसात है ।वे जानकी देवी धन्य हैं जो शीघ्र रघुनाथ जी के साथ हजारों वर्षों तक प्रसन्नतापूर्वक विहार करेंगी। परंतु सुंदरी ! तुम कौन हो?

पक्षियों की बातें सुनकर सीता अपने जन्म की चर्चा करती हुई बोलीं—-‘जिसे तुम लोग जानकी कह रहे हो, वह जनक की
पुत्री मैं ही हू। श्री राम जब यहाँ आकर मुझे स्वीकार करेंगे, तभी मैं तुम दोनों को छोड़ूँगी। तुम इच्छानुसार खेलते हुए मेरे घर में सुख से रहो।

यह सुनकर शुकी ने जानकी से कहा —-‘साध्वी ! हम वन के पक्षी हैं। हमें तुम्हारे घर में सुख नहीं मिलेगा। मैं गर्भिणी हूँ, अपने स्थान पर जाकर
बच्चे पैदा करूँगी। उसके बाद फिर यहाँ आ जाऊँगी।

उसके ऐसा कहने पर भी सीता ने उसे नहीं छोड़ा। तब उसके पति ने कहा —-‘सीता ! मेरी भार्या को छोड़ दो। यह गर्भिणी है। जब यह बच्चों को जन्म दे लेगी, तब इसे लेकर फिर तुम्हारे पास आ जाऊँगा। तोते के ऐसा कहने पर जानकी ने कहा — महामते !
तुम आराम से जा सकते हो, मगर यह मेरा प्रिय करने वाली है। मैं इसे अपने पास बड़े सुख से रखूँगी ।

जब सीता ने उस शुकी को छोड़ने से मना कर दिया, तब वह पक्षी अत्यंत दुखी हो गया। उसने करुणायुक्त वाणी में कहा —-‘योगी लोग जो बात कहते हैं वह सत्य ही है—-किसी से कुछ न कहे, मौन होकर रहे,
नहीं तो उन्मत्त प्राणी अपने वचनरूपी दोष के कारण ही बन्धन में पड़ता है। यदि हम इस पर्वत के ऊपर बैठकर वार्तालाप न करते होते तो हमारे लिए यह बन्धन कैसे प्राप्त होता। इसलिए मौन ही रहना चाहिए ।

इतना कहकर पक्षी पुनः बोला—– ‘सुन्दरी ! मैं अपनी इस भार्या के विना जीवित नहीं रह सकता,
इसलिए इसे छोड़ दो। सीता ! तुम बहुत अच्छी हो, मेरी प्रार्थना मान लो।’ इस तरह उसने बहुत समझाया, किन्तु सीता ने उसकी पत्नी को नहीं छोड़ा, तब उसकी भार्या ने क्रोध और दुख से व्याकुल होकर जानकी को शाप दिया ——- ‘अरी ! जिस प्रकार तू मुझे इस समय अपने पति से अलग कर रही है, वैसे ही
तुझे स्वयं भी गर्भिणी की अवस्था में श्री राम से अलग होना पड़ेगा।’

यों कहकर पति वियोग के कारण उसके प्राण निकल गये। उसने श्री रामचंद्र जी का स्मरण तथा पुनः पुनः राम नाम का उच्चारण करते हुए प्राण त्याग किया था, इसलिए उसे ले जाने के लिए एक सुंदर विमान आया और वह पक्षिणी उस पर
बैठकर भगवान के धाम को चली गई।

भार्या की मृत्यु हो जाने पर पक्षी शोक से आतुर होकर बोला —— ‘मैं मनुष्यों से भरी श्री राम की नगरी अयोध्या में जन्म लूँगा तथा मेरे ही वाक्य से इसे पति के वियोग का भारी दुख उठाना पड़ेगा।’

यह कहकर वह चला गया। क्रोध और सीता जी का अपमान करने के कारण
उसका धोबी की योनि में जन्म हुआ।

उस धोबी के कथन से ही सीता जी निन्दित हुईं और उन्हें पति से वियुक्त होना पड़ा।धोबी के रूप में उत्पन्न हुए उस तोते का शाप ही सीता का पति से विछोह कराने में कारण हुआ और वे वन में गयीं।

🚩🚩 जय श्री राम 🚩🚩
#सनातन_संस्कृति_और_विज्ञान 🚩

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with अमित

अमित Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @Am_du1

Nov 14
कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है !

🩸#सोना
सोना एक गर्म धातु है ! सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है ! Image
🩸#चाँदी
चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है ! शरीर को शांत रखती है इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है,
आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है !
🩸#कांसा
काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है ! लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है !
कांसे के बर्तन में
Read 12 tweets
Nov 13
#अत्रि_ऋषि_की_पत्नी_और_सती_अनुसूया_की_कथा से अधिकांश धर्मालु परिचित हैं। उनकी पति भक्ति की लोक प्रचलित और पौराणिक कथा है। जिसमें त्रिदेव ने उनकी परीक्षा लेने की सोची और बन गए नन्हे शिशु ...

पढ़ें विस्तार से ....

एक बार नारदजी विचरण कर रहे थे तभ तीनों
#Thread ImageImage
देवियां मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां पार्वती को परस्पर विमर्श करते देखा। तीनों देवियां अपने स तीत्व और पवित्रता की चर्चा कर रही थी। नारद जी उनके पास पहुंचे और उन्हें अत्रि महामुनि की पत्नी अनुसूया के असाधारण पातिव्रत्य के बारे में बताया। नारद जी बोले उनके समान पवित्र
और पतिव्रता तीनों लोकों में नहीं है। तीनों देवियों को मन में अनुसूया के प्रति ईर्ष्या होने लगी। तीनों देवियों ने सती अनसूया के पातिव्रत्य को खंडित के लिए अपने पतियों को कहा तीनों ने उन्हें बहुत समझाया पर पर वे राजी नहीं हुई।

इ स विशेष आग्रह पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने
Read 14 tweets
Nov 11
#मृत्यु_के_लिये_प्रवेश 🚩🚩

वाराणसी के एक गेस्ट हाउस का एकाउंट है, जहाँ लोग मृत्यु के लिए प्रवेश लेते हैं। इसे 'काशी लाभ मुक्ति भवन' कहा जाता है।

कुछ लोग इसे डेथं होटल भी कहते हैं ।।

एक हिंदु मान्यता के अनुसार यदि कोई काशी में अपनी अंतिम सांस लेता है, तो उसे काशी लाभ
(काशी का फल) जो वास्तव में मोक्ष या मुक्ति है, प्राप्त होता है।

इस गेस्ट हाउस के बारे में दिलचस्प तथ्य यह है कि इसमें रहने और मरने के लिए केवल दो सप्ताह की अनुमति है। इसलिए इसमें प्रवेश से पहले किसी को अपनी मृत्यु के बारे में वास्तव में निश्चित होना चाहिए।

यदि कोई व्यक्ति दो
सप्ताह के बाद भी जीवित रहता है, तो उसे ये गेस्ट हाउस छोड़ना होता है।
उत्सुकतावशमैंने वहां जाने का फैसला किया, यह समझने के लिए कि उन लोगों ने क्या सीखा, जिन्होंने न केवल मृत्यु को एक वास्तविकता के रूप में स्वीकार किया बल्कि एक निश्चित समय के साथ अपनी मृत्यु का अनुमान भी लगा लिया
Read 13 tweets
Nov 10
💥 #माँ_का_सम्मान 🙏

एक मध्यम वर्गीय परिवार के एक लड़के ने 10वीं की परीक्षा में 90% अंक प्राप्त किए ।
पिता ने मार्कशीट देखकर खुशी-खुशी अपनी बीवी को कहा कि बना लीजिए मीठा दलिया, स्कूल की परीक्षा में आपके लाड़ले को 90% अंक मिले हैं ..!

माँ किचन से दौड़ती हुई आई और बोली,
"..मुझे भी बताइये, देखती हूँ...!

इसी बीच लड़का फटाक से बोला...
"बाबा उसे रिजल्ट कहाँ दिखा रहे हैं ?... क्या वह पढ़-लिख सकती है ? वह अनपढ़ है ...!"

अश्रुपुर्ण आँखों को पल्लु से पोंछती हुई माँ दलिया बनाने चली गई ।

ये बात पिता ने तुरंत सुनी ...! फिर उन्होंने लड़के के कहे
हुए वाक्यों में जोड़ा, और कहा... "हां रे ! वो भी सच है...!

जब तू गर्भ में था, तो उसे दूध बिल्कुल पसंद नहीं था, उसने तुझे स्वस्थ बनाने के लिए हर दिन नौ महीने तक दूध पिया ...
क्योंकि वो अनपढ़ थी ना ...!

तुझे सुबह सात बजे स्कूल जाना होता था, इसलिए वह सुबह पांच बजे उठकर
Read 9 tweets
Nov 10
रहस्यमय केदारेश्वर गुफा मंदिर एक मोनोलिथिक चट्टान से तराशा गया...!!! 🙏
केदारेश्वर गुफा मंदिर अन्य मंदिरों से काफी अलग है। यह एक गुफा में स्थित है और पूरे साल पानी की उपस्थिति मंदिर को न केवल महाराष्ट्र में बल्कि भारत में भी अद्वितीय मंदिरों में से एक बनाती है।

#Thread
मंदिर बहुत पुराना लग रहा है, और निश्चित रूप से यह है! गुफाओं को पाषाण युग में वापस जाने के बारे में कहा जाता है!
गुफा के मध्य में लगभग पांच फीट का शिवलिंग स्थित है। शिवलिंग तक पहुंचने के लिए कमर गहरी और बर्फ के ठंडे पानी से होकर चलना पड़ता है।

लिंग के चारों ओर चार स्तंभ थे
लेकिन अब एक ही स्तंभ बरकरार है। सामान्य लेकिन प्राचीन विश्वास है कि युग या समय के प्रतीक स्तंभ हैं, अर्थात, सत्य, त्रेथा, द्वापर और कलियुग।
कहा जाता है कि वर्तमान स्तंभ अंतिम और अंतिम युग का प्रतीक है, जो वर्तमान एक, कलियुग है। इस प्रकार एक विश्वास है कि जब यह अंतिम और शेष
Read 6 tweets
Nov 9
🚩🙏🏻ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी में अंतर :-----⁉️
🇮🇳भारत में प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों का बहुत महत्त्व रहा है।
ऋषि मुनि समाज के पथ प्रदर्शक माने जाते थे और वे अपने ज्ञान और साधना से हमेशा ही लोगों और समाज का कल्याण करते आये हैं।

आज भी वनों में या किसी
#Thread
तीर्थ स्थल पर हमें कई साधु देखने को मिल जाते हैं। धर्म कर्म में हमेशा लीन रहने वाले इस समाज के लोगों को ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी आदि नामों से पुकारते हैं।
ये हमेशा तपस्या, साधना, मनन के द्वारा अपने ज्ञान को परिमार्जित करते हैं।
ये प्रायः भौतिक सुखों का त्याग करते हैं
हालाँकि कुछ ऋषियों ने गृहस्थ जीवन भी बिताया है। आइये देखते हैं ऋषि, मुनि, साधु और संन्यासी कौन होते हैं और इनमें क्या अंतर है ?

🩸🙏🏻#ऋषिकौनहोते_हैं⁉️
भारत हमेशा से ही ऋषियों का देश रहा है। हमारे समाज में ऋषि परंपरा का विशेष महत्त्व रहा है।
आज भी हमारे समाज और परिवार
Read 29 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(